गीत 144
रखो तुम इनाम पे नज़र!
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1. ज्योति लौटेगी जब आँखों की
और सुन पाएँगे बंद कान हँसी,
बच्चों की किलकारी गूँजेगी,
होगी खुशहाली हर कहीं;
जब अज़ीज़ सबके होंगे ज़िंदा
और हो पाप से ये धरती रिहा।
(कोरस)
ये आशीषें देखोगे, अगर
रखो तुम इनाम पे नज़र!
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2. खाएँ बैल के संग जब शेर भी घास,
रहें भालू और बछड़े जब साथ,
नन्हा होगा तब उन पे सवार,
सभी सुनें उसकी पुकार;
ना बहेंगे आँसू गम के फिर,
डर-फिकर से ना झुकेगा सिर।
(कोरस)
ये आशीषें देखोगे, अगर
रखो तुम इनाम पे नज़र!
(यशा. 11:6-9; 35:5-7; यूह. 11:24 भी देखें।)