भाग 14 में क्या है
शुरू के मसीहियों ने दुनिया के सबसे दूर के इलाकों में जाकर राज की खुशखबरी सुनायी। यीशु उन्हें बताता रहा कि उन्हें कहाँ-कहाँ प्रचार करना है। उसने चमत्कार से उन्हें लोगों को उनकी अपनी भाषा में सिखाने की काबिलीयत दी। जब उन्हें बुरी तरह सताया गया तो यहोवा ने उन्हें इसका सामना करने की हिम्मत दी।
यीशु ने प्रेषित यूहन्ना को यहोवा की महिमा का दर्शन दिखाया। एक और दर्शन में यूहन्ना ने देखा कि स्वर्ग के राज ने शैतान को हरा दिया और उसकी हुकूमत को हमेशा के लिए मिटा दिया। यूहन्ना ने यह भी देखा कि यीशु राजा बनकर राज कर रहा है और उसके साथ 1,44,000 जन भी राज कर रहे हैं। यूहन्ना ने दर्शन में यह भी
देखा कि पूरी धरती एक फिरदौस बन गयी है और सब लोग शांति और एकता से यहोवा की उपासना कर रहे हैं।इस भाग में
पाठ 95
वे प्रचार करने से नहीं रुके
जिन धर्म गुरुओं ने यीशु को मरवा डाला था वे अब उसके चेलों का प्रचार काम बंद करवाने की कोशिश करते हैं। मगर वे नाकाम हो जाते हैं।
पाठ 96
यीशु ने शाऊल को चुना
शाऊल, मसीहियों का दुश्मन है और वह उन्हें बुरी तरह सताता है। मगर अब वह बदलनेवाला है।
पाठ 97
कुरनेलियुस ने पवित्र शक्ति पायी
परमेश्वर, पतरस को इस आदमी के घर क्यों भेजता है जो एक यहूदी नहीं है?
पाठ 98
मसीही धर्म कई देशों में फैल गया
प्रेषित पौलुस और उसके मिशनरी साथी दूर-दूर के देशों में प्रचार काम शुरू करते हैं।
पाठ 101
पौलुस को रोम भेजा गया
इस सफर में खतरे-ही-खतरे हैं, मगर कोई भी मुश्किल इस प्रेषित का जोश ठंडा नहीं कर सकती।
पाठ 103
“तेरा राज आए”
जब यूहन्ना को दर्शन दिखाए गए कि आगे क्या-क्या होगा तो उसे यह भी बताया गया कि परमेश्वर का राज धरती पर इंसानों की ज़िंदगी कैसे बदल देगा।