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“वह तुम्हारे निकट आएगा”

“वह तुम्हारे निकट आएगा”

“वह तुम्हारे निकट आएगा”

“[परमेश्‍वर] हम में से किसी से दूर नहीं!”—प्रेरितों 17:27.

1, 2. (क) तारों से भरे आसमान को देखने पर, हम शायद सिरजनहार के बारे में क्या पूछें? (ख) बाइबल हमें कैसे यकीन दिलाती है कि यहोवा इंसानों को तुच्छ नहीं समझता?

 अँधेरी रात में, जब आप तारों से जड़े खुले आसमान को देखते हैं तो क्या आप हैरान नहीं रह जाते? इस आसमान को देखने पर जिसका कोई ओर-छोर नज़र नहीं आता और जिसमें न जाने कितने अनगिनत तारे सिमटे हुए हैं, हमारे दिल में वाकई एक अज़ीब-सा डर और विस्मय पैदा होता है। और यह विश्‍वमंडल इतना विशालकाय है कि इसमें पृथ्वी तो सिर्फ एक बूँद जैसी है। लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि “सारी पृथ्वी के ऊपर परमप्रधान” सिरजनहार इतना महान है कि उसे इंसानों की कोई फिक्र नहीं? या क्या वह इतना दूर और रहस्यमयी है कि इंसान उसे कभी नहीं जान सकेंगे?—भजन 83:18.

2 बाइबल हमें यकीन दिलाती है कि यहोवा, इंसानों को तुच्छ नहीं समझता। दरअसल यह हमें उसकी खोज करने का बढ़ावा देते हुए कहती है: “वह हम में से किसी से दूर नहीं!” (प्रेरितों 17:27; 1 इतिहास 28:9) अगर हम परमेश्‍वर के करीब आने के लिए कुछ कदम उठाएँगे, तो हमारे पास आने के लिए वह भी कदम बढ़ाएगा। कैसे? यह हम सन्‌ 2003 के सालाना वचन से जान सकते हैं जो कहता है: “वह भी तुम्हारे निकट आएगा।” (याकूब 4:8) यह बात वाकई हमारे दिल को खुश करती है। अब आइए हम ऐसी कुछ बढ़िया आशीषों पर चर्चा करें जो यहोवा अपने करीब रहनेवालों को देता है।

यहोवा से निजी तौर पर मिलनेवाला एक तोहफा

3. यहोवा उन लोगों को कौन-सा तोहफा देता है, जो उसके करीब आते हैं?

3 सबसे पहले तो यहोवा के सेवकों के पास एक ऐसा बेशकीमती तोहफा है जो उसने सिर्फ अपने लोगों को दिया है। इस संसार से मिलनेवाले सारे अधिकार, दौलत और शिक्षा से भी उस तोहफे को हासिल नहीं किया जा सकता। यह एक ऐसा तोहफा है जो वह खुद अपने करीब रहनेवाले हरेक को देता है। आखिर वह क्या चीज़ है? परमेश्‍वर का वचन जवाब देता है: “[यदि तू] समझ के लिये अति यत्न से पुकारे, और उसको चान्दी की नाईं ढूंढ़े, और गुप्त धन के समान उसकी खोज में लगा रहे; तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्‍वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा। क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है।” (नीतिवचन 2:3-6) यह वाकई सोचनेवाली बात है कि असिद्ध इंसानों के लिए भी “परमेश्‍वर का ज्ञान” पाना मुमकिन है! इस तोहफे को “गुप्त धन” के बराबर बताया गया है। ऐसा क्यों?

4, 5. ‘परमेश्‍वर के ज्ञान’ की तुलना “गुप्त धन” से क्यों की जा सकती है? उदाहरण देकर समझाइए।

4 एक कारण तो यह है कि परमेश्‍वर का ज्ञान बहुत मोल रखता है। इस ज्ञान से मिलनेवाली अनमोल आशीषों में से एक है, हमेशा की ज़िंदगी। (यूहन्‍ना 17:3) यही नहीं, इस ज्ञान की बदौलत हम आज भी खुशहाल ज़िंदगी जी रहे हैं। मिसाल के लिए, परमेश्‍वर के वचन का ध्यान से अध्ययन करने की वजह से हमने कई अहम सवालों के जवाब पाए हैं, जैसे: परमेश्‍वर का नाम क्या है? (भजन 83:18) मरे हुए दरअसल किस हालत में हैं? (सभोपदेशक 9:5, 10) पृथ्वी और इंसानों के लिए परमेश्‍वर का मकसद क्या है? (यशायाह 45:18) हम यह भी जान पाए हैं कि बाइबल में दी गयी बुद्धि भरी सलाह पर चलना ही जीने का सबसे बेहतरीन तरीका है। (यशायाह 30:20, 21; 48:17, 18) इस तरह जीवन की चिंताओं का सामना करने, साथ ही सच्ची खुशी और संतोष भरी ज़िंदगी जीने के लिए बाइबल से हमें बढ़िया मार्गदर्शन मिलता है। और परमेश्‍वर के वचन के अध्ययन से मिलनेवाली सबसे बढ़िया आशीष यह है कि हम उसके अद्‌भुत गुणों को जान पाए हैं और उसके करीब आ सके हैं। वाकई, क्या ‘परमेश्‍वर के ज्ञान’ के आधार पर यहोवा के साथ एक नज़दीकी रिश्‍ता कायम करने से बढ़कर कोई और चीज़ अनमोल हो सकती है?

5 परमेश्‍वर के ज्ञान की तुलना “गुप्त धन” से करने की एक और वजह भी है। जिस तरह दुनिया में बहुत कम लोगों को खज़ाना हाथ लगता है, उसी तरह परमेश्‍वर का ज्ञान भी बहुत कम लोगों को मिलता है। धरती की छः अरब आबादी में से करीब साठ लाख लोग ही यहोवा के उपासक हैं, यानी 1,000 में से लगभग एक ने ही “परमेश्‍वर का ज्ञान” पाया है। यह समझने के लिए कि परमेश्‍वर के वचन की सच्चाई जानने का सम्मान बहुत कम लोगों को मिला है, सिर्फ एक सवाल पर गौर कीजिए जिसका बाइबल जवाब देती है: मरने के बाद इंसान का क्या होता है? बाइबल से हमने सीखा है कि जब एक इंसान मर जाता है, तो वह पूरी तरह अचेत हो जाता है। (यशायाह 38:18) लेकिन संसार के ज़्यादातर धर्मों में इस झूठ पर विश्‍वास किया जाता है कि मरने के बाद भी इंसान का कोई अंश ज़िंदा रहता है। यह ईसाईजगत के धर्मों की एक बुनियादी शिक्षा है। इस्लाम, जैन, ताओ, बौद्ध, यहूदी, शिंटो, सिख और हिंदू धर्म में भी मरे हुओं के बारे में यही गलत धारणा सिखायी जाती है। ज़रा सोचिए, इस एक गलत शिक्षा ने अरबों लोगों की आँख पर परदा डाल रखा है!

6, 7. (क) “परमेश्‍वर का ज्ञान” सिर्फ कौन पा सकते हैं? (ख) कौन-सी मिसाल दिखाती है कि यहोवा ने हमें ऐसी अंदरूनी समझ दी है जो बहुत-से “ज्ञानियों और समझदारों” पर ज़ाहिर नहीं की गयी है?

6 ज़्यादातर लोगों को किस वजह से “परमेश्‍वर का ज्ञान” हासिल नहीं हुआ है? इसकी वजह यह है कि परमेश्‍वर की मदद के बगैर कोई भी इंसान उसके वचन की पूरी समझ नहीं पा सकता। मत भूलिए कि यह ज्ञान एक तोहफा है। और यहोवा सिर्फ उन लोगों को यह तोहफा देता है जो सच्चे दिल से और नम्रता से उसके वचन में खोजबीन करते हैं, फिर चाहे वे “शरीर के अनुसार बहुत ज्ञानवान” न भी हों। (1 कुरिन्थियों 1:26) उनमें से कई लोग शायद दुनिया की नज़र में, “अनपढ़ और साधारण” हों। (प्रेरितों 4:13) मगर परमेश्‍वर के लिए ये सारी बातें कोई मायने नहीं रखतीं। वह एक इंसान को “परमेश्‍वर का ज्ञान” इसलिए देता है, क्योंकि वह उसमें कुछ अच्छे गुण देखता है।

7 एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। ईसाईजगत के कई विद्वानों ने बाइबल को समझानेवाली बहुत बड़ी-बड़ी किताबें लिखी हैं। इन किताबों में उन्होंने बाइबल में दर्ज़ घटनाओं की ऐतिहासिक जानकारी, इब्रानी और यूनानी शब्दों के मतलब और ऐसी ढेर सारी जानकारी दी है। मगर इतना सारा ज्ञान रखने के बावजूद क्या वे सचमुच कह सकते हैं कि उन्होंने “परमेश्‍वर का ज्ञान” पा लिया है? क्या उन्हें ठीक-ठीक मालूम है कि बाइबल का विषय है—परमेश्‍वर के स्वर्गीय राज्य के ज़रिए उसकी हुकूमत बुलंद की जाएगी? क्या वे जानते हैं कि यहोवा परमेश्‍वर, त्रियेक का कोई भाग नहीं है? नहीं, वे नहीं जानते, लेकिन हमें इन विषयों की सही-सही समझ है। इसकी वजह? यहोवा ने हमें आध्यात्मिक सच्चाइयों की अंदरूनी समझ दी है जो उसने दुनिया के बहुत-से “ज्ञानियों और समझदारों” पर ज़ाहिर नहीं की है। (मत्ती 11:25) तो देखिए कि यहोवा अपने करीब रहनेवालों को कितनी आशीषें देता है!

‘यहोवा अपने सब प्रेमियों की रक्षा करता है’

8, 9. (क) दाऊद ने यहोवा के करीब रहनेवालों को मिलनेवाली एक और आशीष का कैसे वर्णन किया? (ख) सच्चे मसीहियों को परमेश्‍वर की तरफ से हिफाज़त की ज़रूरत क्यों है?

8 जो लोग यहोवा के करीब रहते हैं, उन्हें मिलनेवाली एक और आशीष यह है कि यहोवा उन्हें महफूज़ रखता है। भजनहार दाऊद, जिसने ज़िंदगी में बहुत-सी मुश्‍किलें और दुःख झेले थे, उसने यह लिखा: ‘जितने यहोवा को पुकारते हैं, अर्थात्‌ जितने उसको सच्चाई से पुकारते हैं, उन सभों के वह निकट रहता है। वह अपने डरवैयों की इच्छा पूरी करता है, और उनकी दोहाई सुनकर उनका उद्धार करता है। यहोवा अपने सब प्रेमियों की रक्षा करता है।’ (भजन 145:18-20) जी हाँ, यहोवा ऐसे लोगों के पास रहता है जो उससे प्यार करते हैं, इसलिए वह उनकी मदद की पुकार फौरन सुनता है।

9 हमें परमेश्‍वर की तरफ से हिफाज़त की ज़रूरत क्यों है? एक वजह तो यह है कि आज हम “कठिन समय” में जीने के कारण मुसीबतें झेल रहे हैं और ऊपर से परमेश्‍वर के सबसे बड़े दुश्‍मन, शैतान ने हम सच्चे मसीहियों को अपना खास निशाना बना रखा है। (2 तीमुथियुस 3:1) वह धूर्त्त शत्रु हमें ‘फाड़ खाने’ की ताक में बैठा है। (1 पतरस 5:8) शैतान हम पर ज़ुल्म ढाता है, हम पर दबाव डालता है और हमें बुराई में फँसाने की कोशिश करता है। इसके अलावा, वह हमारे सोच-विचार और रवैए में ऐसी खामियाँ ढूँढ़ता है जिनका वह फायदा उठा सके। इन सब कोशिशों के पीछे उसका लक्ष्य है: हमारा विश्‍वास कमज़ोर करना और आध्यात्मिक तरीके से हमें बरबाद कर देना। (प्रकाशितवाक्य 12:12, 17) जब हमें इतने ताकतवर दुश्‍मन से मुकाबला करना है, तो क्या यह जानकर हमारी हिम्मत नहीं बँधती कि ‘यहोवा अपने सब प्रेमियों की रक्षा करता है’?

10. (क) यहोवा कैसे अपने लोगों की रक्षा करता है? (ख) किस तरह की रक्षा सबसे ज़्यादा मायने रखती है और क्यों?

10 लेकिन यहोवा किस मायने में अपने लोगों की रक्षा करता है? उसने हमारी रक्षा करने का वादा किया है तो इसका यह मतलब नहीं कि इस संसार में, हमारी ज़िंदगी में कोई गम न होगा; ना ही यह कि चमत्कार करके हमें हर मुसीबत से बचाना यहोवा का फर्ज़ है। लेकिन यहोवा अपने लोगों की एक समूह के तौर पर शारीरिक रूप से रक्षा करता है। वह इब्‌लीस को कभी-भी इस हद तक नहीं जाने देगा कि वह सच्चे उपासकों का धरती पर से नामो-निशान मिटा डाले! (2 पतरस 2:9) और सबसे बढ़कर, यहोवा आध्यात्मिक तरीके से हमारी रक्षा करता है। वह हमें परीक्षाओं को सहने की ताकत देता है और उसके साथ अपना रिश्‍ता बरकरार रखने में हमारी मदद करता है। आखिरकार, आध्यात्मिक तरीके से मिलनेवाली रक्षा ही सबसे ज़्यादा मायने रखती है। क्यों? क्योंकि जब तक यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता बरकरार रहेगा, तब तक कोई भी चीज़, यहाँ तक कि मौत भी हमेशा के लिए हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकेगी।—मत्ती 10:28.

11. यहोवा ने अपने लोगों की आध्यात्मिक तरीके से रक्षा करने के लिए क्या इंतज़ाम किए हैं?

11 जो लोग यहोवा के करीब रहते हैं, उनकी आध्यात्मिक तरीके से रक्षा करने के लिए उसने ढेरों इंतज़ाम किए हैं। एक तो यह है कि वह अपने वचन बाइबल के ज़रिए हमें बुद्धिमानी भरी सलाह देता है जिससे हम कई तरह की परीक्षाओं का सामना कर पाते हैं। (याकूब 1:2-5) बाइबल में बतायी कारगर सलाहों पर अमल करना ही अपने आप में हमारे लिए एक बड़ी हिफाज़त है। इसके अलावा, यहोवा ‘अपने मांगनेवालों को पवित्र आत्मा देता’ है। (लूका 11:13) यह आत्मा, पूरे विश्‍व की सबसे ताकतवर शक्‍ति है, इसलिए यह हमें हर परीक्षा या प्रलोभन का सामना करने की ताकत दे सकती है। इतना ही नहीं, यहोवा ने मसीह के ज़रिए हमें ‘मनुष्यों में दान’ दिए हैं। (इफिसियों 4:8) आध्यात्मिक काबिलीयत रखनेवाले ये पुरुष, अपने मसीही भाई-बहनों की मदद करते वक्‍त यहोवा की तरह उनके साथ दया और करुणा से पेश आने की कोशिश करते हैं।—याकूब 5:14, 15.

12, 13. (क) किस इंतज़ाम के ज़रिए यहोवा समय पर हमें आध्यात्मिक भोजन देता है? (ख) यहोवा ने हमारी आध्यात्मिक भलाई के लिए जो इंतज़ाम किए हैं, उनके बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?

12 यहोवा ने हमारी रक्षा के लिए एक और इंतज़ाम किया है। वह है, सही समय पर आध्यात्मिक भोजन देने का इंतज़ाम। (मत्ती 24:45) यहोवा हमें कई तरह की किताबों, प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं, साथ ही सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों के ज़रिए ऐसी आध्यात्मिक खुराक देता है जो हमारे लिए फायदेमंद है और ठीक उसी वक्‍त पर देता है जब हमें उसकी ज़रूरत होती है। क्या आपको कोई ऐसी बात याद है जिसे आपने किसी सभा, सम्मेलन या अधिवेशन में सुना हो और जो आपके दिल को छू गयी हो, जिससे आपका विश्‍वास मज़बूत हुआ हो या आपको सांत्वना मिली हो? क्या आपको ऊपर बतायी पत्रिकाओं से कोई लेख पढ़कर ऐसा लगा कि वह खासकर आपके लिए ही लिखा गया था?

13 शैतान के ज़बरदस्त हथियारों में से एक है, निराशा की भावना पैदा करना। ऐसी भावनाएँ हम पर भी हावी हो सकती हैं। शैतान को अच्छी तरह मालूम है कि अगर हम लंबे समय तक मायूस रहें, तो हमारे हौसले पस्त हो सकते हैं और हम बड़ी आसानी से उसके शिकार हो सकते हैं। (नीतिवचन 24:10) शैतान हमारी निराशा की भावनाओं का फायदा उठाना चाहता है, इसलिए हमें उनसे उबरने के लिए मदद की ज़रूरत है। प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! में ऐसे कई लेख छापे गए हैं जिनसे हमें निराशा की भावना पर काबू पाने में मदद मिलती है। ऐसे ही एक लेख के बारे में एक मसीही बहन ने लिखा: “उसे मैं तकरीबन हर दिन पढ़ती हूँ और आज भी जब मैं पढ़ती हूँ तो मेरी आँखें भर आती हैं। मैं उसे अपने बिस्तर के पास ही रखती हूँ ताकि जब भी मैं निराश महसूस करूँ तो उसे पढ़ सकूँ। इस तरह के लेख पढ़ने से मुझे ऐसा लगता है मानो यहोवा ने मुझे अपनी बाहों में पनाह दी हो।” * क्या हम यहोवा के शुक्रगुज़ार नहीं कि वह हमारी ज़रूरत को देखते हुए समय पर आध्यात्मिक भोजन देता है? याद रखें कि यहोवा ने हमारी आध्यात्मिक भलाई के लिए जो इंतज़ाम किए हैं, वे इस बात के सबूत हैं कि वह हमारे करीब है और हमें अपनी पनाह में रखता है।

“प्रार्थना के सुननेवाले” के पास आने का सम्मान

14, 15. (क) यहोवा ने अपने करीब रहनेवाले हरेक को क्या आशीष दी है? (ख) प्रार्थना के ज़रिए बिना हिचकिचाए यहोवा के पास आना क्यों एक बेजोड़ आशीष है?

14 क्या आपने कभी गौर किया है कि जब एक इंसान को ऊँचा ओहदा या अधिकार मिल जाता है, तो वह अपने अधीन काम करनेवालों से ज़्यादा मेल-जोल नहीं रखता? लेकिन यहोवा परमेश्‍वर के बारे में क्या? क्या वह भी आम इंसानों से खुद को दूर रखता है और उनकी दुआओं में कोई दिलचस्पी नहीं लेता? ऐसा हरगिज़ नहीं है! इसके बजाय, उसने अपने करीब रहनेवालों को प्रार्थना का वरदान दिया है। “प्रार्थना के सुननेवाले” यहोवा से, बेझिझक बात करने का मौका हमारे लिए एक बेजोड़ आशीष है। (भजन 65:2) वह कैसे?

15 इसे समझने के लिए एक उदाहरण पर गौर कीजिए। एक बड़ी कंपनी के मुख्य प्रबंधक पर बहुत-सी ज़िम्मेदारियाँ होती हैं। वह तय करता है कि किन मामलों को वह खुद निपटाएगा और किन्हें वह दूसरों को सौंपेगा। उसी तरह, विश्‍व-सम्राट यहोवा को भी यह चुनने का हक है कि किन ज़िम्मेदारियों को वह खुद सँभालेगा और किन्हें वह दूसरों को देगा। ध्यान दीजिए कि यहोवा ने अपने प्रिय पुत्र, यीशु को कितनी सारी ज़िम्मेदारियाँ सौंपी हैं। यीशु को ‘न्याय करने का अधिकार’ दिया गया है। (यूहन्‍ना 5:27) सारे स्वर्गदूत “उसके आधीन किए गए हैं।” (1 पतरस 3:22) यहोवा की शक्‍तिशाली पवित्र आत्मा भी यीशु को दी गयी है ताकि उसकी मदद से वह धरती पर रहनेवाले अपने चेलों का मार्गदर्शन कर सके। (यूहन्‍ना 15:26; 16:7) इसीलिए यीशु ने कहा: “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है।” (मत्ती 28:18) लेकिन जहाँ तक हमारी प्रार्थनाओं का सवाल है, उन्हें सुनने का काम यहोवा ने किसी और को नहीं दिया बल्कि खुद सुनने का फैसला किया है। इसीलिए बाइबल हमें बताती है कि हम यीशु के नाम से सिर्फ यहोवा से प्रार्थना करें।—भजन 69:13; यूहन्‍ना 14:6,13.

16. हम क्यों भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा सचमुच हमारी प्रार्थनाओं को सुनता है?

16 क्या यहोवा सचमुच हमारी प्रार्थनाओं को सुनता है? अगर उसे हममें कोई दिलचस्पी नहीं होती तो वह कभी हमसे ज़ोर देकर नहीं कहता कि हम ‘प्रार्थना में नित्य लगे रहें’ या अपना सारा बोझ और अपनी चिंताएँ उस पर डाल दें। (रोमियों 12:12; भजन 55:22; 1 पतरस 5:7) बाइबल के ज़माने में वफादार सेवकों को ज़रा भी शक नहीं था कि यहोवा प्रार्थनाओं को सुनता है। (1 यूहन्‍ना 5:14) इसलिए भजनहार दाऊद ने लिखा: “[यहोवा] मेरा शब्द सुन लेगा।” (भजन 55:17) आज हम भी यह पूरा भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा हमारे करीब रहता है और हमारे मन के हर विचार और हर परेशानी पर ध्यान देता है।

यहोवा अपने सेवकों को प्रतिफल देता है

17, 18. (क) यहोवा के बुद्धिमान प्राणी, वफादारी से उसकी जो सेवा करते हैं, उसके बारे में वह कैसा महसूस करता है? (ख) समझाइए कि नीतिवचन 19:17 कैसे दिखाता है कि हम जो दया के काम करते हैं, उन्हें यहोवा अनदेखा नहीं करता।

17 यहोवा पूरे विश्‍व का सम्राट है। इंसान चाहे उसकी सेवा करें या न करें, इससे उसकी पदवी पर कोई असर नहीं पड़ता। मगर फिर भी वह इंसानों के काम के लिए आभार व्यक्‍त करता है। उसके बुद्धिमान प्राणी, वफादारी से जो सेवा करते हैं उसकी वह कदर करता है, यहाँ तक कि उसे अनमोल समझता है। (भजन 147:11) तो यहोवा के करीब रहनेवालों को मिलनेवाला एक और फायदा यह है कि वह अपने सेवकों को प्रतिफल देता है।—इब्रानियों 11:6.

18 बाइबल साफ-साफ बताती है कि यहोवा अपने उपासकों के कामों की कदर करता है। मिसाल के लिए हम पढ़ते हैं: “जो कंगाल पर अनुग्रह करता है, वह यहोवा को उधार देता है, और वह अपने इस काम का प्रतिफल पाएगा।” (नीतिवचन 19:17) मूसा की व्यवस्था में दिए नियम दिखाते हैं कि यहोवा दीनों पर तरस खाता है, उनकी परवाह करता है। (लैव्यव्यवस्था 14:21; 19:15) जब हम भी यहोवा की मिसाल पर चलकर, दीन लोगों पर दया करते हैं, तो वह कैसा महसूस करता है? जब हम किसी दीन इंसान की मदद करते हैं और उससे बदले में कुछ पाने की उम्मीद नहीं करते, तो यहोवा ऐसा समझता है मानो हम यहोवा को ही कर्ज़ दे रहे हैं। यहोवा वादा करता है कि वह हम पर अनुग्रह करके और हमें आशीषें देकर उस कर्ज़ को चुकाएगा। (नीतिवचन 10:22; मत्ती 6:3, 4; लूका 14:12-14) जी हाँ, जब हम किसी ज़रूरतमंद भाई या बहन पर दया करके उसकी मदद करते हैं, तो यहोवा को बड़ी खुशी होती है। वाकई यह हमारे लिए आनंद की बात है कि हम जो दया के काम करते हैं, उन्हें हमारा स्वर्गीय पिता अनदेखा नहीं करता!—मत्ती 5:7.

19. (क) हम क्यों यह भरोसा रख सकते हैं कि हम प्रचार करने और चेला बनाने में जो मेहनत करते हैं, यहोवा उसकी कदर करता है? (ख) यहोवा के राज्य को बढ़ावा देने के लिए हम जो सेवा करते हैं, उसके बदले वह कैसे प्रतिफल देता है?

19 हम यहोवा के राज्य के लिए जो सेवा करते हैं, उसकी वह खास तौर पर कदर करता है। यह स्वाभाविक है कि जब हम यहोवा के करीब आएँगे, तो हम अपना ज़्यादा-से-ज़्यादा समय, अपनी ताकत और अपने साधनों को राज्य के प्रचार और चेला बनाने के काम में लगाना चाहेंगे। (मत्ती 28:19, 20) लेकिन कभी-कभी हमें लग सकता है कि हम बहुत कम सेवा कर रहे हैं। हमारे असिद्ध मन में यह शक भी पैदा हो सकता है कि शायद यहोवा हमारी सेवा से खुश नहीं है। (1 यूहन्‍ना 3:19, 20) लेकिन हम प्यार-भरे दिल से यहोवा की सेवा में जो भी काम करते हैं, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, यहोवा उससे खुश होता है। (मरकुस 12:41-44) बाइबल हमें यह भरोसा दिलाती है: “परमेश्‍वर अन्यायी नहीं, कि तुम्हारे काम, और उस प्रेम को भूल जाए, जो तुम ने उसके नाम के लिये . . . दिखाया।” (इब्रानियों 6:10) दरअसल, यहोवा ऐसे हर छोटे-से-छोटे काम को याद रखता है जो हम उसके राज्य को बढ़ावा देने के लिए करते हैं। उसने आज हमें जो ढेरों आध्यात्मिक आशीषें दी हैं, उनके अलावा हम नयी दुनिया में भी ज़िंदगी की खुशियाँ पाने की उम्मीद कर सकते हैं। उस वक्‍त यहोवा अपनी मुट्ठी खोलकर उन सभी की धर्मी इच्छाएँ पूरी करेगा जो उसके करीब रहते हैं!—भजन 145:16; 2 पतरस 3:13.

20. सन्‌ 2003 के दौरान हम अपने सालाना वचन के शब्दों को कैसे मन में रख सकते हैं और इससे हमें क्या प्रतिफल मिलेगा?

20 सन्‌ 2003 के दौरान, आइए हम खुद को जाँचते रहें कि हम अपने स्वर्गीय पिता के करीब आने की लगातार कोशिश कर रहे हैं या नहीं। अगर हम ऐसा कर रहे हैं, तो हम यकीन रख सकते हैं कि वह अपने वादे के मुताबिक हमें आशीष देगा क्योंकि “परमेश्‍वर . . . झूठ बोल नहीं सकता।” (तीतुस 1:2) अगर आप यहोवा के करीब आएँगे, तो वह भी आपके करीब आएगा। (याकूब 4:8) इसका क्या नतीजा होगा? आज की इस ज़िंदगी में आपको बेशुमार आशीषें मिलेंगी और आप आशा रख सकते हैं कि अनंतकाल तक आप यहोवा के और भी करीब आते रहेंगे!

[फुटनोट]

^ इस बहन ने मई 1, 2000 की प्रहरीदुर्ग के पेज 28-31 पर दिए लेख, “यहोवा हमारे हृदय की अपेक्षा कहीं महान है” के बारे में यह बात कही।

क्या आपको याद है?

• जो लोग यहोवा के करीब आते हैं, उन्हें वह कौन-सा तोहफा देता है?

• यहोवा ने अपने लोगों की आध्यात्मिक रूप से रक्षा करने के लिए कौन-से इंतज़ाम किए हैं?

• यहोवा से बेझिझक प्रार्थना करने का अवसर क्यों एक बेजोड़ आशीष है?

• बाइबल यह कैसे दिखाती है कि यहोवा के बुद्धिमान प्राणी वफादारी से जो सेवा करते हैं, उसकी वह कदर करता है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 15 पर तसवीर]

यहोवा ने हमें आध्यात्मिक सच्चाइयों की समझ पाने की आशीष दी है

[पेज 17 पर तसवीरें]

यहोवा आध्यात्मिक मायने में हमारी रक्षा करता है

[पेज 18 पर तसवीर]

यहोवा हमारे करीब है और हमारी हर प्रार्थना को सुनने के लिए तैयार रहता है