इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

पाठ 97

कुरनेलियुस ने पवित्र शक्‍ति पायी

कुरनेलियुस ने पवित्र शक्‍ति पायी

कैसरिया नाम के शहर में एक बड़ा रोमी अफसर रहता था। उसका नाम कुरनेलियुस था। वह यहूदी नहीं था, फिर भी यहूदी उसका आदर करते थे। वह गरीबों और ज़रूरतमंद लोगों की बहुत मदद करता था। वह यहोवा को मानता था और लगातार उसी से प्रार्थना करता था। एक दिन कुरनेलियुस को दर्शन में एक स्वर्गदूत दिखायी दिया। स्वर्गदूत ने उससे कहा, ‘परमेश्‍वर ने तेरी प्रार्थनाएँ सुनी हैं। अब तू अपने आदमियों को याफा शहर भेज। वहाँ पतरस ठहरा है और उसे तेरे पास आने के लिए कह।’ कुरनेलियुस ने फौरन तीन आदमियों को याफा भेजा जो करीब 50 किलोमीटर दूर दक्षिण की तरफ था।

इस बीच याफा में पतरस ने भी एक दर्शन देखा। उसने ऐसे जानवर देखे जिन्हें खाना यहूदियों के लिए मना था। उसने एक आवाज़ सुनी जो उससे कह रही थी कि वह उन जानवरों को खाए। मगर पतरस ने यह कहकर इनकार कर दिया, ‘मैंने ज़िंदगी में कभी किसी अशुद्ध जानवर को नहीं खाया है।’ तब आवाज़ ने उससे कहा, ‘तू इन जानवरों को अशुद्ध मत कह। परमेश्‍वर ने उन्हें शुद्ध किया है।’ पतरस को यह भी बताया गया, ‘तेरे दरवाज़े पर तीन आदमी खड़े हैं। तू उनके साथ जा।’ पतरस दरवाज़े पर गया और उसने उन आदमियों से उनके आने की वजह पूछी। उन्होंने कहा, ‘हमें एक रोमी अफसर कुरनेलियुस ने भेजा है। उसने तुझे कैसरिया में अपने घर बुलाया है।’ पतरस ने उनसे कहा कि वे उसके मेहमान बनकर रात को उसके घर रुकें। अगले दिन वह उनके साथ कैसरिया गया। याफा के कुछ भाई भी उनके साथ गए।

काफी इंतज़ार के बाद जब कुरनेलियुस पतरस से मिला तो उसने पतरस के पैरों पर गिरकर उसे प्रणाम किया। मगर पतरस ने कहा, ‘खड़ा हो! मैं भी तेरे जैसा एक इंसान हूँ। परमेश्‍वर ने मुझे तेरे घर आने के लिए कहा, इसके बावजूद कि यहूदी गैर-यहूदियों के घर नहीं जाते। अब मुझे बता कि तूने मुझे क्यों बुलाया है।’

कुरनेलियुस ने पतरस को बताया, ‘चार दिन पहले जब मैं परमेश्‍वर से प्रार्थना कर रहा था तो एक स्वर्गदूत ने मुझसे कहा कि मैं तुझे अपने यहाँ बुलवाऊँ। मेहरबानी करके हमें यहोवा की बातें सिखा।’ पतरस ने कहा, ‘अब मैं जान गया हूँ कि परमेश्‍वर भेदभाव नहीं करता। जो कोई उसकी उपासना करना चाहता है, उसे वह स्वीकार करता है।’ पतरस ने उन्हें यीशु के बारे में बहुत-सी बातें सिखायीं। इसके बाद कुरनेलियुस और उसके साथ जो लोग थे, उन सब पर पवित्र शक्‍ति आयी और उन्होंने बपतिस्मा लिया।

“हर वह इंसान जो उसका डर मानता है और सही काम करता है, फिर चाहे वह किसी भी राष्ट्र का क्यों न हो, उसे [परमेश्‍वर] स्वीकार करता है।”—प्रेषितों 10:35