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पाठ 71

यहोवा ने यीशु की जान बचायी

यहोवा ने यीशु की जान बचायी

इसराएल के पूरब में एक देश था जहाँ के लोग मानते थे कि तारे उन्हें राह दिखा सकते हैं। एक रात पूरब के कुछ आदमियों ने आसमान में एक ऐसी चीज़ देखी जो तारे की तरह तेज़ चमक रही थी और आगे बढ़ रही थी। वे आदमी उसके पीछे-पीछे जाने लगे। वह तारा उन्हें यरूशलेम ले गया। वहाँ उन्होंने लोगों से पूछा, ‘वह बच्चा कहाँ है जो बड़ा होकर यहूदियों का राजा बनेगा? हम उसे झुककर प्रणाम करने आए हैं।’

जब यरूशलेम के राजा हेरोदेस ने एक नए राजा के बारे में सुना तो वह बहुत चिंता में पड़ गया। उसने प्रधान याजकों से पूछा, ‘इस राजा को कहाँ पैदा होना है?’ उन्होंने कहा, ‘भविष्यवक्‍ताओं ने कहा था कि वह बेतलेहेम में पैदा होगा।’ तब हेरोदेस ने पूरब के उन आदमियों को बुलाया और उनसे कहा, ‘तुम बेतलेहेम जाओ और उस बच्चे को ढूँढ़ो। जब वह मिल जाए तो आकर मुझे बताना कि वह कहाँ है। मैं भी उसे झुककर प्रणाम करना चाहता हूँ।’ मगर हेरोदेस झूठ बोल रहा था।

तारा एक बार फिर आगे बढ़ने लगा। पूरब के आदमी उसका पीछा करते हुए बेतलेहेम पहुँचे। वहाँ तारा एक घर के ऊपर रुक गया। वे आदमी उस घर के अंदर गए और यीशु को उसकी माँ मरियम के साथ देखा। उन्होंने झुककर बच्चे को प्रणाम किया और उसे तोहफे में सोना, लोबान और गंधरस दिया। क्या यहोवा ने ही उन आदमियों को यीशु का पता लगाने के लिए भेजा था? नहीं।

उसी रात यहोवा ने एक सपने में यूसुफ से कहा, ‘हेरोदेस यीशु को मार डालना चाहता है। तू अपनी पत्नी और बेटे को लेकर मिस्र भाग जा। जब तक मैं न कहूँ, वहीं रहना।’ यूसुफ और उसका परिवार फौरन मिस्र चला गया।

यहोवा ने पूरब के आदमियों से कहा कि वे हेरोदेस के पास वापस न जाएँ। जब हेरोदेस ने देखा कि वे आदमी वापस नहीं आनेवाले तो उसे बहुत गुस्सा आया। वह यीशु को ढूँढ़ नहीं सकता था, इसलिए उसने हुक्म दिया कि बेतलेहेम में यीशु की उम्र के जितने भी छोटे लड़के हैं उन सबको मार डाला जाए। मगर यीशु बेतलेहेम से बहुत दूर मिस्र में था, इसलिए उसे कोई खतरा नहीं था।

कुछ समय बाद हेरोदेस मर गया। यहोवा ने यूसुफ से कहा, ‘अब कोई खतरा नहीं है, तू वापस जा सकता है।’ यूसुफ, मरियम और यीशु इसराएल लौट गए और वहाँ वे नासरत शहर में रहने लगे।

“वैसे ही मेरे मुँह से निकला वचन भी होगा। . . . जिस काम के लिए मैंने उसे भेजा है उसे ज़रूर अंजाम देगा।”—यशायाह 55:11