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गीत 144

रखो तुम इनाम पे नज़र!

रखो तुम इनाम पे नज़र!

(2 कुरिंथियों 4:18)

  1. 1. ज्योति लौटेगी जब आँखों की

    और सुन पाएँगे बंद कान हँसी,

    बच्चों की किलकारी गूँजेगी,

    होगी खुशहाली हर कहीं;

    जब अज़ीज़ सबके होंगे ज़िंदा

    और हो पाप से ये धरती रिहा।

    (कोरस)

    ये आशीषें देखोगे, अगर

    रखो तुम इनाम पे नज़र!

  2. 2. खाएँ बैल के संग जब शेर भी घास,

    रहें भालू और बछड़े जब साथ,

    नन्हा होगा तब उन पे सवार,

    सभी सुनें उसकी पुकार;

    ना बहेंगे आँसू गम के फिर,

    डर-फिकर से ना झुकेगा सिर।

    (कोरस)

    ये आशीषें देखोगे, अगर

    रखो तुम इनाम पे नज़र!

(यशा. 11:6-9; 35:5-7; यूह. 11:24 भी देखें।)