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वापसी भेंट करते वक्‍त

पाठ 8

सब्र रखिए

सब्र रखिए

सिद्धांत:  “प्यार सब्र रखता है।”—1 कुरिं. 13:4.

यीशु ने क्या किया?

1. वीडियो देखिए या यूहन्‍ना 7:3-5 और 1 कुरिंथियों 15:3, 4, 7 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों के बारे में सोचिए:

  1.   क. क्या शुरू-शुरू में यीशु के भाइयों ने उसकी बातों पर विश्‍वास किया?

  2.  ख. किस बात से पता चलता है कि यीशु ने उम्मीद लगाए रखी कि उसका भाई याकूब एक-न-एक दिन उस पर विश्‍वास करेगा?

यीशु से हम क्या सीखते हैं?

2. हो सकता है कि कुछ लोगों को हमारे संदेश पर विश्‍वास करने में ज़्यादा वक्‍त लगे। ऐसे में हमें सब्र रखना होगा।

यीशु की तरह हमें क्या करना है?

3. तरीका बदलकर देखिए। अगर एक व्यक्‍ति बाइबल अध्ययन करने के लिए तुरंत राज़ी नहीं होता तो उस पर दबाव मत डालिए। शायद आप उसे कोई वीडियो या लेख दिखा सकते हैं जिससे वह समझ पाएगा कि बाइबल अध्ययन कैसे चलाया जाता है और उसे इससे क्या फायदे होंगे।

4. तुलना मत कीजिए। हर व्यक्‍ति के हालात अलग होते हैं। हो सकता है कि आपका कोई रिश्‍तेदार या कोई और व्यक्‍ति बाइबल अध्ययन करने से झिझक रहा है या उसे बाइबल की कोई शिक्षा मानना मुश्‍किल लग रहा है। ऐसे में सोचिए कि उसे ऐसा क्यों लग रहा है। क्या उसे अपने धर्म की कोई शिक्षा या कोई रीति-रिवाज़ छोड़ना मुश्‍किल लग रहा है? या क्या दूसरे रिश्‍तेदार या पड़ोसी उसे ऐसा करने से रोक रहे हैं? बाइबल की बातें समझने में और उनकी कदर करने में एक व्यक्‍ति को वक्‍त लग सकता है। इसलिए सब्र रखिए।

5. प्रार्थना कीजिए। यहोवा से मदद माँगिए ताकि आप उम्मीद ना खोएँ और सामनेवाले से सोच-समझकर बात कर पाएँ। अगर आपको लगता है कि सामनेवाले को ज़्यादा रुचि नहीं है और आपको उससे मिलना बंद कर देना चाहिए तो इस बारे में प्रार्थना कीजिए।—1 कुरिं. 9:26.