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अध्याय 6

अच्छा मनोरंजन कैसे चुनें

अच्छा मनोरंजन कैसे चुनें

“सबकुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिए करो।”—1 कुरिंथियों 10:31.

1, 2. मनोरंजन के मामले में हमें क्या चुनाव करना चाहिए?

मान लीजिए आप एक रसीला फल खानेवाले हैं। जैसे ही आप उसे खाने लगते हैं, आप देखते हैं कि फल का कुछ हिस्सा सड़ा हुआ है। अब आप क्या करेंगे? आप तीन काम कर सकते हैं। पहला यह कि पूरे फल के साथ सड़ा हुआ हिस्सा भी खा जाएँ। दूसरा यह कि आप पूरा फल ही फेंक दें। तीसरा यह कि आप फल का सड़ा हुआ हिस्सा काटकर निकाल दें और अच्छा हिस्सा खाएँ। आप क्या चुनाव करेंगे?

2 एक मायने में मनोरंजन भी उस फल जैसा है। कभी-कभी आप मन बहलाने के लिए थोड़ा मनोरंजन करना चाहते हैं, मगर आप जानते हैं कि आजकल ज़्यादातर मनोरंजन बुराई से भरा है, यहाँ तक कि सड़े फल की तरह एकदम गंदा है। ऐसे में आप क्या करेंगे? कुछ लोगों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कैसी बुरी-बुरी बातें देख-सुन रहे हैं। मनोरंजन के नाम पर दुनिया उनके आगे चाहे जो भी रख दे, उन्हें सब मंज़ूर है। कुछ लोग किसी भी तरह का मनोरंजन नहीं करते। उनका सोचना है कि न मनोरंजन होगा, न इसका उन पर कोई बुरा असर होगा। मगर कुछ लोग कभी-कभी अच्छे किस्म का मनोरंजन करते हैं, पर साथ ही एहतियात बरतते हैं कि वे बुरे किस्म के मनोरंजन से दूर रहें। आपको किस तरह का चुनाव करना चाहिए ताकि आप खुद को परमेश्‍वर के प्यार के लायक बनाए रखें?

3. अब हम किस बारे में चर्चा करेंगे?

3 हममें से ज़्यादातर लोग तीसरा रास्ता चुनेंगे। हम जानते हैं कि हमें थोड़े-बहुत मनोरंजन की ज़रूरत है, मगर हम यह भी चाहते हैं कि हम सिर्फ साफ-सुथरा और अच्छा मनोरंजन करें। इसलिए, हम कैसे तय करें कि कौन-सा मनोरंजन अच्छा है और कौन-सा बुरा? यह हम ज़रूर जानना चाहेंगे। लेकिन पहले आइए देखें कि हम जिस तरह का मनोरंजन चुनते हैं, उसका हमारी उपासना पर कैसा असर हो सकता है?

“सबकुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिए करो”

4. हमारे समर्पण का मनोरंजन के मामले में हमारे चुनाव पर कैसा असर होना चाहिए?

4 हममें से हरेक ने अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित करते हुए उससे वादा किया है कि हम अपनी पूरी ज़िंदगी उसकी सेवा में लगा देंगे। गौर कीजिए कि कुछ वक्‍त पहले एक बुज़ुर्ग भाई ने क्या कहा था, जिसका बपतिस्मा 1946 में हुआ था, “मैंने ठाना है कि मैं बपतिस्मे का हर भाषण सुनने के लिए मौजूद रहूँ। मैं उस भाषण को ध्यान से सुनता हूँ मानो मेरा ही बपतिस्मा होने जा रहा हो।” वह ऐसा क्यों करता है? वह बताता है, “खुद को अपने समर्पण की याद दिलाते रहने से मुझे परमेश्‍वर का वफादार बने रहने में बहुत मदद मिली है।” बेशक, आप भी इस राय से सहमत होंगे। खुद को यह याद दिलाते रहने से कि आपने अपनी सारी ज़िंदगी यहोवा की सेवा में लगाने का वादा किया है, आपको धीरज धरने का हौसला मिलता है। (सभोपदेशक 5:4 पढ़िए।) अगर आप हमेशा यह बात ध्यान में रखेंगे कि आप यहोवा को समर्पित हैं, तो आप न सिर्फ दिल से उसकी सेवा करेंगे बल्कि ज़िंदगी के बाकी सभी मामलों में भी सही नज़रिया रखेंगे, जिनमें से एक मनोरंजन है। प्रेषित पौलुस ने भी अपने वक्‍त के मसीहियों को यही लिखा था, “चाहे तुम खाओ या पीओ या कोई और काम करो, सबकुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिए करो।”—1 कुरिंथियों 10:31.

5. किस तरह लैव्यव्यवस्था 22:18-20 हमें यह समझने में मदद देता है कि रोमियों 12:1 के शब्दों में एक चेतावनी छिपी हुई है?

5 हम ज़िंदगी में जो कुछ करते हैं उसका सीधा असर यहोवा के लिए हमारी उपासना पर होता है। पौलुस ने यही सच्चाई रोम के मसीही भाइयों के दिल में बिठाने के लिए अपनी चिट्ठी में ज़बरदस्त शब्दों का इस्तेमाल किया। उसने उन्हें यह बढ़ावा दिया, “अपने शरीर को जीवित, पवित्र और परमेश्‍वर को भानेवाले बलिदान के तौर पर अर्पित करो। इस तरह तुम अपनी सोचने-समझने की शक्‍ति का इस्तेमाल करते हुए पवित्र सेवा कर सकोगे।” (रोमियों 12:1) आपके “शरीर” में आपका दिल, दिमाग और ताकत सब शामिल है। आप परमेश्‍वर की सेवा में इन सभी का इस्तेमाल करते हैं। (मरकुस 12:30) पौलुस ने कहा कि इस तरह तन-मन से की जानेवाली सेवा एक बलिदान है। हमारी सेवा को “बलिदान” कहने के पीछे एक चेतावनी भी छिपी है। मूसा के कानून के मुताबिक परमेश्‍वर ऐसे बलिदान को ठुकरा देता था जिसमें कोई खोट होता। (लैव्यव्यवस्था 22:18-20) उसी तरह, परमेश्‍वर की सेवा में अगर एक मसीही के बलिदान में किसी किस्म का दाग हो, तो परमेश्‍वर उसे ठुकरा देगा। मगर कौन-सी ऐसी बातें हैं जिनकी वजह से हमारे बलिदान पर दाग लग सकता है?

6, 7. एक मसीही अपने शरीर पर कैसे दाग लगा सकता है? इसके क्या अंजाम हो सकते हैं?

6 पौलुस ने रोम के मसीहियों को यह सलाह दी: ‘न अपने शरीर [“अंगों,” फुटनोट] को पाप के हवाले करते रहो।’ पौलुस ने उनसे यह भी कहा कि वे “शरीर के कामों को मार” डालें। (रोमियों 6:12-14; 8:13) ये ‘शरीर के काम’ क्या हैं, इसकी कुछ मिसालें उसने इसी चिट्ठी में पहले दी हैं। पापी इंसानों के बारे में हम पढ़ते हैं, “उनका मुँह दूसरों को कोसनेवाली कड़वी बातों से भरा रहता है।” “उनके पैर खून बहाने के लिए फुर्ती करते हैं।” “उनकी आँखों में परमेश्‍वर का ज़रा भी डर नहीं।” (रोमियों 3:13-18) अगर एक मसीही अपने “अंगों” को ऐसे पाप करते रहने के लिए इस्तेमाल करता है, तो वह अपने शरीर पर दाग लगाता है। मिसाल के लिए, अगर आज कोई मसीही जानबूझकर अश्‍लील फिल्में, तसवीरें या वहशियाना खून-खराबा देखता है, तो वह अपनी आँखों को “पाप के हवाले” करता है और इस तरह अपने पूरे शरीर पर दाग लगा लेता है। ऐसा इंसान परमेश्‍वर की सेवा में जो भी करता है वह ऐसे बलिदान की तरह हो जाता है जो परमेश्‍वर की नज़र में न तो पवित्र है, न ही उसे मंज़ूर है। (व्यवस्थाविवरण 15:21; 1 पतरस 1:14-16; 2 पतरस 3:11) गलत किस्म का मनोरंजन चुनने की उसे कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ती है!

7 यह बिलकुल साफ है कि अगर एक मसीही गलत किस्म का मनोरंजन चुने तो अंजाम बहुत खतरनाक हो सकते हैं। इसलिए हम ऐसा मनोरंजन चुनना चाहेंगे जिससे परमेश्‍वर को चढ़ाए गए हमारे बलिदान में और भी निखार आए, न कि उस पर दाग लगे। मगर हम कैसे तय कर सकते हैं कि कौन-सा मनोरंजन अच्छा है और कौन-सा बुरा? आइए अब इसी बात पर चर्चा करें।

“बुरी बातों से घिन करो”

8, 9. (क) मोटे तौर पर दो किस्म के मनोरंजन क्या हैं? (ख) किस किस्म के मनोरंजन को हम ठुकराते हैं? और क्यों?

8 मोटे तौर पर कहें तो मनोरंजन दो किस्म का होता है। एक वह जिससे मसीही हर हाल में दूर रहते हैं। दूसरा वह जिसके बारे में एक मसीही को फैसला करना होता है कि वह इसे देख सकता है या नहीं। आइए पहले हम ऐसे मनोरंजन के बारे में चर्चा करें जिससे मसीही हर हाल में दूर रहते हैं।

9 जैसे हमने पहले अध्याय में देखा था, कुछ किस्म के मनोरंजन में ऐसे काम दिखाए जाते हैं जिनकी बाइबल कड़े शब्दों में निंदा करती है। मिसाल के लिए, ऐसी वेब साइट, फिल्में, टी.वी. कार्यक्रम और संगीत हैं जिनमें वहशी किस्म की या जादू-टोने से जुड़ी बातें देखी-सुनी जाती हैं। इनमें अश्‍लीलता, बदचलनी और घिनौने कामों को बढ़ावा दिया जाता है। ऐसे नीच किस्म के मनोरंजन में उन कामों को, जो बाइबल के सिद्धांतों के हिसाब से गलत हैं या इसकी आज्ञाओं के खिलाफ हैं, आकर्षक बनाकर ऐसे पेश किया जाता है मानो उनमें कोई बुराई नहीं है। इस तरह के मनोरंजन से सच्चे मसीहियों को कोसों दूर रहना चाहिए। (प्रेषितों 15:28, 29; 1 कुरिंथियों 6:9, 10; प्रकाशितवाक्य 21:8) गलत किस्म के मनोरंजन को ठुकराकर आप यहोवा को इस बात का सबूत देते हैं कि आप सचमुच “बुरी बातों से घिन” करते हैं और “बुराई से दूर” रहते हैं। यह दिखाएगा कि आपके ‘विश्‍वास में कोई कपट नहीं है।’—रोमियों 12:9; भजन 34:14; 1 तीमुथियुस 1:5.

10. मनोरंजन के बारे में कैसी सोच रखना खतरनाक है? और क्यों?

10 लेकिन कुछ लोग शायद सोचें कि ऐसी फिल्में या टी.वी. कार्यक्रम देखने में कोई नुकसान नहीं जिनमें खुल्लम-खुल्ला अनैतिक चालचलन दिखाया जाता है। उनका मानना है कि ‘मैं भले ही ऐसे काम परदे या टी.वी. पर देखूँ, मगर खुद कभी ऐसे काम नहीं करूँगा।’ ऐसी सोच एक इंसान को धोखा दे सकती है और बहुत खतरनाक होती है। (यिर्मयाह 17:9 पढ़िए।) यहोवा जिन कामों को घिनौना कहता है, अगर हमें उन्हें देखने-सुनने में मज़ा आता है तो क्या हम सचमुच “बुरी बातों से घिन” कर रहे हैं? बार-बार बुरे काम देखने से सही-गलत के बारे में हमारा एहसास धीरे-धीरे मिटता जाएगा। (भजन 119:70; 1 तीमुथियुस 4:1, 2) ऐसी आदत का हमारे अपने चालचलन पर या दूसरों के गलत कामों के बारे में हमारे नज़रिए पर बहुत बुरा असर हो सकता है।

11. मनोरंजन के मामले में गलातियों 6:7 कैसे सच साबित हुआ है?

11 ऐसा असल में हुआ भी है। कुछ मसीही इसलिए अनैतिक काम कर बैठे क्योंकि उन्हें अनैतिक मनोरंजन देखने की आदत थी। उन्होंने कड़वे अंजाम भुगतकर यह सबक सीखा कि “इंसान जो बोता है, वही काटेगा भी।” (गलातियों 6:7) लेकिन ऐसे बुरे अंजाम से बचा जा सकता है। अगर आप अपने दिमाग में साफ-सुथरी बातें बोएँगे, तो अपनी ज़िंदगी में अच्छा फल काटेंगे और आपको खुशी मिलेगी।—“ मुझे कैसा मनोरंजन चुनना चाहिए?” नाम का बक्स देखिए।

बाइबल के सिद्धांतों के आधार पर निजी फैसले

12. गलातियों 6:5 मनोरंजन के मामले में कैसे लागू होता है? निजी फैसले करने के लिए हमें क्या मार्गदर्शन दिया गया है?

12 अब आइए दूसरे किस्म के मनोरंजन के बारे में चर्चा करें। यह ऐसा मनोरंजन है जिसमें दिखाए जानेवाले कामों को बाइबल में न तो सीधे तौर पर मना किया गया है, न ही इन्हें अच्छा बताया गया है। ऐसे मनोरंजन के मामले में हर मसीही को खुद फैसला करना है कि उसके लिए अच्छा क्या है और बुरा क्या। (गलातियों 6:5 पढ़िए।) मगर यह चुनाव करने के लिए भी हमें मार्गदर्शन दिया गया है। बाइबल में ऐसे सिद्धांत या बुनियादी सच्चाइयाँ दी गयी हैं, जिनकी मदद से हम जान सकते हैं कि यहोवा की सोच क्या है। जब हम बाइबल के ऐसे सिद्धांतों पर ध्यान देते हैं तो न सिर्फ मनोरंजन के मामले में, बल्कि हर बात में समझ सकेंगे कि “यहोवा की मरज़ी क्या है।”—इफिसियों 5:17.

13. हम क्यों ऐसा कोई मनोरंजन नहीं करेंगे जिससे यहोवा नफरत करता है?

13 हम जानते हैं कि सभी मसीहियों ने एक समान आध्यात्मिक तरक्की नहीं की है। एक मसीही में अच्छे-बुरे के बारे में जिस हद तक पैनी समझ है, वह दूसरे से फर्क हो सकती है। (फिलिप्पियों 1:9) साथ ही, मसीहियों को इस बात का एहसास है कि मनोरंजन के मामले में सबकी पसंद अलग-अलग होती है। इसलिए हमें यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि सभी मसीही बिलकुल एक जैसे फैसले करेंगे। फिर भी यह ज़रूरी है कि हम अपने दिल और दिमाग को परमेश्‍वर के सिद्धांतों के हिसाब से ढालते रहें। हम जितना ज़्यादा ऐसा करेंगे, उतनी जल्दी हम ऐसे मनोरंजन को ठुकराएँगे जिससे यहोवा नफरत करता है।—भजन 119:11, 129; 1 पतरस 2:16.

14. (क) मनोरंजन चुनते वक्‍त हमें किस बात का ध्यान रखना चाहिए? (ख) हम परमेश्‍वर की उपासना को ज़िंदगी में पहली जगह कैसे दे सकते हैं?

14 मनोरंजन चुनते वक्‍त एक और ज़रूरी बात का ध्यान रखना चाहिए। वह है कि आप इसमें कितना वक्‍त बिताएँगे। आप जिस किस्म का मनोरंजन चुनते हैं, उससे आपकी पसंद ज़ाहिर होती है। उसी तरह, आप मनोरंजन में जितना वक्‍त बिताते हैं उससे ज़ाहिर होता है कि आप किस बात को ज़्यादा अहमियत देते हैं। बेशक, मसीहियों के लिए परमेश्‍वर की उपासना से जुड़े काम सबसे ज़्यादा ज़रूरी हैं। (मत्ती 6:33 पढ़िए।) इसलिए आप यह कैसे पक्का कर सकते हैं कि परमेश्‍वर की उपासना से जुड़े काम आपकी ज़िंदगी में सबसे पहली जगह पर बने रहें? प्रेषित पौलुस ने कहा, “खुद पर कड़ी नज़र रखो कि तुम्हारा चालचलन कैसा है, मूर्खों की तरह नहीं बल्कि बुद्धिमानों की तरह चलो। अपने वक्‍त का सही इस्तेमाल करो।” (इफिसियों 5:15, 16) परमेश्‍वर के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत करने के लिए वक्‍त की ज़रूरत होती है। इसलिए अगर आप एक हद तय कर लेंगे कि आप मनोरंजन के लिए कितना समय देंगे तो आपको ‘ज़्यादा अहमियत रखनेवाले’ कामों के लिए काफी वक्‍त मिलेगा और आप आध्यात्मिक मायने में सेहतमंद बने रह सकेंगे।—फिलिप्पियों 1:10.

15. बुरा मनोरंजन देखने की गुंजाइश से भी बचने के लिए एहतियात बरतना समझदारी क्यों है?

15 मनोरंजन चुनते वक्‍त यह एहतियात बरतना भी ज़रूरी है कि हम न सिर्फ बुरे मनोरंजन से, बल्कि उसे देखने की हर गुंजाइश से भी बचे रहें। इसका क्या मतलब है? आइए उस फल की मिसाल पर दोबारा गौर करें। हम कहीं अनजाने में सड़ा हिस्सा भी न खा लें, इससे बचने के लिए हम न सिर्फ फल का सड़ा हुआ हिस्सा काटते हैं, बल्कि उसके आस-पास का हिस्सा भी काटकर निकाल देते हैं। मनोरंजन के मामले में भी ऐसी सावधानी बरतने की ज़रूरत है। एक समझदार मसीही न सिर्फ ऐसे मनोरंजन से दूर रहता है जो साफ तौर पर बाइबल के सिद्धांतों के खिलाफ है, बल्कि ऐसे मनोरंजन से भी दूर रहता है जिसमें कुछ बुरा होने की उसे शंका हो या जिसका कुछ हिस्सा शायद ऐसा हो जो यहोवा के साथ उसके रिश्‍ते को खतरे में डाल सकता है। (नीतिवचन 4:25-27) परमेश्‍वर के वचन में दी गयी हिदायतों और सलाहों का सख्ती से पालन करने से आप ऐसा कर सकेंगे।

“जो बातें साफ-सुथरी हैं”

बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक मनोरंजन चुनने से परमेश्‍वर के साथ हमारा रिश्‍ता खतरे में नहीं पड़ेगा

16. (क) हम कैसे दिखा सकते हैं कि अच्छे-बुरे के बारे में हम यहोवा जैसी सोच रखते हैं? (ख) बाइबल के सिद्धांतों पर चलना कैसे आपका स्वभाव बन सकता है?

16 मनोरंजन चुनते वक्‍त सच्चे मसीही सबसे पहले यह देखते हैं कि इसके बारे में यहोवा का नज़रिया क्या है। बाइबल साफ बताती है कि यहोवा की भावनाएँ क्या हैं और उसके स्तर क्या हैं। मिसाल के लिए, राजा सुलैमान ने ऐसी कई बातों का ज़िक्र किया जिनसे यहोवा को नफरत है, जैसे “झूठ बोलनेवाली जीभ, बेगुनाहों का खून करनेवाले हाथ, साज़िश रचनेवाला दिल, बुराई की तरफ दौड़नेवाले पैर।” (नीतिवचन 6:16-19) यहोवा की सोच का आपकी सोच पर कैसा असर होना चाहिए? एक भजन का रचयिता हमें यह बढ़ावा देता है, “यहोवा से प्यार करनेवालो, बुराई से नफरत करो।” (भजन 97:10) आप जिस तरह का मनोरंजन चुनते हैं, उससे ज़ाहिर होना चाहिए कि आप सचमुच उन बातों से नफरत करते हैं जिनसे यहोवा नफरत करता है। (गलातियों 5:19-21) यह भी याद रखिए कि आप अकेले में जो करते हैं उससे ज़ाहिर होता है कि आप असल में किस तरह के इंसान हैं, न कि उससे जो आप लोगों के सामने करते हैं। (भजन 11:4; 16:8) इसलिए अगर आप चाहते हैं कि ज़िंदगी के हर पहलू में अच्छे-बुरे के बारे में यहोवा जैसी सोच रखें, तो आपका चुनाव हमेशा बाइबल के सिद्धांतों के हिसाब से होगा। ऐसा करने से यही आपका स्वभाव बन जाएगा।—2 कुरिंथियों 3:18.

17. कोई मनोरंजन चुनने से पहले हमें खुद से क्या सवाल पूछने चाहिए?

17 मनोरंजन के मामले में आपका चुनाव यहोवा की सोच के मुताबिक हो, यह आप और कैसे पक्का कर सकते हैं? इस सवाल पर गहराई से सोचिए: ‘इस मनोरंजन का मुझ पर और परमेश्‍वर के साथ मेरे रिश्‍ते पर कैसा असर होगा?’ मिसाल के लिए, कोई फिल्म देखने का फैसला करने से पहले खुद से पूछिए, ‘इस फिल्म में जो दिखाया गया है, उसका मेरे ज़मीर पर कैसा असर होगा?’ आइए देखें कि इस मामले में कौन-से सिद्धांत लागू होते हैं।

18, 19. (क) फिलिप्पियों 4:8 का सिद्धांत यह तय करने में कैसे हमारी मदद करता है कि हमारा मनोरंजन अच्छा था या नहीं? (ख) अच्छा मनोरंजन चुनने में और कौन-से सिद्धांत आपकी मदद कर सकते हैं? (फुटनोट देखिए।)

18 एक ज़रूरी सिद्धांत फिलिप्पियों 4:8 में दिया गया है जो कहता है, “जो बातें सच्ची हैं, जो बातें गंभीर सोच-विचार के लायक हैं, जो बातें नेक हैं, जो बातें साफ-सुथरी हैं, जो बातें चाहने लायक हैं, जो बातें अच्छी मानी जाती हैं, जो बातें सद्‌गुण की हैं और जो तारीफ के लायक हैं, उन्हीं पर ध्यान देते रहो।” यह सच है कि पौलुस यहाँ मनोरंजन की बात नहीं कर रहा था, बल्कि यह बता रहा था कि हमें अपने दिल में कैसी बातों पर सोचना चाहिए। ये ऐसी बातें होनी चाहिए जिनसे परमेश्‍वर खुश हो। (भजन 19:14) लेकिन पौलुस की सलाह मनोरंजन के मामले पर भी लागू की जा सकती है। कैसे?

19 खुद से पूछिए, ‘मैं जिस तरह की फिल्में देखता हूँ, वीडियो गेम खेलता हूँ, संगीत सुनता हूँ या कोई और मनोरंजन करता हूँ, क्या ये मेरे दिलो-दिमाग को “साफ-सुथरी” बातों से भरते हैं?’ मिसाल के लिए, एक फिल्म देखने के बाद आपको किस तरह के दृश्‍य याद रह जाते हैं? अगर ये अच्छे, साफ-सुथरे और ताज़गी देनेवाले हैं, तो आप कह सकते हैं कि वह मनोरंजन अच्छा था। लेकिन अगर एक फिल्म देखने के बाद आपका मन गंदी बातों पर सोचता रहता है, तो इसका मतलब वह मनोरंजन ठीक नहीं था, यहाँ तक कि नुकसानदेह था। (मत्ती 12:33; मरकुस 7:20-23) ऐसा क्यों? क्योंकि जब आप गंदी बातों पर सोचते हैं तो आपके मन की शांति छिन जाती है, बाइबल से सिखाए गए आपके ज़मीर पर दाग लग जाता है और परमेश्‍वर के साथ आपका रिश्‍ता तबाह हो सकता है। (इफिसियों 5:5; 1 तीमुथियुस 1:5, 19) इस तरह के मनोरंजन के अंजाम जब इतने खतरनाक हैं, तो ठान लीजिए कि आप उससे कोसों दूर रहेंगे। * (रोमियों 12:2) उस भजनहार की तरह बनिए जिसने यहोवा से यह प्रार्थना की, “मेरी आँखों को बेकार की चीज़ों से फेर दे।”—भजन 119:37.

दूसरों के फायदे की सोचिए

20, 21. पहला कुरिंथियों 10:23, 24 अच्छा मनोरंजन चुनने के मामले में कैसे लागू होता है?

20 निजी मामलों पर फैसला करते वक्‍त बाइबल के एक खास सिद्धांत पर ध्यान देना ज़रूरी है, जिसका ज़िक्र पौलुस ने किया था। उसने कहा, “सब बातें जायज़ तो हैं, मगर सब बातें फायदेमंद नहीं। सब बातें जायज़ तो हैं, मगर सब बातें हौसला नहीं बढ़ातीं। हर कोई अपने फायदे की नहीं बल्कि दूसरे के फायदे की सोचता रहे।” (1 कुरिंथियों 10:23, 24) अच्छा मनोरंजन चुनने के मामले में यह सिद्धांत कैसे लागू होता है? आपको खुद से यह पूछने की ज़रूरत है, ‘मैं जिस किस्म का मनोरंजन चुनता हूँ, उसका दूसरों पर कैसा असर होगा?’

21 शायद आपका ज़मीर आपको ऐसे किस्म का मनोरंजन करने की इजाज़त दे जो आपके हिसाब से “जायज़” या ठीक है। लेकिन अगर आप देखते हैं कि कुछ भाई-बहनों का ज़मीर ज़्यादा सख्ती बरतनेवाला है और उन्हें इस तरह के मनोरंजन से एतराज़ है, तो आप शायद ऐसा मनोरंजन न करने का फैसला करें। क्यों? क्योंकि अगर आप अपने मनोरंजन की वजह से अपने भाई-बहनों के लिए परमेश्‍वर के वफादार बने रहना मुश्‍किल कर देते हैं, तो आप ‘अपने भाइयों के खिलाफ पाप’ कर रहे होंगे, यहाँ तक कि जैसा पौलुस ने कहा, आप “मसीह के खिलाफ पाप” करनेवाले साबित होंगे। इसलिए आप इस सलाह को दिल से मानना चाहेंगे: दूसरों के लिए “विश्‍वास से गिरने की वजह मत बनो।” (1 कुरिंथियों 8:12; 10:32) पौलुस ने दूसरों की भावनाओं को समझने और उनका लिहाज़ करने के बारे में बात करते वक्‍त यह सलाह दी थी। आज सच्चे मसीही इस सलाह को मानते हुए ऐसे मनोरंजन से दूर रहते हैं जो शायद “जायज़” तो हो मगर ‘हौसला नहीं बढ़ाता।’—रोमियों 14:1; 15:1.

22. मसीही क्यों यह बात स्वीकार करते हैं कि निजी मामलों में दूसरों की पसंद उनसे अलग हो सकती है?

22 दूसरों के फायदे के बारे में सोचने का सिद्धांत उन मसीहियों पर भी लागू होता है जिनका ज़मीर ज़्यादा सख्ती बरतनेवाला है। ऐसे भाइयों को इस बात पर अड़े नहीं रहना चाहिए कि मसीही मंडली के सब लोग उन्हीं की तरह सोचें और सही मनोरंजन के मामले में उनकी तरह सख्ती बरतें। इस तरह अड़नेवाला भाई, ऐसे ड्राइवर जैसा होता है जो ज़िद करता है कि हाइवे पर जानेवाले सभी ड्राइवर उसी रफ्तार से गाड़ी चलाएँ जो रफ्तार उसे पसंद है। ऐसी माँग करनेवाला नासमझ कहलाएगा। इसलिए अगर मनोरंजन के मामले में दूसरे मसीहियों का नज़रिया उससे अलग है मगर किसी मसीही सिद्धांत के खिलाफ नहीं है तो उस भाई को यह बात स्वीकार करनी चाहिए कि दूसरों को भी अपनी पसंद चुनने का हक है। ऐसा करना दिखाएगा कि वह ‘लिहाज़ करनेवाला इंसान’ है।—फिलिप्पियों 4:5; सभोपदेशक 7:16.

23. आप कैसे इस बात का ध्यान रख सकते हैं कि आप अच्छा मनोरंजन चुनें?

23 चंद शब्दों में कहें तो आप कैसे इस बात का ध्यान रख सकते हैं कि आप अच्छा मनोरंजन चुनें? ऐसे किसी भी मनोरंजन को ठुकरा दीजिए जिसमें खुल्लम-खुल्ला नीच और अनैतिक काम दिखाए जाते हैं, जिन्हें बाइबल में सीधे तौर पर गलत बताया गया है। जिस तरह के मनोरंजन के बारे में बाइबल सीधे तौर पर कुछ नहीं कहती, उसके बारे में बाइबल में दिए सिद्धांतों को लागू कीजिए। उस मनोरंजन से दूर रहिए जो आपके ज़मीर को चोट पहुँचाता है और उस किस्म का मनोरंजन छोड़ने के लिए तैयार रहिए जिससे दूसरों की, खासकर मसीही भाई-बहनों की भावनाओं को ठेस पहुँचती है। जब आप ऐसा करने का पक्का इरादा कर लेंगे तो इससे परमेश्‍वर की महिमा होगी और आप और आपका परिवार उसके प्यार के लायक बने रहेंगे।

^ पैरा. 19 मनोरंजन पर लागू होनेवाले कुछ और सिद्धांत इन आयतों में दिए गए हैं: नीतिवचन 3:31; 13:20; इफिसियों 5:3, 4 और कुलुस्सियों 3:5, 8, 20.