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दुनिया के साथ दोस्ती

दुनिया के साथ दोस्ती

आज दुनिया पर किसका राज है?

इफ 2:2; 1यूह 5:19

  • इससे जुड़े किस्से:

    • लूक 4:5-8​—जब शैतान ने यीशु से कहा कि वह उसे पूरी दुनिया का शासक बना सकता है, तो यीशु ने इस बात से इनकार नहीं किया कि शैतान के पास ऐसा करने का अधिकार है

अगर हम दुनिया के साथ दोस्ती करेंगे, तो इसका यहोवा के साथ हमारी दोस्ती पर क्या असर पड़ेगा?

याकू 4:4; 1यूह 2:15, 16

ये भी देखें: याकू 1:27

  • इससे जुड़े किस्से:

    • 2इत 18:1-3; 19:1, 2​—यहोवा ने राजा यहोशापात को डाँटा क्योंकि उसने दुष्ट राजा अहाब से दोस्ती की

दुनिया के बारे में यहोवा का जो नज़रिया है, उसे ध्यान में रखने से हम कैसे लोगों से दोस्ती करेंगे?

ये देखें: “दोस्त, संगति

पैसों और चीज़ों के बारे में लोगों की जो सोच है, उससे हम क्यों दूर रहते हैं?

नैतिकता के मामले में हम दुनिया की सोच क्यों ठुकरा देते हैं?

हमें क्यों किसी भी इंसान या संगठन को हद-से-ज़्यादा सम्मान नहीं देना चाहिए?

मत 4:10; रोम 1:25; 1कुर 10:14

  • इससे जुड़े किस्से:

    • प्रेष 12:21-23​—जब हेरोदेस अग्रिप्पा ने लोगों को अपनी उपासना करने दी, तो यहोवा ने तुरंत उसे मार डाला

    • प्रक 22:8, 9​—जब यूहन्‍ना एक स्वर्गदूत के आगे झुकने लगा, तो स्वर्गदूत ने उसे रोक दिया और कहा कि उसे सिर्फ यहोवा की उपासना करनी चाहिए

राजनैतिक और देश-भक्‍ति के मामलों में मसीही क्यों निष्पक्ष रहते हैं?

मसीही क्यों दूसरे धर्मों के त्योहारों, रीति-रिवाज़ों वगैरह में शामिल नहीं होते?

यहोवा के स्तरों के बारे में लोगों का जो नज़रिया है, हम वह क्यों नहीं अपनाते?

यह दुनिया क्यों अकसर मसीहियों से नफरत करती है और उन्हें सताती है?

दुनिया और उसकी चीज़ों से प्यार करना क्यों बेवकूफी होगी?

जो लोग यहोवा की सेवा नहीं करते, उनके साथ मसीही कैसे प्यार से पेश आते हैं?

मसीही क्यों अधिकारियों का आदर करते हैं और कायदे-कानून मानते हैं?

मत 22:21; रोम 13:1-7

  • इससे जुड़े किस्से:

    • प्रेष 25:8; 26:2, 25​—प्रेषित पौलुस नियम-कानून मानता था और अधिकारियों का आदर करता था