उपासना
हमें सिर्फ किसकी उपासना करनी चाहिए?
निर्ग 34:14; व्य 5:8-10; यश 42:8
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इससे जुड़े किस्से:
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मत 4:8-10—शैतान ने यीशु से कहा कि अगर वह बस एक बार उसकी उपासना करे, तो वह उसे दुनिया के सारे राज्य दे देगा। पर यीशु ने इनकार कर दिया और कहा कि सिर्फ परमेश्वर की उपासना करना सही है
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प्रक 19:9, 10—जब यूहन्ना एक स्वर्गदूत की उपासना करने के लिए उसके पैरों पर गिरा, तो स्वर्गदूत ने उसे रोक दिया
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यहोवा क्या चाहता है कि हमें उसकी उपासना किस तरह करनी चाहिए?
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इससे जुड़े किस्से:
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यश 1:10-17—यहोवा उन लोगों की उपासना कबूल नहीं करता, जो ऐसा करने का ढोंग करते हैं और उसके स्तरों को नहीं मानते
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मत 15:1-11—यीशु ने बताया कि यहोवा चाहता है कि हम उसके वचन के मुताबिक उसकी उपासना करें, ना कि इंसानी परंपराओं के मुताबिक
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जब भी मुमकिन हो, हमें किसके साथ यहोवा की उपासना करनी चाहिए?
ये भी देखें: भज 133:1-3
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इससे जुड़े किस्से:
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प्रेष 2:40-42—पहली सदी के मसीही प्रार्थना करने, पवित्र शक्ति के ज़रिए दी शिक्षाओं का अध्ययन करने और एक-दूसरे के साथ वक्त बिताने के लिए इकट्ठा होते थे
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1कुर 14:26-40—पौलुस ने कहा कि सभाएँ अच्छे इंतज़ाम के मुताबिक और हौसला बढ़ानेवाली होनी चाहिए ताकि सभी वे बातें समझ पाएँ, जो सिखायी जा रही हैं और उन्हें उनसे फायदा हो
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अगर हम चाहते हैं कि यहोवा हमारी उपासना कबूल करे, तो हमें क्या करना चाहिए?
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इससे जुड़े किस्से:
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इब्र 11:6—पौलुस ने समझाया कि अगर हममें विश्वास होगा, तभी यहोवा हमारी उपासना कबूल करेगा
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याकू 2:14-17, 24-26—यीशु के भाई याकूब ने समझाया कि विश्वास होने के साथ-साथ काम करना भी ज़रूरी है और हमारा विश्वास हमें काम करने के लिए उभारता है
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