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अध्याय 16

‘उनके माथे पर एक निशान लगा’

‘उनके माथे पर एक निशान लगा’

यहेजकेल 9:4

अध्याय किस बारे में है: यहेजकेल के दिनों में वफादार लोगों को नाश से बचाने के लिए कैसे उन पर निशान लगाया गया और निशान लगाने का काम आज क्या मायने रखता है

1-3. (क) यहेजकेल के होश क्यों उड़ गए? (ख) यरूशलेम के नाश के बारे में उसे क्या पता चलता है? (ग) हम किन सवालों पर गौर करेंगे?

 यहेजकेल के होश उड़े हुए हैं। उसने अभी-अभी एक दर्शन में देखा कि बगावती यहूदी यरूशलेम के मंदिर में कितने घिनौने काम कर रहे हैं। * यह मंदिर इसराएल में शुद्ध उपासना की सबसे खास जगह थी मगर उन्होंने उसे दूषित कर दिया। मंदिर को तो उन्होंने दूषित किया ही, पर पूरे यहूदा देश को भी हिंसा से भर दिया। देश का ऐसा बुरा हाल है कि अब इसमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं बची। यह देखकर यहोवा बहुत दुखी है कि उसके चुने हुए लोग कितने गिर चुके हैं। इसलिए उसने यहेजकेल से कहा, “मैं क्रोध में आकर उन्हें सज़ा दूँगा।”—यहे. 8:17, 18.

2 यहेजकेल को यह जानकर बहुत दुख हुआ होगा कि यरूशलेम पर और वहाँ के मंदिर पर, जो एक ज़माने में पवित्र हुआ करता था, यहोवा का क्रोध भड़कनेवाला है और वह उसका नाश करनेवाला है। यहेजकेल के मन में ज़रूर कई सवाल उठे होंगे। जैसे, शहर में रहनेवाले वफादार लोगों का क्या होगा? क्या उन्हें नाश से बचाया जाएगा? अगर हाँ, तो कैसे? इन सवालों के जवाब जानने के लिए यहेजकेल को ज़्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा। दर्शन में जब यहोवा यरूशलेम को सज़ा सुनाता है, तो उसके फौरन बाद कुछ आदमियों को ज़ोर से आवाज़ लगाकर हुक्म दिया जाता है कि वे परमेश्‍वर की तरफ से यरूशलेम के लोगों को सज़ा दें। (यहे. 9:1) दर्शन में आगे यहेजकेल को पता चलता है कि यह नाश अंधाधुंध नहीं होगा बल्कि सिर्फ विश्‍वासघाती लोगों का नाश होगा और वफादार लोग बच जाएँगे। यह बात जानकर यहेजकेल की जान में जान आती है।

3 आज हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं जब दुनिया का अंत बहुत करीब है। हमारे मन में भी यह सवाल उठ सकता है कि आनेवाले महा-विनाश से कौन बचेगा और कौन नहीं। तो आइए इन सवालों पर गौर करें: (1) यहेजकेल ने दर्शन में आगे क्या देखा? (2) दर्शन के रूप में की गयी यह भविष्यवाणी उसके दिनों में कैसे पूरी हुई? (3) यह भविष्यवाणी आज क्या मायने रखती है?

‘उन आदमियों को बुलाओ जो सज़ा देंगे’

4. यहेजकेल दर्शन में आगे क्या देखता और सुनता है?

4 यहेजकेल आगे क्या देखता है और क्या सुनता है? (यहेजकेल 9:1-11 पढ़िए।) वह देखता है कि “उत्तर के ऊपरी दरवाज़े की तरफ से” सात आदमी आते हैं। शायद यही वह जगह है जहाँ पास में क्रोध दिलानेवाली मूरत रखी हुई है या औरतें तम्मूज देवता के लिए रो रही हैं। (यहे. 8:3, 14) मगर वे सात आदमी यहाँ कोई बलिदान चढ़ाने नहीं आए हैं, क्योंकि यहोवा अब इस मंदिर में कोई बलिदान स्वीकार नहीं करता। उनमें से छ: आदमियों के “हाथ में चूर-चूर करनेवाला एक हथियार” है। सातवाँ आदमी उनसे थोड़ा अलग लग रहा है। उसने मलमल की पोशाक पहनी है। उसके पास कोई हथियार नहीं है बल्कि “लिपिक की कलम-दवात” है या जैसे फुटनोट कहता है, “शास्त्री की दवात” है।

5, 6. किस तरह के लोगों के माथे पर निशान लगाया गया? (शुरूआती तसवीर देखें।)

5 जिस आदमी के पास कलम-दवात है, उसे यहोवा एक भारी ज़िम्मेदारी देता है। यहोवा उससे कहता है, “तू पूरे यरूशलेम का दौरा कर और उन सभी के माथे पर एक निशान लगा जो शहर में होनेवाले घिनौने कामों की वजह से आहें भरते और कराहते हैं।” यह सुनकर यहेजकेल को फौरन बीते ज़माने की एक घटना याद आयी होगी। वफादार इसराएलियों ने अपनी चौखट के ऊपरी हिस्से और दरवाज़े के दोनों बाज़ुओं पर खून लगाया था ताकि वह खून इस बात की निशानी ठहरे कि उनके पहलौठों की जान बख्श दी जाए। (निर्ग. 12:7, 22, 23) दर्शन में लोगों के माथे पर जो निशान लगाने के लिए कहा गया था, क्या वह भी इस बात को दर्शाता था कि यरूशलेम के नाश के वक्‍त ऐसे हर इंसान को बचाया जाएगा जिसके माथे पर निशान लगा है?

6 जवाब के लिए गौर कीजिए कि यह निशान किन लोगों के माथे पर लगाने के लिए कहा गया था। उन लोगों के माथे पर जो “शहर में होनेवाले” घिनौने कामों के कारण “आहें भरते और कराहते” हैं। इससे हमें इन लोगों के बारे में क्या पता चलता है? एक तो यह कि वे न सिर्फ मंदिर में हो रही मूर्तिपूजा से बल्कि पूरे यरूशलेम शहर में होनेवाली हिंसा, अनैतिकता और भ्रष्टाचार से बहुत दुखी थे। (यहे. 22:9-12) दूसरी बात, वे इतने दुखी थे कि वे अपनी भावनाएँ दिल में दबाकर नहीं रख पा रहे थे। उनकी बातों और उनके व्यवहार से यह साफ ज़ाहिर था कि देश में हो रहे दुष्ट कामों से उन्हें कितनी घिन हो गयी थी और शुद्ध उपासना करने का उनका इरादा कितना मज़बूत था। ऐसे लोग नाश से बचने के लायक थे, इसलिए यहोवा उन पर दया करता और उन्हें बचाता।

7, 8. (क) छ: आदमियों को सबसे पहले किसका नाश करना था? (ख) दर्शन के आखिर में क्या हुआ?

7 जिन छ: आदमियों के हाथ में चूर-चूर करनेवाले हथियार थे, उन्हें लोगों का नाश कैसे करना था? यहेजकेल ने सुना कि यहोवा उन आदमियों को आदेश देता है कि वे कलम-दवात लिए आदमी के पीछे-पीछे जाएँ और उन सबको मार डालें जिनके माथे पर निशान नहीं है। यहोवा इन आदमियों से कहता है, “तुम यह काम मेरे पवित्र-स्थान से शुरू करना।” (यहे. 9:6) उन्हें यह काम पवित्र-स्थान से यानी मंदिर से शुरू करना था जो यरूशलेम की सबसे खास जगह थी। वह मंदिर अब यहोवा की नज़र में पवित्र नहीं रहा। उन्हें सबसे पहले इसराएल के 70 “मुखियाओं” का नाश करना था जो “भवन के सामने मौजूद” थे और झूठे देवताओं के लिए धूप जला रहे थे।—यहे. 8:11, 12; 9:6.

8 दर्शन के आखिर में क्या हुआ? यहेजकेल दर्शन में देखता है कि वह आदमी यहोवा के पास लौटकर कहता है, “तूने मुझे जैसी आज्ञा दी थी, मैंने बिलकुल वैसा ही किया।” (यहे. 9:11) शायद हमारे मन में सवाल उठे, यरूशलेम के लोगों का क्या हुआ? क्या वहाँ कोई वफादार लोग थे जो नाश से ज़िंदा बचे?

दर्शन की भविष्यवाणी यहेजकेल के दिनों में कैसे पूरी हुई?

9, 10. (क) यरूशलेम के नाश से बचनेवाले कुछ वफादार लोग कौन थे? (ख) वे कैसे लोग थे?

9 दूसरा इतिहास 36:17-20 पढ़िए। यहेजकेल की भविष्यवाणी ईसा पूर्व 607 में पूरी हुई जब बैबिलोन की सेना ने यरूशलेम और उसके मंदिर का नाश कर दिया। बैबिलोन ‘यहोवा के हाथ में प्याला’ था, जिसे यहोवा ने यरूशलेम के विश्‍वासघाती लोगों पर उँडेल दिया और उन्हें सज़ा दी। (यिर्म. 51:7) क्या उस वक्‍त अंधाधुंध सबको खत्म कर दिया गया? जी नहीं। दर्शन में बताया गया था कि कुछ लोगों को बचाया जाएगा।—उत्प. 18:22-33; 2 पत. 2:9.

10 ऐसे कई वफादार लोग थे जिनकी जान बचायी गयी। जैसे रेकाबी लोग, इथियोपियाई एबेद-मेलेक, भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह और उसका सचिव बारूक। (यिर्म. 35:1-9; 39:15-18; 45:1-5) यहेजकेल के दर्शन से हम समझ सकते हैं कि यरूशलेम के नाश से पहले वे वहाँ के “घिनौने कामों की वजह से आहें भरते और कराहते” थे। (यहे. 9:4) उन्हें वहाँ के बुरे कामों से घिन हो गयी होगी और वे शुद्ध उपासना करने के इरादे पर डटे रहे होंगे। यही वजह है कि वे बचने के लायक ठहरे।

11. दवात लिया हुआ आदमी और हथियार लिए हुए आदमी किन्हें दर्शाते हैं?

11 क्या उन वफादार लोगों के माथे पर सचमुच निशान लगाया गया था? बाइबल में कहीं नहीं लिखा है कि यहेजकेल ने या किसी और भविष्यवक्‍ता ने पूरे यरूशलेम में जाकर वफादार लोगों के माथे पर निशान लगाया। तो ज़ाहिर है कि शास्त्री की दवात लिया हुआ आदमी और हथियार पकड़े हुए छ: आदमी स्वर्ग के प्राणियों को दर्शाते हैं, जो हमेशा यहोवा की इच्छा पूरी करने के लिए तैयार रहते हैं। (भज. 103:20, 21) यहेजकेल ने दर्शन में जो देखा, वह शायद इस बात की झलक थी कि यरूशलेम के नाश के वक्‍त स्वर्गदूत क्या कर रहे थे। यहोवा ने स्वर्गदूतों को भेजा होगा ताकि वे यरूशलेम के लोगों को सज़ा देने के काम का निर्देश करें। स्वर्गदूतों का काम किसी को नज़र नहीं आया होगा मगर उन्होंने इस बात का ध्यान रखा होगा कि यरूशलेम में अंधाधुंध मार-काट न मचे और वफादार लोगों को बचाया जाए, मानो उनके माथे पर निशान लगाया गया हो।

यह भविष्यवाणी आज क्या मायने रखती है?

12, 13. (क) यहोवा ने यरूशलेम पर क्यों क्रोध का प्याला उँडेला? (ख) हम क्यों कह सकते हैं कि आज भी यहोवा कुछ ऐसा ही करेगा? (ग) क्या बगावती यरूशलेम ईसाईजगत को दर्शाता है? समझाइए। (यह बक्स देखें: “क्या यरूशलेम ईसाईजगत को दर्शाता है?”)

12 आज हम ऐसे समय में जी रहे हैं जब यहोवा इतने बड़े पैमाने पर दुष्टों का नाश करेगा जितना कि उसने पहले कभी नहीं किया था। जल्द ही ‘ऐसा महा-संकट आएगा जैसा दुनिया की शुरूआत से न अब तक आया और न फिर कभी आएगा।’ (मत्ती 24:21) आज जब हम उस महा-विपत्ति का इंतजार कर रहे हैं, तो हमारे मन में कई सवाल उठ सकते हैं। जैसे, क्या आनेवाले वक्‍त में सिर्फ दुष्टों का नाश होगा? क्या यहोवा की शुद्ध उपासना करनेवालों को बचाने के लिए उन पर किसी तरह का निशान लगाया जाएगा? दूसरे शब्दों में कहें तो क्या कलम-दवातवाले आदमी के बारे में की गयी भविष्यवाणी हमारे दिनों में भी पूरी होगी? तीनों सवालों का जवाब है, हाँ। लेकिन हम यह पक्के तौर पर कैसे कह सकते हैं? जवाब के लिए आइए दोबारा यहेजकेल के दर्शन पर गौर करें।

13 क्या आपको याद है कि यहोवा ने प्राचीन यरूशलेम पर क्यों अपने क्रोध का प्याला उँडेला था? एक बार फिर यहेजकेल 9:8, 9 पर गौर कीजिए। (पढ़िए।) जब यहेजकेल को चिंता होने लगी कि यहोवा शायद “इसराएल में बचे लोगों में से किसी को भी ज़िंदा नहीं छोड़ेगा,” तो यहोवा ने उसे बताया कि वह लोगों को क्यों सज़ा दे रहा है। उसने इसकी चार वजह बतायीं। पहली वजह, देश के लोगों ने “गुनाह करने में सारी हदें पार कर दी हैं।” * दूसरी वजह, यहूदा देश “खून-खराबे से भर गया है।” तीसरी वजह, यहूदा की राजधानी यरूशलेम में “हर कहीं भ्रष्टाचार-ही-भ्रष्टाचार है।” चौथी वजह, लोग अपने गलत कामों को सही ठहराने के लिए कहते हैं कि यहोवा उन्हें “नहीं देख रहा” है। क्या आज दुनिया की हालत भी कुछ ऐसी ही नहीं है? अनैतिकता, हिंसा, भ्रष्टाचार और विश्‍वासघात आम हो गया है। यहोवा बदलता नहीं है, इसलिए जैसे यहेजकेल के दिनों में उसका क्रोध भड़का था और उसने दुष्टों को सज़ा दी थी, वैसे ही वह आज भी सज़ा देगा। (याकू. 1:17; मला. 3:6) तो यह कहना सही होगा कि वे छ: आदमी और कलम-दवात लिया हुआ आदमी, जो स्वर्ग के प्राणियों को दर्शाते हैं, हमारे दिनों में भी यहोवा का दिया काम पूरा करेंगे।

हथियार पकड़े हुए छ: आदमियों को बहुत जल्द एक काम सौंपा जाएगा (पैराग्राफ 12, 13 देखें)

14, 15. कैसे पता चलता है कि यहोवा नाश करने से पहले लोगों को चेतावनी देता है?

14 यहेजकेल के दर्शन की भविष्यवाणी आज हमारे ज़माने में कैसे पूरी हो रही है और भविष्य में कैसे पूरी होगी? अगर हम गौर करें कि यह भविष्यवाणी पहले कैसे पूरी हुई थी, तो हम जान पाएँगे कि आज यह कैसे पूरी हो रही है और आगे कैसे पूरी होगी। ध्यान दीजिए कि आज हमारी आँखों के सामने क्या हो रहा है और हम आगे क्या उम्मीद कर सकते हैं।

15 नाश करने से पहले यहोवा लोगों को चेतावनी देता है।  जैसे हमने इस किताब के अध्याय 11 में देखा था, यहोवा ने यहेजकेल को “इसराएल के घराने के लिए पहरेदार” ठहराया था। (यहे. 3:17-19) ईसा पूर्व 613 से यहेजकेल इसराएल के लोगों को साफ शब्दों में चेतावनी देने लगा कि नाश आनेवाला है। यशायाह और यिर्मयाह जैसे कई और भविष्यवक्‍ताओं ने भी चेतावनी दी कि यरूशलेम पर विपत्ति आएगी। (यशा. 39:6, 7; यिर्म. 25:8, 9, 11) आज हमारे दिनों में यहोवा ने मसीह के ज़रिए अभिषिक्‍त जनों से बने एक छोटे समूह को भी एक ज़िम्मेदारी सौंपी है। उन्हें न सिर्फ घर के कर्मचारियों को यानी शुद्ध उपासना करनेवालों को सच्चाई की खुराक देनी है बल्कि दूसरों को चेतावनी भी देनी है कि महा-संकट बहुत जल्द आनेवाला है।—मत्ती 24:45.

16. क्या यहोवा के लोग निशान लगाने का काम करते हैं? समझाइए।

16 नाश से बचनेवालों पर निशान लगाने का काम यहोवा के लोग नहीं करते।  यहेजकेल से यह नहीं कहा गया था कि वह पूरे यरूशलेम का दौरा करे और उन लोगों पर निशान लगाए जिन्हें नाश से बचाया जाता। उसी तरह आज यहोवा के लोगों से यह नहीं कहा गया है कि वे उन लोगों पर निशान लगाएँ जो नाश से बचने के योग्य हैं। हम सब मसीह के घराने के कर्मचारी हैं और इस नाते हमें प्रचार करने का काम सौंपा गया है। हम पूरी गंभीरता से यह ज़िम्मेदारी निभाते हैं, इसलिए हम राज की खुशखबरी सुनाते हैं और लोगों को चेतावनी देते हैं कि इस दुष्ट संसार का बहुत जल्द अंत होनेवाला है। (मत्ती 24:14; 28:18-20) इस तरह हम शुद्ध उपासना करने का फैसला करने में नेकदिल लोगों की मदद करते हैं।—1 तीमु. 4:16.

17. आनेवाले नाश से बचने के लिए लोगों को अभी से क्या करना होगा?

17 आनेवाले नाश से बचने के लिए लोगों को अभी अपने विश्‍वास का सबूत देना होगा।  जो लोग ईसा पूर्व 607 में यरूशलेम के नाश से बचे, उन्होंने उस नाश से पहले ही  साबित किया था कि वे देश में हो रही बुराई से नफरत करते हैं और वे हर हाल में शुद्ध उपासना करते रहेंगे। आज भी लोगों से यही उम्मीद की जाती है। उन्हें आनेवाले नाश से पहले ही  साबित करना होगा कि वे दुनिया में फैली दुष्टता को देखकर बहुत दुखी हैं और “आहें भरते और कराहते हैं।” उन्हें अपनी भावनाओं को दिल में दबाकर नहीं रखना है बल्कि अपनी बातों और व्यवहार से साबित करना है कि वे भी शुद्ध उपासना करना चाहते हैं। यह वे कैसे कर सकते हैं? उन्हें जो खुशखबरी सुनायी जाती है उसे स्वीकार करना होगा, मसीह के जैसे गुण अपने अंदर बढ़ाते रहना होगा, यहोवा को अपना जीवन समर्पित करके बपतिस्मा लेना होगा और मसीह के भाइयों का लगातार साथ देना होगा। (यहे. 9:4; मत्ती 25:34-40; इफि. 4:22-24; 1 पत. 3:21) सिर्फ उन लोगों पर निशान लगाया जाएगा जो अभी से ऐसा करते हैं और महा-संकट की शुरूआत के वक्‍त शुद्ध उपासना कर रहे होंगे। उन्हीं लोगों को नाश से बचाया जाएगा।

18. (क) यीशु कब और कैसे योग्य लोगों पर निशान लगाएगा? (ख) क्या अभिषिक्‍त जनों पर निशान लगाने की ज़रूरत होगी? समझाइए।

18 योग्य लोगों पर निशान लगाने का काम यीशु करेगा।  यहेजकेल के दिनों में नाश से बचनेवाले वफादार लोगों पर निशान लगाने में स्वर्गदूत भी शामिल थे। कलम-दवात लिया हुआ आदमी आज यीशु मसीह को दर्शाता है जो सब राष्ट्रों का न्यायी बनकर “पूरी महिमा के साथ” आएगा। (मत्ती 25:31-33) यह घटना महा-संकट के दौरान झूठे धर्मों के नाश के बाद होगी। * इतिहास के उस अहम मोड़ पर यानी हर-मगिदोन के शुरू होने से कुछ ही समय पहले यीशु लोगों का न्याय करेगा कि उनमें कौन भेड़ समान है और कौन बकरी समान। “बड़ी भीड़” के लोगों पर निशान लगाया जाएगा कि वे भेड़ समान हैं, इसलिए वे “हमेशा की ज़िंदगी पाएँगे।” (प्रका. 7:9-14; मत्ती 25:34-40, 46) क्या वफादार अभिषिक्‍त जनों पर भी निशान लगाया जाएगा? जी नहीं। उन्हें हर-मगिदोन से बचाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी, क्योंकि उनकी मौत से पहले या फिर महा-संकट शुरू होने से पहले उन पर आखिरी मुहर लग चुकी होगी। फिर हर-मगिदोन के शुरू होने से कुछ समय पहले धरती पर बचे हुए अभिषिक्‍त जनों को स्वर्ग उठा लिया जाएगा।—प्रका. 7:1-3.

19. जब यीशु इस दुनिया का नाश करेगा, तो उसके साथ कौन होंगे? (यह बक्स देखें: “आहें भरना और कराहना, निशान लगाना, चूर-चूर करना—कब और कैसे होगा?”)

19 राजा यीशु मसीह और स्वर्ग की सेना मिलकर इस दुष्ट व्यवस्था का नाश करेंगे।  यहेजकेल ने दर्शन में देखा कि जब मलमल की पोशाक पहना हुआ आदमी लोगों पर निशान लगा चुका था, तो उसके बाद ही हथियार पकड़े हुए छ: आदमियों ने दुष्टों का नाश करना शुरू किया। (यहे. 9:4-7) उसी तरह आनेवाले वक्‍त में जब यीशु सब राष्ट्रों के लोगों का न्याय कर चुका होगा और भेड़ समान लोगों पर निशान लगा चुका होगा, तो इसके बाद ही नाश शुरू होगा। फिर हर-मगिदोन के युद्ध के दौरान यीशु अपनी सेना के साथ मिलकर इस दुष्ट संसार का नाश करेगा। उसकी सेना पवित्र स्वर्गदूतों और उसके सभी 1,44,000 साथी राजाओं से मिलकर बनी होगी। वे सब मिलकर इस बुरी दुनिया का नामो-निशान मिटा देंगे और शुद्ध उपासना करनेवालों को एक नयी दुनिया में ले जाएँगे जहाँ नेकी होगी।—प्रका. 16:14-16; 19:11-21.

20. दवात लिए आदमी के दर्शन से हमने कौन-सी अच्छी बातें सीखीं?

20 शास्त्री की दवात लिए आदमी के बारे में यहेजकेल के दर्शन से हमने कितनी अच्छी बातें सीखीं। हम पूरा भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा दुष्टों के साथ-साथ नेक लोगों का नाश नहीं करेगा। (भज. 97:10) हमने जाना कि आज हमें क्या करना चाहिए ताकि भविष्य में हम पर निशान लगाया जाए और हमें बचाया जाए। यहोवा की उपासना करनेवालों के नाते हमने अटल फैसला किया है कि हम ऐसे लोगों को खुशखबरी सुनाते रहेंगे जो दुनिया में होनेवाले दुष्ट कामों को देखकर आहें भरते और कराहते हैं और हम आनेवाले अंत की चेतावनी भी देते रहेंगे। ऐसा करने से हम उन लोगों की मदद कर पाएँगे जो “हमेशा की ज़िंदगी पाने के लायक अच्छा मन रखते” हैं। तब वे भी हमारे साथ मिलकर शुद्ध उपासना कर पाएँगे और इस लायक ठहरेंगे कि उन पर निशान लगाया जाए और उन्हें बचाकर नयी दुनिया में ले जाया जाए।—प्रेषि. 13:48.

^ पैरा. 1 यहेजकेल ने मंदिर में हो रहे घिनौने कामों का जो दर्शन देखा, उसके बारे में इस किताब के अध्याय 5 में समझाया गया है।

^ पैरा. 13 जिस इब्रानी संज्ञा का अनुवाद “गुनाह” किया गया है, उसके बारे में एक किताब कहती है कि उसका मतलब “बहुत ही नीच काम” है। एक और किताब कहती है कि यह संज्ञा “धर्म से जुड़ी बातों के सिलसिले में इस्तेमाल होती है और ज़्यादातर नैतिक पापों के लिए या ऐसे कामों के लिए इस्तेमाल होती है जो परमेश्‍वर की नज़र में बहुत बुरे हैं।”

^ पैरा. 18 महानगरी बैबिलोन के नाश का मतलब शायद यह नहीं है कि झूठे धर्मों को माननेवाले सब लोग मार डाले जाएँगे। उस वक्‍त शायद कुछ पादरी भी झूठे धर्मों को छोड़ देंगे और दावा करेंगे कि वे उन धर्मों को कभी मानते ही नहीं थे।—जक. 13:3-6.