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अनदेखे को मानो देखते हुए दृढ़ रहिए

अनदेखे को मानो देखते हुए दृढ़ रहिए

अनदेखे को मानो देखते हुए दृढ़ रहिए

“[मूसा] अनदेखे को मानो देखता हुआ दृढ़ रहा।”—इब्रानियों 11:27.

1. अपने पहाड़ी उपदेश में यीशु ने परमेश्‍वर के बारे में कौन-सी अनोखी बात कही?

 यहोवा अदृश्‍य परमेश्‍वर है। जब मूसा ने उसकी महिमा का दर्शन करना चाहा तो यहोवा ने उससे कहा: “तू मेरे मुख का दर्शन नहीं कर सकता; क्योंकि मनुष्य मेरे मुख का दर्शन करके जीवित नहीं रह सकता।” (निर्गमन 33:20) और प्रेरित यूहन्‍ना ने लिखा: “परमेश्‍वर को किसी ने कभी नहीं देखा।” (यूहन्‍ना 1:18) यहाँ तक कि यीशु मसीह भी जब वह इस पृथ्वी पर एक इंसान था, परमेश्‍वर को नहीं देख सका। मगर अपने पहाड़ी उपदेश में उसने कहा: “धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्‍वर को देखेंगे।” (मत्ती 5:8) उसके ऐसा कहने का क्या मतलब था?

2. हम अपनी शारीरिक आँखों से परमेश्‍वर को क्यों नहीं देख सकते?

2 बाइबल बताती है कि यहोवा एक अदृश्‍य आत्मा है। (यूहन्‍ना 4:24; कुलुस्सियों 1:15; 1 तीमुथियुस 1:17) इसलिए जब यीशु ने कहा कि इंसान यहोवा को देख सकते हैं तो उसके कहने का यह मतलब नहीं था कि हम यहोवा को अपनी शारीरिक आँखों से देख सकेंगे। यह सच है कि अभिषिक्‍त मसीही स्वर्ग में आत्मिक रूप से पुनरूत्थित होने के बाद यहोवा को देख सकेंगे। लेकिन मनुष्य “जिन के मन शुद्ध हैं,” और जिन्हें हमेशा इस धरती पर जीने की आशा है, वे भी परमेश्‍वर को “देखेंगे।” यह कैसे संभव है?

3. इंसान कैसे परमेश्‍वर के कुछ गुणों को समझ सकता है?

3 यहोवा ने जो कुछ बनाया है, उसको ध्यान से देखने पर हमें उसके बारे में बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उसकी शक्‍ति से हम इतने प्रभावित होते हैं कि हमें यह मानने पर मज़बूर होना पड़ता है कि यहोवा ही हमारा सृष्टिकर्ता है। (इब्रानियों 11:3; प्रकाशितवाक्य 4:11) इस बारे में प्रेरित पौलुस ने लिखा: “[परमेश्‍वर के] अनदेखे गुण, अर्थात्‌ उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्‍वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते हैं, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं।” (रोमियों 1:20) इससे साफ ज़ाहिर होता है कि यीशु ने परमेश्‍वर को देखने की जो बात कही थी उसमें यहोवा के गुणों को समझने की काबिलीयत शामिल है। इस तरह का देखना सही-सही ज्ञान पर आधारित होता है और आध्यात्मिक तौर पर ‘मन की आँखों’ से देखा जाता है। (इफिसियों 1:18) यीशु की बातों और कामों से भी हम परमेश्‍वर के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसलिए उसने कहा: “जिस ने मुझे देखा है उस ने पिता को देखा है।” (यूहन्‍ना 14:9) यीशु ने हू-ब-हू यहोवा की शख्सियत को प्रकट किया। इसलिए अगर हम उसके जीवन और उसकी शिक्षाओं के बारे में ज्ञान लेंगे तो हम परमेश्‍वर के कुछ गुणों को समझ सकेंगे।

आध्यात्मिक बातों के लिए कदर और समझ ज़रूरी है

4. आज बहुत-से लोग कैसे आध्यात्मिकता की कमी दिखाते हैं?

4 आज, संसार में विश्‍वास और सच्ची आध्यात्मिकता की बेहद कमी है। पौलुस ने कहा: “हर एक में विश्‍वास नहीं।” (2 थिस्सलुनीकियों 3:2) बहुत-से लोग अपनी इच्छाओं को पूरा करने में डूब गए हैं और मानते हैं कि परमेश्‍वर है ही नहीं। उनका पापपूर्ण आचरण और आध्यात्मिकता की कमी ने उनकी आँखों में ऐसा परदा डाल दिया है कि वे समझ की आँखों से परमेश्‍वर को देख ही नहीं पा रहे हैं। प्रेरित यूहन्‍ना ने लिखा: “जो बुराई करता है, उस ने परमेश्‍वर को नहीं देखा।” (3 यूहन्‍ना 11) क्योंकि वे परमेश्‍वर को अपनी आँखों से देख नहीं सकते, तो वे ऐसे-ऐसे काम करते हैं, मानो कि परमेश्‍वर को भी कुछ नज़र नहीं आता। (यहेजकेल 9:9) वे आध्यात्मिक बातों को ठुकरा देते हैं, जिस वजह से उन्हें “परमेश्‍वर का ज्ञान . . . प्राप्त” नहीं होता। (नीतिवचन 2:5) इसलिए पौलुस ने एकदम सही लिखा: “शारीरिक मनुष्य परमेश्‍वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उस की दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उन की जाँच आत्मिक रीति से होती।”—1 कुरिन्थियों 2:14.

5. आध्यात्मिक बातों पर ध्यान लगानेवाले किस बात से वाकिफ होते हैं?

5 अगर हम आध्यात्मिक बातों पर ध्यान देते हैं तो हम हमेशा इस बात को याद रखेंगे कि हालाँकि यहोवा हममें गलतियाँ नहीं ढूंढ़ता, मगर फिर भी जब हम अपनी बुरी सोच और इच्छाओं के मुताबिक काम करते हैं तो वह उसे जान लेता है। वाकई, “मनुष्य के मार्ग यहोवा की दृष्टि से छिपे नहीं हैं, और वह उसके सब मार्गों पर ध्यान करता है।” (नीतिवचन 5:21) अगर हम पाप कर बैठते हैं, तो हम पश्‍चाताप करके यहोवा से माफी माँगते हैं, क्योंकि हम यहोवा से प्यार करते हैं और हम उसका दिल नहीं दुखाना चाहते।—भजन 78:41; 130:3.

कौन-सी बात हमें अटल बने रहने में मदद करती है?

6. अटल बने रहने का मतलब क्या है?

6 हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हालाँकि हम यहोवा को नहीं देख सकते, मगर वह हमें ज़रूर देख सकता है। अगर हम यहोवा के वजूद के बारे में हमेशा ध्यान रखें और यह भरोसा रखें कि उसे पुकारनेवाले सभी लोगों के वह करीब रहता है, तो हम यहोवा के प्रति हमेशा वफादार बने रहेंगे और कभी नहीं डगमगाएंगे। (भजन 145:18) हम मूसा की तरह हो सकते हैं, जिसके बारे में पौलुस ने लिखा: “विश्‍वास ही से राजा के क्रोध से न डरकर उस ने मिसर को छोड़ दिया, क्योंकि वह अनदेखे को मानो देखता हुआ दृढ़ रहा।”—इब्रानियों 11:27.

7, 8. फिरौन के सामने जाने की हिम्मत मूसा को कहाँ से मिली?

7 परमेश्‍वर ने मूसा को आज्ञा दी थी कि वह मिस्र की बंधुआई में से इस्राएलियों को निकाल लाए। अपनी इस ज़िम्मेदारी को पूरा करते वक्‍त उसे अकसर तानाशाह फिरौन के शाही दरबार में हाज़िर होना पड़ता था, जो धार्मिक नेताओं और बड़े-बड़े अधिकारियों से भरा रहता था। और शायद महल की दीवारों पर भी मिस्र के देवताओं की मूर्तियाँ खुदी हुई थीं। हालाँकि यहोवा अदृश्‍य है, मगर मूसा के लिए वह उन बेजान देवताओं की तरह नहीं था बल्कि उसके लिए वह मानो साक्षात्‌ रूप में उसके सामने था। इसलिए इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि मूसा फिरौन से बिल्कुल भी नहीं डरा!

8 फिरौन के सामने बार-बार जाने की हिम्मत मूसा को कहाँ से मिली? बाइबल हमें बताती है कि “मूसा तो पृथ्वी भर के रहने वाले सब मनुष्यों से बहुत अधिक नम्र स्वभाव का था।” (गिनती 12:3) बेशक, मूसा आध्यात्मिक रूप से मज़बूत था और उसे यह पक्का यकीन था कि परमेश्‍वर उसके साथ है, इसीलिए उसे “अनदेखे” परमेश्‍वर का प्रतिनिधि बनकर मिस्र के बेरहम राजा के सामने जाने की हिम्मत मिली। आज भी जो लोग अनदेखे परमेश्‍वर को ‘देखते’ हैं, वे किन तरीकों से अपना यह विश्‍वास ज़ाहिर करते हैं?

9. एक तरीका क्या है जिससे हम हमेशा अटल बने रह सकते हैं?

9 अपने विश्‍वास को ज़ाहिर करने और अनदेखे को हमेशा देखते हुए अटल रहने का एक तरीका है, हिम्मत के साथ प्रचार करते रहना चाहे इसके लिए हमें कितना भी क्यों न सताया जाए। यीशु ने अपने शिष्यों को चेतावनी दी: “मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे।” (लूका 21:17) उसने उनसे यह भी कहा: “दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता, उसको याद रखो: यदि उन्हों ने मुझे सताया, तो तुम्हें भी सताएंगे।” (यूहन्‍ना 15:20) यीशु के ये शब्द उसकी मौत के तुरंत बाद सच साबित हुए। उसके शिष्यों को धमकाया गया, उन्हें कैद किया गया और पीटा भी गया था। (प्रेरितों 4:1-3, 18-21; 5:17, 18, 40) लेकिन तरह-तरह से सताए जाने के बावजूद यीशु के प्रेरित और दूसरे शिष्य बड़ी हिम्मत के साथ परमेश्‍वर के राज्य का प्रचार करते रहे।—प्रेरितों 4:29-31.

10. यहोवा हमारी हिफाज़त करता है, इस बात पर भरोसा करने से हमें सेवकाई में क्या मदद मिलती है?

10 मूसा की तरह यीशु के शुरूआती शिष्य भी अपने सामने नज़र आनेवाले बहुत-से दुश्‍मनों से नहीं डरे। उन्हें परमेश्‍वर पर पूरा भरोसा था, और उसका नतीजा यह हुआ कि वे बुरी-से-बुरी परीक्षाओं में भी धीरज धर सके। जी हाँ, वे लगातार उस अनदेखे को मानो देखते हुए दृढ़ रहे। आज भी, अगर हम हरदम याद रखें कि यहोवा हमारी हिफाज़त करता है तो इससे हमारा ढाढ़स बँधता है, हमें हिम्मत मिलती है और हम बिना डरे प्रचार काम करते हैं। परमेश्‍वर का वचन कहता है कि “मनुष्य का भय खाना फन्दा हो जाता है, परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह ऊँचे स्थान पर चढ़ाया जाता है।” (नीतिवचन 29:25) इसलिए सताये जाने के डर से हम पीछे नहीं हटते, और ना ही हम अपनी सेवकाई से शर्मिंदा होते हैं। हमारा विश्‍वास हमें पड़ोसियों, साथ काम करनेवालों, स्कूल के साथियों और दूसरे लोगों को गवाही देने के लिए उकसाता है।

अनदेखा परमेश्‍वर अपने लोगों को राह दिखाता है

11. पतरस और यहूदा के मुताबिक, कलीसिया के कुछ लोगों ने कैसे दिखाया कि उनमें आध्यात्मिकता की कमी थी?

11 विश्‍वास की वजह से हम यह देख पाते हैं कि आज धरती पर अपने संगठन को यहोवा ही चला रहा है। इसलिए हम उन लोगों में दोष निकालने का रवैया नहीं अपनाएँगे जो कलीसिया में ज़िम्मेदारी सँभालते हैं। प्रेरित पतरस और यीशु के सौतेले भाई यहूदा, दोनों ने ही उन लोगों से सावधान रहने के लिए कहा जिनमें आध्यात्मिकता की इतनी कमी थी कि वे कलीसिया की अगुवाई करनेवालों के खिलाफ बुरा-भला कह रहे थे। (2 पतरस 2:9-12; यहूदा 8) अगर यहोवा सचमुच में दिखाई देता, तो क्या उसकी मौजूदगी में ऐसे दोष निकालनेवाले इस तरह की बातें करने की जुर्रत करते? हरगिज़ नहीं! मगर इसलिए कि यहोवा अदृश्‍य है, वे इस बात को भूल गए कि वे परमेश्‍वर के सामने जवाबदेह हैं।

12. जो कलीसिया में हमारी अगुवाई करते हैं, उनके प्रति हमें कैसा रवैया अपनाना चाहिए?

12 यह सच है कि मसीही कलीसिया में सभी लोग असिद्ध हैं। इसलिए प्राचीन भी गलतियाँ करते हैं जिनका कभी-कभी व्यक्‍तिगत तौर से हम पर असर पड़ सकता है। फिर भी, यहोवा उन्हें झुंड की रखवाली करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। (1 पतरस 5:1, 2) आध्यात्मिक बातों पर ध्यान करनेवाले स्त्री-पुरुषों को इस बात की अच्छी पहचान होती है कि अपने लोगों को निर्देशित करने का यहोवा का यह भी एक ज़रिया है। इसलिए मसीही होने के नाते हम दोष निकालने और शिकायत करने के रवैये से दूर रहेंगे, और परमेश्‍वर ने अपने लोगों को निर्देशन देने के लिए जो इंतज़ाम किए हैं, उनका आदर करेंगे। हमारी अगुवाई करनेवालों के आज्ञाकारी होने के ज़रिए यह दिखाएँगे कि हम अनदेखे को देखते हैं।—इब्रानियों 13:17.

यहोवा को अपना महान शिक्षक मानना

13, 14. यहोवा को अपना महान उपदेशक मानना आपके लिए क्या मतलब रखता है?

13 एक और क्षेत्र है जहाँ हमें आध्यात्मिक समझ की ज़रूरत है। यशायाह ने भविष्यवाणी की: “तुम अपनी आंखों से अपने उपदेशकों [“महान उपदेशक,” NW] को देखते रहोगे।” (यशायाह 30:20) इस बात को कबूल करने के लिए विश्‍वास की ज़रूरत होती है कि पृथ्वी पर अपने संगठन के ज़रिये यहोवा ही हमें सिखा रहा है। (मत्ती 24:45-47) यहोवा को अपना महान उपदेशक मानने का मतलब सिर्फ बाइबल अध्ययन की अच्छी आदत डालना और मसीही सभाओं में लगातार हाज़िर होना ही नहीं है। इसमें यहोवा के आध्यात्मिक इंतज़ामों से पूरा-पूरा फायदा उठाना भी शामिल है। मिसाल के तौर पर, यीशु के ज़रिए यहोवा ने हमें जो भी निर्देशन दिया है उन पर और भी मन लगाने की ज़रूरत है ताकि हम बहककर आध्यात्मिक बातों से दूर न हो जाएँ।—इब्रानियों 2:1.

14 कभी-कभी आध्यात्मिक भोजन से पूरा फायदा उठाने के लिए खास मेहनत करनी पड़ती है। मिसाल के लिए, हमें शायद बाइबल की उन बातों पर सरसरी नज़र डालकर आगे निकल जाने की आदत हो, जो समझने में काफी मुश्‍किल लगती हों। जब हम प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं को पढ़ते हैं, तो शायद उन लेखों को छोड़कर आगे बढ़ जाएँ जिनमें हमें कोई खास दिलचस्पी नहीं है। या ऐसा भी हो सकता है कि मसीही सभाओं में हमारा ध्यान कहीं और भटक जाए। लेकिन अगर हम अपना ध्यान चर्चा किए जा रहे मुद्दों पर लगाएं, तो हमारा ध्यान नहीं भटकेगा। जो आध्यात्मिक बातें सिखायी जा रही हैं उनके लिए दिल से एहसान मानने से यह ज़ाहिर होगा कि हम यहोवा को अपना महान उपदेशक मानते हैं।

हमें परमेश्‍वर को लेखा देना है

15. कुछ लोगों ने कैसा बर्ताव किया है, मानो वे यहोवा को नज़र ही नहीं आते हैं?

15 अनदेखे में विश्‍वास करना बेहद ज़रूरी है, खासकर इस “अंतिम समय” में, जब चारों तरफ हद से ज़्यादा दुष्टता फैल गई है। (दानिय्येल 12:4) बेईमानी और लैंगिक अनैतिकता तेज़ी से बढ़ रही है। बेशक, यह याद रखना अक्लमंदी है कि भले ही इंसान हमारे कामों को ना देख पाए मगर यहोवा ज़रूर देख सकता है। कुछ लोग यह बात भूल जाते हैं और जब दूसरे लोग उन्हें नहीं देखते, वे गलत आचरण में पड़ जाते हैं। मिसाल के लिए, कुछ लोग इंटरनॆट, टी.वी. और दूसरी आधुनिक तकनीकों में दिखाए जानेवाले गलत मनोरंजन या अश्‍लील तसवीरों को देखने से खुद को नहीं रोक पाए हैं। इस तरह के काम अकेले में किए जा सकते हैं, इसलिए कुछ लोग ऐसे बर्ताव करते हैं, मानो ये काम यहोवा को नज़र नहीं आते।

16. यहोवा के ऊँचे स्तरों को पालन करने में कौन-सी बात हमारी मदद करेगी?

16 ऐसे में, प्रेरित पौलुस के इन शब्दों को हमेशा याद रखना अच्छा है: “हम में से हर एक परमेश्‍वर को अपना-अपना लेखा देगा।” (रोमियों 14:12) हमें इस बात का एहसास होना चाहिए कि जब भी हम पाप करते हैं, तो असल में, हम यहोवा के खिलाफ पाप करते हैं। अगर हमें यह एहसास होगा तो यहोवा के ऊँचे स्तरों का पालन करने और अनैतिक आचरण से दूर रहने में हमें मदद मिलेगी। बाइबल हमें याद दिलाती है: “सृष्टि की कोई वस्तु उस से छिपी नहीं है बरन जिस से हमें काम है, उस की आँखों के साम्हने सब वस्तुएं खुली और बेपरद हैं।” (इब्रानियों 4:13) यह सच है कि हमें यहोवा को अपना लेखा देना है, लेकिन उसकी इच्छाओं को पूरा करने और उसके धार्मिक स्तरों का पालन करने की वजह यह नहीं है। हम यह सब इसलिए करते हैं क्योंकि हम यहोवा से बेहद प्यार करते हैं। इसलिए आइए मनोरंजन का चुनाव करते वक्‍त और विपरीत लिंग के व्यक्‍ति के साथ बर्ताव करते वक्‍त, हम समझदारी से काम लें।

17. यहोवा हममें किस तरह की दिलचस्पी रखता है?

17 यहोवा हममें सच्ची दिलचस्पी रखता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह इस ताक में है कि हम कब गलती करें और वह हमें कब सज़ा दे सके। इसके बजाय वह ठीक एक ऐसे पिता की तरह प्यार से हमारी देखभाल करता है, जो अपने बच्चे को कहना मानने पर इनाम देना चाहता है। इससे दिल को कितना सुकून मिलता है कि स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता हमारे विश्‍वास से खुश है और “अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है”! (इब्रानियों 11:6) आइए हम भी यहोवा पर पूरा भरोसा रखें और “खरे मन . . . से उसकी सेवा” करें।—1 इतिहास 28:9.

18. क्योंकि यहोवा हम पर ध्यान देता है और हमारी वफादारी पर गौर करता है, तो इस बारे में बाइबल हमें क्या आश्‍वासन देती है?

18 नीतिवचन 15:3 कहता है: “यहोवा की आंखें सब स्थानों में लगी रहती हैं, वह बुरे भले दोनों को देखती रहती हैं।” जी हाँ, यहोवा बुरे लोगों पर नज़र रखता है और उनके चालचलन के मुताबिक ही उनका न्याय करता है। लेकिन अगर हम “भले” लोगों में हैं, तो हम पूरा भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा हमारे वफादारी से किए गए कामों को याद रखेगा। इस बात से हमारा विश्‍वास कितना मज़बूत होता है कि ‘हमारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है,’ और वह जो अदृश्‍य है ‘हमारे काम, और उस प्रेम को [नहीं] भूलेगा जो हमने उसके नाम के लिये दिखाया’ है!—1 कुरिन्थियों 15:58; इब्रानियों 6:10.

अपनी जाँच करने के लिए यहोवा से कहिए

19. यहोवा पर अटल विश्‍वास रखने से क्या-क्या फायदे होते हैं?

19 यहोवा के वफादार सेवक होने के नाते हम उसके लिए बहुत मोल रखते हैं। (मत्ती 10:29-31) हालाँकि यहोवा दिखायी नहीं देता, मगर वह हमारे लिए वास्तविक बन सकता है और उसके साथ अपने अनमोल रिश्‍ते की कदर हम कर सकते हैं। स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता के लिए इस तरह का नज़रिया रखने से हमें बहुत-से फायदे होंगे। हमारा अटल विश्‍वास हमें एक शुद्ध मन और यहोवा के सामने एक अच्छा विवेक रखने में मदद करेगा। बिना कपट के विश्‍वास हमें दोहरी ज़िंदगी जीने से भी बचाता है। (1 तीमुथियुस 1:5, 18, 19) परमेश्‍वर पर हमारा दृढ़ विश्‍वास एक अच्छी मिसाल कायम करेगा और इससे हमारे आस-पास के लोगों पर भी अच्छा असर पड़ेगा। (1 तीमुथियुस 4:12) साथ ही, इस तरह के विश्‍वास से हम यहोवा के मन के मुताबिक चालचलन बनाए रख सकेंगे जिससे उसके दिल को खुशी मिलेगी।—नीतिवचन 27:11.

20, 21. (क) हमें इस बात की इच्छा क्यों करनी चाहिए कि यहोवा हम पर नज़र रखे? (ख) हम भजन 139:23,24 को अपने जीवन में कैसे लागू कर सकते हैं?

20 अगर हम सचमुच बुद्धिमान हैं, तो हम यहोवा की निगरानी से खुश होंगे। हम सिर्फ यह नहीं चाहेंगे कि वह हम पर नज़र रखे बल्कि हम यह भी चाहेंगे कि वह हमारे विचारों और कामों को पूरी तरह से जाँचे। इसके लिए हमें प्रार्थना में यहोवा से यह कहना चाहिए कि वह हमारे मन को परखे और देखे कि कहीं हमारे अंदर कोई गलत इरादे तो नहीं हैं। वह बेशक हमारी परेशानियों का सामना करने और ज़िंदगी में ज़रूरी फेर-बदल करने में मदद कर सकता है। भजनहार दाऊद ने गीत में बिलकुल सही बात कही: “हे ईश्‍वर, मुझे जांचकर जान ले! मुझे परखकर मेरी चिन्ताओं को जान ले! और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, और अनन्त के मार्ग में मेरी अगुवाई कर!”—भजन 139:23, 24.

21 दाऊद ने यहोवा से अपनी जाँच करने की बिनती की कि कहीं उसमें कोई “बुरी चाल” तो नहीं है। भजनहार की तरह क्या हम भी नहीं तरसते कि परमेश्‍वर हमारे मन को परखकर देखे कि कहीं हमारे अंदर गलत इरादे तो नहीं हैं? तो फिर आइए विश्‍वास के साथ हम यहोवा से बिनती करें कि वह हमें परखकर देखे। लेकिन तब क्या जब हम अपनी किसी गलती की वजह से परेशान हैं या किसी बात से दुःखी हैं? आइए हम अपने प्यारे परमेश्‍वर यहोवा से सच्चे दिल-से प्रार्थना करने में लगे रहें, और नम्रता से उसकी पवित्र आत्मा के निर्देशन और उसके वचन में दी गई सलाहों के मुताबिक चलें। हम पूरा भरोसा रख सकते हैं कि वह हमारी सहायता ज़रूर करेगा और हमें उस राह पर चलते रहने में ज़रूर मदद देगा जो अनंत जीवन की ओर जाती है।—भजन 40:11-13.

22. अनदेखे को देखते रहने में हमारा क्या पक्का इरादा होना चाहिए?

22 जी हाँ, अगर हम यहोवा की माँगों को पूरा करेंगे तो वह हमें अनंत जीवन की आशीष ज़रूर देगा। बेशक, हमें उसकी शक्‍ति और अधिकार को कबूल करना चाहिए जैसा कि पौलुस ने भी किया था: “सनातन राजा अर्थात्‌ अविनाशी अनदेखे अद्वैत परमेश्‍वर का आदर और महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।” (1 तीमुथियुस 1:17) हमें भी हमेशा यहोवा के लिए दिल-से ऐसी ही श्रद्धा दिखाते रहना चाहिए। और चाहे कुछ भी हो जाए, अनदेखे को मानो देखते हुए दृढ़ बने रहने के अपने पक्के इरादे से आइए हम कभी-भी न डगमगाए।

आप कैसे जवाब देंगे?

• इंसान के लिए परमेश्‍वर को देखना कैसे संभव है?

• अगर यहोवा हमारे लिए वास्तविक है तो सताए जाने पर हमें क्या करना चाहिए?

• यहोवा को अपना महान उपदेशक मानने का क्या मतलब है?

• हमारे अंदर यह इच्छा क्यों होनी चाहिए कि यहोवा हमें परखे?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 18 पर तसवीर]

मूसा, फिरौन से बिलकुल नहीं डरा और ऐसे काम किए मानो वह यहोवा को देख सकता था

[पेज 21 पर तसवीर]

आइए हम कभी-भी ऐसे काम ना करें जैसे कि यहोवा हमें देख ही नहीं सकता

[पेज 23 पर तसवीर]

हम सच्चे दिल-से परमेश्‍वर का ज्ञान पाने की कोशिश करते हैं क्योंकि हम उसे अपना महान उपदेशक मानते हैं