गीत 97
ज़िंदगी टिकी याह के वचनों पे
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1. याह के वचनों पे है टिकी,
ज़िंदगी हम सब की।
है कहा, हम जीएँ नहीं
केवल रोटी से ही।
पाएँगे हम अब भी सुख-चैन,
आगे आशीषें भी।
(कोरस)
तो वचन याह का रोज़ पढ़ें,
बल मिले इस से ही।
जानते हैं ज़िंदगी टिकी,
याह के वचनों पे ही।
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2. शास्त्र में किस्से हैं सच्चे,
जो हिम्-मत दें हमें;
ये हैं याह के उन सेव-कों के,
जो वफा से चले।
झेला दुख, पर रहे निडर,
क्या मिसाल थी उनकी!
(कोरस)
तो वचन याह का रोज़ पढ़ें,
बल मिले इस से ही।
जानते हैं ज़िंदगी टिकी,
याह के वचनों पे ही।
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3. रोज़ वचन जब पढ़ें याह का,
ज्ञान और आशा मिले।
आएँ जब तकलीफें हम पे,
हाँ, दिलासा याह दे।
हम सं-जो-ए रखें दिल में,
याह ने कहा जो भी।
(कोरस)
तो वचन याह का रोज़ पढ़ें,
बल मिले इस से ही।
जानते हैं ज़िंदगी टिकी,
याह के वचनों पे ही।
(यहो. 1:8; रोमि. 15:4 भी देखें।)