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गीत 19

प्रभु का संध्या-भोज

प्रभु का संध्या-भोज

(मत्ती 26:26-30)

  1. 1. आसमानी पिता, हे यहोवा,

    इस शाम के हैं मायने गहरे!

    थी फसह की वो रात जो आज करते हैं याद,

    किया था इंसाफ जब तूने।

    विश्‍वास करके मेम्ने के खून पे,

    आज़ाद तेरे लोग हो सके।

    सद्‌-यों बाद इसी शाम, दिया यीशु ने दाम,

    अपनी जान दी हमारे लिए।

  2. 2. हैं रोटी और प्याला जो सामने,

    ये हमको दिलाते हैं याद।

    था फिरौती का मोल,

    तेरा बेटा अनमोल;

    कुरबानी ये ना थी आसाँ।

    यादगारी मनाते हम दिल से;

    तूने हमें कीमती समझा!

    इस रहम से तेरे

    मिला मौका हमें

    कि हम हो सकें मौत से रिहा।

  3. 3. यहोवा, जो तूने बुलाया,

    कैसे कर सकते हम इनकार?

    जब हम पापी ही थे

    दिया बेटा तूने,

    किया अपने प्यार का इज़हार।

    एहसान तेरा मानते हम दिल से,

    यीशु के भी हैं कदरदान;

    जिसने रास्ता खोला, तुझसे रिश्‍ता जुड़ा

    कि सदा का पाएँ जीवन-दान।