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काम, नौकरी

काम, नौकरी

काम और खुशी कैसे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं?

अगर हम कोई काम करने में माहिर होंगे या उसे अच्छे-से करेंगे, तो इसके क्या फायदे होंगे?

नीत 22:29

  • इससे जुड़े किस्से:

    • 1शम 16:16-23​—जवान दाविद संगीत बजाने में माहिर था, इसलिए वह राजा शाऊल के लिए बहुत काम का था। जब राजा परेशान होता था, तो दाविद संगीत बजाकर उसे शांत करता था

    • 2इत 2:13, 14​—हूराम-अबी एक कुशल कारीगर था, इसलिए जब राजा सुलैमान मंदिर बनवा रहा था, तो वह उसमें हाथ बँटा पाया

यहोवा के सेवकों को मेहनती क्यों होना चाहिए?

इफ 4:28; कुल 3:23

  • इससे जुड़े किस्से:

    • उत 24:10-21​—रिबका बहुत मेहनती थी और दूसरों की मदद करती थी। उसने अब्राहम के सेवक के लिए वह भी किया, जो उसने कहा भी नहीं था

    • फिल 2:19-23​—जवान तीमुथियुस नम्र और मेहनती था, इसलिए पौलुस ने उसे एक बड़ी ज़िम्मेदारी दी

हमें क्यों आलसी नहीं होना चाहिए?

नीत 13:4; 18:9; 21:25, 26; सभ 10:18

  • इससे जुड़े किस्से:

    • नीत 6:6-11​—राजा सुलैमान ने चींटी की मिसाल देकर सिखाया कि हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए और आलसी नहीं होना चाहिए

अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए हमें मेहनत क्यों करनी चाहिए?

परिवार की देखभाल करने के लिए हमें मेहनत क्यों करनी चाहिए?

1ती 5:8

  • इससे जुड़े किस्से:

    • रूत 1:16, 17; 2:2, 3, 6, 7, 17, 18​—जवान विधवा रूत अपनी सास नाओमी का खयाल रखने के लिए बहुत मेहनत करती थी

    • मत 15:4-9​—यीशु ने ऐसे लोगों को गलत बताया, जो परमेश्‍वर की सेवा करने का बहाना बनाकर अपने परिवार की देखभाल नहीं करते

मसीही जो कमाते हैं, उसे उन्हें दूसरों के लिए भी क्यों इस्तेमाल करना चाहिए?

पैसा कमाने के बारे में हमारा क्या नज़रिया होना चाहिए?

हम कैसे जानते हैं कि अगर हम अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए मेहनत करें, तो यहोवा हमारी मदद ज़रूर करेगा?

मत 6:25, 30-32; लूक 11:2, 3; 2कुर 9:10

  • इससे जुड़े किस्से:

    • उत 31:3-13​—जब याकूब लाबान के यहाँ काम कर रहा था, तो लाबान ने उसे धोखा दिया। लेकिन यहोवा ने याकूब की मेहनत देखी और उसे आशीष दी

    • उत 39:1-6, 20-23​—जब यूसुफ पोतीफर के यहाँ काम कर रहा था और जब वह जेल में कैद था, दोनों ही बार यहोवा ने उसके काम पर आशीष दी

हमें अपनी नौकरी या काम को यहोवा की सेवा से ज़्यादा अहमियत क्यों नहीं देनी चाहिए?

भज 39:5-7; मत 6:33; यूह 6:27

  • इससे जुड़े किस्से:

    • लूक 12:15-21​—यीशु ने एक मिसाल देकर समझाया कि यह सोचना बेवकूफी है कि पैसा कमाना, यहोवा के करीब आने से ज़्यादा ज़रूरी है

    • 1ती 6:17-19​—पौलुस ने कुछ अमीर मसीहियों को चेतावनी दी कि वे घमंडी ना बन जाएँ। उसने उनसे यह भी कहा कि वे “भले कामों में धनी बनें”

नौकरी या काम चुनते वक्‍त हमें कौन-से सिद्धांत ध्यान रखने चाहिए?

  • निर्ग 20:4; प्रेष 15:29; इफ 4:28; प्रक 21:8​—क्या मुझे इस काम में कुछ ऐसा करना पड़ेगा, जो यहोवा की नज़र में गलत है?

  • निर्ग 21:22-24; यश 2:4; 1कुर 6:9, 10; 2कुर 7:1​—भले ही मैं सीधे-सीधे कुछ गलत नहीं कर रहा हूँ, पर क्या यह काम करके मैं किसी गलत चीज़ में साथ दे रहा होऊँगा? या क्या इससे दूसरों को कुछ ऐसा करने का बढ़ावा मिलेगा, जो यहोवा की नज़र में गलत है?

  • रोम 13:1-7; तीत 3:1, 2​—क्या यह काम करके मैं देश का कोई कानून तोड़ रहा होऊँगा?

  • 2कुर 6:14-16; प्रक 18:2, 4​—क्या यह काम करके मैं झूठे धर्मों का साथ दे रहा होऊँगा?

यहोवा की सेवा

मसीहियों के लिए सबसे ज़रूरी काम क्या है?

हम यहोवा की सेवा जी-जान से क्यों करना चाहते हैं?

यहोवा का एक सेवक जितना कर रहा है, उसकी तुलना हमें दूसरों से क्यों नहीं करनी चाहिए?

गल 6:3-5

  • इससे जुड़े किस्से:

    • मत 25:14, 15​—यीशु ने एक मिसाल देकर समझाया कि वह अपने सभी चेलों से एक-जैसी उम्मीद नहीं करता

    • लूक 21:2-4​—यीशु ने बताया कि एक गरीब विधवा का थोड़ा-सा दान भी बहुत अनमोल है

जब हमें यहोवा की सेवा से जुड़ा कोई काम दिया जाता है, तो उसे पूरा करने की ताकत हमें कौन देता है?

2कुर 4:7; इफ 3:20, 21; फिल 4:13

  • इससे जुड़े किस्से:

    • 2ती 4:17​—पौलुस ने बताया कि उसे जो ताकत चाहिए थी, वह उसे मिली और वह भी सही समय पर

यहोवा की सेवा जी-जान से करने से हमें क्यों खुशी मिलती है?