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पाठ 62

एक बड़े पेड़ जैसा राज

एक बड़े पेड़ जैसा राज

एक रात नबूकदनेस्सर को एक डरावना सपना आया। उसने अपने ज्ञानियों को बुलाकर पूछा कि उस सपने का क्या मतलब है। मगर उनमें से कोई उसे नहीं बता सका। आखिर में राजा ने दानियेल से बात की।

नबूकदनेस्सर ने दानियेल से कहा, ‘मैंने सपने में एक पेड़ देखा। वह इतना लंबा हो गया कि आसमान छूने लगा। उसे धरती के किसी भी कोने से देखा जा सकता था। उसके पत्ते बहुत सुंदर थे और उस पर बहुत-से फल लगे थे। उसकी छाया में जानवर आराम करते थे और उसकी डालियों पर चिड़ियाँ घोंसला बनाती थीं। फिर एक स्वर्गदूत आया। उसने ज़ोर से कहा, “इस पेड़ को और इसकी डालियों को काट डालो। मगर इसके ठूँठ को जड़ों के साथ ज़मीन में ही रहने दो। उसे लोहे और ताँबे के एक बंधन से बाँध दो। इस पेड़ का मन बदल जाएगा, इंसान का न रहकर जानवर का मन हो जाएगा और सात काल बीतेंगे। सब लोग जान जाएँगे कि इंसानी राज्यों पर परमेश्‍वर का राज है और वह जिसे चाहे उसके हाथ में राज देता है।”’

यहोवा ने दानियेल को बताया कि उस सपने का मतलब क्या है। जब दानियेल को उसका मतलब समझ आया तो वह डर गया। उसने कहा, ‘हे राजा, काश यह सपना तेरे दुश्‍मनों के बारे में होता! मगर यह तेरे बारे में है। जो बड़ा पेड़ काट दिया गया वह तू है। तू अपना राज खो देगा और एक जंगली जानवर की तरह मैदान में घास खाएगा। मगर क्योंकि स्वर्गदूत ने कहा कि ठूँठ को जड़ों के साथ ज़मीन में ही रहने दो, इसलिए इसका मतलब है कि तू फिर से राजा बन जाएगा।’

एक साल बाद जब नबूकदनेस्सर अपने महल की छत पर टहल रहा था तो वह बैबिलोन की शान की बड़ाई करने लगा। उसने कहा, ‘देखो, मैंने कितना बढ़िया शहर बनाया है। मैं कितना महान हूँ!’ जब वह ऐसा कह ही रहा था तो स्वर्ग से एक आवाज़ आयी, ‘नबूकदनेस्सर! अब तू अपना राज खो देगा।’

उसी वक्‍त नबूकदनेस्सर का दिमाग फिर गया और वह एक जंगली जानवर की तरह बरताव करने लगा। उसे महल से निकाल दिया गया और वह मैदान में जंगली जानवरों के साथ रहने लगा। उसके बाल उकाब पक्षी के पंखों जैसे लंबे हो गए और नाखून पक्षी के चंगुलों जैसे हो गए।

सात साल बीतने के बाद नबूकदनेस्सर पहले की तरह ठीक हो गया और यहोवा ने उसे बैबिलोन का राजा बनाया। तब नबूकदनेस्सर ने कहा, ‘मैं स्वर्ग के राजा यहोवा की तारीफ करता हूँ। अब मैं जान गया हूँ कि इंसानी राज्यों पर यहोवा का राज है। वह घमंडी लोगों को नीचा करता है और जिसे चाहे उसे राज दे सकता है।’

“विनाश से पहले घमंड और ठोकर खाने से पहले अहंकार होता है।”—नीतिवचन 16:18