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दौलत और चीज़ों से प्यार

दौलत और चीज़ों से प्यार

क्या बाइबल में ऐसा बताया गया है कि पैसा, संपत्ति और चीज़ें होना गलत है?

सभ 7:12

  • इससे जुड़े किस्से:

    • 1रा 3:11-14​—यहोवा ने राजा सुलैमान को बहुत दौलत दी क्योंकि वह नम्र था

    • अय 1:1-3, 8-10​—अय्यूब के पास बहुत दौलत थी, फिर भी यहोवा के साथ उसका जो रिश्‍ता था वह उसके लिए सबसे ज़रूरी था

पैसों और चीज़ों से हमें क्यों सच्ची खुशी नहीं मिलती?

कब दौलत हमारे किसी काम की नहीं होती?

अमीर होने का सबसे बड़ा खतरा क्या है?

पैसे पर भरोसा करने से हम कैसे धोखा खा सकते हैं?

नीत 11:4, 18, 28; 18:11; मत 13:22

  • इससे जुड़े किस्से:

    • प्रेष 8:18-24​—शमौन को लगा कि वह पैसे देकर वह अधिकार खरीद सकता है जो मंडली में कुछ भाइयों के पास था, पर वह गलत था

पैसों के चक्कर में हम क्या खो सकते हैं?

मत 6:19-21; लूक 17:31, 32

  • इससे जुड़े किस्से:

    • मर 10:17-23​—एक अमीर आदमी को अपनी दौलत से इतना प्यार था कि उसने यीशु का चेला होने का बढ़िया मौका गँवा दिया

    • 1ती 6:17-19​—पौलुस ने अमीर मसीहियों को खबरदार किया कि वे घमंडी ना बनें, वरना परमेश्‍वर उनसे खुश नहीं होगा

दौलत और चीज़ों से लगाव रखने से कैसे हमारा विश्‍वास कमज़ोर हो सकता है और हम यहोवा की मंज़ूरी खो सकते हैं?

व्य 8:10-14; नीत 28:20; 1यूह 2:15-17

ये भी देखें: भज 52:6, 7; आम 3:12, 15; 6:4-8

  • इससे जुड़े किस्से:

    • अय 31:24, 25, 28​—अय्यूब समझ गया था कि दौलत पर भरोसा रखना गलत है, क्योंकि ऐसा करना दिखाता कि उसे परमेश्‍वर पर भरोसा नहीं है

    • लूक 12:15-21​—यीशु ने एक दौलतमंद आदमी की मिसाल दी, जो परमेश्‍वर की नज़र में कंगाल था। इस तरह उसने खबरदार किया कि हमें अपनी संपत्ति बढ़ाने में नहीं लग जाना चाहिए

हमारे पास जो है, उसी में खुश रहना हम कैसे सीख सकते हैं?

कौन-सा खज़ाना दौलत और चीज़ों से बढ़कर है और क्यों?

नीत 3:11, 13-18; 10:22; मत 6:19-21

  • इससे जुड़े किस्से:

    • हाग 1:3-11​—यहोवा ने भविष्यवक्‍ता हाग्गै के ज़रिए अपने लोगों को बताया कि अब उन पर उसकी आशीष नहीं है, क्योंकि वे उसका मंदिर बनाने के बजाय अपने-अपने घर बनाने और आराम की ज़िंदगी बिताने में लगे हुए हैं

    • प्रक 3:14-19​—यीशु ने लौदीकिया की मंडली को डाँटा क्योंकि वे यहोवा की सेवा से ज़्यादा अपनी दौलत को अहमियत दे रहे थे

हमें क्यों यहोवा पर भरोसा रखना चाहिए कि वह हमारी ज़रूरतों का खयाल रखेगा?