गीत 126
जागते रहो, शक्तिशाली बनते जाओ
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1. अब हमें रहना चौकन्ना,
रखें आँख मन की खुली।
हम सिपाही हैं यीशु के,
जीत हमारी है पक्की।
हर हुकुम उसका सिर-आँखों पे,
देंगे साथ उसका हर कीमत पे।
(कोरस)
हाँ, हमें रहना है चौकन्ना,
शक्-ति-शा-ली है बनना।
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2. अब हमें रहना चौकन्ना,
सुननी हैं “दास” की बातें।
फिर रहेंगे हरदम तैयार,
हर मुकाबले के लिए।
मानेंगे बुज़ुर्गों की सलाह,
वो हमारा चाहते हैं भला।
(कोरस)
हाँ, हमें रहना है चौकन्ना,
शक्-ति-शा-ली है बनना।
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3. अब हमें रहना चौकन्ना,
दाँव अनेक हैं शैताँ के;
तो लड़ेंगे सच की खातिर,
बाँध के हथ्-यार हम याह के।
दिन करीब आया यहोवा का,
बिन डरे ऐलाँ करें इसका।
(कोरस)
हाँ, हमें रहना है चौकन्ना,
शक्-ति-शा-ली है बनना।
(मत्ती 24:13; इब्रा. 13:7, 17; 1 पत. 5:8 भी देखें।)