पाठ 29
यहोवा ने यहोशू को चुना
मूसा ने कई सालों तक इसराएल राष्ट्र की अगुवाई की थी। अब उसकी मौत करीब थी। यहोवा ने उससे कहा, ‘तू इसराएलियों को वादा किए देश में नहीं ले जाएगा। मगर मैं तुझे वह देश देखने का मौका दूँगा।’ तब मूसा ने यहोवा से गुज़ारिश की कि वह लोगों की देखभाल करने के लिए एक नया अगुवा चुने। यहोवा ने उससे कहा, ‘यहोशू के पास जा और उससे कह कि मैंने उसे अगुवा चुना है।’
मूसा ने इसराएल राष्ट्र से कहा कि बहुत जल्द उसकी मौत हो जाएगी और यहोवा ने यहोशू को अगुवा चुना है जो उन्हें वादा किए गए देश में ले जाएगा। फिर मूसा ने यहोशू से कहा, ‘तू मत डरना। यहोवा तेरी मदद करेगा।’ इसके कुछ ही समय बाद मूसा नबो पहाड़ की चोटी पर गया। वहाँ से यहोवा ने उसे वह देश दिखाया जिसके बारे में उसने अब्राहम, इसहाक और याकूब से वादा किया था। फिर मूसा की मौत हो गयी। वह 120 साल का था।
यहोवा ने यहोशू से कहा, ‘यरदन नदी पार करके कनान देश जा। जैसे मैंने मूसा की मदद की थी वैसे ही मैं तेरी मदद करूँगा। तू हर दिन मेरा कानून ज़रूर पढ़ना। तू मत डरना बल्कि हिम्मत रखना। अब जा और वही कर जिसकी मैंने तुझे आज्ञा दी है।’
यहोशू ने यरीहो शहर देख आने के लिए दो जासूस भेजे। अगली कहानी में हम देखेंगे कि वहाँ क्या हुआ। जब वे जासूस यहोशू के पास लौट आए तो उन्होंने खबर दी कि कनान जाने का यह सही वक्त है। अगले दिन यहोशू ने इसराएलियों से कहा कि वे अपना सामान बाँध लें। फिर उसने करार का संदूक उठानेवाले याजकों से कहा कि वे सबसे पहले यरदन नदी तक जाएँ। नदी में पानी एकदम भरा हुआ था। मगर जैसे ही याजकों ने पानी पर पैर रखा, नदी का बहना बंद हो गया और जहाँ वे खड़े थे वहाँ का पानी सूख गया! याजक चलकर नदी के बीचों-बीच गए और सूखी ज़मीन पर तब तक खड़े रहे जब तक कि पूरे इसराएल राष्ट्र ने नदी को पार न कर लिया। आपको क्या लगता है, क्या इस चमत्कार से उन्हें वह चमत्कार याद आया होगा जो यहोवा ने लाल सागर के पास किया था?
इतने सालों बाद इसराएली वादा किए गए देश में पहुँच गए। अब वे वहाँ घर और शहर बना सकते थे। वे खेती-बाड़ी कर सकते, अंगूरों के बाग और दूसरे फलों के बाग लगा सकते थे। वह वाकई ऐसा देश था जहाँ दूध और शहद की धाराएँ बहती थीं।
“यहोवा हमेशा तुम्हारे आगे-आगे चलेगा और सूखे देश में भी तुम्हें तृप्त करेगा।”—यशायाह 58:11