अध्याय 9
यीशु नासरत में बड़ा होता है
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यूसुफ और मरियम का परिवार बढ़ता है
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यीशु बढ़ई का काम सीखता है
यीशु एक छोटे-से नगर नासरत में बड़ा होता है। नासरत गलील नाम के पहाड़ी इलाके में है। यह यहूदिया प्रदेश के उत्तर में पड़ता है और गलील झील के पश्चिम में।
जब यीशु को उसके माता-पिता मिस्र से नासरत लाए थे, तो वह शायद दो साल का था। तब तक यूसुफ और मरियम के कोई और बच्चा नहीं था। बाद में यूसुफ और मरियम के और भी बेटे होते हैं। उनके नाम हैं, याकूब, यूसुफ, शमौन और यहूदा। उनकी कुछ बेटियाँ भी होती हैं। तो कम-से-कम यीशु के छः भाई-बहन हैं जो उससे छोटे हैं।
यीशु के कुछ रिश्तेदार भी हैं। जैसे इलीशिबा और उसका बेटा यूहन्ना जिसके बारे में हम पहले भी बात कर चुके हैं। वे यहूदिया में रहते हैं जो नासरत से कई किलोमीटर दूर दक्षिण में है। गलील प्रदेश में सलोमी रहती है जो शायद मरियम की बहन है। वह यीशु की मौसी लगती है। सलोमी के पति का नाम जब्दी है। उनके दो बेटे हैं, याकूब और यूहन्ना। वे दोनों यीशु के भाई लगते हैं। हम यह तो नहीं जानते कि यीशु का बचपन इन दोनों के साथ गुज़रा था या नहीं, लेकिन यह ज़रूर जानते हैं कि वे बड़े होकर यीशु के पक्के दोस्त बन गए थे। वे दोनों यीशु के प्रेषित थे।
यूसुफ का परिवार काफी बड़ा है, इसलिए वह अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी करने के लिए बहुत मेहनत करता है। वह एक बढ़ई है। यूसुफ यीशु को सगे बेटे की तरह पालता है, इसलिए लोग यीशु को “बढ़ई का बेटा” कहते हैं। (मत्ती 13:55) यूसुफ यीशु को भी लकड़ी का काम सिखाता है और यीशु यह काम इतनी अच्छी तरह सीख लेता है कि लोग उसे भी बढ़ई कहते हैं।—मरकुस 6:3.
व्यवस्थाविवरण 6:6-9) नासरत में एक सभा-घर है। यूसुफ अपने परिवार को नियमित तौर पर ज़रूर वहाँ ले जाता होगा ताकि वे यहोवा की उपासना कर सकें। बाद के एक वाकए में यीशु के बारे में बताया गया है कि सब्त के दिन सभा-घर जाना उसका दस्तूर था। (लूका 4:16) यूसुफ का परिवार हर साल यरूशलेम में यहोवा के मंदिर भी जाता है और उन्हें वहाँ जाने में बहुत खुशी होती है।
यूसुफ का परिवार यहोवा की उपासना को ज़िंदगी में पहली जगह देता है। परमेश्वर ने माता-पिता को जो आज्ञा दी है, उसे यूसुफ और मरियम मानते हैं। वे अपने बच्चों को “घर में बैठे, सड़क पर चलते, लेटते, उठते” परमेश्वर की आज्ञाएँ सिखाते हैं। (