इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

हिम्मत के साथ परमेश्‍वर का वचन सुनाइए

हिम्मत के साथ परमेश्‍वर का वचन सुनाइए

हिम्मत के साथ परमेश्‍वर का वचन सुनाइए

“जा, मेरी प्रजा . . . से भविष्यद्वाणी कर।”आमोस 7:15.

1, 2. आमोस कौन था, और बाइबल उसके बारे में क्या बताती है?

 जब यहोवा का एक सेवक प्रचार कर रहा था, तब उसका सामना एक याजक से हुआ। उस याजक ने चिल्लाकर कहा: ‘बंद करो अपना प्रचार! और चले जाओ यहाँ से!’ तब सेवक ने क्या किया? क्या वह उस याजक की धमकी से डर गया या हिम्मत के साथ परमेश्‍वर का वचन सुनाता रहा? आप इन सवालों का जवाब खुद पा सकते हैं क्योंकि यहोवा के उस सेवक ने बाइबल में अपने ही नाम की एक किताब में अपना अनुभव दर्ज़ किया है। वह किताब है, आमोस। लेकिन इस चर्चा में याजक के साथ हुई उसकी मुलाकात के बारे में और ज़्यादा जानने से पहले, आइए हम आमोस के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी हासिल करें।

2 आमोस कौन था? वह कहाँ का रहनेवाला था और किस दौरान जीया था? इनके जवाब हमें आमोस 1:1 में मिलते हैं, जहाँ लिखा है: “आमोस तकोई जो भेड़-बकरियों के चरानेवालों में से था, उसके ये वचन हैं जो उस ने यहूदा के राजा उज्जिय्याह के, और योआश के पुत्र इस्राएल के राजा यारोबाम के दिनों में . . . कहे।” आमोस यहूदा का रहनेवाला था। वह तकोई या तकोआ नगर से था, जो यरूशलेम से 16 किलोमीटर दूर, दक्षिण की ओर था। वह सा.यु.पू. नौवीं सदी के आखिर में जीया। उस वक्‍त उज्जिय्याह, यहूदा का और यारोबाम द्वितीय, दस गोत्रवाले इस्राएल का राजा था। आमोस भेड़-बकरियाँ चराता था। आमोस 7:14 बताता है कि वह सिर्फ एक “चरवाहा” ही नहीं बल्कि ‘गूलर पेड़ के फलों का बेधनेवाला’ (NW) भी था। इसका मतलब है कि वह हर साल कटनी के समय के आस-पास यह काम भी किया करता था। वह फलों को बेधता या उनमें छेद करता था ताकि फल जल्दी पक जाएँ। यह काम इतना आसान नहीं था, इसे करते-करते अकसर इंसान थककर चूर हो जाता था।

‘जा, भविष्यद्वाणी कर’

3. अगर हमें लगता है कि हम प्रचार करने के काबिल नहीं हैं, तो आमोस के बारे में जानने से हमें कैसे मदद मिल सकती है?

3 आमोस साफ-साफ कहता है: “मैं न तो भविष्यद्वक्‍ता था, और न भविष्यद्वक्‍ता का बेटा।” (आमोस 7:14) ना तो उसका पिता एक भविष्यवक्‍ता था, ना ही खुद उसे भविष्यवक्‍ता बनने की कोई तालीम मिली थी। मगर फिर भी यहोवा ने पूरे यहूदा में, आमोस को ही अपने काम के लिए चुना। उस दौरान परमेश्‍वर ने किसी शक्‍तिशाली राजा, ज्ञानी याजक या रईस प्रधान को नहीं चुना। इससे हम एक ऐसा सबक सीखते हैं जिससे हमारा हौसला बढ़ता है। शायद हमारी भी दुनिया में कोई हैसियत ना हो या हम बहुत पढ़े-लिखे न हों। मगर क्या हमें ऐसा महसूस करना चाहिए कि हम परमेश्‍वर का वचन प्रचार करने के काबिल नहीं हैं? हरगिज़ नहीं! यहोवा मुश्‍किल इलाकों में भी अपना संदेश सुनाने के लिए हमें काबिल बना सकता है। आमोस के साथ उसने वैसा ही किया था। अगर हम परमेश्‍वर का वचन हिम्मत के साथ सुनाना चाहते हैं, तो आइए हम उस बहादुर नबी की मिसाल पर गौर करें, जिससे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।

4. इस्राएल में भविष्यवाणी करना आमोस के लिए एक चुनौती क्यों थी?

4 यहोवा ने आमोस को हुक्म दिया: “जा, मेरी प्रजा इस्राएल से भविष्यद्वाणी कर।” (आमोस 7:15) यह काम चुनौती भरा था। उस समय दस गोत्रवाले इस्राएल राज्य में शांति और सुरक्षा थी और लोगों के पास सुख-सुविधा की हर चीज़ मौजूद थी। बहुतों के पास “जाड़े के भवन” और “धूपकाल के भवन” थे, जो साधारण ईंटों से नहीं बल्कि बेशकीमती “गढ़े हुए पत्थरों” से बने थे। कुछ इस्राएलियों के पास हाथी-दांत के मढ़े हुए शानदार फर्नीचर थे और वे ‘मनभावनी दाख की बारियों’ से तैयार किया दाखमधु पीते थे। (आमोस 3:15; 5:11) तभी तो कई इस्राएलियों को आध्यात्मिक बातों में कोई दिलचस्पी नहीं थी। दरअसल आमोस ने जिस तरह के इलाके में प्रचार किया, आज शायद हमें भी कुछ वैसे ही इलाके में प्रचार करना पड़ता हो।

5. कुछ इस्राएली कैसा अन्याय कर रहे थे?

5 इस्राएलियों का दौलतमंद होना अपने आप में बुरा नहीं था। मगर कुछ इस्राएली बेईमानी करके धन-दौलत बटोर रहे थे। रईस, “कंगालों पर अन्धेर” कर रहे थे और “दरिद्रों को कुचल” रहे थे। (आमोस 4:1) बड़े-बड़े व्यापारी, न्यायी और याजक सब मिलकर गरीबों को लूटने की साज़िश रचते थे। आइए हम आमोस के ज़माने में चलें और देखें कि ये लोग कैसे गरीबों को लूट रहे थे।

परमेश्‍वर की व्यवस्था का अपमान किया गया

6. इस्राएली व्यापारी, लोगों को किस तरह लूट रहे हैं?

6 आइए हम सबसे पहले बाज़ार चलते हैं। यहाँ व्यापारी “एपा को छोटा” और “शेकेल को भारी” करते हैं, यहाँ तक कि वे ‘निकम्मे अन्‍न’ को अच्छा अन्‍न बताकर बेचते हैं। (आमोस 8:5, 6) वे अपने ग्राहकों को कम और खराब माल बेचकर बदले में उनसे मोटी रकम वसूल करते हैं। उन्होंने गरीबों को इस कदर लूटा है कि उन बेचारों के पास खुद को बेचने के सिवा अब कोई चारा नहीं रह गया है। फिर, ये व्यापारी “एक जोड़ी जूतियां देकर” उन्हें खरीद लेते हैं। (आमोस 8:6) ज़रा सोचिए, इन लालची व्यापारियों की नज़र में अपने इस्राएली भाइयों की औकात जूतियों के बराबर है! इन ज़रूरतमंदों का, साथ ही परमेश्‍वर की व्यवस्था का क्या ही घोर अपमान! मगर दूसरी तरफ, यही व्यापारी “विश्रामदिन” यानी सब्त मनाते हैं। (आमोस 8:5) जी हाँ, वे धर्मी होने का सिर्फ ढोंग कर रहे हैं!

7. इस्राएली व्यापारी क्यों परमेश्‍वर का कानून तोड़कर बच गए?

7 इन व्यापारियों ने परमेश्‍वर के इस कानून को तोड़ा है: ‘एक दूसरे से अपने ही समान प्रेम रखो।’ (लैव्यव्यवस्था 19:18) तो फिर वे सज़ा पाने से बच क्यों गए? क्योंकि कानून के रक्षक यानी न्यायी खुद इस अपराध में शरीक हैं। नगर के फाटक के पास जहाँ मुकद्दमे की सुनवाई होती है, वहाँ न्यायी ‘घूस लेते, और दरिद्रों का न्याय बिगाड़ते’ हैं। गरीबों के रखवाले होने के बजाय ये रिश्‍वत लेकर उनके साथ विश्‍वासघात करते हैं। (आमोस 5:10, 12) व्यापारियों की तरह न्यायियों ने भी परमेश्‍वर का नियम ताक पर रख दिया है।

8. दुष्ट याजक किन बुरे कामों को देखकर अनदेखा कर रहे हैं?

8 इस्राएल के याजकों के बारे में क्या कहा जा सकता है? यह जानने के लिए हमें एक दूसरी जगह जाना होगा। ज़रा देखिए कि याजकों ने “अपने देवता के घर” में कैसे-कैसे पापों की इजाज़त दे रखी है! आमोस के ज़रिए परमेश्‍वर कहता है: “बाप-बेटा दोनों एक ही कुमारी के पास जाते हैं, जिस से मेरे पवित्र नाम को अपवित्र ठहराएं।” (आमोस 2:7, 8) कितनी घिनौनी हरकत! इस्राएल में बाप-बेटे दोनों, मंदिर में एक ही वेश्‍या के पास जाकर अनैतिक काम करते हैं। और दुष्ट याजक ऐसे कुकर्म देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं, मानो उनकी आँखों पर पट्टी बँधी हो!—लैव्यव्यवस्था 19:29; व्यवस्थाविवरण 5:18; 23:17.

9, 10. इस्राएली परमेश्‍वर के किन कानूनों को तोड़ने के गुनहगार थे, और आज हमारे दिनों में कौन उनकी तरह हैं?

9 उनके दूसरे पापों के बारे में यहोवा कहता है: “वे हर एक वेदी के पास बन्धक के वस्त्रों पर सोते हैं, और दण्ड के रुपये से मोल लिया हुआ दाखमधु अपने देवता के घर में पी लेते हैं।” (आमोस 2:8) जी हाँ, याजक और आम जनता भी निर्गमन 22:26, 27 में दर्ज़ कानून को दरकिनार कर रही है, जहाँ बताया है कि अगर कोई इंसान किसी दूसरे के वस्त्र को गिरवी रखे, तो उसे सूरज ढलने से पहले लौटा देना चाहिए। मगर इसके बजाय वे उस वस्त्र को बिछौने की तरह इस्तेमाल करके उस पर आराम फरमाते और अपने झूठे देवताओं के नाम पर खाते-पीते हैं। और जो जुर्माना वे गरीबों से ऐंठते हैं, उससे अपने झूठे धार्मिक त्योहारों पर शराब खरीदकर पीते हैं। वाकई, ये इस्राएली सच्ची उपासना से कितने भटक चुके हैं!

10 इस्राएली बिना किसी शर्मो-हया के व्यवस्था के दो सबसे बड़े कानून तोड़ रहे थे—एक, यहोवा से प्यार करना और दूसरा, अपने पड़ोसियों से प्यार करना। उनके इस विश्‍वासघात की वजह से यहोवा ने न्यायदंड का संदेश सुनाने के लिए आमोस को भेजा। आज ईसाईजगत के और दुनिया के देशों के हालात बिलकुल प्राचीन इस्राएल जैसे हो चुके हैं। कुछ लोग अमीर होते जा रहे हैं जबकि ज़्यादातर लोग व्यापार जगत, राजनीति और झूठे धर्मों के बड़े-बड़े लोगों की धोखाधड़ी और अनैतिक कामों की वजह से कंगाल होते और अंदर-ही-अंदर टूटते जा रहे हैं। लेकिन यहोवा उन लोगों की परवाह करता है जो दुःख झेल रहे हैं और जो उसकी खोज में लगे हुए हैं। तभी तो आमोस की तरह, आज उसने अपने सेवकों को उसका वचन हिम्मत के साथ सुनाने के लिए चुना है।

11. आमोस की मिसाल से हम क्या सीख सकते हैं?

11 आमोस के और हमारे काम काफी मिलते-जुलते हैं इसलिए उसकी मिसाल पर ध्यान देने से हमें बहुत फायदा होगा। दरअसल, आमोस से हम सीखते हैं कि (1) हमें क्या संदेश सुनाना है, (2) कैसे सुनाना है और (3) कोई भी दुश्‍मन क्यों हमारे प्रचार काम को नहीं रोक सकता। आइए एक-एक मुद्दे पर चर्चा करें।

हम आमोस के नक्शेकदम पर कैसे चल सकते हैं

12, 13. यहोवा ने कैसे दिखाया कि वह इस्राएलियों से नाराज़ था, और इसके बाद भी उन्होंने कैसा रवैया दिखाया?

12 यहोवा के साक्षी होने के नाते हम अपनी मसीही सेवा यानी राज्य के प्रचार और चेला बनाने के काम पर खास ध्यान देते हैं। (मत्ती 28:19, 20; मरकुस 13:10) साथ ही, आमोस की तरह हम परमेश्‍वर की तरफ से मिली चेतावनियाँ भी लोगों को सुनाते हैं कि वह दुष्ट लोगों को कड़ी-से-कड़ी सज़ा देगा। मसलन, आमोस 4:6-11 दिखाता है कि यहोवा ने इस्राएल को बार-बार यह जताया था कि वह उनसे नाराज़ है। उसने “रोटी की घटी की,” लोगों पर ‘वर्षा नहीं की,’ उनको “लूह और गेरुई” से मारा और उनके बीच “मरी फैलाई।” क्या इन विपत्तियों के बावजूद इस्राएल ने पछतावा दिखाया? परमेश्‍वर ने कहा: “तुम मेरी ओर फिरकर न आए।” जी हाँ, इस्राएलियों ने हर बार यहोवा के पास लौटने से इनकार कर दिया।

13 यहोवा ने उन हठीले इस्राएलियों को सज़ा दी। लेकिन इससे पहले यहोवा ने अपने भविष्यवक्‍ता के ज़रिए उन्हें चेतावनी दी थी। ऐसा करके परमेश्‍वर ने अपने इस ऐलान के मुताबिक काम किया: “प्रभु यहोवा अपने दास भविष्यद्वक्‍ताओं पर अपना मर्म बिना प्रगट किए कुछ भी न करेगा।” (आमोस 3:7) जिस तरह यहोवा ने नूह को आनेवाले जल-प्रलय के बारे में बताया था और उसे दूसरों को चेतावनी देने का हुक्म दिया था, उसी तरह उसने आमोस से भी कहा कि वह लोगों को आखिरी बार चेतावनी दे। मगर अफसोस, इस्राएलियों ने परमेश्‍वर के संदेश को ठुकरा दिया और वे सही कदम उठाने से चूक गए।

14. आमोस के और हमारे दिनों में क्या समानताएँ हैं?

14 बेशक, आप मानेंगे कि आमोस के और हमारे ज़माने के बीच बहुत-सी समानताएँ हैं। यीशु मसीह ने भविष्यवाणी की थी कि अंत के समय में बहुत-सी विपत्तियाँ आएँगी। उसने यह भी बताया कि पूरी दुनिया में प्रचार का काम किया जाएगा। (मत्ती 24:3-14) लेकिन जैसा आमोस के दिनों में हुआ, आज भी ज़्यादातर लोग न तो अंतिम दिन के चिन्हों पर, ना ही राज्य के संदेश पर ध्यान देते हैं। इन लोगों का वही अंजाम होगा जो पछतावा न दिखानेवाले इस्राएलियों का हुआ था। यहोवा ने उन्हें खबरदार किया: “अपने परमेश्‍वर के साम्हने आने के लिये तैयार हो जा।” (आमोस 4:12) इस्राएली “परमेश्‍वर के साम्हने” तब आए या उन्हें परमेश्‍वर से कड़ी सज़ा तब मिली, जब अश्‍शूरियों ने उन पर कब्ज़ा कर लिया। आज इस अधर्मी संसार को हरमगिदोन में “परमेश्‍वर के साम्हने” आना पड़ेगा। (प्रकाशितवाक्य 16:14, 16) लेकिन जब तक यहोवा धीरज रख रहा है, हम ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को यह करने का बढ़ावा देते हैं: “यहोवा की खोज करो, तब जीवित रहोगे।”—आमोस 5:6.

आमोस की तरह विरोध का सामना करना

15-17. (क) अमस्याह कौन था और आमोस का संदेश सुनकर उसने क्या किया? (ख) अमस्याह ने आमोस के खिलाफ कौन-से झूठे इलज़ाम लगाए?

15 आमोस के नक्शेकदम पर चलते हुए हम न सिर्फ यह सीखते हैं कि हमें क्या संदेश प्रचार करना है बल्कि यह भी कि उसे कैसे सुनाना है। अध्याय 7 में इसी बात पर ज़ोर दिया गया है, जहाँ हमें उस याजक के बारे में बताया जाता है जिसका ज़िक्र हमारी चर्चा की शुरूआत में किया गया था। वह ‘बेतेल का याजक अमस्याह’ था। (आमोस 7:10) बेतेल शहर वह केंद्र था जहाँ इस्राएली, परमेश्‍वर की सच्ची उपासना छोड़कर झूठी उपासना में लग गए थे, जिसमें बछड़े की उपासना भी शामिल थी। इसका मतलब है कि अमस्याह इस राष्ट्रीय धर्म का याजक था। जब आमोस ने निडरता से अपना संदेश सुनाया तो अमस्याह ने क्या किया?

16 अमस्याह ने आमोस से कहा: “हे दर्शी, यहां से निकलकर यहूदा देश में भाग जा, और वहीं रोटी खाया कर, और वहीं भविष्यद्वाणी किया कर; परन्तु बेतेल में फिर कभी भविष्यद्वाणी न करना, क्योंकि यह राजा का पवित्रस्थान और राज-नगर है।” (आमोस 7:12, 13) दूसरे शब्दों में कहें तो अमस्याह के कहने का मतलब था: ‘अपने घर लौट जा! यहाँ भविष्यवाणी करने की कोई ज़रूरत नहीं क्योंकि हमारा अपना धर्म है।’ उसने आमोस का काम बंद करवाने के लिए उसके खिलाफ राजा के कान भी भरे। उसने यारोबाम द्वितीय से कहा: “आमोस ने इस्राएल के घराने के बीच में तुझ से राजद्रोह की गोष्ठी की है।” (आमोस 7:10) जी हाँ, अमस्याह ने आमोस पर राजद्रोह का इलज़ाम लगाया! उसने राजा से कहा: “आमोस यों कहता है, कि, यारोबाम तलवार से मारा जाएगा, और इस्राएल अपनी भूमि पर से निश्‍चय बंधुआई में जाएगा।”—आमोस 7:11.

17 यह कहकर अमस्याह ने तीन बातों को तोड़-मरोड़कर बताया। उसने कहा: “आमोस यों कहता है।” लेकिन आमोस ने तो कभी ऐसा कहा ही नहीं था कि यह उसकी खुद की भविष्यवाणी है, बल्कि उसने हमेशा यही कहा: “यहोवा यों कहता है।” (आमोस 1:3) आमोस पर यह कहने का भी आरोप लगाया गया कि “यारोबाम तलवार से मारा जाएगा।” लेकिन जैसा आमोस 7:9 में दर्ज़ है, उसने असल में यह भविष्यवाणी की थी: “मैं [यहोवा] यारोबाम के घराने पर तलवार खींचे हुए चढ़ाई करूंगा।” यहोवा ने यारोबाम की आनेवाली पीढ़ियों या उसके “घराने” पर विपत्ति लाने की भविष्यवाणी की। इतना ही नहीं, अमस्याह ने यह इलज़ाम भी लगाया कि आमोस कहता है: “इस्राएल अपनी भूमि पर से निश्‍चय बंधुआई में जाएगा।” हाँ, आमोस ने ऐसा ज़रूर कहा, मगर उसने यह भी कहा था कि अगर कोई इस्राएली मन फिराकर परमेश्‍वर के पास लौटे तो उसे परमेश्‍वर की आशीष मिलेगी। इससे साफ ज़ाहिर होता है कि अमस्याह ने सच्चाई को तोड़-मरोड़कर पेश किया ताकि राजा, आमोस के प्रचार काम पर रोक लगा दे।

18. अमस्याह और आज के पादरियों की चालें कैसे मिलती-जुलती हैं?

18 क्या आपने गौर किया कि अमस्याह की चालें और आज यहोवा के लोगों का विरोध करनेवालों की चालें कैसे मिलती-जुलती हैं? ठीक जैसे अमस्याह ने आमोस का मुँह बंद करवाने की कोशिश की, उसी तरह आज के कुछ पादरी, बिशप और बड़े-बड़े धर्मगुरू, यहोवा के सेवकों के प्रचार काम में बाधा डालने की कोशिश करते हैं। अमस्याह ने आमोस पर देशद्रोही होने का झूठा इलज़ाम लगाया। वैसे ही आज कुछ पादरी, यहोवा के साक्षियों पर इलज़ाम लगाते हैं कि वे देश के लिए खतरा हैं। आमोस से निपटने के लिए जिस तरह अमस्याह ने राजा से मदद माँगी, उसी तरह पादरी, यहोवा के साक्षियों को सताने के लिए राजनीति से जुड़े अपने दोस्तों से मदद माँगते हैं।

दुश्‍मन हमारा प्रचार काम नहीं रोक सकते

19, 20. अमस्याह के विरोध किए जाने पर आमोस ने क्या किया?

19 जब अमस्याह ने विरोध किया तब आमोस ने क्या किया? उसने सबसे पहले उस याजक से कहा: “तू कहता है कि इस्राएल के विरुद्ध भविष्यद्वाणी मत कर।” मगर यह कहने के फौरन बाद आमोस बेधड़क वही बातें सुनाने लगता है, जो अमस्याह हरगिज़ नहीं सुनना चाहता था। (आमोस 7:16, 17) आमोस डरा नहीं। वाकई हम सबके लिए क्या ही बेहतरीन मिसाल! जब परमेश्‍वर के वचन को सुनाने की बात आती है, तब हम किसी भी हाल में परमेश्‍वर की आज्ञा न तोड़ें, फिर चाहे अमस्याह जैसे लोग हमें सताने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर ही क्यों न लगा दें। आमोस की तरह हम यह ऐलान करते रहेंगे: “यहोवा यों कहता है।” और दुश्‍मन हमारे प्रचार काम को कभी-भी रोक नहीं सकते क्योंकि ‘यहोवा का हाथ’ हम पर है।—प्रेरितों 11:19-21.

20 अमस्याह को यह समझ जाना चाहिए था कि उसकी गीदड़-भभकियों से कुछ नहीं होनेवाला। आमोस ने पहले से बता दिया था कि क्यों धरती पर कोई भी इंसान उसे प्रचार करने से नहीं रोक सकता और यही हमारा तीसरा मुद्दा है। आमोस 3:3-8 के मुताबिक आमोस एक-के-बाद-एक कई सवालों और उदाहरणों का इस्तेमाल करके यह दिखाता है कि हर काम के पीछे एक वजह ज़रूर होती है। फिर वह इन सारी बातों के पीछे अपना असली मुद्दा समझाता है: “सिंह गरजा; कौन न डरेगा? परमेश्‍वर यहोवा बोला; कौन भविष्यद्वाणी न करेगा?” दूसरे शब्दों में कहें तो आमोस अपने सुननेवालों को बताता है: ‘ऐसा नहीं हो सकता कि सिंह का गरजना सुनकर आप डर के मारे ना काँपें, ठीक वैसे ही यहोवा का वचन सुनाने की ज़िम्मेदारी पाकर मैं चुप नहीं बैठ सकता।’ यहोवा के लिए भय और गहरी श्रद्धा ने ही आमोस को हिम्मत के साथ बोलने के लिए उभारा था।

21. यहोवा ने हमें सुसमाचार सुनाने की जो आज्ञा दी है, उसकी तरफ हम कैसा रवैया दिखाते हैं?

21 यहोवा ने हमें भी प्रचार करने की ज़िम्मेदारी सौंपी है। हम कैसा रवैया दिखाते हैं? हम भी आमोस और यीशु के पहली सदी के चेलों की तरह यहोवा की मदद से हिम्मत के साथ उसका वचन सुनाते हैं। (प्रेरितों 4:23-31) और हमें कोई भी बात उसका वचन सुनाने से रोक नहीं सकती, फिर चाहे विरोधियों के भड़काने पर हमें सताया जाए, या जिन लोगों को हम प्रचार करते हैं, वे कोई दिलचस्पी न दिखाएँ। दुनिया भर में यहोवा के साक्षी आमोस जैसा जोश दिखा रहे हैं, इसलिए उन्हें हिम्मत के साथ सुसमाचार का ऐलान करने के लिए उकसाया जाता है। लोगों को यहोवा के आनेवाले न्यायदंड के बारे में खबरदार करना हमारी ज़िम्मेदारी है। यह न्यायदंड कैसा होगा? इसका जवाब हमें अगले लेख में दिया जाएगा।

आप क्या जवाब देंगे?

• परमेश्‍वर से मिली ज़िम्मेदारी को आमोस ने किन हालात में निभाया?

• आमोस की तरह हमें क्या प्रचार करना चाहिए?

• हमें किस रवैए के साथ अपना प्रचार काम करना चाहिए?

• दुश्‍मन हमारे प्रचार काम को रोकने में क्यों नाकाम रहे हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 10 पर तसवीर]

परमेश्‍वर ने आमोस को अपने काम के लिए चुना जो गूलर पेड़ के फलों का बेधनेवाला था

[पेज 13 पर तसवीर]

आमोस की तरह क्या आप भी हिम्मत के साथ यहोवा के संदेश का ऐलान करते हैं?