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पाठ 87

यीशु का आखिरी भोज

यीशु का आखिरी भोज

यहूदी हर साल नीसान महीने के 14वें दिन फसह मनाते थे। उन्हें यह त्योहार इसलिए मनाना था ताकि उन्हें याद रहे कि यहोवा ने कैसे उन्हें मिस्र की गुलामी से छुड़ाया था और वादा किए गए देश में लाया था। ईसवी सन्‌ 33 में यीशु और उसके प्रेषितों ने यरूशलेम के ऊपरी कमरे में फसह मनाया। जब उनका खाना खत्म होनेवाला था तो यीशु ने कहा, ‘तुममें से एक मेरे साथ विश्‍वासघात करेगा।’ यह सुनकर प्रेषित चौंक गए। वे यीशु से पूछने लगे, ‘वह कौन है?’ यीशु ने कहा, ‘जिसे मैं रोटी का यह टुकड़ा दूँगा, वही है।’ फिर उसने रोटी का टुकड़ा यहूदा इस्करियोती को दिया। इसके बाद यहूदा फौरन उठा और कमरे से चला गया।

फिर यीशु ने एक प्रार्थना की, एक रोटी के टुकड़े किए और अपने बचे हुए प्रेषितों को दिया। उसने उनसे कहा, ‘लो खाओ, यह मेरे शरीर की निशानी है जो मैं तुम्हारे लिए दे दूँगा।’ फिर उसने दाख-मदिरा के लिए प्रार्थना की और अपने प्रेषितों को दिया। उसने कहा, ‘यह दाख-मदिरा पीओ। यह मेरे खून की निशानी है, जो मैं इसलिए दूँगा ताकि लोगों को उनके पापों की माफी मिल सके। मैं तुमसे वादा करता हूँ कि तुम स्वर्ग में मेरे साथ राजा होगे। तुम मुझे याद करने के लिए हर साल ऐसा ही किया करना।’ आज भी हर साल उसी शाम यीशु के चेले साथ इकट्ठा होते हैं। उस सभा को ‘प्रभु का संध्या भोज’ कहा जाता है।

खाने के बाद प्रेषित आपस में झगड़ने लगे कि उनमें सबसे बड़ा कौन है। तब यीशु ने उन्हें समझाया, ‘तुममें सबसे बड़ा वह है जो खुद को सबसे छोटा समझता है यानी जो खुद को कुछ नहीं समझता।

तुम मेरे दोस्त हो। मैं तुम्हें वह सारी बातें बताता हूँ जो पिता चाहता है कि मैं तुम्हें बताऊँ। जल्द ही मैं अपने पिता के पास स्वर्ग चला जाऊँगा। तुम यहीं रहोगे और जब तुम एक-दूसरे से प्यार करोगे तो लोग जान जाएँगे कि तुम मेरे चेले हो। तुम एक-दूसरे से वैसे ही प्यार करो जैसे मैंने तुमसे प्यार किया है।’

आखिर में यीशु ने यहोवा से प्रार्थना की कि वह उसके सभी चेलों की रक्षा करे। उसने यहोवा से कहा कि वह उनकी मदद करे ताकि वे मिल-जुलकर काम कर सकें। उसने प्रार्थना की कि यहोवा का नाम पवित्र किया जाए। इसके बाद यीशु और उसके प्रेषितों ने यहोवा की तारीफ में गीत गाए और फिर बाहर चले गए। अब यीशु के गिरफ्तार होने का समय आ चुका था।

“हे छोटे झुंड, मत डर, क्योंकि तुम्हारे पिता ने तुम्हें राज देना मंज़ूर किया है।”—लूका 12:32