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पाठ 50

माता-पिता और बच्चे कैसे खुश रह सकते हैं?

माता-पिता और बच्चे कैसे खुश रह सकते हैं?

बच्चे यहोवा की तरफ से अनमोल तोहफे हैं। यहोवा चाहता है कि माता-पिता उनकी अच्छी देखभाल करें। इसके लिए उसने माता-पिताओं को बढ़िया सलाह दी है। यहोवा ने बच्चों को भी कुछ सलाह दी है जिन्हें मानने से पूरा परिवार खुश रह सकता है।

1. यहोवा ने माता-पिताओं को क्या सलाह दी है?

यहोवा माता-पिताओं से उम्मीद करता है कि वे अपने बच्चों को ढेर सारा प्यार दें और जितना हो सके, उनके साथ वक्‍त बिताएँ। वह यह भी चाहता है कि माता-पिता अपने बच्चों को हर खतरे से बचाएँ और बाइबल सिद्धांतों के मुताबिक उन्हें सिखाएँ। (नीतिवचन 1:8) बाइबल में पिताओं को सलाह दी गयी है, ‘यहोवा की मरज़ी के मुताबिक अपने बच्चों को समझाओ और उनकी परवरिश करो।’ (इफिसियों 6:4 पढ़िए।) बच्चों की परवरिश करने में जब माता-पिता यहोवा की सलाह मानते हैं और अपनी यह ज़िम्मेदारी दूसरों पर नहीं डालते, तो यहोवा बहुत खुश होता है।

2. यहोवा ने बच्चों को क्या सलाह दी है?

यहोवा बच्चों से कहता है, “अपने माता-पिता का कहना माननेवाले बनो।” (कुलुस्सियों 3:20 पढ़िए।) जब बच्चे माता-पिता का कहना मानते हैं और उनका आदर करते हैं, तो वे यहोवा का दिल खुश करते हैं और अपने माता-पिता का भी। (नीतिवचन 23:22-25) यीशु जब छोटा था तो उसने इस मामले में एक अच्छी मिसाल रखी। उसके माता-पिता अपरिपूर्ण थे, फिर भी उसने उनकी आज्ञा मानी और उनका आदर किया।​—लूका 2:51, 52.

3. पूरा परिवार मिलकर यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता कैसे मज़बूत कर सकता है?

अगर आपके बच्चे हैं, तो आप यही चाहेंगे कि आपके बच्चे भी यहोवा से उतना ही प्यार करें जितना आप करते हैं। आप उनकी मदद कैसे कर सकते हैं? बाइबल की यह सलाह मानिए, ‘तुम यहोवा की बातें अपने बेटों के मन में बिठाना और अपने घर में बैठे, सड़क पर चलते इनके बारे में उनसे चर्चा करना।’ (व्यवस्थाविवरण 6:7) ‘मन में बिठाने’ का मतलब है, किसी बात को सिखाने के लिए उसे बार-बार दोहराना। आप तो जानते हैं कि बच्चे कोई भी बात एक बार में याद नहीं रख पाते, उन्हें बार-बार बताना पड़ता है। इस वचन में यही बताया गया है कि आपको जब कभी मौका मिलता है, आप अपने बच्चों से यहोवा के बारे में बात करें। इसके अलावा, अच्छा होगा कि आप हर हफ्ते एक समय रखें ताकि पूरा परिवार मिलकर पारिवारिक उपासना कर सके। अगर आपके बच्चे नहीं हैं, तब भी हर हफ्ते परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करने से आपको फायदा होगा।

और जानिए

आइए कुछ सुझावों पर ध्यान दें जिन्हें मानने से परिवार में सभी खुश रहेंगे और सुरक्षित महसूस करेंगे।

4. अपने बच्चों को प्यार से सिखाइए

बच्चों को सिखाना आसान नहीं होता। लेकिन बाइबल किस तरह आपकी मदद कर सकती है? याकूब 1:19, 20 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:

  • माता-पिता किस तरह अपने बच्चे से बात कर सकते हैं जिससे बच्चा उनका प्यार महसूस कर पाए?

  • जब बच्चे से कोई गलती हो जाती है, तो माता-पिता को क्यों गुस्से में आकर उसे सुधारना नहीं चाहिए? a

5. अपने बच्चों की हिफाज़त कीजिए

बच्चों की हिफाज़त करने के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि आप अपने हर बच्चे को सेक्स के बारे में समझाएँ। इस विषय पर बात करने में आप शायद झिझक महसूस करें। वीडियो देखिए फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:

  • कुछ माता-पिताओं के लिए अपने बच्चों से सेक्स के बारे में बात करना क्यों मुश्‍किल होता है?

  • इस विषय के बारे में समझाने के लिए कुछ माता-पिताओं ने क्या किया है?

जैसा बाइबल में बताया गया था, आज शैतान की दुनिया बद-से-बदतर हो रही है। दूसरा तीमुथियुस 3:1, 13 पढ़िए। फिर आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:

  • वचन 13 में जिन दुष्ट लोगों का ज़िक्र है, उनमें से कुछ लोग ऐसे हैं जो बच्चों के साथ गलत काम करते हैं। इस वचन को ध्यान में रखते हुए यह क्यों ज़रूरी है कि माता-पिता अपने बच्चों को सेक्स के बारे में समझाएँ और बुरे लोगों से खुद की हिफाज़त करना सिखाएँ?

क्या आप जानते हैं?

यहोवा के साक्षी कई प्रकाशन तैयार करते हैं जिनसे माता-पिताओं को बहुत मदद मिलती है। इनमें बताया गया है कि माता-पिता किस तरह अपने बच्चों को सेक्स के बारे में समझा सकते हैं और गलत लोगों से कैसे उन्हें बचा सकते हैं। कुछ प्रकाशन आगे बताए गए हैं:

6. अपने माता-पिता का आदर कीजिए

बच्चे और नौजवान अपने बात करने के तरीके से दिखा सकते हैं कि वे अपने माता-पिता का आदर करते हैं। वीडियो देखिए फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:

  • मम्मी-पापा के साथ आदर से बात करने से नौजवानों को क्या फायदा होगा?

  • मम्मी-पापा के साथ आदर से बात करने के लिए नौजवान क्या-क्या कर सकते हैं?

नीतिवचन 1:8 पढ़िए। फिर आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:

  • जब एक नौजवान को उसके माता-पिता कुछ सलाह देते हैं, तो उसे क्या करना चाहिए?

7. अपने परिवार के साथ मिलकर यहोवा की उपासना कीजिए

यहोवा के साक्षी हर हफ्ते एक समय तय करते हैं ताकि वे अपने परिवार के साथ मिलकर पारिवारिक उपासना कर सकें। पारिवारिक उपासना में वे क्या करते हैं, यह जानने के लिए वीडियो देखिए फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:

  • हर हफ्ते पारिवारिक उपासना करने के लिए एक परिवार क्या कर सकता है?

  • पारिवारिक उपासना को मज़ेदार और फायदेमंद बनाने के लिए माता-पिता क्या कर सकते हैं?​—पाठ की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।

  • पारिवारिक उपासना करने में आपके सामने क्या मुश्‍किलें आ सकती हैं?

प्राचीन इसराएल में यहोवा परिवारों से यही चाहता था कि वे हर रोज़ अलग-अलग मौकों पर शास्त्र के बारे में आपस में बात करें। व्यवस्थाविवरण 6:6, 7 पढ़िए। फिर आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:

  • आप इस सिद्धांत को किस तरह मान सकते हैं?

पारिवारिक उपासना के लिए सुझाव:

कुछ लोग कहते हैं: “बाइबल की बातें बच्चे कहाँ समझेंगे।”

  • आप क्या जवाब देंगे?

अब तक हमने सीखा

यहोवा माता-पिताओं से उम्मीद करता है कि वे बच्चों को ढेर सारा प्यार दें, उन्हें सिखाएँ और उनकी हिफाज़त करें। वह बच्चों से यह चाहता है कि वे अपने माता-पिता का आदर करें और उनका कहना मानें। वह परिवारों से चाहता है कि वे मिलकर उसकी उपासना करें।

आप क्या कहेंगे?

  • अपने बच्चों को सिखाने और उनकी हिफाज़त करने के लिए माता-पिता क्या कर सकते हैं?

  • माता-पिता का आदर करने के लिए बच्चे क्या कर सकते हैं?

  • एक तय समय पर हर हफ्ते पारिवारिक उपासना करने के क्या फायदे होते हैं?

लक्ष्य

ये भी देखें

आप बच्चों को कौन-सी बातें सिखा सकते हैं जो बड़े होने पर उनके काम आएँ?

“बच्चों के लिए छ: अहम सीख” (सजग होइए!  अंक 2 2019)

बाइबल में उन लोगों के लिए क्या सलाह दी गयी है जो बुज़ुर्ग माँ-बाप की देखभाल करते हैं? आइए जानें।

“पवित्र शास्त्र बुज़ुर्ग माता-पिता की देखभाल के बारे में क्या कहता है?” (jw.org पर दिया लेख)

एक आदमी अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करना चाहता था, लेकिन नहीं जानता था कि वह यह कैसे करे। आइए देखें कि वह कैसे एक अच्छा पिता बन पाया।

यहोवा ने हमें बच्चों की परवरिश करना सिखाया  (5:58)

जानिए कि परिवार में पिता अपने बेटों के साथ अपना रिश्‍ता कैसे मज़बूत कर सकते हैं।

“बाप-बेटे का रिश्‍ता, कैसे है गहराता?” (प्रहरीदुर्ग,  अप्रैल-जून, 2012)

a जब बाइबल में शब्द “सुधारना” आता है, तो इसमें सिखाना, समझाना, सही राह दिखाना और सज़ा देना भी शामिल है। पर इसका कभी यह मतलब नहीं होता कि बच्चों के साथ दुर्व्यवहार किया जाए या बेरहमी से पेश आया जाए।​—नीतिवचन 19:18.