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अध्याय 76

एक फरीसी के यहाँ दावत

एक फरीसी के यहाँ दावत

लूका 11:37-54

  • यीशु कपटी फरीसियों को दोषी ठहराता है

यहूदिया में एक फरीसी यीशु को खाने पर बुलाता है और यीशु वहाँ जाता है। शायद यह दोपहर का खाना है। (लूका 11:37, 38. लूका 14:12 से तुलना करें।) फरीसी लोग खाने से पहले अपनी परंपरा के मुताबिक कोहनी तक हाथ धोते हैं। लेकिन यीशु ऐसा नहीं करता। (मत्ती 15:1, 2) कोहनी तक हाथ धोना परमेश्‍वर के कानून के खिलाफ नहीं है, मगर यह ज़रूरी भी नहीं है क्योंकि परमेश्‍वर ने ऐसा करने की आज्ञा नहीं दी।

जिस फरीसी ने यीशु को खाने पर बुलाया है, वह हैरान है कि यीशु इस परंपरा को नहीं मान रहा है। मगर यीशु कहता है, “हे फरीसियो, तुम उन प्यालों और थालियों की तरह हो जिन्हें सिर्फ बाहर से साफ किया जाता है, मगर अंदर से वे गंदे हैं। तुम्हारे अंदर लालच और दुष्टता भरी हुई है। अरे अक्ल के दुश्‍मनो! जिसने बाहर से बनाया है, क्या उसी ने अंदर से नहीं बनाया?”​—लूका 11:39, 40.

यीशु यह नहीं कह रहा है कि हाथ धोना गलत है, मगर वह कह रहा है कि पाखंडी नहीं होना चाहिए। फरीसी और उनके जैसे लोग कोहनी तक हाथ तो धोते हैं, मगर अपने मनों को शुद्ध नहीं करते। उनके अंदर गंदगी और दुष्टता भरी है। यीशु उनसे कहता है, “तुम जो दान देते हो वह दिल से दो, तब तुम पूरी तरह शुद्ध ठहरोगे।” (लूका 11:41) सही कहा यीशु ने! जब कोई दान देता है, तो उसे दिल से देना चाहिए, न कि धर्मी होने का दिखावा करने के लिए।

फरीसी दान देने में पीछे नहीं हैं। यीशु कहता है, “तुम पुदीने, सुदाब और इस तरह के हर साग-पात का दसवाँ हिस्सा तो देते हो, मगर न्याय और परमेश्‍वर से प्यार करने की आज्ञा को कोई अहमियत नहीं देते। माना कि यह सब देना तुम्हारा फर्ज़ है, मगर तुम्हें उन दूसरी बातों को भी तुच्छ नहीं समझना चाहिए।” (लूका 11:42) परमेश्‍वर का कानून था कि हर फसल का दसवाँ हिस्सा परमेश्‍वर को अर्पित किया जाए। पुदीने, सुदाब और इस तरह के साग-पात का दसवाँ हिस्सा भी देना ज़रूरी था। (व्यवस्थाविवरण 14:22) फरीसी इन छोटी-छोटी चीज़ों का भी दसवाँ हिस्सा देते थे, मगर कानून की अहम बातों को नहीं मानते थे। वे न्याय से काम नहीं करते थे और अपनी मर्यादा में नहीं रहते थे।​—मीका 6:8.

यीशु फरीसियों से कहता है, “धिक्कार है तुम फरीसियों पर! क्योंकि तुम्हें सभा-घरों में सबसे आगे की जगहों पर बैठना और बाज़ारों में लोगों से नमस्कार सुनना पसंद है! धिक्कार है तुम पर! क्योंकि तुम उन कब्रों जैसे हो जो ऊपर से दिखायी नहीं देतीं, इसलिए लोग उन पर चलते-फिरते हैं और उन्हें पता ही नहीं चलता!” (लूका 11:43, 44) जो कब्रें ऊपर से दिखायी नहीं देतीं, उन पर लोग ठोकर खाकर गिर सकते थे और अशुद्ध हो सकते थे। फरीसी उन कब्रों जैसे हैं। उनके मनों में अशुद्धता भरी है, मगर वे ऊपर से दिखायी नहीं देते।​—मत्ती 23:27.

तब एक आदमी जो परमेश्‍वर का कानून अच्छी तरह जानता है, यीशु से कहता है, “गुरु, यह सब कहकर तू हमारी बेइज़्ज़ती कर रहा है।” मगर इस आदमी के जैसे लोगों को समझना चाहिए कि वे लोगों का कितना नुकसान कर रहे हैं। यीशु कहता है, “अरे कानून के जानकारो, तुम पर भी धिक्कार है! क्योंकि तुम ऐसे नियम बनाते हो जो लोगों पर भारी बोझ की तरह हैं, मगर तुम खुद इस बोझ को उठाने के लिए अपनी एक उँगली तक नहीं लगाते! धिक्कार है तुम पर, क्योंकि तुम भविष्यवक्‍ताओं की कब्रें बनवाते हो, जबकि तुम्हारे पुरखों ने उन्हें मार डाला था!”​—लूका 11:45-47.

फरीसियों ने लोगों पर परंपराओं का बोझ लाद दिया है। वे लोगों से अपने तरीके से कानून मनवाते हैं। उन्होंने लोगों का जीना मुश्‍किल कर दिया है। उनके पुरखों ने परमेश्‍वर के भविष्यवक्‍ताओं को मार डाला था, हाबिल से लेकर कई भविष्यवक्‍ताओं को। अब ये फरीसी उनके लिए कब्रें बनवाकर ऐसे दिखा रहे हैं मानो वे उनका सम्मान कर रहे हैं। मगर वे असल में अपने पुरखों जैसे ही काम कर रहे हैं। वे परमेश्‍वर के सबसे खास भविष्यवक्‍ता यीशु को भी मार डालने की कोशिश कर रहे हैं। यीशु कहता है कि परमेश्‍वर इस पीढ़ी के लोगों से हिसाब माँगेगा। ईसवी सन्‌ 70 में परमेश्‍वर ने वाकई उनसे हिसाब माँगा।

यीशु कहता है, “धिक्कार है तुम पर जो कानून के जानकार हो, क्योंकि तुमने वह चाबी लेकर रख ली है, जो परमेश्‍वर के बारे में ज्ञान का दरवाज़ा खोलती है। तुम खुद उस दरवाज़े के अंदर नहीं गए और जो जा रहे हैं उन्हें भी तुम रोक देते हो!” (लूका 11:52) उनका फर्ज़ था कि वे लोगों के लिए ज्ञान का दरवाज़ा खोलें यानी उन्हें परमेश्‍वर का वचन समझाएँ। मगर वे ऐसा नहीं कर रहे हैं। उलटा जब लोगों को यीशु से यह सब जानने का मौका मिल रहा है, तो उन्हें रोक रहे हैं।

यह सब सुनकर फरीसियों और शास्त्रियों को बहुत गुस्सा आता है। जब यीशु वहाँ से बाहर निकलता है, तो वे उसके सामने सवालों की झड़ी लगा देते हैं। वे कुछ जानने के इरादे से यह सब नहीं पूछ रहे हैं। वे यीशु के मुँह से कुछ ऐसी बात निकलवाना चाहते हैं कि उसे फँसाकर गिरफ्तार करवा लें।