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पाठ 30

राहाब ने जासूसों को छिपाया

राहाब ने जासूसों को छिपाया

जब इसराएली जासूस यरीहो शहर गए तो वे राहाब नाम की एक औरत के घर रुके। यह बात यरीहो के राजा को पता चल गयी। इसलिए उसने अपने सैनिकों को राहाब के घर भेजा। राहाब ने जासूसों को छत पर छिपा दिया और सैनिकों को दूसरे रास्ते से भेज दिया। राहाब ने जासूसों से कहा, ‘मैं तुम्हारी मदद करूँगी क्योंकि मैं जानती हूँ कि यहोवा तुम्हारे साथ है और तुम इस देश को जीत लोगे। मुझसे वादा करो कि तुम मेरे परिवार को बचाओगे।’

जासूसों ने राहाब से कहा, ‘हम वादा करते हैं कि जो भी तेरे घर के अंदर होगा उसे कुछ नहीं होगा।’ फिर उन्होंने कहा, ‘तू अपनी खिड़की पर एक लाल रस्सी बाँधना और तुम्हारा परिवार बच जाएगा।’

राहाब ने जासूसों को एक रस्सी के सहारे खिड़की से नीचे उतार दिया। वे पहाड़ों पर चले गए और तीन दिन वहाँ छिपे रहे जिसके बाद वे यहोशू के पास लौट गए। फिर इसराएलियों ने यरदन नदी पार की और कनान देश को जीतने की तैयारी की। सबसे पहले उन्होंने यरीहो शहर को जीता। जानते हो कैसे? यहोवा ने उनसे कहा कि वे दिन में एक बार शहर के चारों तरफ चक्कर लगाएँ और ऐसा वे छ: दिन तक करें। सातवें दिन उन्होंने सात बार शहर के चक्कर काटे। इसके बाद याजकों ने तुरहियाँ फूँकीं और सैनिक पूरा ज़ोर लगाकर चिल्लाने लगे। तब शहर की दीवारें टूटकर गिर गयीं! मगर राहाब का घर, जो शहर की दीवार पर था, नहीं गिरा। वह और उसका परिवार बच गया क्योंकि उसने यहोवा पर भरोसा रखा।

“इसी तरह, क्या राहाब . . . कामों से नेक नहीं मानी गयी क्योंकि उसने दूतों को अपने घर में ठहराया और फिर उन्हें दूसरे रास्ते से भेज दिया?”—याकूब 2:25