गीत 132
अब हम एक हुए
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आखिर मिला हमदम ऐसा,
जो मेरा अंग और हिस्सा बना।
याह से तोहफा मिला प्यारा,
दिल का गुलशन खिला!
आज से हम-तुम, दो ना रहे,
एक तन बने, लो सरगम जुड़े;
बनाया आशियाँ हमने,
मिलके सँवारेंगे।
संग चलें, हर दिन याह की राह पे।
रोज़ बरसाएँ प्यार,
एक-दूजे पे हम सच्चा।
वादे किए सामने याह के
तो हम सदा निभाएँ इन्हें।
हम दोनों की है दुआ ये,
रखें सँभाले हम ये प्यार।
(उत्प. 29:18; सभो. 4:9, 10; 1 कुरिं. 13:8 भी देखें।)