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अध्याय 16

शैतान और उसकी धूर्त चालों का विरोध कीजिए

शैतान और उसकी धूर्त चालों का विरोध कीजिए

“शैतान का विरोध करो और वह . . . भाग जाएगा।”—याकूब 4:7.

1, 2. बपतिस्मे के मौकों पर खुश होनेवालों में कौन-कौन शामिल हैं?

अगर आप बरसों से यहोवा की सेवा कर रहे हैं, तो आपने ज़रूर हमारे सम्मेलनों और अधिवेशनों में कितनी ही बार बपतिस्मे के भाषण सुने होंगे। लेकिन आज भी जैसे ही वह घड़ी आती है जब हॉल में सबसे आगे की कतार में बैठे लोग एक-साथ खड़े होकर खुद को बपतिस्मे के लिए पेश करते हैं, तो यह देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उस घड़ी, हाज़िर लोगों में खुशी की हलचल होने लगती है और फिर सारा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठता है। यह देखकर कि मनभावने लोगों का एक और झुंड यहोवा की तरफ आ गया है, शायद आपकी आँखों में खुशी के आँसू छलक आएँ। ऐसे मौकों पर हमारा दिल बाग-बाग हो उठता है!

2 शायद हमें अपने इलाके में साल में दो-तीन बार ही बपतिस्मा होते देखने का मौका मिले, मगर स्वर्गदूतों को हमसे कहीं ज़्यादा बार यह सुनहरा मौका मिलता है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि जब महज़ एक पापी के पश्‍चाताप करने पर स्वर्ग में इतनी खुशी मनायी जाती है, तो हर हफ्ते हज़ारों लोगों को यहोवा के संगठन का हिस्सा बनते देख “स्वर्ग में” और भी ‘कितनी ज़्यादा खुशियाँ मनायी’ जाती होंगी? (लूका 15:7, 10) बेशक, यह देखकर कि परमेश्‍वर के लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है, स्वर्गदूतों को बेइंतहा खुशी मिलती है!—हाग्गै 2:7.

शैतान ‘गरजते हुए शेर की तरह घूम रहा है’

3. शैतान “गरजते हुए शेर की तरह” क्यों घूम रहा है? वह क्या करना चाहता है?

3 मगर दूसरी तरफ, कुछ ऐसे दूत भी हैं जो बपतिस्मे के मौके देखकर गुस्से से तमतमाते हैं। यह देखकर कि हज़ारों लोग इस बुरी दुनिया को ठुकरा रहे हैं, शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूत जलन और कड़वाहट से भर जाते हैं। क्योंकि शैतान ही तो था जिसने बड़े घमंड से यह दावा किया था कि कोई भी इंसान सच्चे प्यार की वजह से यहोवा की सेवा नहीं करेगा और अगर कड़ी परीक्षा आए तो कोई भी यहोवा का वफादार नहीं रहेगा। (अय्यूब 2:4, 5 पढ़िए।) इसलिए हर बार जब कोई दिल से अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित करता है, तो शैतान झूठा साबित होता है। यह ऐसा है मानो साल के हर हफ्ते शैतान अपने मुँह पर एक-साथ हज़ारों थप्पड़ खाता है। इसलिए ताज्जुब नहीं कि वह “गरजते हुए शेर की तरह इस ताक में घूम रहा है कि किसे फाड़ खाए।” (1 पतरस 5:8) यह “शेर” हमें आध्यात्मिक मायने में फाड़ खाने की ताक में है। यानी वह हमसे कुछ ऐसा काम करवाने की कोशिश करता है, जिससे परमेश्‍वर के साथ हमारा रिश्‍ता बिगड़ जाए या हम खुद उससे नाता तोड़ लें।—भजन 7:1, 2; 2 तीमुथियुस 3:12.

हर बार जब कोई अपना जीवन यहोवा को समर्पित करके बपतिस्मा लेता है, तो शैतान झूठा साबित होता है

4, 5. (क) यहोवा ने किन दो खास तरीकों से शैतान की हद बाँध दी है? (ख) एक सच्चा मसीही किस बात का यकीन रख सकता है?

4 हालाँकि हमारा यह दुश्‍मन बड़ा ही खूँखार है, फिर भी उसका डर हम पर हावी नहीं होना चाहिए। क्यों नहीं? क्योंकि यहोवा ने दो खास तरीकों से इस “गरजते हुए शेर” की हद बाँध दी है। एक तो यह कि यहोवा ने अपने वचन में पहले ही बता दिया है कि सच्चे मसीहियों की “एक बड़ी भीड़” आनेवाले “महा-संकट” से बच निकलेगी। (प्रकाशितवाक्य 7:9, 14) परमेश्‍वर की भविष्यवाणियाँ हमेशा पूरी होती हैं। इसलिए शैतान भी जानता है कि एक झुंड के तौर पर, परमेश्‍वर के लोग उसकी पहुँच से बाहर हैं।

5 दूसरी हद क्या है, यह हम परमेश्‍वर के एक वफादार सेवक, अजरयाह के शब्दों से जान सकते हैं। गुज़रे ज़माने के इस भविष्यवक्‍ता ने राजा आसा को यह बुनियादी सच्चाई बतायी: “यहोवा तब तक तुम्हारे साथ रहेगा जब तक तुम उसके साथ रहोगे।” (2 इतिहास 15:2; 1 कुरिंथियों 10:13 पढ़िए।) बाइबल में लिखी ढेरों मिसालें साबित करती हैं कि परमेश्‍वर के जितने भी सेवक उसके करीब रहे, उनमें से किसी को भी फाड़ खाने में शैतान कामयाब नहीं हुआ। (इब्रानियों 11:4-40) आज भी जो मसीही, परमेश्‍वर के करीब रहता है, वह शैतान का विरोध कर पाएगा, यहाँ तक कि उस पर जीत हासिल कर पाएगा। दरअसल परमेश्‍वर का वचन हमें यकीन दिलाता है, “शैतान का विरोध करो और वह तुम्हारे पास से भाग जाएगा।”—याकूब 4:7.

‘हमारी लड़ाई शक्‍तिशाली दुष्ट दूतों से है’

6. शैतान अलग-अलग मसीहियों के खिलाफ कैसे जंग लड़ रहा है?

6 जहाँ तक जंग की बात है, तो इस जंग में शैतान की हार तय है। लेकिन जहाँ तक हम मसीही सैनिकों की बात है, अगर हममें से किसी ने लापरवाही बरती तो शैतान ज़रूर उसे मार सकता है। शैतान जानता है कि अगर वह यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता कमज़ोर कर दे, तो वह हमें आसानी से फाड़ सकता है। इसके लिए शैतान क्या करता है? वह अपने हमलों में तेज़ी लाता है, खासकर हमें निशाना बनाता है और छल से हमले करता है। आइए शैतान की इन तीन खास रणनीतियों पर गौर करें।

7. शैतान क्यों यहोवा के लोगों पर तेज़ हमले कर रहा है?

7 तेज़ हमले। प्रेषित यूहन्‍ना ने कहा, “सारी दुनिया शैतान के कब्ज़े में पड़ी हुई है।” (1 यूहन्‍ना 5:19) इन शब्दों में सभी सच्चे मसीहियों के लिए एक चेतावनी छिपी है। शैतान इस दुष्ट दुनिया को पहले ही फाड़कर खा चुका है, इसलिए जो लोग उससे अब तक बचते आए हैं वह उन पर अपना सारा ध्यान लगाकर अपने हमले तेज़ कर सकता है। ये यहोवा के लोग हैं। (मीका 4:1; यूहन्‍ना 15:19; प्रकाशितवाक्य 12:12, 17) शैतान बड़े क्रोध में है क्योंकि वह जानता है कि उसका बहुत कम वक्‍त बचा है। इसलिए उसने अपने हमले और तेज़ कर दिए हैं। वह जाते-जाते हमारे विश्‍वास को तबाह और बरबाद करने की वहशियाना तरीके से आखिरी कोशिश कर रहा है।

8. जब प्रेषित पौलुस ने कहा कि हमारी “लड़ाई” दुष्ट स्वर्गदूतों से है, तो उसके कहने का क्या मतलब था?

8 हमारी अपनी लड़ाई। प्रेषित पौलुस ने अपने साथी मसीहियों को खबरदार किया, “हमारी लड़ाई [“कुश्‍ती,” फुटनोट] . . . उन शक्‍तिशाली दुष्ट दूतों से है जो आकाश में हैं।” (इफिसियों 6:12) पौलुस ने “कुश्‍ती” शब्द का इस्तेमाल क्यों किया? क्योंकि कुश्‍ती में दो-दो हाथ किए जाते हैं और एक-दूसरे को पछाड़ने के लिए ज़बरदस्त ज़ोर-आज़माई की जाती है। इस शब्द के इस्तेमाल से पौलुस यह बताना चाह रहा था कि दुष्ट स्वर्गदूतों के साथ हममें से हरेक को अपनी कुश्‍ती लड़नी है। चाहे हमारे समाज में लोग दुष्ट स्वर्गदूतों के वजूद पर यकीन करते हों या नहीं, मगर हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि जिस घड़ी हमने यहोवा को अपना जीवन समर्पित किया, तभी से हम मानो कुश्‍ती के अखाड़े में उतर आए। अपने समर्पण के वक्‍त से हर मसीही का दंगल शुरू हो चुका है। इसलिए ताज्जुब नहीं कि पौलुस ने इफिसुस के मसीहियों को तीन बार यह सलाह दी, ‘डटे रहो’!—इफिसियों 6:11, 13, 14.

9. (क) शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूत अलग-अलग किस्म की “धूर्त चालों” का क्यों इस्तेमाल करते हैं? (ख) शैतान हमारी सोच को क्यों भ्रष्ट करने की कोशिश करता है? हम उसकी कोशिशों का कैसे विरोध कर सकते हैं? (“ शैतान की चालाकियों से खबरदार रहिए!” नाम का बक्स देखिए।) (ग) अब हम शैतान की किस धूर्त चाल पर गौर करेंगे?

9 छल से भरी साज़िशें। पौलुस मसीहियों को बढ़ावा देता है कि वे शैतान की “धूर्त चालों” का डटकर सामना करें। (इफिसियों 6:11) गौर कीजिए कि पौलुस ने चाल नहीं बल्कि “चालों” कहा। दुष्ट स्वर्गदूत हमें फँसाने के लिए एक नहीं बल्कि अलग-अलग किस्म की धूर्त चालें चलते हैं। और ऐसा करने के पीछे उनका एक खास मकसद होता है। वह क्या है? कुछ मसीहियों ने एक किस्म की आज़माइश का तो डटकर सामना किया, मगर जब दूसरी किस्म की आज़माइश उनके सामने आयी तो वे उसके शिकार हो गए। इस वजह से, शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूत हमारी कमज़ोरी का पता लगाने के लिए हमें ताड़ते रहते हैं और हरेक को बड़े ध्यान से देखते हैं कि उसका व्यवहार और उसके हाव-भाव कैसे हैं। इसके बाद, वे हमारी उस कमज़ोरी का फायदा उठाते हैं जिससे वे परमेश्‍वर के साथ हमारे रिश्‍ते को खतरे में डाल सकें। मगर हम परमेश्‍वर के एहसानमंद हैं कि हम शैतान के ज़्यादातर हथकंडे पहचान सकते हैं, क्योंकि बाइबल इनका परदाफाश करती है। (2 कुरिंथियों 2:11) इस किताब में हमने पहले ऐसी ही कुछ साज़िशों पर चर्चा की है। हमने देखा कि शैतान हमें अपना शिकार बनाने के लिए ऐशो-आराम और दौलत की चाहत, नुकसान पहुँचानेवाली सोहबत और नाजायज़ यौन-संबंधों को चारे की तरह इस्तेमाल करता है। आइए हम शैतान की एक और धूर्त चाल पर गौर करें। वह है, जादू-टोना।

जादू-टोने के काम करना विश्‍वासघात है

10. (क) जादू-टोना क्या है? (ख) यहोवा जादू-टोने को किस नज़र से देखता है? आप इसे किस नज़र से देखते हैं?

10 जादू-टोने के काम करने से एक इंसान सीधे दुष्ट स्वर्गदूतों के संपर्क में आता है। जादू-टोने के अलग-अलग रूप हैं: शकुन विचारना, टोना-टोटका करना, मंत्र फूँककर किसी को काबू में करना और मरे हुओं से संपर्क करने का दावा करनेवालों से पूछताछ करना। जैसा कि हम अच्छी तरह जानते हैं, यहोवा की नज़र में जादू-टोना “घिनौना” है। (व्यवस्थाविवरण 18:10-12; प्रकाशितवाक्य 21:8) हमें भी “बुरी बातों से घिन” करनी चाहिए, इसलिए दुष्ट स्वर्गदूतों के साथ मेल-जोल करने की बात कभी हमारी सोच में भी नहीं आनी चाहिए। (रोमियों 12:9) ऐसा काम स्वर्ग में रहनेवाले हमारे पिता यहोवा के साथ घिनौना विश्‍वासघात होगा!

11. अगर शैतान हमें जादू-टोने में फँसा लेता है, तो यह क्यों उसके लिए बहुत बड़ी जीत होगी? मिसाल देकर समझाइए।

11 शैतान भी जानता है कि जादू-टोने में दिलचस्पी लेना, यहोवा के साथ घिनौना विश्‍वासघात है। इसी वजह से वह हममें से कुछेक को इसमें उलझाने पर तुला हुआ है। शैतान जब भी एक मसीही को जादू-टोने में फँसा लेता है तो यह उसके लिए बहुत बड़ी जीत होती है। वह कैसे? इसे समझने के लिए यह मिसाल लीजिए: अगर एक फौजी को अपनी फौज से गद्दारी करने और उसे छोड़कर दुश्‍मन की फौज में शामिल होने के लिए राज़ी कर लिया जाए, तो दुश्‍मन फौज का कमांडर खुशी से फूला नहीं समाएगा। उस गद्दार फौजी के पिछले कमांडर को नीचा दिखाने के लिए दुश्‍मन फौज का कमांडर सबके सामने उस दगाबाज़ की इस तरह परेड कराएगा, जैसे कोई जंग में जीते इनाम की नुमाइश करता है। उसी तरह, जब एक मसीही, जादू-टोने की तरफ रुख करता है, तो वह जानबूझकर और अपनी मरज़ी से यहोवा को छोड़ रहा है और सीधे शैतान की फौज में शामिल हो रहा है ताकि उसका हुक्म माने। ज़रा सोचिए, शैतान को ऐसे गद्दार की एक जीते हुए इनाम की तरह नुमाइश करने में कितनी खुशी मिलेगी! क्या हममें से कोई भी चाहेगा कि हम शैतान को ऐसी जीत दिलाएँ? हरगिज़ नहीं! हम दगाबाज़ नहीं हैं।

शक पैदा करनेवाले सवाल उठाना

12. जादू-टोने के बारे में हमारा नज़रिया बदलने के लिए शैतान क्या हथकंडा अपनाता है?

12 जब तक हम जादू-टोने से घिन करते रहेंगे, तब तक शैतान हमें इसमें फँसाने में कामयाब नहीं होगा। इसलिए वह जानता है कि उसे कुछ ऐसा करना होगा जिससे जादू-टोने की बुराई के बारे में हमारा नज़रिया बदल जाए। वह यह कैसे करता है? वह ऐसे-ऐसे तरीके ईजाद करता है कि मसीहियों के लिए अच्छे-बुरे में फर्क समझना मुश्‍किल कर दे, यहाँ तक कि वे “अच्छे को बुरा और बुरे को अच्छा” समझने लगें। (यशायाह 5:20) ऐसा करने के लिए वह सदियों से आज़माया हुआ एक हथकंडा अपनाता है। वह है, मन में शक पैदा करनेवाले सवाल उठाना।

13. शैतान ने शक पैदा करनेवाले सवाल उठाने का हथकंडा कैसे इस्तेमाल किया है?

13 गौर कीजिए कि गुज़रे वक्‍त में शैतान ने यह हथकंडा कैसे इस्तेमाल किया था। अदन के बाग में उसने हव्वा से इस तरह सवाल किया, “क्या यह सच है कि परमेश्‍वर ने तुमसे कहा है कि तुम इस बाग के किसी भी पेड़ का फल मत खाना?” अय्यूब के दिनों में स्वर्ग में बुलायी गयी स्वर्गदूतों की एक सभा के बीच शैतान ने यह सवाल उठाया, “क्या अय्यूब यूँ ही तेरा डर मानता है?” और जब यीशु ने धरती पर अपनी सेवा शुरू की, तब शैतान ने उसके मसीह होने पर सवाल उठाते हुए कहा, “अगर तू परमेश्‍वर का एक बेटा है, तो इन पत्थरों से बोल कि ये रोटियाँ बन जाएँ।” यहोवा ने करीब छ: हफ्ते पहले ही यीशु के बारे में कहा था, “यह मेरा प्यारा बेटा है। मैंने इसे मंज़ूर किया है।” सोचिए तो, यीशु के मामले में शैतान ने यहोवा के ही शब्द दोहराकर यहोवा की खिल्ली उड़ाने की जुर्रत की थी।—उत्पत्ति 3:1; अय्यूब 1:9; मत्ती 3:17; 4:3.

14. (क) शैतान जादू-टोने के बुरे असर और खतरों पर परदा डालने के लिए अपना हथकंडा कैसे इस्तेमाल कर रहा है? (ख) अब हम किस बात पर गौर करेंगे?

14 आज शैतान जादू-टोने के बुरे असर और खतरों पर परदा डालने के लिए इसी तरह की कोशिश करता है। अफसोस कि वह अपने इस हथकंडे से कुछ मसीहियों को भी अपना शिकार बनाने में कामयाब हुआ है। वे सोचने लगे हैं कि जादू-टोने के कुछ रूप इतने भी बुरे नहीं हैं जितना कि उन्हें बताया जाता है। (2 कुरिंथियों 11:3) ऐसे लोगों की मदद हम कैसे कर सकते हैं ताकि वे अपनी सोच सुधार सकें? हम यह कैसे पक्का कर सकते हैं कि शैतान की यह धूर्त चाल हम पर न चल सके? जवाब के लिए आइए ज़िंदगी के ऐसे दो पहलुओं पर गौर करें जिनमें शैतान ने बड़ी चालाकी से जादू-टोने की मिलावट करने की कोशिश की है। ये हैं, मनोरंजन और इलाज।

हमारी ख्वाहिशों और ज़रूरतों का फायदा उठाना

15. (क) पश्‍चिमी देशों में बहुत-से लोग जादू-टोने के बारे में क्या सोचते हैं? (ख) जादू-टोने के बारे में दुनिया की सोच का कुछ मसीहियों पर कैसा असर हुआ है?

15 खासकर पश्‍चिमी देशों में दिनों-दिन तंत्र-मंत्र और तरह-तरह के जादू-टोने को मामूली बात समझा जा रहा है। लोग इसे पहले की तरह खतरनाक नहीं मानते। फिल्मों, किताबों, टी.वी. कार्यक्रमों और कंप्यूटर गेम्स में जादू-टोने से जुड़े रस्मों-रिवाज़ों को होशियार लोगों का ऐसा मज़ेदार खेल बनाकर पेश किया जाता है, जिसमें कोई नुकसान नहीं है। जादू-टोने पर बनायी गयी कुछ फिल्में और किताबें इस कदर मशहूर हो गयी हैं कि इनके चाहनेवालों ने फैन-क्लब बना लिए हैं। साफ देखा जा सकता है कि दुष्ट स्वर्गदूत, लोगों को यह यकीन दिलाने में कामयाब हो गए हैं कि जादू-टोने में कोई खतरा नहीं है। जादू-टोने को इस तरह हलकी-फुलकी बात समझने के चलन का क्या मसीहियों पर भी असर हुआ है? हाँ, कुछ लोगों की सोच पर इसका असर ज़रूर हुआ है। कैसे? एक बात जो अकसर देखने में आयी है, उसकी एक मिसाल के तौर पर गौर कीजिए कि एक मसीही ने जादू-टोने पर बनी एक फिल्म देखने के बाद क्या कहा: “मैंने तो बस फिल्म देखी है। जादू-टोने से जुड़ा कोई काम तो नहीं किया।” इस तरह की सोच क्यों खतरनाक है?

16. जादू-टोने पर बनी फिल्मों, किताबों वगैरह का मज़ा लेना क्यों खतरनाक है?

16 माना कि खुद जादू-टोने के काम करने और इन कामों को सिर्फ दर्शकों की तरह देखने में फर्क ज़रूर है, मगर इसका यह मतलब हरगिज़ नहीं कि तंत्र-मंत्र और जादू-टोने के काम होते देखना खतरनाक नहीं है। ऐसा हम क्यों कहते हैं? इस बात पर गौर कीजिए: परमेश्‍वर के वचन के मुताबिक न तो शैतान के पास, और न ही उसके दुष्ट स्वर्गदूतों के पास हमारे मन की बातें पढ़ने की शक्‍ति है। * इसलिए, जैसे पहले भी बताया गया है, यह पता करने के लिए कि हमारे दिमाग में क्या चल रहा है और हमारी ऐसी कौन-सी कमज़ोरी है जिससे परमेश्‍वर के साथ हमारा रिश्‍ता टूट सकता है, दुष्ट स्वर्गदूत बड़े गौर से यह देखते रहते हैं कि हम क्या-क्या करते हैं। वे इस बात पर गौर करते हैं कि हम किस तरह का मनोरंजन पसंद करते हैं। जब एक मसीही अपने बरताव से यह ज़ाहिर करता है कि उसे ऐसी फिल्में देखने या किताबें पढ़ने में मज़ा आता है जिनमें तांत्रिकों के बारे में या किसी को वशीभूत करने, किसी में भूतों के समा जाने या इसी तरह के भूत-प्रेतों के किस्से होते हैं, तो वह मसीही, दुष्ट स्वर्गदूतों को अपने बारे में संदेश दे रहा है। दरअसल, वह खुद उन्हें अपनी कमज़ोरी बता रहा है! नतीजा, दुष्ट स्वर्गदूत उसकी इस कमज़ोरी को निशाना बनाकर उस पर तब तक तेज़ हमले करते रहेंगे, जब तक उसे चारों खाने चित्त न कर दें। दरअसल जादू-टोने और तंत्र-मंत्र पर बनी फिल्में वगैरह देखने के बाद ही कुछ मसीहियों को जादू-टोने का ऐसा चस्का लगा कि वे खुद जादू-टोने के काम करने लगे।—गलातियों 6:7 पढ़िए।

बीमारी के वक्‍त यहोवा से मिलनेवाली मदद का फायदा पाइए

17. जो बीमार हैं, उनकी मजबूरी का फायदा उठाने के लिए शैतान कौन-सी धूर्त चाल चल सकता है?

17 शैतान न सिर्फ मनोरंजन करने की हमारी ख्वाहिश का फायदा उठाता है, बल्कि बीमारी के वक्‍त इलाज करवाने की हमारी ज़रूरत का भी फायदा उठाता है। कैसे? अगर एक बीमार मसीही ने अपना इलाज करवाने की लाख कोशिशें की हैं, फिर भी उसकी सेहत दिन-ब-दिन बिगड़ती जाती है, तो वह बहुत मायूस हो सकता है। (मरकुस 5:25, 26) ऐसे में शैतान और उसके दुष्ट दूतों को उसकी मजबूरी का फायदा उठाने का बढ़िया मौका मिल जाता है। दुष्ट दूत उस मसीही को फुसला सकते हैं कि वह बेबसी में आकर ऐसे इलाज या तरीके अपनाए जिनमें “जादू-टोना” इस्तेमाल की जाती है। (यशायाह 1:13) अगर उस बीमार मसीही पर दुष्ट स्वर्गदूतों की यह धूर्त चाल काम कर जाए, तो परमेश्‍वर के साथ उसका रिश्‍ता कमज़ोर पड़ सकता है। वह कैसे?

18. एक मसीही को इलाज के कैसे तरीके ठुकरा देने चाहिए? और क्यों?

18 जब कुछ इसराएलियों ने ‘जादू-टोने’ का सहारा लिया, तो यहोवा ने उन्हें यह चेतावनी दी, “जब तुम मेरे आगे हाथ फैलाओगे, तो मैं अपनी आँखें फेर लूँगा। तुम चाहे जितनी भी प्रार्थना कर लो, मैं तुम्हारी एक न सुनूँगा।” (यशायाह 1:15) बेशक, हम ऐसे किसी भी काम से दूर रहेंगे जिसकी वजह से यहोवा हमारी प्रार्थनाएँ सुनना और हमारी मदद करना छोड़ दे। खासकर बीमारी के वक्‍त हम इस बात का और भी ज़्यादा ध्यान रखेंगे। (भजन 41:3) इसलिए अगर एक सच्चे मसीही को आभास होने लगे कि उसकी बीमारी का पता लगाने या उसका इलाज करने में शायद ऐसा तरीका या नुस्खा इस्तेमाल होगा जो किसी तरह जादू-टोने से जुड़ा हुआ है, तो उसे इन्हें ठुकरा देना चाहिए। * (मत्ती 6:13) ऐसा करने से वह यहोवा से मदद पाने का भरोसा रख सकता है।—“ क्या यह वाकई जादू-टोना है?” नाम का बक्स देखिए।

जब भूत-प्रेतों के किस्से सुनाए जाते हैं

19. (क) शैतान ने अपनी ताकत के बारे में बहुतों को किस धोखे में रखा है? (ख) सच्चे मसीहियों को किस तरह के किस्से सुनने-सुनाने नहीं चाहिए?

19 जहाँ एक तरफ पश्‍चिमी देशों में ज़्यादातर लोग इस बात को गंभीरता से नहीं लेते कि शैतान अपनी शक्‍ति से नुकसान पहुँचाने की काबिलीयत रखता है, वहीं दुनिया के दूसरे इलाकों में इससे बिलकुल उलटी धारणा पायी जाती है। वहाँ शैतान ने बहुतों को यह यकीन दिलाकर मूर्ख बना रखा है कि उसके पास बेहिसाब ताकत है, जबकि असल में ऐसा नहीं है। कुछ लोगों को खाते-पीते, उठते-बैठते, हर पल भूत-प्रेतों का डर सताता है। भूत-प्रेतों के कारनामों के कई किस्से-कहानियाँ सुनाए जाते हैं। ऐसे किस्से बड़े मज़े लेकर सुनाए जाते हैं और सुननेवालों पर मानो इनका जादू-सा छा जाता है। क्या हमें दूसरों को ऐसे किस्से सुनाने चाहिए? जी नहीं। सच्चे परमेश्‍वर के सेवक ऐसा नहीं करते। इसकी दो खास वजह हैं।

20. एक इंसान शायद अनजाने में शैतान की तरफ से झूठा प्रचार करने में कैसे मददगार हो सकता है?

20 पहली यह कि भूत-प्रेतों के कारनामों की कहानियाँ सुनाने से एक इंसान शैतान के कामों में उसकी मदद करता है। वह कैसे? परमेश्‍वर का वचन यह साफ बताता है कि शैतान के पास शक्‍तिशाली काम करने की ताकत है, मगर हमें चेतावनी भी दी गयी है कि वह “झूठे चिन्ह” दिखाता है और “छल के काम” करता है। (2 थिस्सलुनीकियों 2:9, 10) शैतान सबसे बड़ा धोखेबाज़ है। वह बहुत अच्छी तरह जानता है कि जादू-टोने में दिलचस्पी रखनेवालों के दिमाग को कैसे भ्रम में डाले और कैसे उन्हें उन बातों के सच होने का यकीन दिलाए जो असल में सच नहीं हैं। ऐसे लोग शायद दिल से इस बात पर यकीन करें कि जो कुछ उन्होंने देखा-सुना, वह सच है और वे शायद दूसरों को भी ये बातें ऐसे बताएँ जैसे वे सच्ची घटनाएँ हों। फिर इन किस्सों को बढ़ा-चढ़ाकर दोहराने से एक छोटी-सी बात बहुत बड़ी बन जाती है। अगर एक मसीही ऐसी कहानियाँ फैलाता है तो वह ‘झूठ के पिता’ शैतान की चाकरी करता है। वह शैतान की तरफ से झूठी बातें फैलाने में मददगार होता है।—यूहन्‍ना 8:44; 2 तीमुथियुस 2:16.

21. हमारी बातचीत खास तौर पर किस बारे में होनी चाहिए?

21 अब दूसरी वजह पर गौर कीजिए। चाहे एक मसीही का पहले कभी दुष्ट स्वर्गदूतों से सचमुच सामना हुआ भी हो, तब भी वह ऐसी बातें अपने साथी मसीहियों को मज़ेदार किस्सों की तरह बार-बार नहीं सुनाएगा। ऐसा क्यों? क्योंकि हमें यह सलाह दी गयी है, “यीशु पर नज़र टिकाए रहें जो हमारे विश्‍वास का खास अगुवा और इसे परिपूर्ण करनेवाला है।” (इब्रानियों 12:2) जी हाँ, हमें अपना पूरा ध्यान मसीह पर लगाना है, शैतान पर नहीं। यह बात गौर करने लायक है कि धरती पर रहते वक्‍त यीशु अपने चेलों को दुष्ट स्वर्गदूतों के किस्से-कहानियाँ सुनाकर उनका मनोरंजन नहीं करता था, हालाँकि वह चाहता तो इस बारे में कितना कुछ बता सकता था कि शैतान क्या कर सकता है और क्या नहीं। इसके बजाय, यीशु ने हमेशा परमेश्‍वर के राज का संदेश सुनाने पर ध्यान दिया। यीशु और उसके प्रेषितों की तरह हम भी यही चाहेंगे कि हमारी बातचीत खास तौर पर “परमेश्‍वर के शानदार कामों” के बारे में हो।—प्रेषितों 2:11; लूका 8:1; रोमियों 1:11, 12.

22. हम क्या कर सकते हैं ताकि हमेशा ‘स्वर्ग में खुशियाँ’ मनायी जाएँ?

22 यह सच है कि यहोवा परमेश्‍वर के साथ हमारे रिश्‍ते को तबाह करने के लिए शैतान तरह-तरह की धूर्त चालें चलता है, जिनमें से एक जादू-टोना भी है। लेकिन अगर हम बुरी बातों से घिन करेंगे और अच्छी बातों से लिपटे रहेंगे तो हम शैतान को एक भी मौका नहीं देंगे। और वह जादू-टोने को ठुकराने के हमारे अटल फैसले को रत्ती भर भी कमज़ोर नहीं कर सकेगा। (इफिसियों 4:27 पढ़िए।) अगर हम “शैतान की धूर्त चालों” का तब तक “डटकर सामना” करते रहें जब तक कि उसका वजूद नहीं मिट जाता, तो सोचिए इस बात से ‘स्वर्ग में कितनी ज़्यादा खुशियाँ’ मनायी जाएँगी!—इफिसियों 6:11; लूका 15:7.

^ पैरा. 16 शैतान को कई नाम दिए गए हैं जिनसे उसकी शख्सियत का पता चलता है, जैसे विरोधी, बदनाम करनेवाला, धोखेबाज़, फुसलानेवाला और झूठा। मगर इन नामों का मतलब यह नहीं कि उसके पास यह जानने की शक्‍ति है कि हमारे दिलो-दिमाग में क्या चल रहा है। दूसरी तरफ, यहोवा के बारे में बताया गया है कि वह ‘दिलों को जाँचता है।’ और यीशु के बारे में कहा गया है कि वह “इंसान के अंदर गहराई में छिपे विचारों और दिलों को जाँचता है।”—नीतिवचन 17:3; प्रकाशितवाक्य 2:23.