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अध्याय 45

यीशु बहुत-से दुष्ट स्वर्गदूतों को निकालता है

यीशु बहुत-से दुष्ट स्वर्गदूतों को निकालता है

मत्ती 8:28-34 मरकुस 5:1-20 लूका 8:26-39

  • यीशु दुष्ट स्वर्गदूतों को सूअरों में भेज देता है

यीशु और उसके चेलों ने अभी-अभी झील में एक बड़े खतरे का सामना किया था। जैसे ही वे नाव से उतरकर किनारे आते हैं, उन्हें एक भयानक मंज़र दिखायी देता है। पास के कब्रिस्तान से दो खूँखार आदमी निकलते हैं और यीशु के पास दौड़े-दौड़े आते हैं। दोनों में दुष्ट स्वर्गदूत समाए हैं। उनमें से एक आदमी दूसरे से ज़्यादा खतरनाक है क्योंकि उसे दुष्ट स्वर्गदूतों ने ज़्यादा समय से कब्ज़े में किया हुआ है।

यह आदमी कपड़े नहीं पहनता और “रात-दिन कब्रों और पहाड़ों के बीच चिल्लाता रहता और पत्थरों से खुद को घायल करता रहता” है। (मरकुस 5:5) वह इतना खूँखार है कि कोई भी उस रास्ते से गुज़रने की हिम्मत नहीं करता। लोगों ने कई बार उसे ज़ंजीरों से बाँधा और उसके पैरों में बेड़ियाँ लगा दीं। लेकिन वह सबकुछ तोड़ देता है। कोई उसे काबू नहीं कर पा रहा है।

वह आदमी यीशु के पास आकर उसके पैरों पर गिर पड़ता है और चिल्लाता है, “हे यीशु, परम-प्रधान परमेश्‍वर के बेटे, मेरा तुझसे क्या लेना-देना? मैं परमेश्‍वर की शपथ धराकर तुझसे कहता हूँ, मुझे मत तड़पा।” दरअसल उसके अंदर समाए दुष्ट स्वर्गदूत उससे यह बात कहलवाते हैं। यीशु के पास उन्हें निकालने की ताकत है, इसलिए वह हुक्म देता है, “हे दुष्ट स्वर्गदूत, इस आदमी में से बाहर निकल जा।”​—मरकुस 5:7, 8.

इस आदमी के अंदर एक नहीं, बहुत सारे दुष्ट स्वर्गदूत समाए हुए हैं। जब यीशु पूछता है कि “तेरा नाम क्या है?” तो वे कहते हैं, “मेरा नाम पलटन है क्योंकि हम बहुत सारे हैं।” (मरकुस 5:9) रोमी सेना की पलटन में हज़ारों सैनिक हुआ करते हैं। इस आदमी के अंदर दुष्ट स्वर्गदूतों की बड़ी पलटन समायी हुई है और वे उसे तड़पा रहे हैं। वे यीशु से बिनती करते हैं कि वह उन्हें “अथाह-कुंड में जाने का हुक्म न दे।” वे ज़रूर जानते होंगे कि आगे चलकर उन्हें और उनके सरदार शैतान को अथाह-कुंड में डाल दिया जाएगा।​—लूका 8:31.

वहीं पास में करीब 2,000 सूअरों का एक झुंड चर रहा है। मूसा के कानून के मुताबिक सूअरों को अशुद्ध माना जाता है, इसलिए यहूदी अपने यहाँ सूअर नहीं रखते। दुष्ट स्वर्गदूत यीशु से बिनती करते हैं, “हमें उन सूअरों में भेज दे ताकि हम उनमें समा जाएँ।” (मरकुस 5:12) यीशु उन्हें इजाज़त देता है और वे सूअरों में जाकर समा जाते हैं। तब उन 2,000 सूअरों में भगदड़ मच जाती है और वे चट्टान से गिरकर समुंदर में डूब जाते हैं।

यह सब देखकर सूअर चरानेवाले शहर और गाँव में दौड़कर जाते हैं और लोगों को सबकुछ बता देते हैं। जब लोग आते हैं, तो देखते हैं कि जिस आदमी के अंदर दुष्ट स्वर्गदूत थे, वह दिमागी तौर पर बिलकुल ठीक है। उसने कपड़े पहने हैं और वह यीशु के पैरों के पास बैठा है।

जो लोग इस आदमी को देखते हैं या इसके बारे में सुनते हैं, उनके दिल में डर समा जाता है। वे समझ नहीं पाते कि ऐसा क्यों हुआ है। वे यीशु से बिनती करते हैं कि वह उनका इलाका छोड़कर चला जाए। यीशु उनकी बात मानकर नाव पर बैठ जाता है। तब वह आदमी, जिसमें से यीशु ने दुष्ट स्वर्गदूत निकाले थे, उसके पास आता है और उससे बिनती करता है कि उसे साथ ले चले। मगर यीशु उसे नहीं आने देता और कहता है, “अपने घर चला जा और अपने रिश्‍तेदारों को बता कि यहोवा ने तेरे लिए क्या-क्या किया और तुझ पर कितनी दया की है।”​—मरकुस 5:19.

यीशु जब भी लोगों को चंगा करता है, तो वह उनसे कहता है कि वे किसी को यह बात न बताएँ। लोग अकसर खबरें बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं। यीशु नहीं चाहता कि कोई ऐसी खबरें सुनकर उस पर विश्‍वास करे। लेकिन इस आदमी से यीशु कहता है कि वह दूसरों को बताए, क्योंकि लोग उसे देखकर जानेंगे कि यीशु में कितनी शक्‍ति है। और यह आदमी ऐसे लोगों को भी गवाही दे पाएगा जिनसे यीशु नहीं मिल पाएगा। सूअरों के नुकसान की वजह से अगर लोग यीशु के बारे में बुरा-भला कह रहे होंगे, तो वे इस आदमी की बातें सुनकर यकीन करेंगे कि यीशु ने कुछ बुरा नहीं किया है। इसलिए यीशु के कहने पर वह आदमी चला जाता है और पूरे दिकापुलिस में बताता है कि यीशु ने उसका भला किया है।