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पश्‍चाताप

पश्‍चाताप

सब इंसानों को क्यों अपने पापों का पश्‍चाताप करने और यहोवा से माफी माँगने की ज़रूरत है?

रोम 3:23; 5:12; 1यूह 1:8

ये भी देखें: प्रेष 26:20

  • इससे जुड़े किस्से:

    • लूक 18:9-14​—यीशु ने एक मिसाल देकर समझाया कि हमें अपने पाप मान लेने चाहिए और मदद के लिए यहोवा से प्रार्थना करनी चाहिए

    • रोम 7:15-25​—पौलुस एक प्रेषित था और उसका विश्‍वास बहुत मज़बूत था, फिर भी वो कभी-कभी निराश हो जाता था क्योंकि उसे अपनी पापी इच्छाओं से लड़ना पड़ता था

पश्‍चाताप करनेवालों के बारे में यहोवा कैसा महसूस करता है?

यहे 33:11; रोम 2:4; 2पत 3:9

  • इससे जुड़े किस्से:

    • लूक 15:1-10​—यीशु ने कुछ उदाहरण देकर समझाया कि जब भी एक पापी पश्‍चाताप करता है तो यहोवा और स्वर्गदूत खुशियाँ मनाते हैं

    • लूक 19:1-10​—जक्कई कर वसूलने के नाम पर लोगों को लूटता था। लेकिन जब उसने पश्‍चाताप किया और लोगों के पैसे लौटा दिए, तो यीशु ने उसे माफ कर दिया

हम कैसे दिखा सकते हैं कि हमें सच्चे दिल से पछतावा है?

जब कोई सच्चे दिल से पश्‍चाताप करता है, तो सही ज्ञान लेने से उसे कैसे मदद मिल सकती है?

रोम 12:2; कुल 3:9, 10; 2ती 2:25

  • इससे जुड़े किस्से:

    • प्रेष 17:29-31​—प्रेषित पौलुस ने एथेन्स के लोगों को बताया कि सच से अनजान होने की वजह से लोग मूर्तिपूजा करते हैं और उससे उन्हें पश्‍चाताप करने का बढ़ावा दिया

    • 1ती 1:12-15​—यीशु के बारे में सही ज्ञान ना होने की वजह से पौलुस ने बड़े-बड़े पाप किए थे

पश्‍चाताप करना कितना ज़रूरी है?

चाहे हम कितनी बार पाप करें, हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि अगर हम पश्‍चाताप करें, तो यहोवा हमें माफ कर देगा?

जो लोग अपना पाप मान लेते हैं और उसे नहीं दोहराते, यहोवा उनके बारे में कैसा महसूस करता है?

भज 32:5; नीत 28:13; 1यूह 1:9

ये भी देखें: “दया

हम कैसे जानते हैं कि पश्‍चाताप करने का मतलब सिर्फ अपनी गलती पर अफसोस करना या माफी माँगना नहीं है?

2इत 7:14; नीत 28:13; यहे 18:30, 31; 33:14-16; मत 3:8; प्रेष 3:19; 26:20

  • इससे जुड़े किस्से:

    • 2इत 33:1-6, 10-16​—राजा मनश्‍शे ने सालों-साल कई बुरे काम किए, पर फिर उसने सच्चे दिल से पश्‍चाताप किया। ऐसा उसने अपने कामों से दिखाया, जैसे उसने खुद को नम्र किया, लगातार प्रार्थना की और अपने तौर-तरीके बदले

    • भज 32:1-6; 51:1-4, 17​—राजा दाविद ने अपने पाप माने और यहोवा से प्रार्थना की। उसने यह भी कबूल किया कि उसने ये पाप यहोवा के खिलाफ किए हैं और उसे इस बात का बहुत अफसोस है। इस तरह उसने दिखाया कि उसे सच्चे दिल से पछतावा है

जब कोई हमारे खिलाफ पाप करता है और सच्चे दिल से पश्‍चाताप करता है, तो हमें क्यों उसे माफ कर देना चाहिए?

मत 6:14, 15; 18:21, 22; लूक 17:3, 4

ये भी देखें: “माफी