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अध्याय 113

तोड़ों की मिसाल​—मेहनत करने की सीख

तोड़ों की मिसाल​—मेहनत करने की सीख

मत्ती 25:14-30

  • यीशु तोड़ों की मिसाल बताता है

यीशु अभी-भी चार प्रेषितों के साथ जैतून पहाड़ पर है। अब वह उन्हें तोड़ों की मिसाल बताता है। कुछ दिन पहले उसने चाँदी के सिक्कों की मिसाल बताकर समझाया था कि परमेश्‍वर का राज काफी समय बाद भविष्य में आएगा। तोड़ों की मिसाल चाँदी के सिक्कों की मिसाल से मिलती-जुलती है। चेलों ने उसकी मौजूदगी और दुनिया के अंत के बारे में उससे जो सवाल किया था, उसी के जवाब में वह यह मिसाल बताता है। इस मिसाल से यह सीख मिलती है कि चेलों को अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाने में बहुत मेहनत करनी है।

“स्वर्ग का राज उस आदमी जैसा है जिसने परदेस जाने से पहले अपने दासों को बुलाया और उन्हें अपनी दौलत सौंपी।” (मत्ती 25:14) यीशु ने पहले भी एक बार अपनी तुलना एक ऐसे आदमी से की थी जो “राज-अधिकार” पाने के लिए दूर देश जाता है। तो प्रेषित समझ सकते हैं कि इस मिसाल में बताया गया आदमी भी यीशु है।​—लूका 19:12.

जैसे वह आदमी परदेस जाने से पहले दासों को अपनी दौलत सौंपता है, उसी तरह यीशु भी जाने से पहले चेलों को कुछ काम सौंपता है। साढ़े तीन साल के दौरान यीशु ने बड़ी लगन से खुशखबरी का प्रचार किया था और चेलों को भी यह काम सिखाया था। अब जाने से पहले यह ज़िम्मेदारी वह चेलों को देता है। उसे उन पर भरोसा है कि वे यह काम अच्छे से करेंगे।​—मत्ती 10:7; लूका 10:1, 8, 9. यूहन्‍ना 4:38; 14:12 से तुलना करें।

यीशु बताता है कि उस आदमी ने अपने दासों में दौलत कैसे बाँटी: “एक को उसने पाँच तोड़े चाँदी के सिक्के दिए, दूसरे को दो तोड़े और तीसरे को एक तोड़ा। हरेक को उसकी काबिलीयत के मुताबिक देकर वह परदेस चला गया।” (मत्ती 25:15) दासों ने उस दौलत के साथ क्या किया? क्या उन्होंने मेहनत करके वह दौलत बढ़ायी?

“जिस दास को पाँच तोड़े चाँदी के सिक्के मिले थे, वह फौरन गया और उसने उन पैसों से कारोबार करके पाँच तोड़े और कमाए। उसी तरह, जिसे दो तोड़े चाँदी के सिक्के मिले थे, उसने दो तोड़े और कमाए। मगर जिसे सिर्फ एक तोड़ा चाँदी के सिक्के मिले थे, उसने मालिक के पैसे ज़मीन में गाड़कर छिपा दिए।”​—मत्ती 25:16-18.

“बहुत समय बाद उन दासों का मालिक आया और उसने उनसे हिसाब माँगा।” (मत्ती 25:19) पहले और दूसरे दास ने अपनी काबिलीयत के मुताबिक और भी तोड़े कमाए। इन दोनों ने बहुत मेहनत की, इसलिए वे और भी कमा सके। जिसे पाँच तोड़े दिए गए थे, उसने पाँच और कमाए। जिसे दो दिए गए थे, उसने दो और कमाए। उस ज़माने में एक मज़दूर बीस साल काम करने पर ही एक तोड़ा कमा सकता था। इससे पता चलता है कि दोनों दासों ने कितनी लगन से काम किया। मालिक इनमें से हर दास से कहता है, “शाबाश, अच्छे और विश्‍वासयोग्य दास! तू थोड़ी चीज़ों में विश्‍वासयोग्य रहा। मैं तुझे बहुत-सी चीज़ों पर अधिकार दूँगा। अपने मालिक के साथ खुशियाँ मना।”​—मत्ती 25:21.

मगर जिस दास को एक तोड़ा सौंपा गया था, वह मालिक से कहता है, “मालिक, मैं जानता था कि तू एक कठोर इंसान है, तू जहाँ नहीं बोता वहाँ भी कटाई करता है और जहाँ अनाज नहीं फटकाता वहाँ से भी बटोरता है। इसलिए मैं डर गया और मैंने जाकर तेरे चाँदी के सिक्के ज़मीन में छिपा दिए। यह ले, जो तेरा है, यह रहा।” (मत्ती 25:24, 25) अगर वह तोड़ा ले जाकर साहूकारों को देता, तो मालिक को कुछ तो मुनाफा होता। मगर उसने ऐसा भी नहीं किया। उसने मालिक का बहुत नुकसान कर दिया।

मालिक कहता है कि यह दास “दुष्ट और आलसी” है। उसे जो तोड़ा दिया गया था वह उससे ले लिया जाता है और उस दास को दे दिया जाता है जो मेहनती है। मालिक कहता है, “जिसके पास है, उसे और दिया जाएगा और उसके पास बहुत हो जाएगा। मगर जिसके पास नहीं है, उससे वह भी ले लिया जाएगा जो उसके पास है।”​—मत्ती 25:26, 29.

इस मिसाल से चेलों को एक सबक मिलता है। यीशु ने उन पर भरोसा करके उन्हें चेले बनाने का काम सौंपा है। यह एक अहम ज़िम्मेदारी है। यीशु उम्मीद करता है कि वे इस ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए बहुत मेहनत करें। यीशु सबसे बराबर की उम्मीद नहीं करता, पर चाहता है कि जिससे जितना हो सकता है वह उतनी मेहनत करे। अगर एक व्यक्‍ति आलसी हो जाए और चेला बनाने के काम में मेहनत न करे, तो यीशु उससे बिलकुल खुश नहीं होगा।

यीशु ने प्रेषितों को एक बात का भरोसा दिलाया है, “जिसके पास है, उसे और दिया जाएगा और उसके पास बहुत हो जाएगा।” यह बात सुनकर वे बहुत खुश हुए होंगे!