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अध्याय 4

मरियम​—शादी से पहले गर्भवती

मरियम​—शादी से पहले गर्भवती

मत्ती 1:18-25 लूका 1:56

  • यूसुफ को पता चलता है कि मरियम गर्भवती है

  • यूसुफ मरियम से शादी करता है

मरियम का चौथा महीना चल रहा है। आपको याद होगा, मरियम इलीशिबा के यहाँ कुछ महीनों के लिए गयी हुई थी। अब वह अपने घर लौट आयी है। कुछ समय बाद जब यहाँ के लोगों को पता चल जाएगा कि वह गर्भवती है, तो वे उसके बारे में कैसी-कैसी बातें करेंगे! मरियम दिन-रात यह सोचकर परेशान है कि अब क्या होगा।

मरियम की उलझन एक और बात से बढ़ गयी है। यूसुफ नाम के एक आदमी से उसकी सगाई हो चुकी है। यूसुफ नासरत का ही रहनेवाला एक बढ़ई है। मरियम परमेश्‍वर का कानून जानती है कि अगर एक लड़की सगाई के बाद जानबूझकर किसी और आदमी के साथ संबंध रखेगी, तो उसे पत्थरों से मार डाला जाएगा। (व्यवस्थाविवरण 22:23, 24) हालाँकि मरियम ने ऐसा कुछ नहीं किया है, मगर उसे समझ में नहीं आ रहा है कि वह यह सब यूसुफ को कैसे बताएगी और क्या वह उस पर यकीन करेगा।

यूसुफ मरियम से मिलने के लिए ज़रूर बेताब होगा, क्योंकि वह तीन महीनों से उससे नहीं मिला है। यूसुफ से मिलने पर मरियम शायद उसे बताती है कि वह गर्भवती है और उसे यकीन दिलाने की पूरी कोशिश करती है कि यह पवित्र शक्‍ति के ज़रिए हुआ है। पर आप सोच सकते हैं कि यूसुफ के लिए इस बात को समझना और इस पर यकीन करना कितना मुश्‍किल रहा होगा।

यूसुफ जानता है कि मरियम एक अच्छी लड़की है और उसका लोगों में अच्छा नाम है। और वह मरियम से बहुत प्यार करता है। मगर वह चाहकर भी मरियम की बातों पर यकीन नहीं कर पा रहा है। यूसुफ नहीं चाहता कि सबके सामने मरियम का अपमान हो और लोग उसे पत्थरों से मार डालें। इसलिए वह उसे चुपके से तलाक देने की सोचता है। उन दिनों जिनकी सगाई हो जाती, उन्हें शादीशुदा माना जाता था। इसलिए सगाई तोड़ने के लिए तलाक देना ज़रूरी था।

यही सब सोचते-सोचते यूसुफ की आँख लग जाती है। सपने में उसे यहोवा का एक स्वर्गदूत दिखायी देता है जो उससे कहता है, “तू मरियम से शादी करने से मत डर क्योंकि जो उसके गर्भ में है वह पवित्र शक्‍ति की ताकत से है। मरियम एक बेटे को जन्म देगी। तू उसका नाम यीशु रखना क्योंकि वह अपने लोगों को पापों से उद्धार दिलाएगा।”​—मत्ती 1:20, 21.

अब यूसुफ को कितनी राहत मिली होगी! स्वर्गदूत ने जैसा कहा था वैसा करने में वह बिलकुल देर नहीं करता। वह मरियम को अपने घर ले आता है। लोगों के देखते मरियम को अपने घर ले आना ही एक तरह से शादी की रस्म निभाना है। इस तरह यूसुफ और मरियम की शादी हो जाती है। पर जब तक मरियम के पेट में यीशु है, तब तक यूसुफ उससे लैंगिक संबंध नहीं रखता।

कुछ महीनों बाद जब मरियम के प्रसव का समय करीब आ जाता है, तब यूसुफ और मरियम को एक लंबा सफर तय करना पड़ता है। मरियम तो कुछ ही दिनों में बच्चे को जन्म देनेवाली है, फिर उन्हें यह सफर क्यों करना पड़ता है?