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गीत 154

हम अंत तक धीरज धरेंगे

हम अंत तक धीरज धरेंगे

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(मत्ती 24:13)

  1. कै-से हम स-हें

    आ-ती हैं जब आज़-मा-इ-शें?

    यी-शु ने स-हा,

    आ-गे खु-शी दे-खी उस-ने।

    था पू-रा भ-रो-सा

    याह के सब वा-दों पे।

    (कोरस)

    विश्-वास था-मे र-खें-गे।

    स-हें-गे हर सि-तम।

    य-कीं है याह के प्यार पे,

    सो आ-खिर तक ध-रें-गे धी-रज हम।

  2. जै-से दिन बी-ते

    झे-लें हम शा-यद और भी ग़म।

    दे-खें-गे आ-गे

    जब भी हों-गी ये आँ-खें नम।

    फिर-दौस की सो-चें-गे,

    रि-हा जब हों-गे हम।

    (कोरस)

    विश्-वास था-मे र-खें-गे।

    स-हें-गे हर सि-तम।

    य-कीं है याह के प्यार पे,

    सो आ-खिर तक ध-रें-गे धी-रज हम।

  3. चा-हे कुछ भी हो,

    मा-नें ना हार, ना ही ड-रें।

    याह के दिन त-लक

    व-फ़ा से हम से-वा क-रें।

    स-मय अब र-हा कम,

    आ-ख़िर तक हम स-हें।

    (कोरस)

    विश्-वास था-मे र-खें-गे।

    स-हें-गे हर सि-तम।

    य-कीं है याह के प्यार पे,

    सो आ-खिर तक ध-रें-गे धी-रज हम।