गीत 77
अँधेरी दुनिया में सच्चाई की रौशनी
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1. स्याही-सा है अँधेरा पर
सच की लौ जल रही।
झलका नूर उस सवेरे का
जो आएगा जल्द ही।
(कोरस)
संदेश ये हमारा,
चीर के घना अँधेरा
आशा का दीप बनता;
हमको है दिखाता
दिन वो सुनहरा कल का
जो बीते ना।
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2. जागें वो जो हैं सो रहे,
सच की रौश-नी देखें।
बीत रहीं वक्त की घड़ियाँ,
अब वो देर ना करें!
(कोरस)
संदेश ये हमारा,
चीर के घना अँधेरा
आशा का दीप बनता;
हमको है दिखाता
दिन वो सुनहरा कल का
जो बीते ना।
(यूह. 3:19; 8:12; रोमि. 13:11, 12; 1 पत. 2:9 भी देखें।)