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बायीं तसवीर: 1935 के बाद अमरीकी राज्य ऐलाबामा में एक बहन, भाई रदरफर्ड के भाषण की रिकॉर्डिंग सुना रही है; दायीं तसवीर: स्विट्‌ज़रलैंड

भाग 1

राज की सच्चाई​—सही वक्‍त पर खाना

राज की सच्चाई​—सही वक्‍त पर खाना

आपका बाइबल विद्यार्थी एक आयत पढ़ता है और उसका मतलब समझते ही उसकी आँखें चमक उठती हैं। वह कहता है, “तो क्या बाइबल यह सिखाती है कि हम यहाँ, इसी धरती पर फिरदौस में हमेशा के लिए जी सकते हैं?” आपका साथी प्रचारक मुस्कुराकर उससे कहता है, “आपने अभी-अभी बाइबल में क्या पढ़ा?” विद्यार्थी दंग रह जाता है और कहता है, “मुझे यकीन नहीं होता कि आज तक मुझे किसी ने यह बात नहीं सिखायी!” तब आपको याद आता है कि कुछ हफ्तों पहले जब उसने सीखा कि परमेश्‍वर का नाम यहोवा है तब उसने ऐसा ही कुछ कहा था।

परमेश्‍वर के कई लोगों के साथ ऐसे अनुभव हुए हैं। ये अनुभव हमें याद दिलाते हैं कि हमें एक अनमोल तोहफा दिया गया है। वह है सच्चाई  का ज्ञान! ज़रा सोचिए, यह तोहफा आपको कैसे मिला? इस भाग में हम इसी सवाल पर गौर करेंगे। परमेश्‍वर के लोगों को समय के गुज़रते सच्चाई की जिस तरह साफ समझ मिलती गयी है, वह इस बात का ज़बरदस्त सबूत है कि परमेश्‍वर का राज असली है! सौ साल से इस राज के राजा यीशु मसीह ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि परमेश्‍वर के लोगों को सच्चाई सिखायी जाए।

इस भाग में

अध्याय 3

यहोवा अपने मकसद के बारे में समझ देता है

क्या शुरू से ही परमेश्‍वर का मकसद था कि वह एक राज कायम करेगा? यीशु ने राज के बारे में कैसे ज़्यादा समझ दी?

अध्याय 4

यहोवा अपने नाम को ऊँचा करता है

परमेश्‍वर के राज ने उसके नाम के बारे में क्या हासिल किया है? आप परमेश्‍वर का नाम पवित्र करने के लिए क्या कर सकते हैं?

अध्याय 5

राजा राज की सच्चाइयों को रौशन करता है

परमेश्‍वर के राज, राज के शासकों और उसकी प्रजा के बारे में और राज के वफादार रहने के लिए क्या करना ज़रूरी है, इस बारे में सही समझ पाइए।