इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अध्याय 19

यीशु एक सामरी औरत को सिखाता है

यीशु एक सामरी औरत को सिखाता है

यूहन्‍ना 4:3-43

  • यीशु एक सामरी औरत को और कई सामरी लोगों को सिखाता है

  • परमेश्‍वर किस तरह की उपासना चाहता है?

यीशु और उसके चेले यहूदिया से निकल गए हैं और उत्तर की तरफ सफर कर रहे हैं। वे गलील जाने के लिए सामरिया से होकर जा रहे हैं। सामरिया पहुँचते-पहुँचते वे थककर चूर हो गए हैं। दोपहर का वक्‍त है। वे सामरिया के सूखार शहर में पहुँचे हैं। वहाँ वे एक कुएँ के पास आराम करना चाहते हैं। यह कुआँ सदियों पहले शायद याकूब ने खुदवाया था या खरीदा था। आज भी यह कुआँ नेबलस नाम के शहर के पास है।

यीशु कुएँ के पास आराम करता है और चेले पास के एक शहर में खाना खरीदने जाते हैं। तभी एक सामरी औरत पानी लेने कुएँ के पास आती है। यीशु उससे कहता है, “मुझे पानी पिला।”​—यूहन्‍ना 4:7.

यहूदी और सामरी लोग जाति-भेद की वजह से एक-दूसरे से ज़्यादा बात नहीं करते। इसलिए जब यीशु सामरी औरत से पानी माँगता है, तो औरत को बड़ी हैरानी होती है। वह उससे कहती है, “तू एक यहूदी होकर मुझसे पानी कैसे माँग रहा है, मैं तो एक सामरी औरत हूँ?” यीशु उससे कहता है, “अगर तू यह जानती कि परमेश्‍वर का मुफ्त वरदान क्या है और यह कौन है जो तुझसे कह रहा है कि ‘मुझे पानी पिला,’ तो तू उससे पानी माँगती और वह तुझे जीवन देनेवाला पानी देता।” वह औरत कहती है, “तेरे पास तो पानी निकालने के लिए कोई बरतन तक नहीं है और कुआँ भी गहरा है। फिर तेरे पास यह जीवन देनेवाला पानी कहाँ से आया? क्या तू हमारे पुरखे याकूब से भी महान है जिसने हमें यह कुआँ दिया था और इसी से उसने, उसके बेटों और मवेशियों ने भी पीया था?”​—यूहन्‍ना 4:9-12.

यीशु उससे कहता है, “हर कोई जो यह पानी पीता है वह फिर प्यासा होगा। मगर जो कोई वह पानी पीएगा, जो मैं उसे दूँगा वह फिर कभी प्यासा नहीं होगा। जो पानी मैं उसे दूँगा वह उसके अंदर पानी का एक सोता बन जाएगा और हमेशा की ज़िंदगी देने के लिए उमड़ता रहेगा।” (यूहन्‍ना 4:13, 14) यीशु थका हुआ है, फिर भी वह उस औरत को सच्चाई की बातें बताना चाहता है ताकि वह हमेशा की ज़िंदगी पाए।

वह औरत यीशु से कहती है, “मुझे वह पानी दे ताकि मुझे प्यास न लगे, न ही मुझे पानी भरने के लिए बार-बार यहाँ आना पड़े।” यीशु अब एक अलग विषय पर बात शुरू करता है। वह उससे कहता है, “जा और अपने पति को लेकर यहाँ आ।” औरत कहती है, “मेरा कोई पति नहीं।” यीशु उससे कहता है, “तूने सही कहा कि मेरा कोई पति नहीं। क्योंकि तेरे पाँच पति हो चुके हैं और अब तू जिस आदमी के साथ रहती है वह भी तेरा पति नहीं है। तूने बिलकुल सच कहा।”​—यूहन्‍ना 4:15-18.

वह औरत हैरान रह गयी होगी कि यीशु उसके बारे में यह सब कैसे जानता है। वह समझ जाती है कि वह कोई आम इंसान नहीं है। वह उससे कहती है, “प्रभु, तू ज़रूर एक भविष्यवक्‍ता है!” फिर वह कहती है, “हमारे पुरखे इस पहाड़ पर [यानी पास के गरिज्जीम पहाड़ पर] उपासना करते थे, मगर तुम [यहूदी] लोग कहते हो कि यरूशलेम वह जगह है जहाँ उपासना की जानी चाहिए।” (यूहन्‍ना 4:19, 20) इससे पता चलता है कि वह औरत परमेश्‍वर की उपासना से जुड़ी बातों की बहुत कदर करती है।

यीशु सामरी औरत से कहता है, “वह समय आ रहा है जब तुम लोग न तो इस पहाड़ पर, न ही यरूशलेम में पिता की उपासना करोगे।” “वह समय आ रहा है और अभी-भी है, जब सच्चे उपासक पिता की उपासना पवित्र शक्‍ति और सच्चाई से करेंगे। दरअसल, पिता ऐसे लोगों को ढूँढ़ रहा है जो इसी तरह उसकी उपासना करेंगे।”​—यूहन्‍ना 4:21, 23, 24.

इस बात का क्या मतलब है? परमेश्‍वर यह नहीं देखता कि एक इंसान किस जगह उपासना करता है, बल्कि यह देखता है कि क्या वह सही तरीके से उसकी उपासना करता है। यह बात उस औरत को भा जाती है। वह यीशु से कहती है, “मैं जानती हूँ कि मसीहा आनेवाला है जो अभिषिक्‍त कहलाता है। जब वह आएगा तो हमें सारी बातें खुलकर समझाएगा।”​—यूहन्‍ना 4:25.

अब यीशु इस औरत को, जो भरी दोपहरी में पानी भरने आयी है, एक ऐसी बात बताता है जो उसने अब तक खुलकर किसी को नहीं बतायी: “मैं जो तुझसे बात कर रहा हूँ, वही हूँ।” (यूहन्‍ना 4:26) यीशु उससे साफ-साफ कहता है कि वही मसीहा है।

कई सामरी यीशु पर विश्‍वास करते हैं

अब यीशु के चेले सूखार शहर से खाना लेकर लौट आते हैं। यीशु अब भी कुएँ के पास बैठा हुआ है। चेलों को यह देखकर हैरानी होती है कि वह एक सामरी औरत से बात कर रहा है। अब वह औरत पानी का घड़ा वहीं छोड़कर शहर जाने लगती है।

शहर जाकर वह औरत लोगों को वह सारी बातें बताती है जो यीशु ने उसे बतायी थीं। वह पूरे यकीन के साथ उनसे कहती है, “आओ मेरे साथ चलो, उस आदमी को देखो जिसने वह सब बता दिया जो मैंने किया है।” फिर वह उनसे कहती है, “कहीं वह मसीह तो नहीं?” (यूहन्‍ना 4:29) वह शायद लोगों में दिलचस्पी जगाने के लिए ऐसा कहती है। मूसा के दिनों से अब तक लोग मसीहा का इंतज़ार कर रहे हैं। (व्यवस्थाविवरण 18:18) इसलिए जब उस औरत ने मसीह की बात की, तो वे खुद यीशु से मिलने चले आते हैं।

यहाँ कुएँ के पास यीशु के चेले उससे कहते हैं कि वे जो खाना लाए हैं, उसे वह खा ले। मगर वह कहता है, “मेरे पास ऐसा खाना है जिसके बारे में तुम नहीं जानते।” चेले उसकी बात समझ नहीं पाते और एक-दूसरे से कहते हैं, “कोई उसके खाने के लिए कुछ ले तो नहीं आया था?” यीशु उनसे कहता है, “मेरा खाना यह है कि मैं अपने भेजनेवाले की मरज़ी पूरी करूँ और उसका काम पूरा करूँ।” (यूहन्‍ना 4:32-34) यह बात यीशु के सभी चेलों के लिए बहुत मायने रखती है।

यीशु किस काम की बात कर रहा है? वह फसल की कटाई की बात नहीं कर रहा है जिसके लिए अभी चार महीने बाकी हैं। वह चेले बनाने के काम की बात कर रहा है। वह कहता है, “अपनी आँखें उठाओ और खेतों पर नज़र डालो, वे कटाई के लिए पक चुके हैं। कटाई करनेवाला अभी से मज़दूरी पा रहा है और हमेशा की ज़िंदगी के लिए फसल बटोर रहा है ताकि बोनेवाला और काटनेवाला दोनों मिलकर खुशियाँ मनाएँ।”​—यूहन्‍ना 4:35, 36.

यीशु को शायद अंदाज़ा हो गया है कि उसने सामरी औरत को जो बातें बतायी हैं, उसका बहुत बढ़िया नतीजा निकलनेवाला है। और वाकई ऐसा ही होता है। वह औरत सूखार शहर जाकर लोगों से कहती है, “उसने वह सब बता दिया जो मैंने किया है।” (यूहन्‍ना 4:39) यह सुनकर शहर के बहुत-से लोग यीशु पर विश्‍वास करते हैं। फिर वे यीशु से मिलने कुएँ के पास आते हैं और उससे बिनती करते हैं कि वह उनके यहाँ ठहरे और उन्हें और भी कई बातें सिखाए। यीशु उनकी बात मान लेता है और सामरिया में दो दिन ठहरता है।

जब यीशु सामरिया में लोगों को सिखाता है, तो और भी कई लोग उस पर विश्‍वास करते हैं। वे उस औरत से कहते हैं, “अब हम सिर्फ तेरी बात सुनने की वजह से नहीं बल्कि इसलिए यकीन करते हैं क्योंकि हमने खुद सुन लिया है और जान लिया है कि यह आदमी सचमुच दुनिया का उद्धारकर्ता है।” (यूहन्‍ना 4:42) हम उस सामरी औरत से सीखते हैं कि हमें मसीह के बारे में दूसरों को कैसे गवाही देनी चाहिए। हमें उन्हें इस तरह बताना चाहिए कि और ज़्यादा जानने के लिए उनके अंदर दिलचस्पी जागे।

याद कीजिए कि फसल की कटाई शुरू होने में अभी चार महीने बाकी हैं। चार महीने बाद शायद जौ की फसल काटी जाएगी। यह हम इसलिए कह सकते हैं, क्योंकि मार्च-अप्रैल में इस इलाके में जौ की फसल काटी जाती है। इसका मतलब यह हुआ कि अभी नवंबर या दिसंबर का महीना चल रहा है। तो यीशु और उसके चेले ईसवी सन्‌ 30 का फसह मनाने के बाद करीब आठ महीने यहूदिया में रहे। उन्होंने वहाँ लोगों को सिखाया और बपतिस्मा दिया। अब वे उत्तर की तरफ गलील जा रहे हैं जहाँ उन सबका घर है। वहाँ क्या होगा?