गीत 154
हम अंत तक धीरज धरेंगे
डाउनलोड कीजिए:
-
कै-से हम स-हें
आ-ती हैं जब आज़-मा-इ-शें?
यी-शु ने स-हा,
आ-गे खु-शी दे-खी उस-ने।
था पू-रा भ-रो-सा
याह के सब वा-दों पे।
(कोरस)
विश्-वास था-मे र-खें-गे।
स-हें-गे हर सि-तम।
य-कीं है याह के प्यार पे,
सो आ-खिर तक ध-रें-गे धी-रज हम।
-
जै-से दिन बी-ते
झे-लें हम शा-यद और भी ग़म।
दे-खें-गे आ-गे
जब भी हों-गी ये आँ-खें नम।
फिर-दौस की सो-चें-गे,
रि-हा जब हों-गे हम।
(कोरस)
विश्-वास था-मे र-खें-गे।
स-हें-गे हर सि-तम।
य-कीं है याह के प्यार पे,
सो आ-खिर तक ध-रें-गे धी-रज हम।
-
चा-हे कुछ भी हो,
मा-नें ना हार, ना ही ड-रें।
याह के दिन त-लक
व-फ़ा से हम से-वा क-रें।
स-मय अब र-हा कम,
आ-ख़िर तक हम स-हें।
(कोरस)
विश्-वास था-मे र-खें-गे।
स-हें-गे हर सि-तम।
य-कीं है याह के प्यार पे,
सो आ-खिर तक ध-रें-गे धी-रज हम।
(प्रेषि. 20:19, 20; याकू. 1:12; 1 पत. 4:12-14 भी देखिए।)