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ज़ुल्म

ज़ुल्म

मसीही कैसे जानते हैं कि उन्हें सताया जाएगा?

जब हम पर ज़ुल्म किया जाता है, तो इसे सहने के लिए हमें क्यों यहोवा से ताकत माँगनी चाहिए?

भज 55:22; 2कुर 12:9, 10; 2ती 4:16-18; इब्र 13:6

  • इससे जुड़े किस्से:

    • 1रा 19:1-18​—जब भविष्यवक्‍ता एलियाह पर ज़ुल्म किया गया, तो उसने यहोवा को अपने दिल का हाल सुनाया और उसे हौसला और दिलासा मिला

    • प्रेष 7:9-15​—यूसुफ के भाइयों ने उस पर ज़ुल्म किया, पर यहोवा उसके साथ रहा, उसकी हिफाज़त की और उसके ज़रिए उसके परिवार को भी बचाया

किन अलग-अलग तरीकों से हम पर ज़ुल्म किया जाता है?

अपमान करना, मज़ाक उड़ाना, ताने मारना

2इत 36:16; मत 5:11; प्रेष 19:9; 1पत 4:4

  • इससे जुड़े किस्से:

    • 2रा 18:17-35​—अश्‍शूर के राजा की तरफ से बोलनेवाले रबशाके ने यहोवा का अपमान किया और यरूशलेम के लोगों पर ताने कसे

    • लूक 22:63-65; 23:35-37​—यीशु को हिरासत में लिए जाने से लेकर काठ पर लटकाए जाने तक ज़ुल्म करनेवालों ने उसकी बेइज़्ज़ती की और उसका मज़ाक उड़ाया

परिवारवालों से विरोध

गिरफ्तारी और अधिकारियों के सामने लाया जाना

मारा-पीटा जाना

भीड़ का हमला

जान से मार डाला जाए

जब मसीहियों पर ज़ुल्म किया जाता है, तो वे कैसे पेश आते हैं?

मत 5:44; प्रेष 16:25; 1कुर 4:12, 13; 1पत 2:23

  • इससे जुड़े किस्से:

    • प्रेष 7:57–8:1​—जब एक भीड़, जिसमें तरसुस का रहनेवाला शाऊल भी था, स्तिफनुस को मार डाल रही थी, तो स्तिफनुस ने परमेश्‍वर से प्रार्थना की कि वह उन सभी लोगों को माफ कर दे

    • प्रेष 16:22-34​—पौलुस को मार-पीटा गया और काठ में कस दिया गया, फिर भी वह जेलर के साथ प्यार से पेश आया। इस वजह से जेलर और उसका पूरा परिवार मसीही बन गया

पहली सदी के कुछ मसीहियों के साथ क्या हुआ?

ज़ुल्म सहते वक्‍त हमारा कैसा नज़रिया होना चाहिए?

भविष्य की आशा पर ध्यान लगाए रखने से हम कैसे ज़ुल्म सह पाते हैं?

सताए जाने पर हमें क्यों नहीं डरना चाहिए या शर्मिंदा या निराश होना चाहिए? हमें क्यों यहोवा की सेवा करना नहीं छोड़ना चाहिए?

भज 56:1-4; प्रेष 4:18-20; 2ती 1:8, 12

  • इससे जुड़े किस्से:

    • 2इत 32:1-22​—जब राजा सनहेरीब बड़ी सेना लेकर यरूशलेम पर हमला करने आया, तो वफादार राजा हिजकियाह ने यहोवा पर भरोसा रखा और अपने लोगों की हिम्मत बँधायी। इसके लिए उसे बड़ी आशीष मिली

    • इब्र 12:1-3​—दुश्‍मनों ने यीशु की बहुत बेइज़्ज़ती की, पर यीशु शर्मिंदा नहीं हुआ और ना ही उसने हिम्मत हारी

ज़ुल्म के दौरान जब हम धीरज रखते हैं, तो इसके क्या अच्छे नतीजे हो सकते हैं?

यहोवा खुश होता है और उसके नाम की महिमा होती है

1पत 2:19, 20; 4:12-16

  • इससे जुड़े किस्से:

    • अय 1:6-22; 2:1-10​—अय्यूब नहीं जानता था कि उसकी तकलीफों के पीछे शैतान का हाथ है, फिर भी वह यहोवा का वफादार रहा। इस तरह उसने यहोवा की महिमा की और शैतान को झूठा साबित किया

    • दान 1:6, 7; 3:8-30​—वफादार हनन्याह, मीशाएल और अजरयाह (शदरक, मेशक और अबेदनगो) को यहोवा की आज्ञा तोड़ने के बजाय दर्दनाक मौत मरना मंज़ूर था। नतीजा, राजा नबूकदनेस्सर ने सबके सामने माना कि यहोवा ही परम-प्रधान परमेश्‍वर है

लोगों को गवाही देने का मौका मिल जाता है

लूक 21:12, 13; प्रेष 8:1, 4

  • इससे जुड़े किस्से:

    • प्रेष 11:19-21​—ज़ुल्म की वजह से जब मसीही तितर-बितर हो गए, तो और भी जगहों में खुशखबरी सुनायी जाने लगी

    • फिल 1:12, 13​—पौलुस खुश था कि उसके कैद होने की वजह से कई लोगों को खुशखबरी सुनने का मौका मिला

भाई-बहनों का विश्‍वास मज़बूत होता है

यहोवा के सेवकों पर ज़ुल्म करने के पीछे कैसे अकसर धर्म गुरुओं और राजनेताओं का हाथ होता है?

यिर्म 26:11; मर 3:6; यूह 11:47, 48, 53; प्रेष 25:1-3

  • इससे जुड़े किस्से:

    • प्रेष 19:24-29​—इफिसुस में जो लोग मूर्तियाँ बनाते थे उन्होंने मसीहियों पर ज़ुल्म किया क्योंकि उन्हें लगा कि मसीहियों के प्रचार करने की वजह से उनका धंधा खत्म हो सकता है

    • गल 1:13, 14​—मसीही बनने से पहले पौलुस (शाऊल) यहूदी धर्म का इतना कट्टर हिमायती था कि वह मसीहियों पर बुरी तरह ज़ुल्म करता था

यहोवा के सेवकों पर ज़ुल्म करने के पीछे असल में किसका हाथ होता है?