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दिल, मन

दिल, मन

कैसे पता चलता है कि बाइबल में कई बार “दिल” या “मन” का मतलब है, हमारे अंदर का इंसान जिसमें हमारे सोच-विचार, इरादे, गुण और भावनाएँ शामिल हैं?

भज 49:3; नीत 16:9; लूक 5:22; प्रेष 2:26

ये भी देखें: व्य 15:7; भज 19:8

  • इससे जुड़े किस्से:

    • लूक 9:46-48​—यीशु ने अपने प्रेषितों का दिल देख लिया था कि वे बड़ा बनना चाहते हैं, इसलिए उसने उनकी सोच सुधारी

यह क्यों ज़रूरी है कि हम अपने दिल की हिफाज़त करें?

1इत 28:9; नीत 4:23; यिर्म 17:9

  • इससे जुड़े किस्से:

    • उत 6:5-7​—अपने मन की बुराई की वजह से इंसान ने दुष्टता की, इसलिए परमेश्‍वर ने जलप्रलय लाकर उन्हें मिटा दिया

    • 1रा 11:1-10​—राजा सुलैमान ने अपने दिल की हिफाज़त नहीं की, इसलिए उसने दूसरे देशों की औरतों से शादी कर ली। उन्हीं औरतें ने उसका दिल बहका दिया और वह यहोवा से दूर चला गया

    • मर 7:18-23​—यीशु ने समझाया कि सारी बुरी इच्छाएँ इंसान के दिल में पैदा होती हैं, जिससे वह ऐसे काम करने लग सकता है जिनसे यहोवा को नफरत है

हम अपने दिल की हिफाज़त कैसे कर सकते हैं?

भज 19:14; नीत 3:3-6; लूक 21:34; फिल 4:8

ये भी देखें: एज 7:8-10; भज 119:11

  • इससे जुड़े किस्से:

    • इफ 6:14-18; 1थि 5:8​—प्रेषित पौलुस ने समझाया कि जिस तरह कवच पहनने से एक सैनिक के दिल की हिफाज़त होती है, उसी तरह नेकी, विश्‍वास और प्यार की वजह से हमारे अंदर के इंसान की हिफाज़त होती है

हम कैसे जान सकते हैं कि हमारे लाक्षणिक दिल में कोई समस्या है?

नीत 21:2-4; इब्र 3:12

ये भी देखें: नीत 6:12-14

  • इससे जुड़े किस्से:

    • 2इत 25:1, 2, 17-27​—राजा अमज्याह ने कुछ समय के लिए यहोवा की नज़र में सही काम किया, पर पूरे दिल से नहीं। इसलिए वह घमंडी हो गया और यहोवा की बात नहीं मानी, जिसके अंजाम उसे भुगतने पड़े

    • मत 7:17-20​—यीशु ने समझाया कि जिस तरह एक सड़ा हुआ पेड़ खराब फल देता है, उसी तरह अगर हमारे मन में बुराई होगी, तो हम बुरे काम करेंगे

हमें अच्छे दिल का क्यों होना चाहिए और इसके लिए हमें क्या करना होगा?

नीत 10:8; 15:28; लूक 6:45

ये भी देखें: भज 119:97, 104; रोम 12:9-16; 1ती 1:5

  • इससे जुड़े किस्से:

    • 2रा 20:1-6​—राजा हिजकियाह यहोवा का वफादार रहा और पूरे दिल से उसकी सेवा की। इसलिए जब वह बीमार हो गया और मरनेवाला था, तो वह यहोवा से मदद के लिए बिनती कर पाया

    • मत 21:28-32​—यीशु ने एक उदाहरण देकर समझाया कि एक इंसान के दिल में क्या है, वह उसकी बातों से ज़्यादा उसके कामों से पता चलता है

यहोवा दिलों को जाँचता है, यह जानकर हमें क्यों दिलासा मिलता है?

1इत 28:9; यिर्म 17:10

ये भी देखें: 1शम 2:3

  • इससे जुड़े किस्से:

    • 1शम 16:1-13​—भविष्यवक्‍ता शमूएल ने सीखा कि यहोवा हमारा बाहरी रूप नहीं बल्कि हमारा दिल देखता है

    • 2इत 6:28-31​—यहोवा के मंदिर के उद्‌घाटन में राजा सुलैमान ने जो प्रार्थना की, उससे पता चलता है कि यहोवा हरेक का दिल अच्छी तरह जानता है और उसके मुताबिक हम पर दया करता है