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अध्याय 97

अंगूरों के बाग में काम करनेवालों की मिसाल

अंगूरों के बाग में काम करनेवालों की मिसाल

मत्ती 20:1-16

  • आखिर में आए मज़दूरों को पहले मज़दूरी दी जाती है

यीशु ने अभी-अभी पेरिया में बताया था कि “बहुत-से जो पहले हैं वे आखिरी होंगे और जो आखिरी हैं वे पहले होंगे।” (मत्ती 19:30) अब इस बात पर ज़ोर देने के लिए वह अंगूरों के बाग की मिसाल बताता है:

‘स्वर्ग का राज उस मालिक जैसा है, जिसका अंगूरों का बाग था। वह तड़के सुबह बाहर निकला कि अपने बाग में दिहाड़ी पर काम करनेवाले मज़दूर लगाए। वह मज़दूरों को दिन-भर की मज़दूरी के लिए एक दीनार देने को राज़ी हुआ और उन्हें अपने बाग में भेज दिया। फिर वह तीसरे घंटे के करीब बाहर निकला और उसने देखा कि बाज़ार के चौक में कुछ मज़दूर खड़े हैं जिन्हें कोई काम नहीं मिला। मालिक ने उनसे कहा, “तुम भी मेरे बाग में जाओ और जो ठीक होगा, वह मैं तुम्हें दूँगा।” तब वे बाग में गए। वह फिर छठे और नौवें घंटे के करीब बाहर निकला और उसने ऐसा ही किया। आखिर में वह 11वें घंटे के करीब बाहर निकला और कई और मज़दूरों को खड़े देखा। बाग के मालिक ने उनसे पूछा, “तुम दिन-भर यहाँ बेकार क्यों खड़े रहे?” उन्होंने कहा, “हमें किसी ने काम नहीं दिया।” तब उसने कहा, “तुम भी मेरे बाग में जाओ।”’​—मत्ती 20:1-7.

जब यीशु ने ‘स्वर्ग के राज’ और “मालिक” का ज़िक्र किया, तो उसकी बात सुननेवालों ने सोचा होगा कि यह मालिक यहोवा परमेश्‍वर है। शास्त्र में इसराएल राष्ट्र की तुलना अंगूरों के बाग से की गयी है और यहोवा की तुलना मालिक से। (भजन 80:8, 9; यशायाह 5:3, 4) जिनके साथ कानून का करार किया गया है, वे बाग में काम करनेवाले मज़दूर हैं। लेकिन यीशु ने अभी गुज़रे ज़माने के इसराएलियों के बारे में बताने के लिए यह मिसाल नहीं दी है। वह अपने दिनों के लोगों की बात कर रहा है।

धर्म गुरुओं की ज़िम्मेदारी थी कि वे परमेश्‍वर की सेवा करते रहें। वे बाग में सारा दिन काम करनेवाले मज़दूरों जैसे थे जो उम्मीद करते हैं कि उन्हें दिन-भर की मज़दूरी में एक दीनार मिलेगा।

याजकों और बाकी धर्म गुरुओं का मानना है कि आम यहूदी परमेश्‍वर की सेवा बहुत कम करते हैं। वे उन मज़दूरों जैसे हैं जिन्होंने बाग में कुछ ही घंटे काम किया। वे उन आदमियों जैसे हैं जिन्हें तीसरे घंटे (सुबह 9 बजे) या छठे घंटे या बाद में नौवें या ग्यारहवें घंटे (शाम 5 बजे) काम दिया गया।

धर्म गुरु कहते हैं कि जो यीशु के पीछे चलते हैं, वे “शापित लोग” हैं। (यूहन्‍ना 7:49) इनमें से ज़्यादातर लोग मछुवारे और छोटे-मोटे काम करनेवाले मज़दूर हैं। ईसवी सन्‌ 29 के आखिरी महीनों में बाग के मालिक यहोवा ने इन मामूली लोगों को यीशु के चेले बनने और यहोवा की सेवा करने के लिए बुलाया। ये लोग वे “आखिरी” मज़दूर हैं जिन्हें 11वें घंटे में काम दिया गया।

फिर यीशु बताता है कि दिन के आखिर में मज़दूरों को कैसे मज़दूरी दी जाती है: ‘सबसे पहले 11वें घंटे में काम पर लगनेवाले आदमियों को एक-एक दीनार मिला। तब सबसे पहले आनेवालों ने सोचा कि उन्हें ज़्यादा मज़दूरी मिलेगी। मगर उन्हें भी एक दीनार मिला। तब वे मालिक पर कुड़कुड़ाने लगे, “ये जो आखिर में आए थे, इन्होंने बस एक ही घंटा काम किया, फिर भी तूने उन्हें हमारे बराबर कर दिया, जबकि हमने सारा दिन मेहनत की और तपती धूप सही!” मगर मालिक ने उनमें से एक को जवाब दिया, “देख भई, मैं तेरे साथ कोई नाइंसाफी नहीं कर रहा। क्या तू मेरे यहाँ एक दीनार पर काम करने के लिए राज़ी नहीं हुआ था? इसलिए जो तेरा है वह ले और चला जा। जितना मैंने तुझे दिया है, उतना ही मैं आखिर में आनेवाले इस आदमी को देना चाहता हूँ। क्या मुझे अधिकार नहीं कि अपने पैसे के साथ जो चाहे वह करूँ? या मैंने जो भलाई की है उसे देखकर तुझे जलन हो रही है?” इस तरह, जो आखिरी हैं वे पहले होंगे और जो पहले हैं वे आखिरी।’​—मत्ती 20:8-16.

जो धर्म गुरु सोचते हैं कि वे “पहले” हैं वे “आखिरी” कैसे होंगे? यीशु के चेलों को “आखिरी” समझा जाता है। वे “पहले” कैसे होंगे?

सबसे पहले यीशु के चेलों को दिन-भर की मज़दूरी दी जाएगी। यीशु की मौत के बाद परमेश्‍वर इसराएल राष्ट्र को ठुकरा देगा और उसकी जगह एक नए राष्ट्र को चुनेगा। उसे ‘परमेश्‍वर का इसराएल’ कहा जाएगा। (गलातियों 6:16; मत्ती 23:38) जब यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने कहा कि कुछ लोगों का पवित्र शक्‍ति से बपतिस्मा होगा, तो वह उन्हीं लोगों की बात कर रहा था जिनसे परमेश्‍वर का इसराएल राष्ट्र बनेगा। जिन्हें “आखिरी” समझा जाता है, उन्हीं को सबसे पहले यह बपतिस्मा दिया जाएगा। फिर उन्हें “दुनिया के सबसे दूर के इलाकों” में जाकर यीशु के बारे में गवाही देने का मौका मिलेगा। (प्रेषितों 1:5, 8; मत्ती 3:11) यीशु के चेले समझ पाए होंगे कि कितना बड़ा बदलाव होनेवाला है। उन्हें यह भी अंदाज़ा हो गया होगा कि धर्म गुरु उनका कितना विरोध करेंगे, क्योंकि वे “आखिरी” हो जाएँगे।