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पाठ 59

चार लड़के जिन्होंने यहोवा की आज्ञा मानी

चार लड़के जिन्होंने यहोवा की आज्ञा मानी

जब नबूकदनेस्सर यहूदा के शाही घराने के नौजवानों को बैबिलोन ले गया तो उसने उन्हें अशपनज नाम के एक दरबारी के हाथ में सौंपा। नबूकदनेस्सर ने अशपनज से कहा कि वह उनमें से सबसे सेहतमंद और होशियार लड़कों को चुने। उन लड़कों को तीन साल तक सिखाया जाता ताकि वे बैबिलोन में बड़े-बड़े अधिकारी बनें। उन्हें बैबिलोन की अक्कादी भाषा पढ़ना, लिखना और बोलना सीखना था। उन्हें वही खाना खाना था जो राजा और उसके दरबारी खाते थे। उनमें से चार लड़के थे दानियेल, हनन्याह, मीशाएल और अजरयाह। अशपनज ने उन्हें नए बैबिलोनी नाम दिए: बेलतशस्सर, शदरक, मेशक और अबेदनगो। क्या बैबिलोन की पढ़ाई की वजह से उन्होंने यहोवा की सेवा करनी छोड़ दी?

उन चार लड़कों ने ठान लिया था कि वे यहोवा की बात मानेंगे। वे जानते थे कि उन्हें शाही खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि उस खाने में से कुछ चीज़ें यहोवा के कानून के मुताबिक अशुद्ध थीं। इसलिए उन्होंने अशपनज से बिनती की, ‘हमें शाही खाना मत दे।’ अशपनज ने उनसे कहा, ‘अगर तुम शाही खाना नहीं खाओगे और राजा को कमज़ोर दिखोगे तो वह मुझे मार डालेगा!’

तब दानियेल को एक तरकीब सूझी। उसने उस आदमी से बिनती की जिसे उनकी देखभाल की ज़िम्मेदारी दी गयी थी, ‘हमें दस दिन के लिए सिर्फ सब्ज़ी और पानी दे। फिर देख कि कौन दिखने में अच्छा लगता है, हम या शाही खाना खानेवाले लड़के।’ वह आदमी मान गया।

दस दिन बाद दानियेल और उसके तीन दोस्त बाकी सब लड़कों से ज़्यादा सेहतमंद दिख रहे थे। यहोवा को यह देखकर अच्छा लगा कि उन्होंने उसकी बात मानी। उसने दानियेल को ऐसी बुद्धि दी जिससे वह दर्शनों और सपनों का मतलब समझ सके।

जब अशपनज उन लड़कों को सिखा चुका तो वह उन्हें नबूकदनेस्सर के पास ले आया। राजा ने उनसे बात की और देखा कि दानियेल, हनन्याह, मीशाएल और अजरयाह बाकी सब लड़कों से ज़्यादा अक्लमंद और होशियार थे। उसने इन चारों को अपने शाही दरबार में काम करने के लिए चुना। राजा उनसे अकसर ज़रूरी मामलों पर सलाह माँगता था। यहोवा ने उन लड़कों को राजा के सभी ज्ञानियों और जादूगरों से ज़्यादा बुद्धिमान बनाया।

दानियेल, हनन्याह, मीशाएल और अजरयाह भले ही एक दूसरे देश में थे, फिर भी वे कभी नहीं भूले कि वे यहोवा के लोग हैं। क्या आप भी हमेशा यहोवा को याद रखेंगे, उस वक्‍त भी जब आपके माता-पिता आपके साथ नहीं होते?

“कोई भी तेरी कम उम्र की वजह से तुझे नीची नज़रों से न देखे। इसके बजाय, बोलने में, चालचलन में, प्यार में, विश्‍वास में और शुद्ध चरित्र बनाए रखने में विश्‍वासयोग्य लोगों के लिए एक मिसाल बन जा।”—1 तीमुथियुस 4:12