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अध्याय 114

भेड़ों और बकरियों का फैसला

भेड़ों और बकरियों का फैसला

मत्ती 25:31-46

  • यीशु भेड़ों और बकरियों की मिसाल बताता है

प्रेषितों ने यीशु से पूछा था कि उसकी मौजूदगी और दुनिया के अंत की क्या निशानी होगी। यीशु ने जवाब में कई बातें बतायीं। उसने दस कुँवारियों और तोड़ों की मिसाल भी बतायी। अब वह आखिर में भेड़ों और बकरियों की मिसाल बताता है:

“जब इंसान का बेटा पूरी महिमा के साथ आएगा और सब स्वर्गदूत उसके साथ होंगे, तब वह अपनी शानदार राजगद्दी पर बैठेगा।” (मत्ती 25:31) यीशु ही इस मिसाल का खास किरदार है, क्योंकि उसने कई बार खुद को ‘इंसान का बेटा’ कहा था।​—मत्ती 8:20; 9:6; 20:18, 28.

इस मिसाल की बातें तब पूरी होंगी जब यीशु ‘बड़ी महिमा के साथ आएगा’ और स्वर्गदूत उसके साथ होंगे। उस वक्‍त वह “अपनी शानदार राजगद्दी पर बैठेगा।” यीशु ने पहले भी बताया था कि ‘संकट के फौरन बाद इंसान का बेटा पूरी शक्‍ति और महिमा के साथ बादलों में आएगा और स्वर्गदूत उसके साथ होंगे।’ (मत्ती 24:29-31; मरकुस 13:26, 27; लूका 21:27) इसका मतलब भेड़ों और बकरियों की मिसाल में बतायी गयी बातें भविष्य में पूरी होंगी। तब क्या होगा?

‘सब राष्ट्रों के लोग इंसान के बेटे के सामने इकट्ठे किए जाएँगे। तब वह लोगों को एक-दूसरे से अलग करेगा, ठीक जैसे एक चरवाहा भेड़ों को बकरियों से अलग करता है। वह भेड़ों को अपने दायीं तरफ करेगा मगर बकरियों को बायीं तरफ।’​—मत्ती 25:31-33.

राजा भेड़ों से कहेगा, “मेरे पिता से आशीष पानेवालो, आओ, उस राज के वारिस बन जाओ जो दुनिया की शुरूआत से तुम्हारे लिए तैयार किया गया है।” (मत्ती 25:34) राजा क्यों भेड़ों से खुश होगा?

राजा खुद बताता है, “मैं भूखा था और तुमने मुझे खाना दिया। मैं प्यासा था और तुमने मुझे पानी पिलाया। मैं अजनबी था और तुमने मुझे अपने घर ठहराया। मैं नंगा था और तुमने मुझे कपड़े दिए। मैं बीमार पड़ा और तुमने मेरी देखभाल की। मैं जेल में था और तुम मुझसे मिलने आए।” भेड़ें यानी नेक लोग उससे पूछेंगे कि उन्होंने कब ऐसा किया। राजा उनसे कहेगा, “जो कुछ तुमने मेरे इन छोटे-से-छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे साथ किया।” (मत्ती 25:35, 36, 40, 46) नेक जनों ने ये भले काम स्वर्ग में नहीं किए, क्योंकि वहाँ कोई बीमार या भूखा नहीं होता। उन्होंने ये काम धरती पर मसीह के भाइयों के लिए किए।

फिर राजा बकरियों से कहेगा, “हे शापित लोगो, मेरे सामने से दूर हो जाओ और हमेशा जलनेवाली उस आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिए तैयार की गयी है। इसलिए कि मैं भूखा था मगर तुमने मुझे खाने को कुछ नहीं दिया। मैं प्यासा था मगर तुमने मुझे पीने को कुछ नहीं दिया। मैं अजनबी था मगर तुमने मुझे अपने घर नहीं ठहराया। मैं नंगा था मगर तुमने मुझे कपड़े नहीं दिए। मैं बीमार पड़ा और जेल में था मगर तुमने मेरी देखभाल नहीं की।” (मत्ती 25:41-43) बकरी समान लोगों को यह सज़ा मिलनी ही चाहिए, क्योंकि उन्होंने मसीह के भाइयों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जबकि उन्हें करना चाहिए था।

प्रेषित समझ जाते हैं कि जब यीशु न्याय करेगा, तो लोगों को या तो हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी या हमेशा के लिए उनका नाश हो जाएगा। राजा लोगों से कहेगा, ‘जो कुछ तुमने मेरे इन छोटे-से-छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ नहीं किया, वह मेरे साथ भी नहीं किया। ये लोग हमेशा के लिए नाश हो जाएँगे, मगर नेक जन हमेशा की ज़िंदगी पाएँगे।’​—मत्ती 25:45, 46.

परमेश्‍वर के सभी लोगों को भेड़ों और बकरियों की मिसाल से अच्छी सीख मिलती है। उन्हें खुद पर ध्यान देना चाहिए कि क्या उनकी सोच सही है और क्या वे अपना फर्ज़ निभा रहे हैं।