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भाग 7 में क्या है

भाग 7 में क्या है

इस भाग में राजा शाऊल और राजा दाविद की ज़िंदगी की कहानी दी गयी है, यानी करीब 80 साल की घटनाएँ। शाऊल शुरू में नम्र था और परमेश्‍वर का डर मानता था, पर जल्द ही वह बदल गया और उसने यहोवा की बात माननी छोड़ दी। यहोवा ने उसे ठुकरा दिया और कुछ समय बाद शमूएल से कहा कि वह दाविद का अभिषेक करे जो इसराएल का अगला राजा होगा। शाऊल, दाविद से जलने लगा और उसने कई बार दाविद को मार डालने की कोशिश की। मगर दाविद ने कभी-भी शाऊल से बदला नहीं लिया। शाऊल का बेटा योनातान जानता था कि दाविद को यहोवा ने चुना है, इसलिए वह दाविद का वफादार रहा। दाविद ने कुछ गंभीर पाप किए, मगर जब यहोवा ने उसे सुधारा तो उसने इनकार नहीं किया। अगर आपके बच्चे हैं तो उन्हें समझाइए कि हमें हमेशा यहोवा की आज्ञा माननी चाहिए और उसके वफादार रहने चाहिए। साथ ही, यहोवा ने जिन लोगों को अगुवाई करने के लिए चुना है, हमें उनकी बात माननी चाहिए और उनके वफादार रहना चाहिए।

इस भाग में

पाठ 39

इसराएल का पहला राजा

परमेश्‍वर ने इसराएलियों को सही राह दिखाने के लिए न्यायी दिए, मगर उन्होंने राजा की माँग की। शमूएल ने शाऊल का अभिषेक किया ताकि वह राजा बने, मगर बाद में यहोवा ने उसे ठुकरा दिया। क्यों?

पाठ 40

दाविद और गोलियात

यहोवा, दाविद को इसराएल का अगला राजा चुनता है और दाविद साबित करता है कि यहोवा का फैसला सही है।

पाठ 41

दाविद और शाऊल

इनमें से एक आदमी दूसरे से क्यों नफरत करता है? जिससे नफरत की गयी वह कैसे पेश आता है?

पाठ 42

योनातान—एक बहादुर और वफादार इंसान

राजा का बेटा, दाविद का अच्छा दोस्त बन जाता है।

पाठ 43

राजा दाविद का पाप

एक गलत फैसले की वजह से कई मुसीबतें आ जाती हैं।