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अध्याय 21

नासरत के सभा-घर में यीशु

नासरत के सभा-घर में यीशु

लूका 4:16-31

  • यीशु यशायाह के खर्रे से कुछ पढ़कर सुनाता है

  • नासरत के लोग यीशु को मार डालने की कोशिश करते हैं

नासरत में यीशु को लेकर काफी चर्चे हो रहे हैं। एक साल पहले जब वह बपतिस्मा लेने यहूदिया गया था, तब वह एक मामूली बढ़ई था। मगर अब वह बड़े-बड़े चमत्कार करने के लिए जाना जाता है। अब जब यीशु अपने इलाके नासरत में आया है, तो यहाँ के लोग यह देखने के लिए उत्सुक हैं कि वह यहाँ क्या-क्या चमत्कार करेगा।

यीशु अपने दस्तूर के मुताबिक सब्त के दिन नासरत के सभा-घर में जाता है। अब लोगों की उत्सुकता और बढ़ जाती है। “हर सब्त के दिन सभा-घरों में” प्रार्थना की जाती है और मूसा की किताबें पढ़कर सुनायी जाती हैं। (प्रेषितों 15:21) भविष्यवाणी की किताबों से भी कुछ पढ़कर सुनाया जाता है। जब यीशु भी कुछ पढ़कर सुनाने के लिए सबके सामने जाकर खड़ा होता है, तो वह शायद देखता है कि वहाँ आए कई लोग उसके जान-पहचानवाले हैं, क्योंकि वह सालों से इसी सभा-घर में आ रहा है। उसे यशायाह का खर्रा दिया जाता है। यीशु खर्रे में वह हिस्सा ढूँढ़ निकालता है जहाँ परमेश्‍वर के चुने हुए जन के बारे में बताया गया है जिसका पवित्र शक्‍ति से अभिषेक किया जाता है। आज यह बात हम यशायाह 61:1, 2 में पाते हैं।

यीशु भविष्यवाणी पढ़कर सुनाता है कि यहोवा जिस व्यक्‍ति का अभिषेक करेगा वह बंदियों को रिहाई का पैगाम देगा, अंधों की आँखें खोलेगा और यहोवा की मंज़ूरी पाने के साल का प्रचार करेगा। यह सब पढ़ने के बाद वह खर्रा लपेटकर सेवक को दे देता है और बैठ जाता है। वहाँ हाज़िर सभी की नज़रें यीशु पर हैं। फिर शायद यीशु उन्हें कुछ और बातें बताता है और कहता है, “यह वचन जो तुमने अभी-अभी सुना, आज पूरा हुआ है।”​—लूका 4:21.

यीशु की बातें लोगों का दिल जीत लेती हैं। वे ताज्जुब करने लगते हैं और एक-दूसरे से कहते हैं, “क्या यह यूसुफ का बेटा नहीं है?” अब लोग चाहते हैं कि यीशु उनके सामने कोई चमत्कार करे, क्योंकि उन्होंने सुना है कि उसने दूसरे इलाकों में चमत्कार किए हैं। यीशु यह बात समझ जाता है। वह उनसे कहता है, “बेशक तुम यह कहावत कहोगे, ‘अरे वैद्य, पहले खुद का इलाज कर’ और मुझ पर यह कहते हुए लागू करोगे, ‘कफरनहूम में तूने जो काम किए थे उनके बारे में हमने सुना है, अब वही काम अपने शहर में भी कर।’” (लूका 4:22, 23) यीशु इन्हीं लोगों के बीच रहता था। इसलिए वे शायद सोचते हैं कि उसे पहले अपने यहाँ के लोगों को चंगा करना था, पहले उनका भला करना था। उन्हें लगता है कि यीशु ने उन पर ध्यान नहीं दिया।

यीशु भाँप लेता है कि उनके मन में क्या चल रहा है। इसलिए वह पुराने ज़माने की कुछ घटनाएँ बताता है। एलियाह के दिनों में बहुत-सी विधवाएँ थीं। मगर उसे उनमें से किसी के पास नहीं भेजा गया। इसके बजाय उसे सीदोन के पास सारपत नगर की एक विधवा के पास भेजा गया जो इसराएली नहीं थी। (1 राजा 17:8-16) वहाँ एलियाह के चमत्कार से विधवा और उसके बेटे की जान बच गयी। एलीशा के दिनों में इसराएल देश में बहुत-से कोढ़ी थे। मगर उसने सिर्फ नामान का कोढ़ ठीक किया जो सीरिया का रहनेवाला था।​—2 राजा 5:1, 8-14.

ये दोनों उदाहरण सुनकर सभा-घर में आए लोग आग-बबूला हो जाते हैं। यीशु ने उनका परदाफाश कर दिया है कि वे स्वार्थी हैं और उनमें विश्‍वास नहीं है। वे यीशु पर टूट पड़ते हैं और उसे पकड़कर शहर के बाहर ले जाते हैं। जिस पहाड़ पर उनका शहर बसा है वे उसकी चोटी तक उसे ले जाते हैं ताकि उसे नीचे धकेल दें। पर यीशु बच निकलता है। फिर वह कफरनहूम चला जाता है जो गलील झील के उत्तर-पश्‍चिम तट पर है।