बाइबल अध्ययन चलाते वक्त
पाठ 12
खुलकर सलाह दीजिए
सिद्धांत: “जैसे तेल और खुशबूदार धूप से दिल खुश हो जाता है, वैसे ही दोस्त की सीधी-सच्ची सलाह से मन खुश हो जाता है।”—नीति. 27:9.
यीशु ने क्या किया?
1. वीडियो देखिए या मरकुस 10:17-22 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों के बारे में सोचिए:
यीशु से हम क्या सीखते हैं?
2. हमें प्यार से मगर खुलकर अपने विद्यार्थी को बताना होगा कि उसे आगे बढ़ने के लिए क्या करना है।
यीशु की तरह हमें क्या करना है?
3. लक्ष्य रखने और उन तक पहुँचने में अपने विद्यार्थी की मदद कीजिए।
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क. खुशी से जीएँ किताब के हर पाठ में दिए “लक्ष्य” पर उसका ध्यान खींचिए। कुछ और लक्ष्य रखने में भी उसकी मदद कीजिए।
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ख. उसे यह समझने में मदद दीजिए कि अपने छोटे और बड़े लक्ष्यों को हासिल करने के लिए उसे क्या-क्या करना होगा।
4. सोचिए क्या बात विद्यार्थी को आगे बढ़ने से रोक रही है और फिर उसकी मदद कीजिए।
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‘वह बपतिस्मा लेने के लिए कदम क्यों नहीं उठा पा रहा है?’
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‘मैं कैसे उसकी मदद कर सकता हूँ?’
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ख. यहोवा से हिम्मत माँगिए ताकि आप उसे खुलकर और प्यार से बता पाएँ कि उसे क्या करना है।
5. अगर विद्यार्थी आगे नहीं बढ़ रहा है तो अध्ययन रोक दीजिए।
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क. अध्ययन जारी रखना चाहिए या नहीं, यह तय करने के लिए सोचिए:
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‘वह जो सीख रहा है, क्या उसके मुताबिक काम भी कर रहा है?’
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‘क्या वह सभाओं में आ रहा है और सीखी बातें दूसरों को बता रहा है?’
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‘अगर वह काफी समय से अध्ययन कर रहा है, तो क्या वह यहोवा का साक्षी बनने की सोच रहा है?’
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ख. अगर विद्यार्थी आगे नहीं बढ़ रहा है, तो:
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उसे सोचने के लिए कहिए कि क्या बात उसे रोक रही है।
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उसे प्यार से समझाइए कि आप अध्ययन क्यों बंद कर रहे हैं।
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उसे बताइए कि अगर वह अध्ययन दोबारा शुरू करना चाहता है, तो उसे क्या करना होगा।
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