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अध्याय 8

‘मैं एक चरवाहे को ठहराऊँगा’

‘मैं एक चरवाहे को ठहराऊँगा’

यहेजकेल 34:23

अध्याय किस बारे में है: मसीहा के बारे में चार भविष्यवाणियाँ और यीशु कैसे उन्हें पूरा करता है

1-3. (क) यहेजकेल क्यों दुखी है? (ख) यहोवा उसे क्या लिखने के लिए प्रेरित करता है?

 बैबिलोन की बँधुआई में यहेजकेल का यह छठा साल है। * वह यहूदा देश से सैकड़ों किलोमीटर दूर है। जब भी वह अपने देश के बारे में सोचता है, तो उसे बहुत दुख होता है क्योंकि वहाँ हुकूमत करनेवालों ने देश का बुरा हाल कर रखा है। उसने कुछ राजाओं को गद्दी पर बैठते और उतरते देखा है।

2 यहेजकेल का जन्म अच्छे राजा योशियाह के दिनों में हुआ था। योशियाह ने यहूदा से खुदी हुई मूरतों को मिटाने और शुद्ध उपासना बहाल करने के लिए कई कदम उठाए। इससे यहेजकेल को बहुत खुशी हुई होगी। (2 इति. 34:1-8) लेकिन योशियाह ने जो सुधार किया, वह बस कुछ समय के लिए था क्योंकि बाद में आनेवाले ज़्यादातर राजाओं ने फिर से मूर्तिपूजा शुरू करवा दी। इसराएली उन दुष्ट राजाओं के शासन में यहोवा से दूर होते गए और अनैतिकता के दलदल में धँसते गए। क्या यहूदा देश की हालत हमेशा ऐसी ही रहेगी? बिलकुल नहीं!

3 यहोवा ने एक उम्मीद जगाने के लिए यहेजकेल से मसीहा के बारे में एक भविष्यवाणी लिखवायी। इसमें बताया गया कि मसीहा आगे चलकर राजा बनेगा, हमेशा के लिए शुद्ध उपासना बहाल करेगा और एक चरवाहे के नाते यहोवा की भेड़ों की प्यार से देखभाल करेगा। यहेजकेल ने मसीहा के बारे में और भी कई भविष्यवाणियाँ कीं। हमें इनका ध्यान से अध्ययन करना चाहिए, क्योंकि हमारी हमेशा की ज़िंदगी इन भविष्यवाणियों के पूरा होने पर निर्भर है। तो आइए यहेजकेल किताब में मसीहा के बारे में बतायी चार भविष्यवाणियों पर गौर करें।

‘एक फुनगी विशाल देवदार बन जाती है’

4. (क) यहेजकेल कौन-सी भविष्यवाणी सुनाता है? (ख) इससे पहले यहोवा उसे क्या बताने के लिए कहता है?

4 करीब ईसा पूर्व 612 में “यहोवा का संदेश” यहेजकेल के पास पहुँचा और यहोवा की प्रेरणा से उसने एक भविष्यवाणी की। इस भविष्यवाणी से पता चलता है कि मसीहा का राज कितने बड़े पैमाने पर होगा और उस राज पर भरोसा करना कितना ज़रूरी है।  यहोवा ने यहेजकेल से कहा कि वह बँधुआई में रहनेवाले यहूदियों को यह भविष्यवाणी बताने से पहले उन्हें एक पहेली सुनाए। यह पहेली भी एक तरह की भविष्यवाणी थी। इससे दर्शाया गया कि यहूदा के राजा यहोवा पर बिलकुल भी भरोसा नहीं करते और मसीहा के नेक शासन की कितनी ज़रूरत है।—यहे. 17:1, 2.

5. चंद शब्दों में बताइए कि वह पहेली क्या है।

5 यहेजकेल 17:3-10 पढ़िए। चंद शब्दों में कहें तो पहेली यह है: एक ‘बड़ा उकाब’ एक देवदार के पेड़ की चोटी से “सबसे ऊपरवाली फुनगी” तोड़ता है और उसे “सौदागरों के शहर में” लगाता है। फिर वह उकाब “देश का कुछ बीज” लेता है और उसे एक उपजाऊ खेत में बो देता है जहाँ “भरपूर पानी” है। बीज अच्छी तरह बढ़ता है और “अंगूर की एक बेल” बन जाता है। इसके बाद एक और “बड़ा-सा उकाब” आता है। बेल की जड़ें “बड़ी उम्मीद से” उसकी तरफ फैलती हैं, क्योंकि जड़ें चाहती हैं कि उन्हें किसी और जगह लगाया जाए जहाँ भरपूर पानी हो। मगर यहोवा अंगूर की बेल के इस काम की निंदा करता है और उसे जताता है कि उसकी जड़ें उखाड़ दी जाएँगी और बेल ‘पूरी तरह सूख जाएगी।’

पहला बड़ा उकाब बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर को दर्शाता है (पैराग्राफ 6 देखें)

6. पहेली का मतलब समझाइए।

6 इस पहेली का क्या मतलब है? (यहेजकेल 17:11-15 पढ़िए।) ईसा पूर्व 617 में पहले ‘बड़े उकाब’ यानी बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम की घेराबंदी की। उसने सबसे ऊपरवाली फुनगी यानी यहूदा के राजा यहोयाकीन को राजगद्दी से उतारा और उसे “सौदागरों के शहर” बैबिलोन ले गया। नबूकदनेस्सर ने उसकी जगह ‘देश के बीज’ में से राजवंश के सिदकियाह को यरूशलेम में राजा बनाया। यहूदा के नए राजा सिदकियाह को यहोवा के नाम से शपथ धरायी गयी कि वह बैबिलोन के अधीन रहकर राज करेगा। (2 इति. 36:13) लेकिन उसने यह शपथ तोड़ दी और बैबिलोन से बगावत कर बैठा। उसने दूसरे ‘बड़े उकाब’ यानी मिस्र के फिरौन की सेना की मदद ली। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। यहोवा ने सिदकियाह के इस काम को गलत ठहराया क्योंकि उसने शपथ तोड़कर विश्‍वासघात किया था। (यहे. 17:16-21) आखिर में उसे राजगद्दी से उतार दिया गया और वह बैबिलोन के कैदखाने में ही मर गया।—यिर्म. 52:6-11.

7. इस पहेली से हमें क्या सीख मिलती है?

7 पहेली के रूप में बतायी गयी इस भविष्यवाणी से हमें क्या सीख मिलती है? पहली सीख यह है कि हम जो वचन देते हैं उसे निभाना चाहिए, क्योंकि हम शुद्ध उपासना करते हैं। यीशु ने कहा था, “तुम्हारी ‘हाँ’ का मतलब हाँ हो और ‘न’ का मतलब न।” (मत्ती 5:37) अगर हमें अदालत में या किसी और जगह सच बोलने के लिए परमेश्‍वर की शपथ खिलायी जाती है, तो हमें अपनी शपथ को हलके में नहीं लेना चाहिए। दूसरी सीख, हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम किस पर भरोसा करते हैं। बाइबल हमें आगाह करती है, “बड़े-बड़े अधिकारियों पर भरोसा मत रखना, न ही किसी और इंसान पर, जो उद्धार नहीं दिला सकता।”​—भज. 146:3.

8-10. (क) यहोवा ने भविष्य में आनेवाले राजा का वर्णन कैसे किया? (ख) यह भविष्यवाणी कैसे पूरी होती है? (यह बक्स भी देखें: “विशाल देवदार—मसीहा के बारे में भविष्यवाणी।”)

8 मगर एक शासक ऐसा है जिस पर हम पूरा भरोसा कर सकते हैं। वह मसीहा है जो भविष्य में राजा बनेगा। भविष्यवाणी में फुनगी को दूसरी जगह लगाने की बात कहने के बाद यहोवा ने इसी मसीहा के बारे में बताया।

9 इस भविष्यवाणी में क्या बताया गया है?  (यहेजकेल 17:22-24 पढ़िए।) अब बड़े-बड़े उकाब नहीं बल्कि यहोवा कुछ करनेवाला है। वह ‘ऊँचे देवदार की चोटी से एक फुनगी लेगा और उसे एक ऊँचे और विशाल पहाड़ पर लगाएगा।’ यह फुनगी खूब बढ़ेगी और “एक विशाल देवदार” बन जाएगी। उसकी छाँव में “हर तरह के पंछी” बसेरा करेंगे। तब ‘मैदान के सभी पेड़’ जान जाएँगे कि यहोवा ने ही उस फुनगी को ऊँचा उठाया है।

10 यह भविष्यवाणी कैसे पूरी होती है?  यहोवा ने “ऊँचे देवदार” यानी दाविद के राज-घराने से अपने बेटे यीशु को लिया और उसे “ऊँचे और विशाल पहाड़” यानी स्वर्ग के सिय्योन में राजा ठहराया। (भज. 2:6; यिर्म. 23:5; प्रका. 14:1) यीशु को उसके दुश्‍मन मामूली और ‘छोटा इंसान’ समझते थे मगर यहोवा ने उसे “दाविद की राजगद्दी” पाने का सम्मान दिया। (दानि. 4:17; लूका 1:32, 33) इस तरह एक ऊँचे देवदार की तरह मसीह को ऊँचा उठाया गया है। जल्द ही उसकी हुकूमत सारी धरती पर बुलंद की जाएगी और उसके राज में सारी प्रजा आशीषें पाएगी। यही वह राजा है जिस पर हम पूरा भरोसा कर सकते हैं। उसके राज की छत्रछाया में आज्ञाकारी इंसान ‘बेखौफ जीएँगे और उन्हें विपत्ति का डर नहीं सताएगा।’—नीति. 1:33.

11. “विशाल देवदार” बननेवाली “फुनगी” की भविष्यवाणी से हम क्या सीखते हैं?

11 इस भविष्यवाणी से हम क्या सीखते हैं?  एक “फुनगी” कैसे एक “विशाल देवदार” बन जाती है, यह रोमांचक भविष्यवाणी जानने के बाद हमें एक बहुत ही अहम सवाल का जवाब मिल गया है। वह यह कि हमें किस पर भरोसा करना चाहिए। इंसानी सरकारों और उनकी फौजी ताकत पर भरोसा करना बेवकूफी होगी। अगर हम सच्ची सुरक्षा पाना चाहते हैं, तो बुद्धिमानी इसी में होगी कि हम परमेश्‍वर के राज के राजा मसीहा पर पूरा भरोसा करें। स्वर्ग की सरकार उसके काबिल हाथों में है और वही सब इंसानों को एक अच्छा भविष्य देगा।​—प्रका. 11:15.

“जिसके पास कानूनी हक है”

12. यहोवा ने कैसे ज़ाहिर किया कि वह दाविद का करार भूला नहीं है?

12 जब परमेश्‍वर ने यहेजकेल को दो उकाबोंवाली पहेली का मतलब बताया, तो वह समझ गया कि दाविद के राज-घराने के सिदकियाह को राजगद्दी से उतार दिया जाएगा और बंदी बनाकर बैबिलोन ले जाया जाएगा, क्योंकि वह विश्‍वासघाती निकला। अब यहेजकेल सोच में पड़ गया होगा कि ‘परमेश्‍वर ने दाविद से जो करार किया था, उसका क्या होगा? उसने दाविद से वादा किया था कि उसके घराने का एक राजा सदा राज करेगा। उस वादे का क्या होगा?’ (2 शमू. 7:12, 16) अगर यहेजकेल के मन में यह सवाल उठा होगा, तो उसे जवाब के लिए ज़्यादा समय इंतज़ार नहीं करना पड़ा होगा। बँधुआई के सातवें साल यानी करीब ईसा पूर्व 611 में जब यहूदा में सिदकियाह का राज चल ही रहा था तब ‘यहोवा का संदेश’ यहेजकेल के पास पहुँचा। (यहे. 20:2) यहोवा ने इस बार मसीहा के बारे में एक और भविष्यवाणी की और इसमें साफ बताया कि उसने दाविद के साथ जो करार किया था, उसे वह भूला नहीं है। इस भविष्यवाणी से यह साफ ज़ाहिर हुआ कि दाविद का वारिस होने के नाते मसीहा के पास राज करने का कानूनी हक होगा।

13, 14. (क) यहेजकेल 21:25-27 में लिखी भविष्यवाणी चंद शब्दों में बताइए। (ख) यह भविष्यवाणी कैसे पूरी होती है?

13 इस भविष्यवाणी में क्या बताया गया है?  (यहेजकेल 21:25-27 पढ़िए।) भविष्यवाणी में यहोवा “इसराएल के दुष्ट प्रधान” सिदकियाह से सीधे-सीधे बात करता है। अब उसे सज़ा देने का समय आ गया है। यहोवा उस दुष्ट राजा को बताता है कि उसकी “पगड़ी” और उसका “ताज” उससे ले लिया जाएगा, जो कि राज करने के अधिकार को दर्शाते हैं। इसके बाद उन हुकूमतों को “ऊपर” उठाया जाएगा जो “नीचे” हैं और उन्हें नीचे गिराया जाएगा जो ऊपर हैं। मगर जिन हुकूमतों को ऊपर उठाया जाएगा, उनका राज तब तक ही चलेगा जब तक कि “वह नहीं आता जिसके पास कानूनी हक है।” फिर यहोवा उसे राज करने का अधिकार दे देगा।

14 यह भविष्यवाणी कैसे पूरी होती है?  यहूदा का राज पहले “ऊपर” था मगर जब ईसा पूर्व 607 में यरूशलेम का नाश हुआ, तो उस राज को नीचे गिरा दिया गया। उस वक्‍त बैबिलोन के लोगों ने उस शहर को खाक में मिला दिया, सिदकियाह को गद्दी से उतार दिया और उसे बंदी बनाकर ले गए। इसके बाद यरूशलेम में दाविद के घराने से किसी को भी राजा नहीं ठहराया गया। तब से गैर-यहूदी हुकूमतों को, जो तब तक “नीचे” थीं ऊपर उठाया गया, यानी पूरी धरती पर इन्हीं हुकूमतों का राज चलता रहा। मगर ऐसा सिर्फ एक निश्‍चित समय तक हुआ। गैर-यहूदी “राष्ट्रों के लिए तय किया गया वक्‍त” 1914 में पूरा हो गया। तब यहोवा ने राज करने का अधिकार यीशु मसीह को दे दिया। (लूका 21:24) राजा दाविद का वंशज होने के नाते यीशु को परमेश्‍वर के राज का राजा होने का “कानूनी हक” था। * (उत्प. 49:10) इस तरह यहोवा ने अपना यह वादा पूरा किया कि वह दाविद को ऐसा वारिस देगा जिसका राज सदा तक कायम रहेगा।​—लूका 1:32, 33.

यीशु मसीह के पास परमेश्‍वर के राज का राजा होने का कानूनी हक है (पैराग्राफ 15 देखें)

15. हम अपने राजा यीशु मसीह पर क्यों पूरा भरोसा कर सकते हैं?

15 इस भविष्यवाणी से हम क्या सीखते हैं?  यही कि हम अपने राजा यीशु मसीह पर पूरा भरोसा कर सकते हैं। वह दुनिया के नेताओं की तरह नहीं है जिन्हें या तो जनता वोट देकर चुनती है या फिर वे खुद सरकार का तख्ता पलटकर कुर्सी हड़प लेते हैं। यीशु को यहोवा ने चुना है और उसे वह ‘राज दिया है’ जिसका वह कानूनन हकदार है। (दानि. 7:13, 14) बेशक जिस राजा को खुद यहोवा ने ठहराया है, उससे ज़्यादा और कौन भरोसे के लायक हो सकता है!

‘मेरा सेवक दाविद उनका चरवाहा होगा’

16. (क) यहोवा को अपनी भेड़ों की कितनी परवाह है? (ख) यहेजकेल के दिनों में “इसराएल के चरवाहों” ने भेड़ों से कैसा व्यवहार किया?

16 सबसे महान चरवाहा यहोवा अपनी भेड़ों का यानी अपने सेवकों का बहुत ध्यान रखता है। उसे उनकी बहुत परवाह है। (भज. 100:3) वह इन भेड़ों की देखभाल करने के लिए जिन इंसानों को चरवाहा ठहराता है और कुछ अधिकार सौंपता है, उन पर ध्यान देता है कि वे उसकी भेड़ों से कैसा व्यवहार करते हैं। ज़रा सोचिए, यहेजकेल के दिनों में जब यहोवा ने “इसराएल के चरवाहों” की करतूतें देखीं, तो उसे कैसा लगा होगा। वे “तानाशाहों की तरह राज किया” करते थे और उसकी भेड़ों पर “अत्याचार” करते थे। इसलिए परमेश्‍वर के लोगों ने बहुत दुख झेले और कइयों ने तो शुद्ध उपासना करना ही छोड़ दिया।​—यहे. 34:1-6.

17. यहोवा ने अपनी भेड़ों को कैसे छुड़ाया?

17 यहोवा ने इसराएल के क्रूर शासकों से कहा, ‘मैं तुमसे अपनी भेड़ों का हिसाब माँगूँगा।’ उसने यह भी कहा, ‘मैं अपनी भेड़ों को छुड़ाऊँगा।’ (यहे. 34:10) यहोवा की बात हमेशा सच निकलती है। (यहो. 21:45) यहोवा ने ईसा पूर्व 607 में अपनी भेड़ों को उन स्वार्थी चरवाहों के हाथ से छुड़ाया। कैसे? उसने बैबिलोन के लोगों को भेजा और उन तानाशाहों को गद्दी से उतरवाया। फिर 70 साल बाद उसने अपने भेड़ समान लोगों को बैबिलोन से छुड़ाया और उनके देश ले आया ताकि वे वहाँ शुद्ध उपासना बहाल कर सकें। मगर यहोवा की भेड़ों पर आगे भी खतरा मँडराता रहा, क्योंकि उन पर दुनियावी हुकूमतें राज करती रहीं। “राष्ट्रों के लिए तय किया गया वक्‍त” कई सदियों तक चलता रहा।​—लूका 21:24.

18, 19. यहेजकेल ने ईसा पूर्व 606 में क्या भविष्यवाणी की? (शुरूआती तसवीर देखें।)

18 ईसा पूर्व 606 में यानी यरूशलेम के नाश के एक साल बाद और इसराएलियों के बँधुआई से छूटने से सालों पहले यहोवा ने यहेजकेल को एक भविष्यवाणी करने के लिए प्रेरित किया। यहेजकेल ने भविष्यवाणी की कि परमेश्‍वर के राज का राजा मसीहा एक चरवाहे के नाते कैसे यहोवा की भेड़ों की देखभाल करेगा।  इस भविष्यवाणी से पता चलता है कि सबसे महान चरवाहा यहोवा अपने लोगों का कितना खयाल रखता है और चाहता है कि वे हमेशा तक जीते रहें।

19 इस भविष्यवाणी में क्या बताया गया है?  (यहेजकेल 34:22-24 पढ़िए।) परमेश्‍वर ‘अपनी भेड़ों पर एक चरवाहे को ठहराएगा।’ उसे वह ‘अपना सेवक दाविद’ कहता है। गौर कीजिए कि यहाँ सिर्फ “एक चरवाहे” और एक ‘सेवक’ की बात की गयी है, न कि कई चरवाहों और सेवकों की। इससे पता चलता है कि मसीहा दाविद का एकमात्र वारिस होकर सदा के लिए  राज करेगा। पहले की तरह दाविद के खानदान से आनेवाले राजा पीढ़ी-दर-पीढ़ी राज नहीं करेंगे। एक चरवाहे और राजा के नाते मसीहा परमेश्‍वर की भेड़ों को खिलाएगा-पिलाएगा और “उनका प्रधान” होगा। यहोवा अपनी भेड़ों के साथ “शांति का करार” करेगा और उन पर “आशीषों की बौछार” करेगा। उसकी भेड़ें सुरक्षा, खुशहाली और अच्छी उपज का आनंद उठाएँगी। न सिर्फ इंसान एक-दूसरे के साथ शांति से रहेंगे बल्कि इंसानों और जानवरों को भी एक-दूसरे से खतरा नहीं होगा।​—यहे. 34:25-28.

20, 21. (क) यहोवा के “सेवक दाविद” के बारे में भविष्यवाणी कैसे पूरी होती है? (ख) ‘शांति के करार’ की भविष्यवाणी नयी दुनिया में कैसे पूरी होगी?

20 यह भविष्यवाणी कैसे पूरी होती है?  इस राजा को यहोवा “मेरा सेवक दाविद” कहता है। ऐसा कहकर परमेश्‍वर यीशु के बारे में भविष्यवाणी कर रहा था। यीशु दाविद का वारिस होता, इसलिए उसके पास राज करने का कानूनी हक होता। (भज. 89:35, 36) धरती पर रहते वक्‍त यीशु ने साबित किया कि वह एक “अच्छा चरवाहा” है, क्योंकि उसने ‘अपनी भेड़ों की खातिर जान’ दे दी। (यूह. 10:14, 15) अब यह चरवाहा स्वर्ग से अपनी भेड़ों की देखभाल कर रहा है। (इब्रा. 13:20) परमेश्‍वर ने 1914 में यीशु को राजा ठहराया और उसे यह ज़िम्मेदारी सौंपी कि वह उसकी भेड़ों का खयाल रखे और उन्हें खिलाए-पिलाए। कुछ साल बाद 1919 में इस नए राजा ने “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” को ठहराया ताकि यह दास “घर के कर्मचारियों” को खाना दे। ये कर्मचारी परमेश्‍वर के सभी वफादार सेवक हैं, फिर चाहे उन्हें स्वर्ग में जीने की आशा हो या धरती पर। (मत्ती 24:45-47) विश्‍वासयोग्य दास 1919 से मसीह के निर्देश के मुताबिक परमेश्‍वर की भेड़ों को उसके वचन से खुराक देता आया है। इससे उन्हें फिरदौस जैसे माहौल में शांति और सुरक्षा बनाए रखने में मदद मिलती है, जिसका आज वे आनंद उठा रहे हैं।

21 ‘शांति के करार’ और “आशीषों की बौछार” के बारे में यहेजकेल की भविष्यवाणी नयी दुनिया में कैसे पूरी होगी? उस वक्‍त यहोवा के उपासक ‘शांति के करार’ से मुमकिन होनेवाली आशीषों का पूरा-पूरा लुत्फ उठाएँगे। धरती एक फिरदौस बन जाएगी और युद्ध, जुर्म, अकाल, बीमारी और जंगली जानवरों का खतरा नहीं होगा। (यशा. 11:6-9; 35:5, 6; 65:21-23) परमेश्‍वर के लोग उस नयी दुनिया में हमेशा की ज़िंदगी पाएँगे, वहाँ “महफूज़ रहेंगे और उन्हें कोई नहीं डराएगा।” क्या आप भी उस नयी दुनिया का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं?​—यहे. 34:28.

एक चरवाहे के नाते यीशु स्वर्ग से देख रहा है कि परमेश्‍वर की भेड़ों के साथ कैसा सलूक किया जा रहा है (पैराग्राफ 22 देखें)

22. (क) यीशु परमेश्‍वर की भेड़ों का कैसे खयाल रखता है? (ख) प्राचीन भी भेड़ों का कैसे खयाल रख सकते हैं?

22 इस भविष्यवाणी से हम क्या सीखते हैं?  अपने पिता की तरह यीशु भी उसकी भेड़ों का बहुत खयाल रखता है। एक चरवाहा और राजा होने के नाते वह इस बात का ध्यान रखता है कि उसके पिता की भेड़ों को उसके वचन से पूरी खुराक मिलती रहे और फिरदौस जैसे माहौल में वे शांति और सुरक्षा का आनंद उठाएँ। ऐसे राजा के अधीन रहना हमें कितना अच्छा लगता है जो हमारी बहुत परवाह करता है! जिन भाइयों को यीशु के अधीन रहकर चरवाहों के नाते काम करने की ज़िम्मेदारी दी गयी है, उन्हें भी यीशु के जैसे ही भेड़ों की देखभाल करनी चाहिए। प्राचीनों को “खुशी-खुशी” और “तत्परता से” भेड़ों की देखभाल करनी चाहिए और उनके लिए एक अच्छी मिसाल रखनी चाहिए। (1 पत. 5:2, 3) एक प्राचीन को यहोवा की किसी भी भेड़ के साथ बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए। याद कीजिए कि यहेजकेल के दिनों में इसराएल के क्रूर शासकों से यहोवा ने क्या कहा, ‘मैं उनसे अपनी भेड़ों का हिसाब माँगूँगा।’ (यहे. 34:10) सबसे महान चरवाहा यहोवा और उसका बेटा यीशु, दोनों बहुत ध्यान से देखते हैं कि प्राचीन भेड़ों से कैसा व्यवहार करते हैं।

“मेरा सेवक दाविद सदा के लिए उनका प्रधान बना रहेगा”

23. (क) इसराएल की एकता के बारे में यहोवा ने क्या वादा किया? (ख) उसने यह वादा कैसे पूरा किया?

23 यहोवा चाहता है कि उसके लोग एकता से उसकी उपासना करें। बहाली की एक भविष्यवाणी में यहोवा ने वादा किया कि वह अपने लोगों में दोबारा एकता लाएगा। उसने बताया कि दो गोत्रोंवाले यहूदा राज्य और दस गोत्रोंवाले इसराएल राज्य के कुछ लोगों को वह इकट्ठा करेगा और उन्हें “एक राष्ट्र” बनाएगा। यह ऐसा होगा मानो वह ‘दो छड़ियों’ को मिलाकर “एक ही छड़ी” बना देगा। (यहे. 37:15-23) यह भविष्यवाणी ईसा पूर्व 537 में पूरी हुई, जब यहोवा ने इसराएल और यहूदा के राज्यों को एक राष्ट्र बनाया और उन्हें वादा किए गए देश में दोबारा बसाया। * उनकी एकता इस बात की झलक थी कि आगे चलकर बड़े पैमाने पर यहोवा के लोगों में एकता होगी और वह एकता कभी नहीं मिटेगी। यहोवा ने इसराएल में एकता लाने का वादा करने के बाद यहेजकेल को एक और भविष्यवाणी बतायी। वह यह थी कि भविष्य में आनेवाला राजा पूरी धरती पर रहनेवाले सच्चे उपासकों को कैसे एकता के बंधन में बाँधेगा और कैसे उनकी एकता सदा कायम रहेगी।

24. (क) यहोवा ने मसीहा के बारे में क्या बताया? (ख) उस राजा का शासन कैसा होगा?

24 इस भविष्यवाणी में क्या बताया गया है?  (यहेजकेल 37:24-28 पढ़िए।) यहोवा आनेवाले मसीहा को एक बार फिर “मेरा सेवक दाविद,” ‘एक चरवाहा’ और “प्रधान” कहता है। मगर इस बार वह यह भी कहता है कि मसीहा एक “राजा” होगा। (यहे. 37:22) इस राजा का शासन कैसा होगा? उसका राज हमेशा तक कायम रहेगा।  भविष्यवाणी में कहा गया है कि उसका राज “सदा के लिए” और “सदा तक” चलेगा। * इससे पता चलता है कि उसके राज में मिलनेवाली आशीषें कभी खत्म नहीं होंगी। उसके राज में प्रजा के बीच एकता होगी।  सबका “एक ही राजा” होगा, इसलिए सब एक ही तरह के “न्याय-सिद्धांतों को मानेंगे” और सब एक-साथ “उस देश में बसेंगे” जो परमेश्‍वर उन्हें देगा। इस राजा की हुकूमत ऐसी होगी कि प्रजा यहोवा के और भी करीब आएगी।  उन लोगों के साथ यहोवा “शांति का करार” करेगा। यहोवा उनका परमेश्‍वर होगा और वे उसके लोग होंगे। उसका पवित्र-स्थान “सदा के लिए उनके बीच बना रहेगा।”

25. मसीहा के बारे में की गयी भविष्यवाणी कैसे पूरी होती है?

25 यह भविष्यवाणी कैसे पूरी होती है?  वफादार अभिषिक्‍त जनों को 1919 में ‘एक चरवाहे’ यानी राजा यीशु मसीह के अधीन रहकर काम करने के लिए एक किया गया। बाद में इन अभिषिक्‍त जनों के साथ “एक बड़ी भीड़” जुड़ गयी जो “सब राष्ट्रों और गोत्रों और जातियों और भाषाओं में से निकली” है। (प्रका. 7:9) अब इन दोनों समूहों के लोग मिलकर “एक झुंड” बन गए हैं और उनका चरवाहा भी “एक” है। (यूह. 10:16) चाहे उनकी आशा स्वर्ग में जीने की हो या धरती पर, वे सब यहोवा के न्याय-सिद्धांतों को मानते हैं। नतीजा, पूरी दुनिया में उनके बीच भाईचारा है और वे एकता में रहकर फिरदौस जैसे माहौल का आनंद उठाते हैं। यहोवा की आशीष से उनके बीच शांति है और उसका पवित्र-स्थान मानो उनके बीच है जो कि शुद्ध उपासना को दर्शाता है। यहोवा उनका परमेश्‍वर है और उन्हें इस बात का गर्व है कि वे उसके उपासक हैं और सदा तक उसकी उपासना करते रहेंगे।

26. हमारी एकता मज़बूत करने के लिए आप कैसे सहयोग दे सकते हैं?

26 इस भविष्यवाणी से हम क्या सीखते हैं?  यहोवा के लोगों की बिरादरी पूरी दुनिया में फैली है और इसका हिस्सा होना हमारे लिए बहुत बड़ी आशीष है। लेकिन इस आशीष के साथ हमें यह ज़िम्मेदारी भी मिली है कि इस एकता को बनाए रखने के लिए हममें से हर कोई सहयोग दे। हम सबको एक-जैसी शिक्षाओं को मानने और उन पर चलने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। (1 कुरिं. 1:10) इसलिए हम सब बाइबल से एक ही तरह का ज्ञान लेते हैं, चालचलन के मामले में एक-जैसे स्तरों पर चलते हैं, हम सब खुशखबरी सुनाते हैं और चेला बनाने का काम करते हैं। मगर हमारे बीच एकता खासकर इसलिए है क्योंकि हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं। हमें अपने अंदर प्यार बढ़ाने और यह गुण अलग-अलग तरीकों से दर्शाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। जैसे हमदर्दी जताना, करुणा करना और माफ करना। इस तरह हम इस एकता को मज़बूत करने में अपना भाग अदा कर रहे होंगे। बाइबल कहती है कि प्यार “पूरी तरह से एकता में जोड़नेवाला जोड़ है।”​—कुलु. 3:12-14; 1 कुरिं. 13:4-7.

दुनिया-भर में फैली भाई-बहनों की बिरादरी पर यहोवा की आशीष है (पैराग्राफ 26 देखें)

27. (क) मसीहा से जुड़ी भविष्यवाणियों के बारे में आपको कैसा लगता है? (ख) आनेवाले अध्यायों में हम किस बारे में जानेंगे?

27 यहेजकेल किताब में मसीहा के बारे में जो भविष्यवाणियाँ लिखी हैं, उनके लिए हम कितने शुक्रगुज़ार हैं! उन्हें पढ़ने और उन पर मनन करने से हम जान पाते हैं कि हमारा प्यारा राजा यीशु मसीह हमारे भरोसे के लायक है, उसे राज करने का कानूनी हक है, एक चरवाहे की तरह वह प्यार से हमारी देखभाल करता है और वह हमारे बीच ऐसी एकता कायम रखता है जो कभी नहीं मिटेगी। हमें इस महान राजा की प्रजा बनने का क्या ही सुनहरा मौका मिला है। आइए हम याद रखें कि मसीहा के बारे में जो भविष्यवाणियाँ लिखी गयी हैं वे शुद्ध उपासना की बहाली का ही हिस्सा हैं, क्योंकि यहेजकेल किताब का मुख्य विषय शुद्ध उपासना की बहाली है। मसीहा या यीशु के ज़रिए ही यहोवा अपने लोगों को इकट्ठा करेगा और उनके बीच शुद्ध उपासना बहाल करेगा। (यहे. 20:41) इस किताब के आनेवाले अध्यायों में बहाली के बारे में और भी बताया जाएगा। हम जानेंगे कि इस रोमांचक विषय पर यहेजकेल किताब में आगे क्या जानकारी दी गयी है।

^ पैरा. 1 यहूदियों की बँधुआई का पहला साल ई.पू. 617 में शुरू हुआ, क्योंकि उस साल पहली बार कुछ यहूदियों को बंदी बनाकर बैबिलोन ले जाया गया। इस हिसाब से बँधुआई का छठा साल ई.पू. 612 में शुरू हुआ।

^ पैरा. 14 खुशखबरी की किताबों में साफ लिखा है कि यीशु दाविद के वंश से आया था।—मत्ती 1:1-16; लूका 3:23-31.

^ पैरा. 23 इस किताब के अध्याय 12 में बताया जाएगा कि यहेजकेल ने दो छड़ियों के बारे में क्या भविष्यवाणी की और वह कैसे पूरी हुई।

^ पैरा. 24 जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद “सदा के लिए” और “सदा तक” किया गया है, उसके बारे में एक किताब कहती है, “इस शब्द का मतलब न सिर्फ हमेशा तक कायम रहना है बल्कि अटल होना, टिकाऊ होना और कभी न बदलना भी है।”