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खराई की राह पर चल

खराई की राह पर चल

खराई की राह पर चल

“परन्तु मैं तो खराई से चलता रहूंगा।”भजन 26:11.

1, 2. (क) इंसान की खराई कैसे सीधे-सीधे हुकूमत करने के परमेश्‍वर के अधिकार के मसले से जुड़ी है? (ख) बुद्धिमान प्राणी कैसे दिखा सकते हैं कि वे यहोवा की हुकूमत के मामले में किसकी तरफ हैं?

 शैतान ने अदन के बाग में बगावत करके पूरे विश्‍व के सामने यह सवाल खड़ा किया कि क्या परमेश्‍वर को सभी प्राणियों पर शासन करने का हक है? कुछ समय बाद, उसने यह चुनौती दी कि जब तक इंसान को परमेश्‍वर से फायदा होता रहेगा, सिर्फ तब तक वह उसका वफादार रहेगा। (अय्यूब 1:9-11; 2:4) इस तरह इंसान की खराई सीधे-सीधे, हुकूमत करने के यहोवा के अधिकार के मसले से जुड़ गयी।

2 परमेश्‍वर के आत्मिक पुत्र और इंसान, चाहे परमेश्‍वर के खरे रहें या नहीं, इस हकीकत को कोई नहीं बदल सकता कि यहोवा ही सारे जहान का मालिक है। फिर भी, वे दिखा सकते हैं कि इस मसले में वे किसकी तरफ हैं। वह कैसे? खराई की राह पर चलकर या उसे ठुकराकर। तो इसका मतलब हुआ कि इंसान की खराई के ठोस आधार पर ही उसका न्याय किया जाएगा।

3. (क) अय्यूब और दाऊद ने यहोवा से क्या जाँचने और न्याय करने की बिनती की? (ख) खराई के मामले में कौन-से सवाल खड़े होते हैं?

3 अय्यूब ने पूरे भरोसे के साथ कहा: “मैं धर्म के तराज़ू में तौला जाऊं, ताकि ईश्‍वर मेरी खराई को जान ले।” (अय्यूब 31:6) प्राचीन इस्राएल के राजा दाऊद ने यहोवा से अपनी खराई जाँचने के लिए प्रार्थना की। उसने बिनती की: “हे यहोवा, मेरा न्याय कर, क्योंकि मैं खराई से चलता रहा हूं, और मेरा भरोसा यहोवा पर अटल बना है।” (भजन 26:1) तो हमारे लिए भी खराई की राह पर चलना कितनी अहमियत रखता है! लेकिन खराई है क्या, और इसकी राह पर चलने का मतलब क्या है? खराई की राह पर बने रहने में क्या बात हमारी मदद करेगी?

“मैं खराई से चलता रहा हूं”

4. खराई का मतलब क्या है?

4 खराई का मतलब है: खरा, बेकसूर, धर्मी और निर्दोष होना। लेकिन खराई बनाए रखने में सिर्फ सही काम करना ही काफी नहीं बल्कि परमेश्‍वर के नैतिक सिद्धांतों के मुताबिक पूरी तरह चलना और तन-मन से सिर्फ उसी का वफादार रहना भी ज़रूरी है। शैतान ने अय्यूब के नेक इरादे पर सवाल उठाया, जब उसने यहोवा से कहा: “सो केवल अपना हाथ बढ़ाकर [अय्यूब की] हड्डियां और मांस छू, तब वह तेरे मुंह पर तेरी निन्दा करेगा।” (अय्यूब 2:5) तो खराई दिखाने के लिए सही काम करने के साथ, नेक इरादा होना भी ज़रूरी है।

5. क्या बात दिखाती है कि खराई बनाए रखने का मतलब यह नहीं कि इंसान को सिद्ध होना चाहिए?

5 लेकिन खराई बनाए रखने का मतलब यह नहीं कि एक इंसान को सिद्ध होना चाहिए। राजा दाऊद असिद्ध था और उसने अपनी ज़िंदगी में कई गंभीर पाप किए, फिर भी बाइबल कहती है कि वह “मन की खराई” से चला। (1 राजा 9:4) क्यों? क्योंकि दाऊद यहोवा से प्यार करता था। वह पूरे मन यानी तन-मन से परमेश्‍वर का वफादार था। उसने फौरन अपनी गलतियाँ मानीं, ताड़नाओं को कबूल किया और अपने आपमें सुधार किए। सचमुच, जिस तरह दाऊद ने अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए तहेदिल से वफादारी और प्यार दिखाया, उससे पता चलता है कि वह खराई से चला।—व्यवस्थाविवरण 6:5, 6.

6, 7. खराई से चलने में क्या शामिल है?

6 खराई ज़िंदगी के किसी एक पहलू, जैसे सिर्फ धर्म के मामले में ही नहीं दिखायी जाती है। यह ज़िंदगी के हर दायरे में दिखानी चाहिए। दाऊद खराई से ‘चलता रहा।’ द न्यू इंटरप्रेटर्स बाइबल कहती है: “‘चलता’ इस क्रिया का मतलब है, ‘जीने का तरीका’ या ‘तौर-तरीका।’” जो “चाल के खरे हैं”, उनके बारे में भजनहार ने गाया: “क्या ही धन्य हैं वे जो [परमेश्‍वर की] चितौनियों को मानते हैं, और पूर्ण मन से उसके पास आते [‘उसको खोजते,’ NHT] हैं! फिर वे कुटिलता का काम नहीं करते, वे उसके मार्गों में चलते हैं।” (भजन 119:1-3) खराई दिखाने में यह माँग की जाती है कि एक इंसान लगातार खोजता रहे कि वह कैसे परमेश्‍वर की इच्छा पूरी कर सकता है और उसके मार्ग पर चल सकता है।

7 खराई से चलते रहने में ज़रूरी है कि हम मुश्‍किल-से-मुश्‍किल हालात में भी पूरी वफादारी से परमेश्‍वर की भक्‍ति करें। जब हम परीक्षाओं में धीरज धरते, दुःख-तकलीफों में मज़बूत बने रहते, या इस दुष्ट संसार से लुभाए जाने पर उसका विरोध करते हैं तो हमारी खराई साफ दिखायी देती है। इस तरह हम ‘यहोवा का मन आनन्दित करते’ हैं क्योंकि तब वह अपनी निन्दा करनेवाले को मुँहतोड़ जवाब दे पाता है। (नीतिवचन 27:11) तो अय्यूब की तरह यह ठान लेने की हमारे पास ज़बरदस्त वजह है: “जब तक मेरा प्राण न छूटे तब तक मैं अपनी खराई से न हटूंगा।” (अय्यूब 27:5) छब्बीसवाँ भजन दिखाता है कि खराई से चलने में क्या बात हमारी मदद करेगी।

“मेरे गुर्दे और हृदय को शुद्ध कर”

8. दाऊद की इस बिनती से हम क्या सीखते हैं कि यहोवा उसके गुर्दे और हृदय को परखे?

8 दाऊद ने प्रार्थना की: “हे यहोवा, मुझे परख और मेरी जाँच कर; मेरे गुर्दे और हृदय को शुद्ध कर।” (भजन 26:2, NW) गुर्दे शरीर के भीतरी हिस्से में होते हैं। इसलिए गुर्दे एक इंसान के दिल में छिपी भावनाओं और विचारों को दर्शाते हैं। और हृदय, अंदर के इंसान यानी उसके इरादों, उसके जज़्बातों और उसकी सोच को सूचित करता है। जब दाऊद ने यहोवा से कहा कि वह उसे परखे, तब दरअसल उसने यह प्रार्थना की कि यहोवा उसके दिल में छिपी भावनाओं और विचारों की खोज करके उन्हें बारीकी से जाँचे।

9. यहोवा हमारे लाक्षणिक गुर्दे और हृदय को कैसे शुद्ध करता है?

9 दाऊद ने बिनती की कि यहोवा उसके गुर्दे और हृदय को शुद्ध करे। यहोवा कैसे हमारे अंदर के इंसान को शुद्ध करता है? दाऊद ने गाया: “मैं यहोवा को धन्य कहता हूं, क्योंकि उस ने मुझे सम्मति दी है; वरन मेरा मन [‘गुर्दा,’ NW] भी रात में मुझे शिक्षा देता है।” (भजन 16:7) इसका मतलब क्या है? इसका मतलब है कि परमेश्‍वर की सलाह, दाऊद के एकदम अंदर तक समा गयी, जिसने उसकी गहरी भावनाओं और उसके विचारों को सुधारा। उसी तरह, अगर हम परमेश्‍वर के वचन, उसके ठहराए लोगों और उसके संगठन से मिलनेवाली सलाहों का एहसान मानते हुए उन पर मनन करें और उन्हें दिल की गहराइयों में उतार लें तो परमेश्‍वर की सलाह हमारे विचारों और भावनाओं को सुधार सकेगी। इस तरह शुद्ध किए जाने के लिए अगर हम लगातार यहोवा से प्रार्थना करें, तो हमें खराई की राह पर चलते रहने में मदद मिलेगी।

‘तेरी निरंतर प्रेम-कृपा मेरे सामने है’

10. परमेश्‍वर के सत्य मार्ग पर चलते रहने के लिए दाऊद को किस बात से मदद मिली होगी?

10 दाऊद ने आगे कहा: “तेरी करुणा [“निरंतर प्रेम-कृपा,” NW] तो मेरी आंखों के साम्हने है, और मैं तेरे सत्य मार्ग पर चलता रहा हूं।” (भजन 26:3) दाऊद परमेश्‍वर की निरंतर प्रेम-कृपा के कामों से अच्छी तरह वाकिफ था और उनका एहसान मानते हुए उन पर मनन करता था। दाऊद ने गाया: “हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना।” यहोवा के एक “उपकार” को याद करते हुए उसने आगे गाया: “यहोवा सब पिसे हुओं के लिये धर्म और न्याय के काम करता है। उस ने मूसा को अपनी गति, और इस्राएलियों पर अपने काम प्रगट किए।” (भजन 103:2, 6, 7) दाऊद शायद मूसा के दिनों के इस्राएलियों के बारे में सोच रहा था, जब मिस्रियों ने उन्हें खूब ठगा था। अगर ऐसा है, तो इस पर मनन करते हुए दाऊद को खासकर यह बात ज़रूर छू गयी होगी कि यहोवा ने मूसा को बताया कि वह किन तरीकों से इस्राएल को छुड़ाएगा। और इससे परमेश्‍वर के सत्य मार्ग पर चलते रहने का दाऊद का इरादा और भी मज़बूत हुआ होगा।

11. क्या बात हमें खराई की राह पर चलने में मदद देगी?

11 नियमित रूप से परमेश्‍वर का वचन अध्ययन करने और सीखी हुई बातों पर मनन करने से भी हमें खराई की राह पर चलने में मदद मिलती है। मसलन, हमने सीखा है कि जब पोतीपर की बीवी ने यूसुफ के साथ नाजायज़ संबंध रखने की कोशिश की, तो यूसुफ वहाँ से सरपट भागा। इसी तरह हमारे काम करने की जगह पर, स्कूल में या कहीं और, जब कोई हमें अनैतिक काम में फँसाने की कोशिश करता है, तब अगर हम यूसुफ की मिसाल याद करें तो हमें वहाँ से भाग निकलने की हिम्मत मिलेगी। (उत्पत्ति 39:7-12) अगर हम धन-दौलत या नाम कमाने और ऊँचा ओहदा पाने के लिए लुभाए जाते हैं तब हम किसकी मिसाल पर मनन कर सकते हैं? हमारे सामने मूसा की मिसाल है जिसने मिस्र की शानो-शौकत ठुकरा दी थी। (इब्रानियों 11:24-26) जब हम किसी बीमारी या मुसीबत के दौर से गुज़रते हैं तब बेशक अय्यूब की धीरज की मिसाल मन में रखने से, यहोवा के वफादार बने रहने का हमारा इरादा मज़बूत होगा। (याकूब 5:11) जब हम अत्याचार के शिकार होते हैं तब क्या? दानिय्येल की ज़िंदगी के उस भयानक पल को याद करने से हमारा हौसला बुलंद होगा, जब उसे सिंहों की मांद में डाल दिया गया था!—दानिय्येल 6:16-22.

“मैं निकम्मी चाल चलनेवालों के संग नहीं बैठा”

12, 13. हमें किस तरह की संगति से दूर रहना चाहिए?

12 दाऊद ने एक और बात का ज़िक्र किया, जिसने खराई की राह से न डगमगाने में उसकी मदद की: “मैं निकम्मी चाल चलनेवालों के संग नहीं बैठा, और न मैं कपटियों के साथ कहीं जाऊंगा; मैं कुकर्मियों की संगति से घृणा रखता हूं, और दुष्टों के संग न बैठूंगा।” (भजन 26:4, 5) दाऊद कभी दुष्टों के संग बैठने की सोच भी नहीं सकता था। उसे बुरी संगति से सख्त नफरत थी।

13 हमारे बारे में क्या? जब हम टी.वी. कार्यक्रम, वीडियो और फिल्में देखते, इंटरनॆट पर वक्‍त बिताते या दूसरी तरह की संगति करते हैं तब क्या हम निकम्मी चाल चलनेवालों के साथ बैठने से इनकार करते हैं? क्या हम उन कपटियों से दूर रहते हैं जो अपनी असलियत छिपाते हैं? स्कूल में या हमारे काम की जगह पर कुछ लोग अपने मक्कार इरादों को अंजाम देने के लिए शायद हमारे साथ दोस्ती का ढोंग रचें। जो परमेश्‍वर की सच्चाई पर नहीं चलते, क्या हम ऐसे लोगों के साथ करीबी रिश्‍ता जोड़ना चाहेंगे? धर्मत्यागी दावा करते हैं कि उनका दिल साफ है, मगर वे भी हमें यहोवा की सेवा से दूर ले जाने के अपने असल इरादों को छिपाते हैं। अगर मसीही कलीसिया में कुछ लोग दोरंगी ज़िंदगी जीते हों तो ऐसों के बारे में क्या? वे भी अपनी असलियत पर परदा डालते हैं। जेसन जो अब सहायक सेवक के तौर पर सेवा कर रहा है, जब जवान था तब उसके कुछ दोस्त ऐसे ही थे। उनके बारे में वह कहता है: “एक दिन मेरे एक दोस्त ने मुझसे कहा: ‘आज हम चाहे जो करें उससे कुछ फर्क नहीं पड़नेवाला, क्योंकि ज़्यादा-से-ज़्यादा क्या होगा, यही ना कि हम नयी दुनिया में नहीं पहुँचेंगे, मर जाएँगे। और मरने पर हमें क्या पता चलेगा कि हमने क्या खोया है।’ ऐसी बातें मेरे लिए खतरे की घंटी थीं। मैं मरना नहीं बल्कि नयी दुनिया में जीना चाहता था।” जेसन ने अक्लमंदी से काम लिया और ऐसे लोगों से पूरी तरह नाता तोड़ लिया। संगति के बारे में प्रेरित पौलुस ने खबरदार किया: “धोखा न खाना, बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।” (1 कुरिन्थियों 15:33) वाकई बुरी संगति से दूर रहना कितना ज़रूरी है!

‘मैं तेरे सब आश्‍चर्यकर्मों का वर्णन करूंगा’

14, 15. हम यहोवा की “वेदी की प्रदक्षिणा” कैसे कर सकते हैं?

14 दाऊद ने आगे कहा: “मैं अपने हाथों को निर्दोषता के जल से धोऊंगा, तब हे यहोवा मैं तेरी वेदी की प्रदक्षिणा करूंगा।” क्यों? “ताकि तेरा धन्यवाद ऊंचे शब्द से करूं, और तेरे सब आश्‍चर्यकर्मों का वर्णन करूं।” (भजन 26:6, 7) दाऊद अपना चरित्र बेदाग रखना चाहता था ताकि वह यहोवा की उपासना कर सके और इस तरह अपनी वफादारी का ऐलान कर सके।

15 पुराने ज़माने में निवासस्थान में और इसके बाद परमेश्‍वर के मंदिर में, शुद्ध उपासना के लिए इस्तेमाल की जानेवाली हरेक चीज़ ‘स्वर्ग में की वस्तुओं का प्रतिरूप और प्रतिबिम्ब’ थी। (इब्रानियों 8:5; 9:23) मंदिर की वेदी, यीशु मसीह का बलिदान कबूल करने की यहोवा की इच्छा को दर्शाती थी जिसके आधार पर इंसान को पाप और मौत से छुटकारा मिल सकता है। (इब्रानियों 10:5-10) इसलिए जब हम यीशु के बलिदान पर विश्‍वास ज़ाहिर करते हैं तो हम मानो निर्दोषता के जल से अपने हाथ धोते हैं और यहोवा की “वेदी की प्रदक्षिणा” करते हैं यानी उसके चारों तरफ घूमते हैं।—यूहन्‍ना 3:16-18.

16. दूसरों को परमेश्‍वर के आश्‍चर्यकर्मों के बारे में बताने से हमें क्या फायदा होता है?

16 छुड़ौती बलिदान की बदौलत कितना कुछ मुमकिन हुआ है! यह सब सोचकर क्या यहोवा और उसके एकलौते बेटे के लिए हमारा दिल एहसान से नहीं भर जाता? तो फिर आइए इसी भावना के साथ हम लोगों को जाकर यहोवा के उन सारे आश्‍चर्यकर्मों के बारे में बताएँ, जो उसने अदन के बाग में इंसान की सृष्टि से शुरू किए और जिन्हें वह नयी दुनिया की बहाली तक करता रहेगा। (उत्पत्ति 2:7; प्रेरितों 3:21) इसमें दो राय नहीं कि राज्य का प्रचार करने और चेला बनाने के काम से आध्यात्मिक तौर पर हमारी हिफाज़त होती है! (मत्ती 24:14; 28:19, 20) इस काम में लगे रहने से हम भविष्य की अपनी आशा को उज्ज्वल रख पाते हैं, यहोवा के वादों पर हमारा विश्‍वास मज़बूत होता है, साथ ही यहोवा और लोगों के लिए हमारा प्यार ज़िंदा रहता है।

‘मैं तेरे धाम से प्रीति रखता हूं’

17, 18. मसीही सभाओं के लिए हमारा रवैया कैसा होना चाहिए?

17 इस्राएल में निवासस्थान यहोवा की उपासना की सबसे खास जगह थी, जहाँ बलिदान चढ़ाने के लिए वेदी हुआ करती थी। उस जगह से दाऊद को कितना लगाव था, इसका इज़हार करते हुए उसने प्रार्थना की: “हे यहोवा, मैं तेरे धाम से तेरी महिमा के निवासस्थान से प्रीति रखता हूं।”भजन 26:8.

18 क्या हमें भी ऐसी जगहों में इकट्ठा होने से खुशी मिलती है जहाँ हम यहोवा के बारे में सीखते हैं? हर किंगडम हॉल सच्ची उपासना की एक खास जगह है, जहाँ नियमित तौर पर आध्यात्मिक शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा, हर साल हमारे अधिवेशन, सर्किट सम्मेलन और खास सम्मेलन दिन होते हैं। इन बड़ी सभाओं में यहोवा से मिलनेवाली “चितौनियों” पर चर्चा की जाती है। अगर हम इनसे “बहुत प्रीति” रखना सीखें तो हम सभाओं में जाने के लिए बेताब रहेंगे और वहाँ ध्यान लगाकर सुनेंगे। (भजन 119:167) हमें अपने ऐसे विश्‍वासी भाई-बहनों के साथ इकट्ठा होने से कितनी ताज़गी मिलती है, जो दिल से हमारी भलाई चाहते हैं और खराई की राह पर बने रहने में हमारी मदद करते हैं!—इब्रानियों 10:24, 25.

‘मेरे प्राण को नाश न कर’

19. दाऊद किन पापों का दोषी नहीं होना चाहता था?

19 दाऊद यह बखूबी जानता था कि परमेश्‍वर की सच्चाई से दूर हो जाने का क्या अंजाम होता है, इसलिए उसने बिनती की: “मेरे प्राण को पापियों के साथ, और मेरे जीवन को हत्यारों के साथ न मिला [“नाश न कर,” NHT]। वे तो ओछापन करने में लगे रहते हैं, और उनका दाहिना हाथ घूस से भरा रहता है।” (भजन 26:9, 10) दाऊद हरगिज़ नहीं चाहता था कि उसे पापियों में गिना जाए जो ओछे यानी बदचलन, और घूसखोर होते हैं।

20, 21. क्या बात हमें गलत रास्ते पर ले जा सकती है?

20 आज दुनिया में अनैतिक कामों की भरमार है। टी.वी., पत्रिकाएँ और फिल्में सभी बदचलनी को बढ़ावा देते हैं, जिसमें “व्यभिचार, गन्दे काम, लुचपन” शामिल हैं। (गलतियों 5:19) कुछ लोग तो पोर्नोग्राफी के गुलाम हो जाते हैं, जिसकी वजह से वे अनैतिक काम करने लगते हैं। खासकर नौजवान बड़ी आसानी से इसके शिकार हो जाते हैं। कुछ देशों में जहाँ डेटिंग करना एक रिवाज़ है, वहाँ के किशोर दबाव महसूस करते हैं कि उन्हें भी डेटिंग करनी चाहिए। ऐसे में कई लड़के-लड़कियाँ इश्‍क के चक्कर में पड़ जाते हैं जबकि उनकी शादी की उम्र तक नहीं होती। इस उम्र में लैंगिक इच्छाएँ पनपना शुरू ही होती हैं कि उन्हें पूरी करने के लिए वे घिनौनी हरकतें करने लगते हैं, यहाँ तक कि एक दिन हद पार करके व्यभिचार कर बैठते हैं।

21 लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि बड़े लोग बुरी बातों के असर से बचे रहते हैं। अगर एक इंसान कारोबार में बेईमानी करे और हमेशा ऐसे फैसले करे जिसमें सिर्फ उसी का फायदा हो, तो इससे ज़ाहिर होगा कि वह खराई के रास्ते पर नहीं चल रहा है। हम जितना ज़्यादा दुनियावी तौर-तरीके अपनाएँगे, उतना ही यहोवा से दूर होते जाएँगे। इसलिए आइए, ‘बुराई से बैर और भलाई से प्रीति रखें’ और खराई की राह पर चलते रहें।—आमोस 5:15.

“तू मुझे छुड़ा ले, और मुझ पर अनुग्रह कर”

22-24. (क) भजन 26 के आखिरी शब्दों से आपको किस तरह का हौसला मिलता है? (ख) अगले लेख में किस फँदे के बारे में चर्चा की जाएगी?

22 आखिर में, दाऊद ने परमेश्‍वर से कहा: “परन्तु मैं तो खराई से चलता रहूंगा। तू मुझे छुड़ा ले, और मुझ पर अनुग्रह कर। मेरे पांव चौरस स्थान में स्थिर हैं; सभाओं में मैं यहोवा को धन्य कहा करूंगा।” (भजन 26:11, 12) दाऊद ने अपनी खराई बनाए रखने की ठान लेने के साथ-साथ, यह बिनती भी की कि उसे पाप से छुड़ा लिया जाए। इस बात से हमें कितना हौसला मिलता है! अगर हमने खराई की राह पर चलने का अटल फैसला किया है तो हमारे पापी होने के बावजूद यहोवा हमारी मदद ज़रूर करेगा।

23 हमारे जीने के तौर-तरीकों से यह ज़ाहिर होना चाहिए कि हम ज़िंदगी के हर पहलू में परमेश्‍वर की हुकूमत का आदर और उसकी कदर करते हैं। हममें से हरेक यहोवा से बिनती कर सकता है कि वह हमारे अंदर छिपी भावनाओं और विचारों को जाँचकर शुद्ध करे। उसके वचन का पूरी लगन के साथ अध्ययन करके हम उसकी सच्चाई को हमेशा अपनी आँखों के सामने रख सकते हैं। तो आइए हम हर पल बुरी संगति से दूर रहें, लेकिन साथ ही यहोवा को सभाओं में धन्य कहते रहें। हम राज्य के प्रचार काम और चेले बनाने के काम में जोश के साथ हिस्सा लेते रहें ताकि इस दुनिया की वजह से यहोवा के साथ हमारा अनमोल रिश्‍ता खतरे में न पड़ जाए। खराई की राह पर चलने की पूरी-पूरी कोशिश करते वक्‍त, हम इस बात का यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हम पर अनुग्रह करेगा।

24 हमें ज़िंदगी के हर पहलू में खराई दिखानी है। इसलिए हमें एक खतरनाक फँदे के बारे में जानने की ज़रूरत है और वह है, शराब का गलत इस्तेमाल करना। इस पर अगले लेख में चर्चा की जाएगी।

क्या आपको याद है?

• बुद्धिमान प्राणियों का न्याय क्यों उनकी खराई के आधार पर करना सही होगा?

• खराई क्या है, और इसकी राह पर चलने में क्या शामिल है?

• खराई की राह पर चलने में क्या बात हमारी मदद करेगी?

• अगर हम खराई बनाए रखना चाहते हैं तो हमें किन खतरों को जानना और उनसे दूर रहना होगा?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 14 पर तसवीर]

क्या आप यहोवा की निरंतर प्रेम-कृपा के कामों को हमेशा अपनी आँखों के सामने रखते हैं?

[पेज 14 पर तसवीर]

क्या आप यहोवा से अपने अंदर छिपे विचारों को परखने की हमेशा बिनती करते हैं?

[पेज 15 पर तसवीर]

परीक्षाओं के दौरान अपनी खराई बनाए रखने से हम यहोवा का दिल खुश करते हैं

[पेज 17 पर तसवीर]

खराई की राह पर चलने में मदद पाने के लिए क्या आप यहोवा के इंतज़ामों का फायदा उठाते हैं?