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गीत 125

खुश हैं रहमदिल!

खुश हैं रहमदिल!

(मत्ती 5:7)

  1. 1. रहम यहोवा की खूबी,

    हर काम में उसके है दिखती।

    मिलती उसे बेहद खुशी,

    दिखाता जब रहमदिली।

    दया की भीख उनकी सुने

    पछतावा करके जो लौटें।

    मिट्टी तो हैं हम, याह जाने,

    सो न्याय रहम से वो करे।

  2. 2. पाप करके जब हम हों दुखी

    और याह से चाहते हैं माफी;

    दिखाया यीशु ने हमें

    कैसे रहम याह से माँगें:

    “माफ कर दे, ऐ मालिक मेरे।

    है माफ किया सब को मैंने।”

    नाराज़गी हम सब गर छोड़ें,

    चैन और सुकूँ भी हम पाएँ।

  3. 3. दर्‌-या-दिली से जो भी दें

    वो सारा दें हम चुपके से।

    वाह-वाही लोगों की नहीं,

    बस चाहें हम उनकी खुशी।

    हम जो करें वो देखे याह,

    फिर आशीषें हमें देगा।

    खुश हैं रहमदिल, याह माने,

    उसको ये प्यारे हैं लगते।

(मत्ती 6:2-4, 12-14 भी देखें।)