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शासी निकाय का खत

शासी निकाय का खत

प्यारे भाइयो और बहनो:

हम सब यहोवा से और लोगों से बहुत प्यार करते हैं। इसलिए हम यीशु की यह आज्ञा मानते हैं, “जाओ और सब राष्ट्रों के लोगों को मेरा चेला बनना सिखाओ और उन्हें . . . बपतिस्मा दो।” (मत्ती 28:19, 20; मर. 12:28-31) सच्चे प्यार में बहुत ताकत होती है। ऐसा प्यार ‘हमेशा की ज़िंदगी पाने के लायक अच्छा मन रखनेवालों’ के दिल को छू जाता है।—प्रेषि. 13:48.

पहले हम पेशकश याद करने और किताबें-पत्रिकाएँ देने पर ध्यान देते थे। लेकिन अब हमें लोगों से बातचीत करने के अपने हुनर को बढ़ाना है। हम लोगों से प्यार करते हैं इसलिए हमें उनसे ऐसे विषय पर बात करनी चाहिए जिनमें उन्हें रुचि हो। हमें ध्यान से सोचना है कि हर व्यक्‍ति की क्या ज़रूरतें हैं, क्या चिंताएँ हैं और फिर उस हिसाब से उनसे बात करनी है। इस किताब में बताया गया है कि हम यह कैसे कर सकते हैं।

इस किताब में 12 पाठ हैं और हर पाठ में एक तरीका बताया गया है कि हम कैसे लोगों के लिए प्यार ज़ाहिर कर सकते हैं और उन्हें अच्छी तरह सिखा सकते हैं। हर पाठ में यीशु या पहली सदी के किसी वफादार सेवक का एक किस्सा बताया गया है। हम सीखेंगे कि उन्होंने लोगों से बात करते वक्‍त कौन-सा तरीका अपनाया। इस किताब में यह नहीं बताया गया है कि हम क्या याद करके जाएँ और प्रचार करते वक्‍त कैसे उसे बोलें। इसके बजाय, हम सीखेंगे कि हम किन अलग-अलग तरीकों से लोगों के लिए प्यार ज़ाहिर कर सकते हैं और यही तो हम चाहते हैं। वैसे तो इस किताब में बतायी 12 बातें प्रचार के हर पहलू में काम आ सकती हैं, लेकिन हम देखेंगे कि बातचीत शुरू करने, वापसी भेंट करने और बाइबल अध्ययन चलाने के लिए कौन-सी बातें खास तौर पर ज़रूरी हैं।

हर पाठ पढ़ते वक्‍त ध्यान से सोचिए कि आप जहाँ रहते हैं, वहाँ प्रचार करते वक्‍त आप इन बातों को कैसे लागू करेंगे। यहोवा के लिए और लोगों के लिए प्यार बढ़ाते जाइए। यह प्यार सिखाने के किसी भी तरीके से बढ़कर है। इस प्यार की वजह से हम लोगों को अच्छी तरह सिखा पाएँगे और वे यीशु के शिष्य बनेंगे।

आपके साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर सेवा करने में हमें बहुत खुशी होती है। (सप. 3:9) हमारी दुआ है कि यहोवा आपको ढेरों आशीषें दे और आप आज और आगे भी लोगों से प्यार करें और उन्हें यीशु का शिष्य बनना सिखाएँ!

आपके भाई,

यहोवा के साक्षियों का शासी निकाय