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अध्याय सोलह

सच्ची उपासना करने का फैसला कीजिए

सच्ची उपासना करने का फैसला कीजिए
  • बाइबल मूर्तिपूजा के बारे में क्या सिखाती है?

  • त्योहारों के बारे में मसीहियों का नज़रिया क्या है?

  • आप दूसरों को गुस्सा दिलाए बगैर अपने विश्वासों के बारे में कैसे समझा सकते हैं?

1, 2. झूठे धर्म को छोड़ने के बाद भी आपको खुद से क्या सवाल पूछना चाहिए, और आपकी राय में ऐसा करना क्यों ज़रूरी है?

मान लीजिए, आपको पता लगता है कि आपके घर में आनेवाली पानी की सप्लाई में किसी ने चुपके से ज़हर मिला दिया है और आपकी जान खतरे में है। अब आप क्या करेंगे? बेशक आप वह पानी पीना बंद कर देंगे और फौरन कहीं से साफ पानी हासिल करने की कोशिश करेंगे। ऐसा करने के बाद भी शायद आपके मन में यह सवाल खटकता रहे: ‘कहीं मेरे शरीर में ज़हर फैल तो नहीं गया?’

2 झूठे धर्म भी उस ज़हरीले पानी की तरह हैं। बाइबल सिखाती है कि उनमें अशुद्ध शिक्षाओं और रस्मो-रिवाज़ का ज़हर मिला हुआ है। (2 कुरिन्थियों 6:17) इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि आप ‘बड़े बाबुल’ से यानी पूरी दुनिया में साम्राज्य की तरह फैले झूठे धर्मों से बाहर निकल आएँ। (प्रकाशितवाक्य 18:2, 4) क्या आपने ऐसा किया है? अगर हाँ, तो हम इसके लिए आपकी तारीफ करते हैं। मगर झूठे धर्म से नाता तोड़ लेना या चर्च से इस्तीफा दे देना काफी नहीं है। ऐसा करने के बाद भी आपको खुद से पूछना चाहिए, ‘क्या मेरी ज़िंदगी में अब भी झूठी उपासना का ज़रा भी असर बाकी रह गया है?’ आइए ऐसे कुछ मामलों पर गौर करें।

मूर्तियों और पुरखों की पूजा

3. (क) मूर्तियों के बारे में बाइबल क्या बताती है, और परमेश्वर के इस नज़रिए को कबूल करना कुछ लोगों को मुश्किल क्यों लग सकता है? (ख) अगर आपके पास झूठी उपासना से जुड़ी कोई भी चीज़ हो तो आपको क्या करना चाहिए?

3 कुछ लोगों के घरों में बरसों से मूर्तियाँ या वेदियाँ हैं, जिनके आगे पूजा-प्रार्थना की जाती है। क्या ये आपके घर में भी हैं? अगर हाँ, तो आपको अभी-भी शायद किसी मूर्ति के बिना परमेश्वर से प्रार्थना करना अजीब या गलत लगता हो। पूजा-प्रार्थना की कुछ चीज़ें शायद ऐसी भी हों जिनसे आपको गहरा लगाव हो गया हो, इसलिए इन्हें छोड़ना आपको मुश्किल लग सकता है। मगर परमेश्वर की उपासना कैसे की जानी चाहिए, यह खुद परमेश्वर तय करता है। और बाइबल बताती है कि परमेश्वर यह हरगिज़ नहीं चाहता कि हम उपासना में मूर्तियों का इस्तेमाल करें। (निर्गमन 20:4, 5; भजन 115:4-8; यशायाह 42:8; 1 यूहन्ना 5:21) इसलिए अगर आपके पास झूठी उपासना से जुड़ी कोई भी चीज़ हो, तो उसे नाश कर दीजिए और इस तरह सच्ची उपासना करने का फैसला कीजिए। इन चीज़ों के बारे में बिलकुल वैसा ही नज़रिया रखिए जैसा यहोवा रखता है। वह इनसे “घृणा” करता है।व्यवस्थाविवरण 27:15.

4. (क) हम कैसे जानते हैं कि पुरखों की पूजा करना बेकार है? (ख) यहोवा ने अपने लोगों को सख्त हिदायत क्यों दी कि वे भूतविद्या से जुड़े किसी भी काम में हिस्सा न लें?

4 बहुत-से झूठे धर्मों में पुरखों या पूर्वजों की पूजा करने का भी रिवाज़ है। कुछ लोग मानते हैं कि मरे हुए लोग किसी अनदेखी दुनिया में जी रहे हैं और वे ज़िंदा लोगों की मदद कर सकते हैं या उनको नुकसान पहुँचा सकते हैं। शायद आप भी बाइबल की सच्चाई सीखने से पहले ऐसा ही सोचते हों और इसलिए पूर्वजों को खुश करने के लिए आपने न जाने किन-किन रीति-रिवाज़ों का पालन किया हो। मगर जब आपने अध्याय 6 में मरे हुओं के बारे में बाइबल से सच्चाई सीखी तो आपको पता चला कि मरने पर एक इंसान का वजूद पूरी तरह मिट जाता है। इसलिए उनसे बात करना या किसी तरह से उनसे संपर्क करना बेकार है। अगर आपको कभी ऐसा लगता है कि आप मरे हुए किसी अज़ीज़ की आवाज़ सुन रहे हैं, तो वह असल में दुष्टात्माओं की आवाज़ है। यही वजह थी कि क्यों यहोवा परमेश्वर ने इस्राएलियों को सख्त हिदायत दी थी कि वे मरे हुओं से बातचीत करने की कोशिश न करें, न ही भूतविद्या से जुड़े किसी भी काम में हिस्सा लें।व्यवस्थाविवरण 18:10-12.

5. अगर आज तक आप पुरखों या मूर्तियों की पूजा करते आए थे, तो अब आप क्या कर सकते हैं?

5 अगर आज तक आप पुरखों या मूर्तियों की पूजा करते आए थे, तो अब आप क्या कर सकते हैं? बाइबल की कई आयतें बताती हैं कि परमेश्वर, मूर्तियों और पुरखों की पूजा के बारे में क्या सोचता है। इन आयतों को पढ़िए और उन पर गहराई से सोचिए। इसके अलावा, हर रोज़ यहोवा से प्रार्थना कीजिए और उसे अपनी यह ख्वाहिश बताइए कि आप सच्ची उपासना करना चाहते हैं। और उससे मदद माँगिए कि आप भी इस बारे में उसी तरह सोच सकें जैसे वह सोचता है।यशायाह 55:9.

क्रिसमस का त्योहार शुरू के मसीही नहीं मनाते थे

6, 7. (क) क्रिसमस क्यों मनाया जाता है, और क्या पहली सदी में यीशु के चेले इसे मनाते थे? (ख) यीशु के चेलों के ज़माने में, जन्मदिन मनाने का रिवाज़ किससे जुड़ा हुआ था?

6 झूठे धर्म एक और तरीके से हमारी उपासना में ज़हर घोल सकते हैं। वह है, जाने-माने त्योहारों से। अब क्रिसमस को ही लीजिए। कहा जाता है कि क्रिसमस, यीशु मसीह के जन्मदिन की खुशी में मनाया जाता है और तकरीबन हर ईसाई धर्म इसे मनाता है। मगर इसका कोई सबूत नहीं कि पहली सदी में यीशु के चेलों ने क्रिसमस मनाया था। गूढ़ बातों की पवित्र शुरूआत (अँग्रेज़ी) किताब कहती है: “मसीह ठीक कब पैदा हुआ, यह तारीख उसकी मौत के बाद दो सौ साल तक, न तो किसी को याद रही न ही किसी को यह जानने में ज़रा भी दिलचस्पी थी।”

7 अगर यीशु के चेलों को उसके जन्म की सही-सही तारीख मालूम होती, तब भी वे उसका जन्मदिन नहीं मनाते। क्यों? क्योंकि जैसे द वर्ल्ड बुक इनसाइक्लोपीडिया कहती है, शुरू के मसीही “मानते थे कि जन्मदिन चाहे किसी का भी हो, इसे मनाने का रिवाज़ झूठे धर्मों से निकला है।” बाइबल में सिर्फ ऐसे दो राजाओं के जन्मदिन का ज़िक्र है जो झूठे धर्म को मानते थे। (उत्पत्ति 40:20; मरकुस 6:21) उस ज़माने में राजाओं के अलावा, झूठे देवी-देवताओं के सम्मान में भी उनका जन्मदिन मनाया जाता था। मिसाल के लिए, रोमी मई 24 को डायना नाम की देवी का जन्मदिन मनाते थे। और अगले दिन वे सूर्य देवता, अपोलो का जन्मदिन मनाते थे। तो यह बिलकुल साफ है कि यीशु के चेलों के ज़माने में जन्मदिन मनाने का रिवाज़ झूठे धर्मों से जुड़ा था, न कि सच्ची मसीहियत से।

8. समझाइए कि जन्मदिन और अंधविश्वास के बीच क्या नाता है।

8 पहली सदी में यीशु का जन्मदिन न मनाने की एक और वजह थी। उसके चेले यह ज़रूर जानते होंगे कि जन्मदिन मनाने की रीत का अंधविश्वास के साथ नाता है। मिसाल के लिए, पुराने ज़माने के कई यूनानियों और रोमियों का यह अंधविश्वास था कि हर इंसान के जन्म के वक्‍त एक आत्मा हाज़िर होती है और फिर वह ज़िंदगी-भर उस इंसान की हिफाज़त करती है। जन्मदिन की कथा (अँग्रेज़ी) किताब कहती है कि “इस आत्मा का उस देवता के साथ पहले से एक रहस्यमयी रिश्ता होता है, जिसके जन्मदिन पर वह शख्स पैदा हुआ था।” यहोवा ऐसी किसी भी रस्म से हरगिज़ खुश नहीं होता, जो मनायी तो यीशु के नाम से जाती है मगर असल में उसका ताल्लुक अंधविश्वास से है। (यशायाह 65:11, 12) तो फिर लोग क्रिसमस क्यों मनाने लगे?

क्रिसमस की शुरूआत

9. यीशु का जन्मदिन मनाने के लिए दिसंबर 25 क्यों चुना गया?

9 यीशु के पैदा होने और मरने के सैकड़ों साल बाद जाकर कहीं लोगों ने दिसंबर 25 को उसका जन्मदिन मनाना शुरू किया था। मगर इस तारीख को यीशु का जन्म नहीं हुआ था, क्योंकि सबूत दिखाते हैं कि वह अक्टूबर महीने में पैदा हुआ था, दिसंबर में नहीं। * तो फिर, उसका जन्मदिन मनाने के लिए दिसंबर 25 की तारीख क्यों चुनी गयी? दरअसल ईसाई होने का दावा करनेवाले कुछ लोगों ने बाद में जाकर इस दिन को चुना था। क्योंकि इस दिन “रोम के गैर-ईसाई लोग ‘अजेय सूर्य का जन्मदिन’ मनाते थे,” और ईसाई “चाहते थे कि मसीह के जन्म का जश्न भी इसी दिन मनाया जाए।” (द न्यू इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका) सर्दियों के मौसम में जब सूरज की गरमी कम हो जाती, तो गैर-ईसाई इस इरादे से पूजा-पाठ करते और रीति-रस्म मनाते थे कि सूरज अपनी लंबी यात्रा से लौट आए और दोबारा उन्हें गरमी और रोशनी दे। उनका मानना था कि दिसंबर 25 को सूरज लौटना शुरू करता है। इस त्योहार और इसकी रस्मों को ईसाई धर्म-गुरुओं ने अपने धर्म में मिला लिया और इसे “ईसाइयों का त्योहार” नाम दिया ताकि गैर-ईसाइयों को अपने धर्म की तरफ खींच सकें। *

10. बीते ज़माने में कुछ लोग क्रिसमस क्यों नहीं मनाते थे?

10 बीते ज़माने में भी लोग यह सच्चाई जानते थे कि क्रिसमस गैर-ईसाई धर्मों से निकला है और बाइबल में इसका कहीं कोई ज़िक्र नहीं है। इसी वजह से, 17वीं सदी के दौरान इंग्लैंड में और अमरीका के ऐसे कुछ इलाकों में जो इंग्लैंड के अधीन थे, इस त्योहार पर रोक लगा दी गयी। वहाँ क्रिसमस के दिन अगर कोई काम पर जाने के बजाय घर पर रहता, तो उसे जुर्माना भरना पड़ता था। मगर कुछ ही समय बाद, पुराने रस्मो-रिवाज़ लौट आए और उनके साथ कुछ नए रिवाज़ भी जोड़ दिए गए। इस तरह एक बार फिर क्रिसमस बड़ा त्योहार बन गया और आज भी इसे कई देशों में धूमधाम से मनाया जाता है। मगर जो लोग परमेश्वर को खुश करना चाहते हैं वे क्रिसमस नहीं मनाते, न ही वे ऐसा कोई और त्योहार मनाते हैं जिसकी शुरूआत झूठे धर्मों से हुई है। *

त्योहार कहाँ से शुरू हुए, क्या इससे कोई फर्क पड़ता है?

11. कुछ लोग त्योहार क्यों मनाते हैं, मगर हमारी सबसे बड़ी चिंता क्या होनी चाहिए?

11 कुछ लोग शायद कहें, ‘हम जानते हैं कि क्रिसमस जैसे त्योहारों की शुरूआत झूठे धर्मों से हुई है, मगर इन्हें मनाने में बुराई क्या है? आज कोई यह सोचकर तो त्योहार नहीं मनाता कि यह किसी झूठे धर्म का त्योहार है। और फिर, हमें इन त्योहारों में अपने परिवारों के साथ इकट्ठा होने और मिलने-जुलने का बढ़िया मौका भी तो मिलता है।’ क्या आप भी इन्हीं लोगों की तरह महसूस करते हैं? अगर हाँ, तो शायद आपको झूठे धर्म से नहीं बल्कि अपने परिवार से लगाव है और इसलिए आपको सच्ची उपासना करने का फैसला करना मुश्किल लग रहा है। यहोवा परमेश्वर ने ही परिवार की शुरूआत की है। इसलिए यकीन मानिए, वह चाहता है कि आप अपने परिवारवालों के साथ अच्छा रिश्ता बनाए रखें। (इफिसियों 3:14, 15) ऐसे झूठे धर्मों के त्योहारों में हिस्सा लेकर परिवार को खुश करने के बजाय, और भी कुछ तरीके हैं जिनसे हम परिवारवालों को खुश कर सकते हैं और जिन्हें परमेश्वर मंज़ूर करता है। रिश्तेदारों को खुश करने से बढ़कर हमें किस बात की ज़्यादा चिंता होनी चाहिए, यह हम प्रेरित पौलुस के इन शब्दों से जान सकते हैं: “यह परखो, कि प्रभु को क्या भाता है।”इफिसियों 5:10.

क्या आप गंदी नाली से लॉलीपॉप उठाकर खाएँगे?

12. उदाहरण देकर समझाइए कि हमें ऐसे रिवाज़ और त्योहार क्यों नहीं मनाने चाहिए, जिनकी शुरूआत अशुद्ध वस्तुओं से हुई है।

12 शायद आप कहें, त्योहारों की शुरूआत पुराने ज़माने में चाहे जैसे भी हुई हो, मगर आज ये जिस तरह मनाए जाते हैं, उसका इनकी शुरूआत के साथ कोई ताल्लुक नहीं है। मगर क्या वाकई इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इनकी शुरूआत कहाँ से और कैसे हुई? मान लीजिए, एक गंदी नाली में लॉलीपॉप पड़ी है। क्या आप उसे उठाकर खाएँगे? हरगिज़ नहीं! क्योंकि वह लॉलीपॉप गंदी है। त्योहार भी उस लॉलीपॉप की तरह हैं। उनको मनाने में भले ही मज़ा आता हो, मगर उन्हें गंदगी से निकाला गया है। सच्ची उपासना करने का फैसला करने के लिए, यह ज़रूरी है कि हम यशायाह नबी जैसा नज़रिया रखें, जिसने सच्चे उपासकों से कहा: “कोई अशुद्ध वस्तु मत छुओ।”यशायाह 52:11.

दूसरों के साथ पेश आते वक्‍त समझ से काम लीजिए

13. त्योहारों में हिस्सा न लेने से आपके सामने कौन-सी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं?

13 त्योहारों में हिस्सा न लेने से आपको कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। मिसाल के लिए, नौकरी की जगह पर शायद आपके साथी समझ न पाएँ कि क्यों आप उनके त्योहार और रस्मो-रिवाज़ में शरीक नहीं होते। आप इस मुश्किल का कैसे सामना करेंगे? या अगर कोई आपको क्रिसमस का तोहफा दे, तब आप क्या करेंगे? क्या उसे लेना गलत होगा? अगर आपका जीवन-साथी आपके विश्वासों को नहीं मानता, तब क्या? हो सकता है, त्योहार न मनाने की वजह से आपके बच्चों को ऐसा लगे कि उन्हें दूसरों की तरह खुशियाँ मनाने का मौका नहीं मिल रहा है। तो आप क्या कर सकते हैं ताकि बच्चे ऐसा महसूस न करें?

14, 15. अगर कोई आपको त्योहार की मुबारकबाद देता है या आपको तोहफा देना चाहता है तो आप क्या कर सकते हैं?

14 ऐसी हर मुश्किल से निपटने के लिए समझ से काम लेना ज़रूरी है। अगर कोई आते-जाते आपको त्योहार की मुबारकबाद देता है तो आप उसे बस शुक्रिया कह सकते हैं। लेकिन अगर आपके साथ काम करनेवाले या जिनसे आपकी रोज़ मुलाकात होती है, वे आपको किसी त्योहार के लिए मुबारकबाद देते हैं, तो आप उन्हें त्योहार न मनाने की वजह बता सकते हैं। हर मामले में सोच-समझकर अपनी बात कहिए जिससे सुननेवाले को ठेस न पहुँचे। बाइबल सलाह देती है: “तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए।” (कुलुस्सियों 4:6) इस बात का ध्यान रखिए कि आप किसी की बेइज़्ज़ती न करें। इसके बजाय, प्यार से समझाइए कि आप त्योहारों में शरीक क्यों नहीं होते। साफ-साफ बताइए कि आप तोहफे लेने-देने या पार्टियों में शामिल होने के खिलाफ नहीं हैं, मगर ये सब आप किसी और वक्‍त पर करना पसंद करेंगे।

15 अगर कोई आपको तोहफा देना चाहता है तो आप क्या करेंगे? हालात को ध्यान में रखकर आपको फैसला करना चाहिए। शायद आपसे कोई कहे: “मैं जानता हूँ कि आप यह त्योहार नहीं मनाते। फिर भी मैं आपको यह तोहफा देना चाहता हूँ।” ऐसे हालात में शायद आप यह सोचकर तोहफा लेने का फैसला करें कि तोहफा लेने का मतलब त्योहार में हिस्सा लेना नहीं है। लेकिन अगर एक ऐसा आदमी आपको तोहफा देता है जो आपके विश्वास से वाकिफ नहीं है तो आप उसे बता सकते हैं कि आप त्योहार नहीं मनाते। तब वह समझ पाएगा कि क्यों आप इस मौके पर दूसरों से तोहफा कबूल करते हैं मगर किसी को देते नहीं। दूसरी तरफ, अगर कोई यह दिखाने के इरादे से तोहफा देता है कि आप अपने विश्वास पर अटल नहीं रहेंगे या तोहफे के लालच में अपने विश्वास से समझौता कर लेंगे, तो ऐसे में तोहफा लेने से इनकार कर देना ही समझदारी होगी।

परिवार के लोगों के बारे में क्या?

16. त्योहारों से जुड़े मामलों में आप कैसे समझदारी से काम ले सकते हैं?

16 तब क्या जब परिवार के लोग आपके विश्वासों को नहीं मानते? ऐसे में भी समझदारी से काम लीजिए। आपके रिश्तेदार जितने भी रिवाज़ या त्योहार मनाते हैं, उनमें से हरेक पर आपको बहस करने की ज़रूरत नहीं है। आखिर आपकी तरह उन्हें भी यह फैसला करने का पूरा हक है कि वे क्या मानेंगे और क्या नहीं। और जैसे आप चाहते हैं कि दूसरे आपके हक का लिहाज़ करें, उसी तरह आपको भी उनके हक का लिहाज़ करना चाहिए। (मत्ती 7:12) ऐसे हर काम से दूर रहिए जिसे करना यह दिखाएगा कि आप त्योहार में शरीक हो रहे हैं। साथ ही, जो काम त्योहार मनाने से सीधा-सीधा ताल्लुक नहीं रखते, उनमें संतुलित नज़रिया दिखाया जा सकता है। मगर हाँ, आपको इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि आप कोई ऐसा काम न करें जिससे बाद में आपका विवेक आपको कचोटे।1 तीमुथियुस 1:18, 19.

17. आप क्या कर सकते हैं ताकि बच्चे ऐसा महसूस न करें कि उन्हें दूसरों की तरह खुशियाँ मनाने का मौका नहीं मिल रहा?

17 त्योहार न मनाने की वजह से आपके बच्चों को लग सकता है कि उन्हें दूसरों की तरह खुशियाँ मनाने का मौका नहीं मिल रहा। बच्चे ऐसा महसूस न करें, इसके लिए आप क्या कर सकते हैं? आप साल के बाकी वक्‍त में उनकी खुशी के लिए काफी कुछ कर सकते हैं ताकि उन्हें ऐसी कमी महसूस न हो। कुछ माता-पिता मौके बनाकर अपने बच्चों को तोहफे देते हैं। एक बेहतरीन तोहफा जो आप अपने बच्चों को दे सकते हैं, वह है अपना समय और प्यार।

सच्ची उपासना के मुताबिक ज़िंदगी बिताइए

सच्ची उपासना करने से दिली खुशी मिलती है

18. सच्ची उपासना का फैसला करने में मसीही सभाएँ कैसे मदद करती हैं?

18 परमेश्वर को खुश करने के लिए यह ज़रूरी है कि आप झूठी उपासना को ठुकराएँ और सच्ची उपासना करने का फैसला करें। इसके लिए क्या करना होगा? बाइबल कहती है: “प्रेम, और भले कामों में उस्काने के लिये एक दूसरे की चिन्ता किया करें। और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो।” (इब्रानियों 10:24,25) मसीही सभाओं में हाज़िर होने से आप परमेश्वर की उपासना उस तरीके से कर पाएँगे जो उसे मंज़ूर है। (भजन 22:22; 122:1) ये ऐसे खुशी के मौके हैं जहाँ वफादार मसीही ‘एक दूसरे को प्रोत्साहित’ करते हैं।रोमियों 1:12, NHT.

19. आपने बाइबल से जो सीखा है, वह दूसरों को बताना क्यों ज़रूरी है?

19 एक और तरीका है जिससे आप दिखा सकते हैं कि आपने सच्ची उपासना करने का फैसला लिया है। वह है, दूसरों को वे बातें बताना जो आपने यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन करके सीखी हैं। यह क्यों ज़रूरी है? क्योंकि आज संसार में होनेवाली बुराइयाँ देखकर कई लोग वाकई “आहें भरते और कराहते हैं।” (यहेजकेल 9:4, NHT) शायद आप ऐसे कुछ लोगों को जानते होंगे। तो क्यों न आप उनको बताएँ कि बाइबल, भविष्य के बारे में कैसी आशा देती है? सच्चे मसीहियों से मेल-जोल रखने और दूसरों को बाइबल की शानदार सच्चाइयाँ बताने से आपको फायदा होगा। अगर आपके दिल में झूठे धर्म की रस्मों के लिए ज़रा भी लगाव बाकी है, तो वह धीरे-धीरे मिटने लगेगा। हम आपको यकीन दिलाना चाहते हैं कि अगर आप सच्ची उपासना करने का फैसला करेंगे, तो आपको खुशी और बेशुमार आशीषें मिलेंगी।मलाकी 3:10.

^ पैरा. 9क्या यीशु दिसंबर में पैदा हुआ था?” नाम का अतिरिक्त लेख देखिए।

^ पैरा. 9 दिसंबर 25 की तारीख, सैटरनेलिया त्योहार की वजह से भी चुनी गयी थी। रोमी यह त्योहार दिसंबर 17-24 को कृषि-देवता के सम्मान में मनाते थे। सैटरनेलिया के दौरान, बड़ी-बड़ी दावतें की जाती थीं, रंग-रलियाँ मनायी जाती थीं और एक-दूसरे को तोहफे दिए जाते थे।

^ पैरा. 10 सच्चे मसीही दूसरे जाने-माने त्योहारों के बारे में क्या नज़रिया रखते हैं, इस बारे में “क्या हमें त्योहार और दूसरे दिवस मनाने चाहिए?” नाम का अतिरिक्त लेख देखिए।