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अध्याय 2

यीशु के जन्म से पहले उसका सम्मान

यीशु के जन्म से पहले उसका सम्मान

लूका 1:34-56

  • मरियम अपनी रिश्‍तेदार इलीशिबा से मिलने जाती है

अभी-अभी जिब्राईल स्वर्गदूत ने मरियम को बताया कि वह एक बेटे को जन्म देगी। उसका नाम यीशु होगा और वह हमेशा तक राज करेगा। मरियम स्वर्गदूत से पूछती है, “मुझे बच्चा कैसे हो सकता है, मैं तो कुँवारी हूँ?”​—लूका 1:34.

जिब्राईल मरियम को यकीन दिलाने के लिए कहता है, “परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति तुझ पर आएगी और परम-प्रधान की शक्‍ति तुझ पर छा जाएगी। इसलिए जो पैदा होगा वह पवित्र और परमेश्‍वर का बेटा कहलाएगा।”​—लूका 1:35.

जिब्राईल मरियम को यकीन दिलाने के लिए एक और बात बताता है, “देख! तेरी रिश्‍तेदार इलीशिबा जिसे बाँझ कहा जाता था, वह भी बुढ़ापे में गर्भवती हुई है। वह एक बेटे को जन्म देनेवाली है और यह उसका छठा महीना है। क्योंकि परमेश्‍वर के मुँह से निकली कोई भी बात नामुमकिन नहीं हो सकती।”​—लूका 1:36, 37.

अब मरियम को जिब्राईल की बात पर यकीन हो जाता है, इसलिए वह कहती है, “देख! मैं तो यहोवा की दासी हूँ! तूने जैसा कहा है, वैसा ही मेरे साथ हो।”​—लूका 1:38.

फिर जिब्राईल चला जाता है। इसके बाद मरियम इलीशिबा के घर जाने के लिए तैयारियाँ करने लगती है। इलीशिबा और उसका पति जकरयाह यहूदिया के पहाड़ी इलाके में रहते हैं। मरियम को नासरत से वहाँ तक पहुँचने में तीन-चार दिन लगेंगे।

इतने लंबे सफर के बाद मरियम जकरयाह के घर पहुँच जाती है और अंदर जाकर इलीशिबा को नमस्कार करती है। तब इलीशिबा पवित्र शक्‍ति से भर जाती है और मरियम से कहती है, “तू औरतों में सबसे धन्य है! तेरे गर्भ का फल भी धन्य है! यह मेरे लिए कितना बड़ा सम्मान है कि मेरे प्रभु की माँ मेरे पास आयी है! क्योंकि देख! जैसे ही तेरे नमस्कार की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी, मेरे पेट में बच्चा खुशी से उछल पड़ा।”​—लूका 1:42-44.

मरियम का दिल यहोवा के लिए एहसान से भर जाता है। वह कहती है, “मैं यहोवा का गुणगान करती हूँ और मेरा दिल मेरे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर की वजह से खुशी से फूला नहीं समा रहा क्योंकि उसने अपनी दासी की दीन दशा पर ध्यान दिया है और अब से सारी पीढ़ियाँ मुझे सुखी कहा करेंगी। क्योंकि शक्‍तिशाली परमेश्‍वर ने मेरी खातिर बड़े-बड़े काम किए हैं।” मरियम को इतनी बड़ी आशीष मिली है, फिर भी वह घमंड से फूल नहीं जाती बल्कि परमेश्‍वर की महिमा करते हुए कहती है, “उसका नाम पवित्र है। जो उसका डर मानते हैं, उन पर उसकी दया पीढ़ी-पीढ़ी तक बनी रहती है।”​—लूका 1:46-50.

मरियम परमेश्‍वर की तारीफ में यह भी कहती है, “उसने अपने बाज़ुओं की ताकत दिखायी है और जिनका दिल घमंड से भरा था उन्हें तितर-बितर किया है। उसने अधिकार रखनेवालों को उनकी गद्दी से नीचे उतारा है और दीन-हीनों को ऊँचा किया है। उसने भूखों को भरपेट अच्छी चीज़ें दी हैं, जबकि दौलतमंदों को खाली हाथ लौटा दिया है। वह अपने सेवक इसराएल को सहारा देने आया है और जैसा उसने हमारे पुरखों से वादा किया था, उसे अब्राहम और उसके वंश पर सदा-सदा तक दया करना याद रहा।”​—लूका 1:51-55.

मरियम इलीशिबा के यहाँ करीब तीन महीने रहती है। उसने इलीशिबा का बहुत खयाल रखा होगा, क्योंकि इलीशिबा के बच्चा होने में कुछ ही हफ्ते बचे हैं। परमेश्‍वर की बात माननेवाली ये दोनों स्त्रियाँ इस वक्‍त अपनी ज़िंदगी के खास दौर से गुज़र रही हैं। तो यह कितनी अच्छी बात है कि ऐसे में वे एक-दूसरे के साथ हैं।

क्या आपने ध्यान दिया कि यीशु के पैदा होने से पहले ही उसे किस तरह सम्मान दिया गया? जब मरियम इलीशिबा के घर आयी, तो इलीशिबा ने यीशु को “मेरे प्रभु” कहा और उसके गर्भ में पल रहा बच्चा “खुशी से उछल पड़ा।” लेकिन जब यीशु बड़ा होता है, तो कुछ लोग उसके साथ और मरियम के साथ बहुत बुरा सलूक करते हैं।