भाग 12 में क्या है
यीशु ने लोगों को स्वर्ग के राज के बारे में सिखाया। उसने उन्हें यह भी सिखाया कि वे प्रार्थना करें कि परमेश्वर का नाम पवित्र किया जाए, उसका राज आए और उसकी मरज़ी धरती पर पूरी हो। अगर आपके बच्चे हैं तो उन्हें यह समझने में मदद दीजिए कि यह प्रार्थना हमारे लिए क्या मायने रखती है। यीशु शैतान के बहकावे में नहीं आया और परमेश्वर का वफादार रहा। उसने प्रेषितों को चुना और वे परमेश्वर के राज के सबसे पहले सदस्य बने। गौर कीजिए कि यीशु में सच्ची उपासना के लिए कितना जोश था। वह दूसरों की मदद करना चाहता था, इसलिए उसने बीमारों को ठीक किया, भूखों को खिलाया और मरे हुओं को भी ज़िंदा किया। ये सारे चमत्कार करके उसने दिखाया कि परमेश्वर का राज इंसानों के लिए क्या करेगा।
इस भाग में
पाठ 75
शैतान ने यीशु की परीक्षा ली
शैतान तीन बार यीशु की परीक्षा लेता है। वह तीन बार कैसे यीशु को फुसलाने की कोशिश करता है? तब यीशु क्या करता है?
पाठ 76
यीशु ने मंदिर को शुद्ध किया
यीशु क्यों जानवरों को मंदिर से भगा देता है और पैसा बदलनेवाले सौदागरों की मेज़ें पलट देता है?
पाठ 77
कुएँ के पास एक औरत
एक सामरी औरत यह देखकर हैरान रह जाती है कि यीशु उससे बात कर रहा है। क्यों? यीशु उसे ऐसी कौन-सी बात बताता है जो उसने किसी और को नहीं बतायी थी?
पाठ 78
यीशु ने राज का प्रचार किया
यीशु अपने कुछ चेलों को न्यौता देता है कि वे ‘इंसानों को पकड़नेवाले बनें।’ बाद में वह अपने 70 चेलों को सिखाता है कि वे खुशखबरी कैसे सुनाएँ।
पाठ 79
यीशु ने बहुत-से चमत्कार किए
वह जहाँ कहीं जाता है बीमार लोग मदद के लिए उसके पास आते हैं और वह उन्हें ठीक करता है। यहाँ तक कि जब एक छोटी लड़की मर जाती है तो वह उसे ज़िंदा कर देता है।
पाठ 82
यीशु ने प्रार्थना करना सिखाया
यीशु चेलों को किन बातों के बारे में माँगते रहने के लिए कहता है?
पाठ 83
यीशु ने हज़ारों लोगों को खाना खिलाया
इस चमत्कार से हम यीशु और यहोवा के बारे में क्या जान पाते हैं?
पाठ 86
यीशु ने लाज़र को ज़िंदा किया
जब यीशु मरियम को रोते हुए देखता है तो वह भी रो पड़ता है। मगर बहुत जल्द उनके दुख के आँसू खुशी के आँसुओं में बदल जाते हैं।