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अध्याय चार

यीशु मसीह कौन है?

यीशु मसीह कौन है?

1, 2. (क) क्या किसी मशहूर व्यक्‍ति का नाम जानने का मतलब यह है कि आप उसे अच्छी तरह जानते हैं? समझाइए। (ख) कुछ लोग यीशु के बारे में क्या कहते हैं?

दुनिया में बहुत-से मशहूर लोग हैं। आप शायद उनमें से कुछ के नाम जानते हों। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप उन्हें अच्छी तरह जानते हैं। क्योंकि आपको उनकी ज़िंदगी की एक-एक बात नहीं पता और न ही आप यह जानते हैं कि वे किस तरह के इंसान हैं।

2 यीशु मसीह भी एक मशहूर आदमी था। वह करीब 2,000 साल पहले जीया था, फिर भी आपने उसके बारे में सुना होगा। मगर ज़्यादातर लोग यह नहीं जानते कि वह कैसा इंसान था। कुछ कहते हैं कि वह एक अच्छा आदमी था, तो कुछ कहते हैं कि वह एक भविष्यवक्‍ता था। कुछ ऐसे भी हैं जो उसे ईश्‍वर मानते हैं। आपको क्या लगता है, यीशु कौन था?—“यीशु मसीह” देखिए।

3. यहोवा परमेश्‍वर और यीशु मसीह को जानना क्यों ज़रूरी है?

3 यीशु के बारे में सच्चाई जानना आपके लिए ज़रूरी है। क्यों? बाइबल बताती है, “हमेशा की ज़िंदगी पाने के लिए ज़रूरी है कि वे तुझ एकमात्र सच्चे परमेश्‍वर को और यीशु मसीह को जिसे तूने भेजा है, जानें।” (यूहन्‍ना 17:3) अगर आप यहोवा और यीशु के बारे में सच्चाई जानेंगे तो आप नयी दुनिया में हमेशा के लिए जी पाएँगे। (यूहन्‍ना 14:6) यही नहीं, यीशु के बारे में जानने से आज भी आपको फायदा होगा क्योंकि उसने एक बढ़िया मिसाल रखी है कि हमें ज़िंदगी कैसे जीनी चाहिए और दूसरों के साथ कैसे पेश आना चाहिए। (यूहन्‍ना 13:34, 35) अध्याय 1 में हमने परमेश्‍वर के बारे में सच्चाई जानी थी। इस अध्याय में हम सीखेंगे कि बाइबल यीशु के बारे में क्या सिखाती है।

हमें मसीहा मिल गया है!

4. ‘मसीहा,’ इस उपाधि का क्या मतलब है?

4 बाइबल बताती है कि यीशु के पैदा होने से सालों-साल पहले यहोवा ने वादा किया था कि वह एक ‘मसीहा’ को भेजेगा। ‘मसीहा’ एक उपाधि है जिसका मतलब है, एक ऐसा व्यक्‍ति जिसे परमेश्‍वर चुनेगा और एक खास पदवी देगा। मसीहा यानी यीशु भविष्य में परमेश्‍वर के सभी वादे पूरे करेगा। मगर वह आज भी आपकी मदद कर सकता है। लेकिन यीशु के जन्म से पहले कई लोग सोचते थे कि मसीहा कौन होगा।

5. क्या यीशु के चेले मानते थे कि वह मसीहा है?

5 यीशु के चेलों को कोई शक नहीं था कि यीशु ही वादा किया गया मसीहा है। (यूहन्‍ना 1:41) उदाहरण के लिए, चेले शमौन पतरस ने यीशु से कहा, “तू मसीह है।” (मत्ती 16:16) हम कैसे मान सकते हैं कि यीशु ही मसीहा है?

6. मसीहा को पहचानने में यहोवा ने सच्चे मनवालों की मदद कैसे की?

6 यीशु के जन्म से बहुत पहले, परमेश्‍वर के भविष्यवक्‍ताओं ने कई बातें लिखीं ताकि उनकी मदद से लोग मसीहा को पहचान सकें। इसे समझने के लिए एक उदाहरण लीजिए। आपसे कहा जाता है कि आप बस अड्डे पर किसी व्यक्‍ति को लेने जाएँ। मगर मुश्‍किल यह है कि आपने उसे पहले कभी नहीं देखा। तो आप उसे पहचानेंगे कैसे? अगर आपको उसके बारे में कुछ बताया जाए, जैसे वह दिखने में कैसा है, तो आपका काम आसान हो जाएगा। उसी तरह यहोवा ने अपने भविष्यवक्‍ताओं के ज़रिए मसीहा के बारे में कुछ बातें बतायी थीं, जैसे वह क्या-क्या काम करेगा और उसके साथ क्या होगा। जब ये भविष्यवाणियाँ पूरी हुईं तो जो लोग सच्चे मन से मसीहा का इंतज़ार कर रहे थे वे पहचान गए कि यीशु ही मसीहा है।

7. ऐसी दो भविष्यवाणियाँ बताइए जो साबित करती हैं कि यीशु ही मसीहा है।

7 आइए हम इन भविष्यवाणियों में से दो पर ध्यान दें। पहली भविष्यवाणी मीका की है। यीशु के जन्म से 700 साल पहले उसने भविष्यवाणी की थी कि मसीहा एक छोटे-से नगर बेतलेहेम में पैदा होगा। (मीका 5:2) और यीशु वहीं पैदा हुआ! (मत्ती 2:1, 3-9) दूसरी भविष्यवाणी दानियेल की है। उसने बताया था कि मसीहा ईसवी सन्‌ 29 में आएगा। (दानियेल 9:25) और ऐसा ही हुआ! ये उन ढेरों भविष्यवाणियों में से सिर्फ दो हैं जो साबित करती हैं कि यीशु ही वादा किया गया मसीहा है।—“70 हफ्तों की भविष्यवाणी” देखिए।

अपने बपतिस्मे पर यीशु मसीहा बना

8, 9. यीशु के बपतिस्मे पर ऐसा क्या हुआ जो साबित करता है कि वही मसीहा है?

8 खुद यहोवा ने भी साफ-साफ बताया था कि यीशु ही मसीहा है। उसने यूहन्‍ना नाम के आदमी को एक निशानी दी ताकि वह मसीहा को पहचान सके। यूहन्‍ना लोगों को पानी में डुबकी लगवाकर बपतिस्मा देता था। ईसवी सन्‌ 29 में जब यीशु, यूहन्‍ना से बपतिस्मा लेने के लिए यरदन नदी पर आया तो यूहन्‍ना ने वह निशानी देखी। बाइबल बताती है कि उस वक्‍त क्या हुआ: “बपतिस्मा लेने के बाद यीशु फौरन पानी में से ऊपर आया। तब आकाश खुल गया और उसने परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति को एक कबूतर के रूप में उस पर उतरते देखा। तभी स्वर्ग से आवाज़ आयी: ‘यह मेरा प्यारा बेटा है। मैंने इसे मंज़ूर किया है।’” (मत्ती 3:16, 17) जब यूहन्‍ना ने पवित्र शक्‍ति को यीशु पर उतरते देखा और स्वर्ग से परमेश्‍वर की आवाज़ सुनी, तो वह जान गया कि यीशु ही मसीहा है। (यूहन्‍ना 1:32-34) उस दिन यहोवा ने यीशु को अपनी पवित्र शक्‍ति दी और वह मसीहा बन गया। वही था जिसे परमेश्‍वर ने अगुवा और राजा चुना था।—यशायाह 55:4.

9 बाइबल की भविष्यवाणियाँ, स्वर्ग से यहोवा की आवाज़ और यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले को दी निशानी, ये सब दिखाते हैं कि यीशु ही मसीहा है। लेकिन यीशु कहाँ से आया था और वह कैसा इंसान था? आइए देखें कि इस बारे में बाइबल क्या सिखाती है।

यीशु कहाँ से आया था?

10. बाइबल के मुताबिक धरती पर आने से पहले यीशु कहाँ था?

10 बाइबल सिखाती है कि धरती पर आने से पहले यीशु लंबे समय तक स्वर्ग में जीया था। मीका ने कहा कि मसीहा की “शुरूआत बहुत पहले, युगों पहले हुई थी।” (मीका 5:2) खुद यीशु ने भी कई बार कहा था कि धरती पर पैदा होने से पहले वह स्वर्ग में था। (यूहन्‍ना 3:13; 6:38, 62; 17:4, 5 पढ़िए।) और तब से ही यहोवा के साथ उसका खास रिश्‍ता था।

11. यीशु क्यों यहोवा को बहुत प्यारा है?

11 यीशु यहोवा को बहुत प्यारा है। क्यों? क्योंकि उसने सबसे पहले यीशु को ही बनाया था। इसलिए यीशु को “सारी सृष्टि में पहलौठा” कहा गया है। * (कुलुस्सियों 1:15) यीशु यहोवा को इसलिए भी बहुत प्यारा है क्योंकि यहोवा ने खुद उसकी सृष्टि की थी। इसलिए उसे परमेश्‍वर का “इकलौता बेटा” कहा गया है। (यूहन्‍ना 3:16) इसके अलावा, यीशु के ज़रिए ही यहोवा ने बाकी सारी चीज़ें बनायीं। (कुलुस्सियों 1:16) और सिर्फ यीशु को ही “वचन” कहा गया है क्योंकि यहोवा उसके ज़रिए स्वर्गदूतों और इंसानों को अपना संदेश और निर्देश देता था।—यूहन्‍ना 1:14.

12. हम कैसे जानते हैं कि यीशु और परमेश्‍वर एक नहीं बल्कि अलग-अलग हैं?

12 कुछ लोग मानते हैं कि यीशु और परमेश्‍वर अलग-अलग नहीं बल्कि एक ही हैं। लेकिन बाइबल ऐसा नहीं सिखाती। बाइबल बताती है कि यीशु की सृष्टि की गयी थी। इसका मतलब है कि उसकी एक शुरूआत है। लेकिन यहोवा जिसने सबकुछ बनाया है, उसकी कोई शुरूआत नहीं। (भजन 90:2) इसके अलावा, यीशु ने कभी परमेश्‍वर के बराबर बनने की नहीं सोची। बाइबल में साफ-साफ लिखा है कि पिता बेटे से बड़ा है। (यूहन्‍ना 14:28 पढ़िए; 1 कुरिंथियों 11:3) सिर्फ यहोवा ही “सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर” है। (उत्पत्ति 17:1) पूरे विश्‍व में वही सबसे शक्‍तिशाली और महान है!—“त्रिएक की शिक्षा झूठी है” देखिए।

13. बाइबल क्यों कहती है कि यीशु “अदृश्‍य परमेश्‍वर की छवि” है?

13 धरती और स्वर्ग के बनाए जाने से बहुत पहले, यहोवा और उसके बेटे यीशु ने करोड़ों साल साथ मिलकर काम किया। तो सोचिए उनके बीच कितना गहरा प्यार होगा! (यूहन्‍ना 3:35; 14:31) पिता में जो गुण थे वही गुण यीशु ने अपने अंदर बढ़ाए। उसने इस हद तक पिता के गुण दिखाए कि बाइबल बताती है कि वह “अदृश्‍य परमेश्‍वर की छवि” है।—कुलुस्सियों 1:15.

14. यीशु एक इंसान के तौर पर कैसे पैदा हुआ?

14 यहोवा का यह प्यारा बेटा खुशी-खुशी स्वर्ग छोड़कर धरती पर आया। उसने एक इंसान के तौर पर जन्म लिया। लेकिन यह कैसे मुमकिन हुआ? यहोवा ने एक चमत्कार किया। उसने अपने बेटे का जीवन स्वर्ग से लेकर धरती पर मरियम नाम की एक कुँवारी के गर्भ में डाला। इसलिए यीशु का कोई इंसानी पिता नहीं था। मरियम ने एक ऐसे बेटे को जन्म दिया जिसमें कोई पाप नहीं था। उसने उसका नाम यीशु रखा।—लूका 1:30-35.

यीशु कैसा इंसान था?

15. आप यहोवा को और भी अच्छी तरह कैसे जान सकते हैं?

15 यीशु कैसा इंसान था, उसमें कौन-से गुण थे और उसने अपनी ज़िंदगी में क्या-क्या किया, इस बारे में आप बाइबल की चार किताबों से बहुत कुछ जान सकते हैं। ये किताबें हैं मत्ती, मरकुस, लूका और यूहन्‍ना। इन किताबों को खुशखबरी की किताबें कहा जाता है। यीशु एकदम अपने पिता जैसा था, इसलिए उसके बारे में सीखने से आप यहोवा को और भी अच्छी तरह जान पाएँगे। यही वजह है कि यीशु कह पाया, “जिसने मुझे देखा है उसने पिता को भी देखा है।”—यूहन्‍ना 14:9.

16. (क) यीशु ने लोगों को क्या सिखाया? (ख) यीशु ने जो सिखाया वह किसकी तरफ से था?

16 कई लोगों ने यीशु को “गुरु” कहा क्योंकि वह लोगों को सिखाता था। (यूहन्‍ना 1:38; 13:13) उसने लोगों को जो सबसे ज़रूरी बात सिखायी, वह थी “राज की खुशखबरी।” यह राज क्या है? यह परमेश्‍वर का राज है जो स्वर्ग से धरती पर हुकूमत करेगा। यह उन लोगों को ढेरों आशीषें देगा जो परमेश्‍वर की आज्ञा मानते हैं। (मत्ती 4:23) यीशु ने वही बातें सिखायीं जो उसने यहोवा से सीखी थीं। उसने कहा, “जो मैं सिखाता हूँ वह मेरी तरफ से नहीं बल्कि उसकी तरफ से है जिसने मुझे भेजा है।” (यूहन्‍ना 7:16) यीशु जानता था कि यहोवा की क्या मरज़ी है। उसकी मरज़ी है कि लोगों को यह खुशखबरी सुनायी जाए कि परमेश्‍वर का राज पूरी धरती पर हुकूमत करेगा।

17. (क) यीशु सिखाने के लिए कहाँ-कहाँ गया? (ख) उसने दूसरों को सिखाने में क्यों मेहनत की?

17 यीशु लोगों को सिखाने के लिए कहाँ-कहाँ गया? ऐसी हर जगह जहाँ लोग मिल सकते थे। जैसे घरों में, बाज़ारों में, उपासना की जगहों में, गाँवों में, शहरों में, यहाँ तक कि दूर-दूर के इलाकों में भी। यीशु एक जगह पर बैठा नहीं रहा कि लोग उसके पास आएँ बल्कि वह खुद लोगों के पास गया। (मरकुस 6:56; लूका 19:5, 6) वह बहुत मेहनती था। उसने अपना सारा समय और ताकत लोगों को सिखाने में लगाया। क्यों? क्योंकि वह जानता था कि उसके पिता की यही मरज़ी है और उसने हमेशा अपने पिता की मरज़ी पूरी की। (यूहन्‍ना 8:28, 29) यीशु ने लोगों को इसलिए भी सिखाया क्योंकि उसे उन पर तरस आता था। (मत्ती 9:35, 36 पढ़िए।) उसने देखा कि धर्म गुरु उन्हें परमेश्‍वर और उसके राज के बारे में सच्चाई नहीं सिखा रहे हैं। इसलिए उसने ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को खुशखबरी सुनायी।

18. यीशु का कौन-सा गुण आपको सबसे ज़्यादा पसंद आया?

18 यीशु को लोगों से प्यार था और वह उनकी परवाह करता था। वह सबके साथ प्यार से पेश आया। उससे बात करने में लोगों को कभी कोई झिझक महसूस नहीं हुई। यहाँ तक कि छोटे-छोटे बच्चे भी उसके पास आते थे। (मरकुस 10:13-16) यीशु ने कभी किसी की तरफदारी नहीं की। उसे नाइंसाफी और भ्रष्टाचार से नफरत थी। (मत्ती 21:12, 13) उस ज़माने में औरतों को नीचा देखा जाता था और उन्हें कम अधिकार दिए जाते थे। लेकिन यीशु ने हमेशा औरतों का आदर किया और वह उनके साथ गरिमा से पेश आया। (यूहन्‍ना 4:9, 27) यीशु दिल से नम्र था। उदाहरण के लिए, एक शाम उसने अपने चेलों के पैर धोए। यह ऐसा काम था जो आम तौर पर उस ज़माने में नौकर किया करते थे।—यूहन्‍ना 13:2-5, 12-17.

यीशु ने ऐसी हर जगह प्रचार किया जहाँ लोग मिल सकते थे

19. कौन-सा उदाहरण दिखाता है कि यीशु लोगों की असल ज़रूरत जानता था और उनकी मदद करना चाहता था?

19 यीशु जानता था कि लोगों की असल ज़रूरत क्या है और वह दिल से उनकी मदद करना चाहता था। हम यह कैसे जानते हैं? जब भी यीशु परमेश्‍वर की ताकत से बीमारों को ठीक करता था तब यह बात साफ नज़र आती थी। (मत्ती 14:14) उदाहरण के लिए, एक बार एक कोढ़ी ने यीशु के पास आकर कहा, “बस अगर तू चाहे, तो मुझे शुद्ध कर सकता है।” उसकी दर्दनाक हालत देखकर यीशु तड़प उठा और उसे उस पर तरस आया। यीशु उसकी मदद करना चाहता था, इसलिए उसने अपना हाथ बढ़ाकर उसे छुआ और कहा, “हाँ, मैं चाहता हूँ। शुद्ध हो जा।” और वह कोढ़ी एकदम ठीक हो गया! (मरकुस 1:40-42) क्या आप उस आदमी की खुशी का अंदाज़ा लगा सकते हैं?

यीशु अपने पिता का वफादार रहा

20, 21. परमेश्‍वर की आज्ञा मानने में यीशु कैसे एक बढ़िया मिसाल है?

20 परमेश्‍वर की आज्ञा मानने में यीशु एक बढ़िया मिसाल है। उसके साथ जो भी हुआ या उसके दुश्‍मनों ने उस पर कितने ही ज़ुल्म किए, मगर वह अपने पिता का वफादार बना रहा। उदाहरण के लिए, शैतान के फुसलाने पर भी उसने कोई पाप नहीं किया। (मत्ती 4:1-11) यीशु के परिवार के कुछ लोगों ने विश्‍वास नहीं किया कि वह मसीहा है और उन्होंने कहा कि उसका “दिमाग फिर गया है।” फिर भी यीशु परमेश्‍वर का दिया काम करता रहा। (मरकुस 3:21) जब दुश्‍मन बड़ी बेरहमी से उसके साथ पेश आए तब भी वह परमेश्‍वर का वफादार बना रहा और उसने उनसे बदला नहीं लिया।—1 पतरस 2:21-23.

21 यहाँ तक कि जब यीशु को दर्दनाक मौत मरना पड़ा तब भी वह यहोवा का वफादार बना रहा। (फिलिप्पियों 2:8 पढ़िए।) ध्यान दीजिए कि उसे अपनी ज़िंदगी के आखिरी दिन में कितना कुछ सहना पड़ा। उसे गिरफ्तार किया गया, झूठे गवाहों ने उस पर इलज़ाम लगाया कि वह परमेश्‍वर के खिलाफ बोलता है, भ्रष्ट न्यायियों ने उसे सज़ा सुनायी, भीड़ ने उसकी हँसी उड़ायी और सैनिकों ने उसे तड़पाया और कीलों से काठ पर ठोंक दिया। आखिरी साँस लेते वक्‍त उसने ज़ोर से कहा, “पूरा हुआ!” (यूहन्‍ना 19:30) उसकी मौत के तीन दिन बाद यहोवा ने उसे ज़िंदा किया और उसे अदृश्‍य शरीर दिया। (1 पतरस 3:18) कुछ हफ्तों बाद यीशु स्वर्ग लौट गया और “परमेश्‍वर के दाएँ हाथ जा बैठा” और उस वक्‍त का इंतज़ार करने लगा जब परमेश्‍वर उसे राजा बनाएगा।—इब्रानियों 10:12, 13.

22. यीशु अपने पिता का वफादार रहा, इससे हमें क्या मौका मिला है?

22 यीशु अपने पिता का वफादार रहा, इसलिए आज हमें एक मौका मिला है। जब परमेश्‍वर इस धरती को एक सुंदर बगीचे में बदल देगा तो हम उसमें हमेशा के लिए जी सकेंगे। तब इंसानों को बनाने का परमेश्‍वर का मकसद पूरा हो जाएगा। अगले अध्याय में हम चर्चा करेंगे कि यीशु की मौत से कैसे हमारे लिए हमेशा जीना मुमकिन होगा

^ पैरा. 11 यहोवा को पिता कहा गया है क्योंकि वह सृष्टिकर्ता है। (यशायाह 64:8) यीशु को परमेश्‍वर का बेटा कहा गया है क्योंकि यहोवा ने उसकी सृष्टि की थी। आदम और स्वर्गदूतों को भी परमेश्‍वर के बेटे कहा गया है।—अय्यूब 1:6; लूका 3:38.